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Categories: chemistrychemistry

रसायन विज्ञान में प्रायोगिक कार्य का मूल्यांकन क्या है ? Evaluation of practical work in chemistry in hindi

Evaluation of practical work in chemistry in hindi रसायन विज्ञान में प्रायोगिक कार्य का मूल्यांकन क्या है ?

प्रश्न . संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये-रसायन विज्ञान में प्रायोगिक कार्य का मूल्यांकन।
Write short note on Evaluation of practical work in chemistry.
उत्तर-रसायन विज्ञान में प्रायोगिक कार्य का मल्याँकन रसायन विज्ञान शिक्षण में प्रायोगिक कार्य रासायनिक अभिक्रियाओं तथा प्रक्रियाओं के स्पष्टीकरण में सहायक है तथा छात्रों में वैज्ञानिक प्रक्रिया के मौलिक गुणों के विकास में सहायक है, जैसे-
1. प्रेक्षण (Observation)
2. वर्गीकरण (Classification)
3. मापन क्रिया (Measurement)
4. स्थान समय सम्बन्धों का उपयोग (Space-time and SimilarRelationship)
5. सम्प्रेषण कौशल (Communication Skills)
6. निष्कर्ष निकालना (Inference)
7. पूर्व कथन (Prediction)
8. परिकल्पना निर्माण (Formulation Hypotheses)
9. प्रयोग करना (Experimentation)
10. प्रदत्तों की विवेचना (Interpretation of Data)
उपयोगिता-रसायन विज्ञान में प्रायोगिक कार्य की उपयोगिता निम्न प्रकार है-
1. प्रायोगिक कार्य से विभिन्न उपकरणों के उपयोग में दक्षता विकसित होती है।
2. विभिन्न उपकरणों के उपयोग तथा विधि का ज्ञान प्राप्त होता है।
3. उपकरण की संरचना का ज्ञान प्राप्त होता है तथा प्रयोग विशेष के सन्दर्भ में उपकरण में संशोधन करने की क्षमता विकसित होती है।
4. विशिष्ट प्रकार के प्रयोग करने की विधि का ज्ञान प्राप्त होता है।
5. ‘करके सीखना‘ प्रमुख शिक्षण सिद्धान्त का उपयोग।
6. प्रायोगिक कार्य द्वारा सैद्धान्तिक ज्ञान का सत्यापन होता है तथा पुनर्बलन का अवसर मिलता है।
7. सैद्धान्तिक ज्ञान तथा प्रायोगिक ज्ञान एक दूसरे के पूरक हैं।
8. प्रायोगिक कार्य के अन्तर्गत विकसित विभिन्न प्रोजेक्ट छात्रों में समस्या निवारण कौशल (च्तवइसमउ ैवसअपदह ैापसस) का विकास करती है।
9. प्रयोग के प्रेक्षण, विधि तथा परिणाम लिखने से विभिन्न प्रकार की वैज्ञानिक रिपोर्ट तैयार करने का प्रशिक्षण मिलता है।
10. प्रायोगिक कार्य द्वारा प्राप्त सूचना के मूल्यांकन तथा इस आधार पर निर्णय लेने की योग्यता का विकास होता है।
11. प्रायोगिक कार्य द्वारा विभिन्न प्रोजेकट्स के नियोजन तथा क्रियान्वयन के लिए अपेक्षित गुणों का विकास होता है।
वर्तमान प्रायोगिक परीक्षा प्रणाली के दोष-वर्तमान में प्रचलित रसायन विज्ञान प्रायोगिक परीक्षा प्रणाली में निम्न दोष हैं-
1. प्रचलित प्रायोगिक परीक्षा प्रणाली अपर्याप्त, पारस्परिक तथा पूर्वाग्रहों से युक्त है। अतः अभिनव प्रविधियों का प्रयोग प्रायः नगण्य है।
2. प्रायः एक ही प्रकार के प्रायोगिक कार्य की पुनरावृत्ति प्रति वर्ष करनी पड़ती है अतः नये छात्र प्रायः पुराने छात्रों की प्रायोगिक कार्य पुस्तिका की नकल करते हैं।
3. प्रायोगिक कार्य मूल्याँकन प्रणाली विषयनिष्ठ तथा पूर्वाग्रहयुक्त है अतः मूल्यांकन कर्ताओं से सम्पर्क रखने वाले छात्र प्रायः बिना योग्यता के ही अच्छे अंक प्राप्त कर लेते हैं।
4. कई बार परीक्षा में ऐसे प्रयोग करने का अवसर मिलता है जो पहले कभी किया ही न हो।
5. प्रायः कम समय में (3 घण्टे में) अनेक छात्र की प्रायोगिक क्षमताओं का मूल्यांकन करना होता है, अतः परीक्षार्थियों की वास्तविक योग्यताओं का मूल्यांकन सम्भव नहीं हो पाता।
6. छात्रों के प्रायोगिक अंकों में बहुत अधिक अन्तर नहीं होता। अतः योग्य तथा कमजोर छात्रों में अन्तर स्पष्ट नहीं होता।

