हिंदी माध्यम नोट्स
श्वसन को प्रभावित करने वाले कारक , factors that affect respiration , श्वसन की दर (respiration rate in hindi)
प्रश्न : पादपो में संपन्न होने वाली श्वसन की क्रिया का महत्व बताइये।
उत्तर : श्वसन की क्रिया का महत्व निम्न प्रकार से है –
1. श्वसन की क्रिया के अन्तर्गत विमुक्त होने वाली ऊर्जा पादपों के द्वारा विभिन्न उपापचयीक क्रियाओ के लिए उपयोग की जाती है।
2. श्वसन की क्रिया के अंतर्गत पादपो में विभिन्न प्रकार के मध्यवर्ती उत्पाद उत्पन्न होते है जो पादपों में संपन्न होने वाली उपापचयी क्रियाओ के लिए उपयोगी होते है।
3. श्वसन की क्रिया के अन्तर्गत विमुक्त होने वाली कार्बन डाइ ऑक्साइड वायुमण्डल में गैसीय संतुलन को बनाये रखती है।
4. श्वसन की क्रिया के फलस्वरूप जटिल व अघुलनशील भोज्य पदार्थ सरल , घुलनशील पदार्थो में परिवर्तित हो जाते है।
5. श्वसन की क्रिया के अन्तर्गत पादपो में पायी जाने वाली संचित ऊर्जा को गतिज ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है।
श्वसन को प्रभावित करने वाले कारक
पादपों में संपन्न होने वाली श्वसन की क्रिया को सामान्यत: बाह्य तथा आन्तरिक कारक प्रभावित करते है जो निम्न है –
श्वसन की क्रिया को प्रभावित करने वाले बाह्य कारक
पादपो में श्वसन की क्रिया को प्रभावित करने वाले बाह्य कारक मुख्यतः पर्यावरणीय कारक होते है जो निम्न प्रकार से है –
1. तापमान : पादपो में श्वसन की क्रिया को प्रभावित करने वाला सबसे महत्वपूर्ण बाह्य कारक तापमान है।
(ii) सामान्यत: श्वसन की दर तापमान के समानुपाती होती है तथा इस समानुपाती की सीमा 5 से 30 डिग्री सेल्सियस तक होती है अर्थात 30 डिग्री सेल्सियस तापमान तक श्वसन की क्रिया में वृद्धि होती है परन्तु इससे अधिक तापमान होने पर पादपो में उपस्थित एंजाइम विकृति होने से श्वसन दर घटने लगती है।
नोट : पादपो में श्वसन की दर को “वांट हॉफ गुणांक” के द्वारा ज्ञात किया जाता है जिसके अनुसार प्रत्येक 10 डिग्री सेल्सियस तापमान में वृद्धि होने पर श्वसन की दर दुगुनी हो जाती है।
जैसे यदि श्वसन की दर Q10 = 1 हो तो 10 डिग्री सेल्सियस ताप बढाने पर Q10 = 2 हो जाती है।
ii. श्वसन दर तापमान के समानुपाती होने के कारण शीत ग्रहों में लम्बे समय तक फल तथा सब्जियाँ बिना सड़े संचित किया जाता है।
2. ऑक्सीजन : श्वसन की क्रिया हेतु पादपो में ऑक्सीजन एक महत्वपूर्ण कारक की भूमिका निभाता है क्योंकि वायवीय श्वसन के अंतर्गत ऑक्सीजन अंतिम इलेक्ट्रॉन ग्राही की तरह कार्य करता है अत: ऑक्सीजन की सान्द्रता कम होने पर पादपो के द्वारा वायवीय व अवायवीय दोनों प्रकार का श्वसन दर्शाया जाता है।
यदि बाह्य वातावरण में ऑक्सीजन की सांद्रता शून्य हो तो पादपो के द्वारा केवल अवायवीय श्वसन दर्शाया जाता है तथा ऐसी अवस्था में श्वसन गुणांक का मान अनन्त होगा अत: श्वसन की दर (R.O.R) –
R.O.R ∝ ऑक्सीजन की सान्द्रता
3. जल : पादपों के जीवद्रव्य का 90% जल से निर्मित होता है तथा पादपो में संपन्न होने वाली सभी उपापचयी क्रियाओ में जल एक माध्यम का कार्य करता है।
प्रत्येक पादप में जल के द्वारा विभिन्न प्रकार के परिवहन तंत्र एंजाइमो के स्थानान्तरण तथा गैस के विनिमय हेतु महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जाती है। इसके अतिरिक्त जल की उपस्थिति में कार्बोहाइड्रेट घुलनशील शर्करा में बदल कर श्वसन की दर में वृद्धि करते है।
उपरोक्त के फलस्वरूप पादपो में श्वसन की दर जल के समानुपाती होती है अत:
जल की मात्रा ∝ R.O.R
जल ∝ R.O.R.
