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साम्य स्थिरांक एवं ऊष्मागतिकीय पहलू पर आधारित वेग स्थिरांक का व्यंजक EXPRESSION FOR THE RATE CONSTANT BASED ON EQUILIBRIUM CONSTANT

EXPRESSION FOR THE RATE CONSTANT BASED ON EQUILIBRIUM CONSTANT in hindi साम्य स्थिरांक एवं ऊष्मागतिकीय पहलू पर आधारित वेग स्थिरांक का व्यंजक ज्ञात कीजिये रसायन विज्ञान में ?

साम्य स्थिरांक एवं ऊष्मागतिकीय पहलू पर आधारित वेग स्थिरांक का व्यंजक (EXPRESSION FOR THE RATE CONSTANT BASED ON EQUILIBRIUM CONSTANT AND THERMODYNAMIC ASPECTS)

समीकरण (76) वैसे तो अत्यन्त महत्वपूर्ण समीकरण है, लेकिन इसका एकदम सीधा कोई उपयोग नहीं । है, क्योंकि K’ को प्रायोगिक विधियों के द्वारा ज्ञात करना सम्भव नहीं है। इस साम्य स्थिरांक K’ को । ऊष्मागतिकीय पदों के रूप में अवश्य ज्ञात किया जा सकता है।

ऊष्मागतिकी में मुक्त ऊर्जा व साम्य स्थिरांक में निम्न सम्बन्ध होता है :

G ‘= -RT In K’ ….(77)

और मुक्त ऊर्जा एन्थैल्पी तथा एन्ट्रॉपी में निम्न सम्बन्ध होता है :

G=H – T S ………………..(78)

समीकरण (77) से, In k = G/RT

अथवा             K’ = e. -G/RT ………………(79)

समीकरण (78) व (79) से, K = eh – t s/rt

अथवा K = e-h/rt es/r …………..(80)

इस प्रकार मोलर एन्थैल्पी H’ व मोलर एन्ट्रॉपी S की सहायता से K’ के मान का परिकलन …(80) किया जा सकता है। K’ का यह मान समीकरण (76) में रखने पर,

K = RT/Nh e-h/rt es/r …………………(81)

समीकरण (81) संक्रमण अवस्था सिद्धान्त के मूल रूप को प्रदर्शित करती है। इसका log लेने पर, log k = log (RT/Nh) + S/R – H/RT ………….(82)

समीकरण (82) वेग स्थिरांक का व्यंजक है जो साम्य स्थिरांक एवं ऊष्मागतिकीय पहलू पर आधारित है। समीकरण (81) में यदि सक्रियण एन्थैल्पी AH का मान E के बराबर हो तो समीकरण निम्न रूप ले लेगी :

K = RT/Nh e– Ea/RT . eS/R …. …(83)

अब इस समीकरण की तुलना समीकरण (70) से करने पर,

Pz = RT/Nh . eS/R ……….. ….(84)

 

समीकरण (84) में Z, R, N. सभी स्थिरांक हैं अतः प्रायिकता कारक p अभिक्रिया की सक्रियण एन्ट्रॉपी S’ से सीधा सम्बन्धित है। इससे यह भी स्पष्ट होता है कि संघट्टवाद में जो प्रायिकता गुणांक जोड़ा गया था वह सक्रियण एन्ट्रॉपी द्वारा निर्धारित होता है। |

स्मरण रखने योग्य महत्वपूर्ण बिन्दु

  1. रासायनिक बलगतिकी-रसायन विज्ञान की वह शाखा जिसमें अभिक्रियाओं के वेग, क्रियाविधि आदि का अध्ययन किया जाता है।
  2. अभिक्रिया वेग—समय के साथ किसी क्रियाकारक या उत्पाद की सान्द्रता में परिवर्तन एक सामान्य अभिक्रिया A+B-C+D के लिए अभिकिया dCA /dt = – DcB /dt = DcD/dt = dCD/dt 3. सक्रिय द्रव्यमान—पदार्थ की मोलर सान्द्रता अर्थात् उसके इकाई आयतन में पदार्थ के मोलों की संख्या।
  3. सक्रिय द्रव्यमान का नियम-गुलबर्ग वागे के अनुसार किसी अभिक्रिया का वेग उसके क्रियाकारकों के सक्रिय द्रव्यमान के समानुपाती होता है।
  4. प्रारम्भिक वेग-क्रियाकारकों के उच्चतम सान्द्रता के साथ जब अभिक्रिया प्रारम्भ होती है, उस समय अभिक्रिया का वेग भी उच्चतम होता है।
  5. अभिक्रिया वेग की इकाई = mol1S-1
  6. अभिक्रिया वेग को प्रभावित करने वाले कारक-(i) ताप, (ii) दाब, (iii) सान्द्रता, (iv) उत्प्रेरक, (v) क्रियाकारक की प्रकृति (vi) क्रियाकारक का क्षेत्रफल, (vii) विकिरणों का प्रभाव
  7. तात्क्षणिक या तात्कालिक वेग-किसी क्षण विशेष के समय का अभिक्रिया वेग जब A का मान शून्य की ओर पहुंच रहा हो। (t – 0)
  8. बेग नियम एक सामान्य अभिक्रिया aA+ bB→ mM + nN+ …… के लिए dx/dt = k [A]A [B]B
  9. विशिष्ट अभिक्रिया वेग-क्रियाकारकों की इकाई सान्त्रता पर वेग dx/dt = k
  10. विभिन्न कोटि की अभिक्रियाओं के वेग स्थिरांक

