हिंदी माध्यम नोट्स
Categories: chemistry
धातुओं का निष्कर्षण (EXTRACTION OF METALS in hindi)
(EXTRACTION OF METALS in hindi) धातुओं का निष्कर्षण : धरती में पाए जाने वाले खनिज स्रोत जिनमें धातु सुविधापूर्वक और कम लागत पर प्राप्त की जा सकती है उन खनिजो को अयस्क कहते है।
अर्थात अयस्क वे प्राकृतिक स्रोत होते है जिनमें धातुएं पायी जाती है जिनसे कम लागत में धातुओं का निष्कर्षण किया जा सकता है।
चूँकि अयस्क में उपस्थित धातु की मात्रा शुद्ध मात्रा में नहीं पायी जाती है इसलिए अयस्को से विभिन्न तरीकों से धातुओं को अलग करना पड़ता है और अयस्क से धातुओं की शुद्ध मात्रा को अलग करना या प्राप्त करने की प्रक्रिया को धातु निष्कर्षण या धातु कर्म (metallurgy) कहते है।
किसी अयस्क से शुद्ध अवस्था में धातु को अलग करने या धातु के निष्कर्षण करने के लिए ये पद काम में आते है –
1. चूर्णीकरण या संक्षोदन
2. अयस्क का सांद्रण
3. सांद्रित अयस्क का धातु ऑक्साइड में परिवर्तन
4. धातु ऑक्साइड का धातु में परिवर्तन
5. धातुओं का शुद्धिकरण
किसी अयस्क से धातुओं के निष्कर्षण के लिए उपयोग किये जाने वाले निम्न पदों को अब हम विस्तार से अध्ययन करते है और किसी अयस्क से शुद्ध धातु प्राप्त करने की पूरी प्रक्रिया का अध्ययन करते है।
अर्थात अयस्क वे प्राकृतिक स्रोत होते है जिनमें धातुएं पायी जाती है जिनसे कम लागत में धातुओं का निष्कर्षण किया जा सकता है।
चूँकि अयस्क में उपस्थित धातु की मात्रा शुद्ध मात्रा में नहीं पायी जाती है इसलिए अयस्को से विभिन्न तरीकों से धातुओं को अलग करना पड़ता है और अयस्क से धातुओं की शुद्ध मात्रा को अलग करना या प्राप्त करने की प्रक्रिया को धातु निष्कर्षण या धातु कर्म (metallurgy) कहते है।
किसी अयस्क से शुद्ध अवस्था में धातु को अलग करने या धातु के निष्कर्षण करने के लिए ये पद काम में आते है –
1. चूर्णीकरण या संक्षोदन
2. अयस्क का सांद्रण
3. सांद्रित अयस्क का धातु ऑक्साइड में परिवर्तन
4. धातु ऑक्साइड का धातु में परिवर्तन
5. धातुओं का शुद्धिकरण
किसी अयस्क से धातुओं के निष्कर्षण के लिए उपयोग किये जाने वाले निम्न पदों को अब हम विस्तार से अध्ययन करते है और किसी अयस्क से शुद्ध धातु प्राप्त करने की पूरी प्रक्रिया का अध्ययन करते है।
1. चूर्णीकरण या संक्षोदन
जब किसी अयस्क को खान से निकाला जाता है तो यह बड़े बड़े अयस्को के टुकडो के रूप में होता है इसलिए इन टुकड़ो को तोड़कर छोटे आकार के टुकडो के अयस्को में बदला जाता है इस क्रिया को संक्षोदन कहते है।
खनिज से प्राप्त अयस्क को बड़े बड़े टुकड़ो से छोटे टुकडो के रूप में तोड़ने के लिए दोलित्र या चक्की का इस्तेमाल करते है , दोलित्र या चक्की में दो पाट होते है जो घूमते रहते है , इन दोनों पाटो के मध्य अयस्क के बड़े टुकडो को डाला जाता है , पाटो की तेज गति के कारण ये अयस्क के टुकड़े टूटकर छोटे अयस्क के टुकडो के रूप में प्राप्त हो जाते है।
दोलित्र या चक्की के द्वारा प्राप्त अयस्क के छोटे टुकडो को और अधिक कूटकर चूर्ण के रूप में परिवर्तित कर दिया जाता है।
अयस्क को चूर्ण के रूप में परिवर्तित करने की विधि को या क्रिया को चूर्णीकरण कहते है।
2. अयस्क का सांद्रण
जब अयस्क को हमने खनिज से प्राप्त किया तो इसमें कई प्रकार की अनुपयोगी पदार्थ मिले हुए होते है जैसे मिटटी , रेत , कंकड़ , क्वार्टज़ आदि।