नोट : शुष्क फल तथा बीजो में जल की मात्रा नगण्य पायी जाती है जिसके कारण ऐसे फल तथा बीजों में उपापचयी क्रियाएँ मंद गति से संपन्न होती है अर्थात श्वसन की दर न्यूनतम पायी जाती है अत: ऐसे फल तथा बीजो को लम्बे समय तक संचित किया जा सकता है।
4. प्रकाश : प्रकाश की उपस्थिति या अनुपस्थिति प्रत्यक्ष रूप से श्वसन की दर को प्रभावित नहीं करती है परन्तु अप्रत्यक्ष रूप से प्रकाश की उपस्थिति एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
क्योंकि प्रकाश की उपस्थिति के कारण पादपो में निम्न क्रियाएं संपन्न होती है।
- प्रकाश की उपस्थिति के कारण तापमान में वृद्धि होती है जो श्वसन की दर में वृद्धि करता है।
- प्रकाश की उपस्थिति में प्रकाश संश्लेषण संपन्न होता है जो कार्बोहाइड्रेट का निर्माण करता है तथा कार्बोहाइड्रेट की उपस्थिति किसी भी पादप में एक महत्वपूर्ण श्वसन क्रियाधार का कार्य करती है।
- प्रकाश की उपस्थिति में रन्ध्र खुलते है जो गैसों के विनिमय हेतु महत्वपूर्ण होते है तथा गैसों की विनिमयता से श्वसन की दर प्रभावी होती है।
5. कार्बन डाइ ऑक्साइड (CO2) : पादपो में कार्बन डाइ ऑक्साइड की सांद्रता श्वसन की दर (R.O.R) के व्युत्क्रमानुपाती होती है। अर्थात CO2 की सांद्रता बढे तो पादपो की पत्तियों में पाए जाने वाले रंध्र बंद हो जाते है तथा बंद होने से CO2 का अभाव हो जाता है तथा श्वसन की दर घट जाती है।
नोट : CO2 की सान्द्रता में वृद्धि होने के कारण बीजों के अंकुरण तथा पादपों की वृद्धि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
Heath नामक वैज्ञानिक के द्वारा CO2 की सान्द्रता अधिक होने पर रंध्रो के बंद होने की क्रिया को सिद्ध किया।
पादपो में श्वसन की दर को प्रभावित करने वाले आन्तरिक कारक
Recent Posts
मालकाना का युद्ध malkhana ka yudh kab hua tha in hindi
malkhana ka yudh kab hua tha in hindi मालकाना का युद्ध ? मालकाना के युद्ध…
कान्हड़देव तथा अलाउद्दीन खिलजी के संबंधों पर प्रकाश डालिए
राणा रतन सिंह चित्तौड़ ( 1302 ई. - 1303 ) राजस्थान के इतिहास में गुहिलवंशी…
हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ? hammir dev chauhan history in hindi explained
hammir dev chauhan history in hindi explained हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ?…
तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच हुआ द्वितीय युद्ध Tarain battle in hindi first and second
Tarain battle in hindi first and second तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच…
चौहानों की उत्पत्ति कैसे हुई थी ? chahamana dynasty ki utpatti kahan se hui in hindi
chahamana dynasty ki utpatti kahan se hui in hindi चौहानों की उत्पत्ति कैसे हुई थी…
भारत पर पहला तुर्क आक्रमण किसने किया कब हुआ first turk invaders who attacked india in hindi
first turk invaders who attacked india in hindi भारत पर पहला तुर्क आक्रमण किसने किया…