(a) प्रथम कोटि k1 = वेग /(सान्द्रता) – इकाई = S-1

(b) द्वितीय कोटि K2 = वेग/( सान्द्रता)2 इकाई = S-1 mo1-1 s-1

(c) तृतीय कोटि वेग  K3 = वेग/( सान्द्रता)3 इकाई = I2 mo1-2 s-1

(d) शून्य कोटि     k0 = वेग/ (सान्द्रता) – इकाई =mol -1 s-1

  1. वेग स्थिरांक का निर्धारण ग्राफ द्वारा सान्द्रता व समय के मध्य खींचे गए ग्राफ का स्लोप-वग स्थिराका
  2. कोटि एवं अणुसंख्यता किसी अभिक्रिया की कोटि उसमें भाग लेने वाले क्रियाकारक अणुओं की वह संख्या है जिससे अभिक्रिया का वेग निर्धारित होता हो जबकि अणसंख्यता उसके स्टाइकियामताय समाकरण म विद्यमान क्रियाकारक अणुओं की संख्या है।
  3. 1 शून्य कोटि -अभिक्रियाओं की अवकलित वेग समीकरण, dx/dt = k0 और समाकलित वेग समीकरण, x=kot: अतः वेग स्थिरांक ko के मात्रक हैं, सान्द्रता : समय तथा इकाई होगी mol ‘S’ एवं अर्धायु t1/2 = a /2k0
  4. प्रथम कोटि–अभिक्रियाओं की अवकलित वेग समीकरण, dx/dt = k1 (a – x) और समाकलित वेग समीकरण । k1 = 2.303/t log a/(a – x) अतः वेग स्थिरांक k के मात्रक समय तथा इकाई:-‘ होगी एवं उसकी अर्धायु होगा जो क्रियाकारक की प्रारम्भिक सान्द्रता पर निर्भर नहीं करता है।।
  5. द्वितीय कोटि-अभिक्रियाओं की अवकलित वेग समीकरण है dx /dt = k2 (a – x)2 व समाकलित वेग समीकरण k2 = 1/t x /a (a – x) अतः वेग स्थिरांक k2 के मात्रक सान्द्रतासमय एवं इकाई 1 mol’s’ होगी तथा अर्धायु t1/2 = 1/k2a
  6. छमकोटि—अभिक्रियाओं में कम-से-कम एक अभिकारक की सान्द्रता अधिक मात्रा में होती है जिससे वह कोटि निर्धारण में अपना योगदान दर्शा नहीं पाता।
  7. औसत आयु (1) किसी अभिक्रिया के सम्पन्न होने में लगा औसत समय,
  8. अभिक्रिया कोटि का निर्धारण (1) अवकलन विधि, (2) समाकलित वेग समकरणों द्वारा, (3) अर्धायु11/2 के मानों से, (4) पार्थव्य या विलगन विधि।
  9. रेडियोऐक्टिव विघटन–प्रथम कोटि वेग नियम का पालन करता है।
  10. रासायनिक बलगतिकी की प्रायोगिक विधियां-(i) चालकतामिति त) विभवमिति, (i) ध्रुवण घूर्णन विधि, (iv) स्पेक्ट्रोफोटोमीट्रिक विधि।

22, आहीनियस का सिद्धान्त किसी अभिक्रिया का ताप बढ़ाने पर उसके वेग में चरघातांकी वृद्धि होती है।

  1. तापमान गणांक-10°C ताप के अन्तर पर वेग स्थिरांकों का अनुपात kt + 10/kt
  2. सक्रियण ऊर्जा वह न्यूनतम अतिरिक्त ऊर्जा जो क्रियाकारक अणुओं को क्रिया करने के लिए आवश्यक है और जो इन्हें पारस्परिक टक्करों से प्राप्त होती है।
  3. सक्रियण ऊर्जा के निर्धारण की विधियां-(i) log/k 1/t ग्राफ का स्लोप =- Ea/ 2.303

(ii) log k1/k2 = Ea/2.303 R (1/T1 – 1/T2)

26 संघटबाद कोई रासायनिक अभिक्रिया तब तक सम्पन्न नहीं होती जब तक कि पर्याप्त ऊर्जा वाले अण। उपयुक्त दिशा में परस्पर टकराकर सक्रियित संकुल न बना लें,k =Z e-ERT

  1. परमवेग सिद्धान्त कोई क्रियाकारक अणु पहले सक्रियित संकुल बनाता है और फिर वह उत्पाद में परिवर्तित होता है।
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