अयस्को में पायी जाने वाली इन अशुद्धियो को आधात्री या गैंग या मैट्रिक्स कहते है।
किसी अयस्क से आधात्री को अलग करने की प्रक्रिया को अयस्क का सांद्रण कहते है।
अयस्क के प्रकार के आधार पर , अयस्क का सांद्रण किया जाता है , अयस्को के सांद्रण की प्रमुख विधियाँ निम्न है –
- गुरुत्वीय पृथक्करण : इस विधि द्वारा उन अयस्को का सांद्रण किया जाता है जिन अयस्क के कणों का घनत्व बहुत अधिक होता है और आधात्री (अशुद्धि) के कणों का घनत्व बहुत कम होता है।
- झाग प्लवन : इस विधि द्वारा सल्फाइड के अयस्को का सांद्रण किया जाता है।
- विद्युत चुम्बकीय पृथक्करण विधि : इस विधि में तब काम में लिया जाता है जब अयस्क के कण चुम्बकीय प्रकृति के होते है जैसे लोहा और आधात्री के कण अनुचुम्बकीय प्रकृति के होते है।
3. सांद्रित अयस्क का धातु ऑक्साइड में परिवर्तन
जब सांद्रण विधि के बाद अयस्क को प्राप्त किया जाता है तो यह सांद्रित अयस्क सल्फाइड या कार्बोनेट के रूप में पाया जाता है , इसलिए इन्हें आसानी से धातु के रूप में अपचयित नहीं किया जा सकता है। इसलिए अयस्को के निष्कर्षण में सांद्रण के बाद प्राप्त अयस्क को ऑक्साइड में बदला जाता है ताकि इन्हें धातु में आसानी से अपचयित किया जा सके।
सांद्रित अयस्क को धातु ऑक्साइड में परिवर्तित करने के लिए निम्न विधियाँ काम में ली जाती है –
- निस्तापन
- भर्जन
5. धातुओं का शुद्धिकरण
अयस्को के निष्कर्षण का यह अंतिम चरण होता है , इसमें धातु के ऑक्साइड का धातु में अपचयन विधि द्वारा धातु में परिवर्तित कर दिया जाता है।
अर्थात सांद्रित अयस्क को धातु ऑक्साइड में परिवर्तित करने के बाद इनका अपचयन विधि द्वारा धातु में परिवर्तित कर देने से हमें शुद्ध धातु प्राप्त हो जाती है जिसे धातुओं का शुद्धिकरण कहते है।
अपचयन के लिए काम में ली जाने वाली विधियाँ –
- वायु की उपस्थिति में गर्म करके अपचयन
- कार्बन के अपचयन से
- प्रगलन
- एल्युमिनियम द्वारा अपचयन
Recent Posts
मालकाना का युद्ध malkhana ka yudh kab hua tha in hindi
malkhana ka yudh kab hua tha in hindi मालकाना का युद्ध ? मालकाना के युद्ध…
4 weeks ago
कान्हड़देव तथा अलाउद्दीन खिलजी के संबंधों पर प्रकाश डालिए
राणा रतन सिंह चित्तौड़ ( 1302 ई. - 1303 ) राजस्थान के इतिहास में गुहिलवंशी…
4 weeks ago
हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ? hammir dev chauhan history in hindi explained
hammir dev chauhan history in hindi explained हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ?…
4 weeks ago
तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच हुआ द्वितीय युद्ध Tarain battle in hindi first and second
Tarain battle in hindi first and second तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच…
4 weeks ago
चौहानों की उत्पत्ति कैसे हुई थी ? chahamana dynasty ki utpatti kahan se hui in hindi
chahamana dynasty ki utpatti kahan se hui in hindi चौहानों की उत्पत्ति कैसे हुई थी…
1 month ago
भारत पर पहला तुर्क आक्रमण किसने किया कब हुआ first turk invaders who attacked india in hindi
first turk invaders who attacked india in hindi भारत पर पहला तुर्क आक्रमण किसने किया…
1 month ago