लेन्थेनाइड संकुचन प्रभावित करने वाले कारक ,प्रभाव , गुण Lentenide contraction

Lentenide contraction लेन्थैनाइड संकुचन :

लेन्थैनाइड तत्वों में बाएं से दाएं जाने पर आकार में कमी होती जाती है इसे लेन्थैनाइड संकुचन कहते है।
बाएं से दाएं जाने पर निम्न दो कारक परमाणु के आकार को प्रभावित करते है।
1. प्रभावी नाभिकीय आवेश :
बाएं से दाएं जाने पर प्रभावी नाभिकीय आवेश बढ़ता जाता है अतः आकार कम होता जाता है।
2. परिरक्षण प्रभाव :
अंदर के इलेक्ट्रॉन बाह्य इलेक्ट्रॉन को प्रतिकर्षित करते है इसे परिरक्षण प्रभाव कहते है जिससे आकार बढ़ता है।
लैंथेनॉइड में 4f कक्षक का आकार तथा ये परमाणु में अधिक अंदर स्थित होने के कारण इनका पररक्षण प्रभाव कम होता है अतः बाह्य इलेक्ट्रॉन पर केवल नाभिक का आकर्षण बल कार्य करता है जिससे आकार में कमी होती जाती है इसे लेन्थैनाइड संकुचन कहते है।
लेन्थैनाइड संकुचन के प्रभाव (Effects of Lenthenoid Contraction):
1. लेन्थैनाइड संकुचन के कारण द्वितीय और तृतीय संक्रमण श्रेणी के तत्वों के आकार लगभग समान होते है।
2. लेन्थैनाइड संकुचन के कारण तृतीय श्रेणी के तत्वों की आयनन एन्थैल्पी द्वितीय संक्रमण श्रेणी के तत्वों से अधिक होती है।
3. लेन्थैनाइड के आकार लगभग समान होने के कारण इनका पृथक्करण आसानी से नहीं किया जा सकता है क्योंकि इनके गुणों में पर्याप्त समानता होती है।
4. लेन्थैनाइड श्रेणी में बाएं से दाएं जाने पर हाइड्रोक्साइड की क्षारीय प्रकृति कम होती जाती है (सहसंयोजक गुण बढ़ने के कारण )
लेन्थैनाइड के गुण (Properties of lanthanide) :
1. ये चाँदी के समान श्वेत ठोस पदार्थ है।
2. वायु में इनकी सतह पर ऑक्साइड की परत बन जाती है जिससे सतह धुमिल हो जाती है।
3. इनका मानक अपचयन विभव ऋणात्मक होता है अतः ये अम्लों से क्रिया करके हाइड्रोजन गैस बनाते है।
4. बाएं से दाएं जाने पर इनकी क्रियाशीलता कम हो जाती है।
5. ये जल से क्रिया करके हाइड्रोजन गैस देते है।