JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

हिंदी माध्यम नोट्स

Categories: chemistry

रासायनिक विस्थापन को प्रभावित करने वाले कारक Factors Affecting Chemical Displacement

Factors Affecting Chemical Displacement रासायनिक विस्थापन को प्रभावित करने वाले कारक : रासायनिक विस्थापन को निम्न कारक प्रभावित करते हैं –

  1. प्रेरणिक प्रभाव /I प्रभाव : अधिक विद्युत ऋणी परमाणु जैसे F,O,N,Cl आदि -I प्रभाव के कारण प्रोटोन के चारों ओर स्थित electron को अपनी ओर आकर्षित कर लेते है , जिससे प्रोटोन के चारों ओर electron घनत्व कम हो जाता है।  जिससे प्रोटोन विपरिक्षित हो जाता है।  फलस्वरूप proton का अवशोषण संकेत down field अर्थात उच्च δvalue पर प्राप्त होता हैं।

यदि proton के चारों ओर इलेक्ट्रान घनत्व बढ़ता है तो प्रोटोन परिक्षिप्त हो जाता है फलस्वरूप प्रोटॉन का अवशोषण संकेत upfiled अर्थात निम्न δ value पर प्राप्त होता हैं।

  1. चुम्बकीय विषम दैशिकता प्रभाव (दिक् प्रभाव) :

electron के चक्रण के फलस्वरूप नाभिक के चारों ओर एक प्रेरित चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है , जो प्रोटोन पर प्रयुक्त चुम्बकीय क्षेत्र के विपरीत दिशा में होने पर प्रभावी चुम्बकीय क्षेत्र को कम कर देता है एवं समान दिशा में होने पर प्रभावी चुम्बकीय क्षेत्र को बढ़ा देता है

इस प्रकार proton का परिरक्षण या विपरिरक्षण प्रोटोन की स्थिति अर्थात दिक् विन्यास पर निर्भर करता है अत: इसे विषम दैशिक प्रभाव कहते है

यह निम्न दो प्रकार से होता है –

  1. प्रतिचुम्बकीय विषम दैशिक प्रभाव : जब प्रेरित चुम्बकीय क्षेत्र प्रयुक्त चुम्बकीय क्षेत्र के विपरीत दिशा में होता है तो इसे प्रतिचुम्बकीय विषमदैशिक प्रभाव कहते है , इसमें proton परिरक्षित हो जाता है , जिससे NMR सिग्नल up field अर्थात निम्न रासायनिक विस्थापन value पर प्राप्त होता है

उदाहरण : एसिटिलीन

  1. अनुचुम्बकीय विषमदैशिक प्रभाव : यदि प्रेरित चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा प्रयुक्त चुम्बकीय क्षेत्र के समान हो तो इसे अनुचुम्बकीय विषम दैशिक प्रभाव कहते है इसमें प्रोटोन विपरीरक्षित हो जाते है जिससे एनएमआर संकेत down field अर्थात उच्च रासायनिक विस्थापन value पर प्राप्त होते है

उदाहरण : बेंजीन , एल्किन आदि

  1. H-बंध : यदि किसी यौगिक में अंतराण्विक H-बन्ध उपस्थित होता है तो OH बंध की लम्बाई का मान बढ़ने से proton विपरिरक्षित हो जाता है फलस्वरूप रासायनिक विस्थापन का मान बढ़ जाता है .

यदि अणु में अंतराण्विक H बंध की सामर्थ्य बढती है तो विपरिरक्षण से प्रोटोन की रासायनिक विस्थापन का मान बढ़ जाता है , तनुकरण करने पर अंतराण्विक H बन्ध की सामर्थ्य कम हो जाती है जिससे अवशोषण संकेत उच्च क्षेत्र अर्थात निम्न रासायनिक विस्थापन मान पर प्राप्त होते है

नोट : अन्त: आण्विक H बंध से proton के अवशोषण संकेत पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है

  1. ताप का प्रभाव : तापमान का रासायनिक विस्थापन पर बहुत कम प्रभाव होता है , ताप बढ़ाने से अंतराण्विक H-बंध दुर्बल हो जाते है जिससे proton का अवशोषण संकेत उच्च क्षेत्र की ओर विस्थापित हो जाता है .
Sbistudy

Recent Posts

मालकाना का युद्ध malkhana ka yudh kab hua tha in hindi

malkhana ka yudh kab hua tha in hindi मालकाना का युद्ध ? मालकाना के युद्ध…

4 weeks ago

कान्हड़देव तथा अलाउद्दीन खिलजी के संबंधों पर प्रकाश डालिए

राणा रतन सिंह चित्तौड़ ( 1302 ई. - 1303 ) राजस्थान के इतिहास में गुहिलवंशी…

4 weeks ago

हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ? hammir dev chauhan history in hindi explained

hammir dev chauhan history in hindi explained हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ?…

4 weeks ago

तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच हुआ द्वितीय युद्ध Tarain battle in hindi first and second

Tarain battle in hindi first and second तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच…

4 weeks ago

चौहानों की उत्पत्ति कैसे हुई थी ? chahamana dynasty ki utpatti kahan se hui in hindi

chahamana dynasty ki utpatti kahan se hui in hindi चौहानों की उत्पत्ति कैसे हुई थी…

1 month ago

भारत पर पहला तुर्क आक्रमण किसने किया कब हुआ first turk invaders who attacked india in hindi

first turk invaders who attacked india in hindi भारत पर पहला तुर्क आक्रमण किसने किया…

1 month ago
All Rights ReservedView Non-AMP Version
X

Headline

You can control the ways in which we improve and personalize your experience. Please choose whether you wish to allow the following:

Privacy Settings
JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now