लघूत्तरात्मक प्रश्नोत्तर
1. विज्ञान का अर्थ एवं परिभाषायें-
अर्थ जानना । परिभाषायें-डेम्पीयर, आइन्सटाईन, वुडबर्न एवं ओबोर्न के अनुसार।
2. रसायन विज्ञान शिक्षण का महत्व-
(1) बौद्धिक महत्व (2) व्यावहारिक महत्व (3) मनोवैज्ञानिक महत्व (4) नैतिक महत्व (5) सांस्कृतिक महत्व (6) व्यावसायिक महत्व
(7) वैज्ञानिक प्रणाली का महत्व (8) अनुशासन सम्बन्धित महत्व ।
3. रसायन विज्ञान शिक्षण के उद्देश्य तथा सामान्य एवं विशिष्ट उद्देश्यों में अन्तर-
रसायन विज्ञान शिक्षण के उद्देश्य- (1) रसायन विज्ञान की भाषा, शब्दावली, संकेत आदि से परिचित कराना (2) विभिन्न सिद्धान्तों, नियम व सूत्रों को उनके मूल रूप में समझाना (3) विज्ञान प्रयोग से सम्बन्धित उपकरणों की जानकारी देना (4) रसायन विज्ञान के प्रति रुचि बनाना (5) सत्य की जाँच (6) अनुशासन की भावना का विकास । सामान्य उद्देश्यों एवं विशिष्ट उद्देश्यों में अन्तर।
निबन्धात्मक प्रश्नोत्तर
1. शैक्षिक उद्देश्यों का ब्लूम का वर्गीकरण–
ज्ञानात्मक उद्देश्य (1) ज्ञान-(I) विशिष्ट बातों का ज्ञान (II) विशिष्ट से सम्बन्धित साधनों व रीतियों का ज्ञान (III) सामान्यीकरण का ज्ञान (2) बोध-(I) अनुवाद (II) व्याख्या (III) उल्लेख (3) विश्लेषण (4) संश्लेषण (5) मूल्यांकन।
भावात्मक शिक्षण उद्देश्य-(1) ग्रहण करना (2) अनुक्रिया (3) अनुमूलन (4) विचारना (5) व्यवस्था (6) मूल्य समूह का विशेषीकरण।
मनोगत्यात्मक उद्देश्य- (1) प्रयोगात्मक कौशल (2) रचनात्मक कौशल (3) रेखांकन कोशल (4) समस्या समाधान कौशल (5) निरीक्षण कौशल।
2. विभिन्न स्तरों पर रसायन विज्ञान शिक्षण के सामान्य उद्देश्य-
प्राथमिक स्तर पर रसायन विज्ञान शिक्षण के सामान्य उद्देश्य (1) जीवन में विज्ञान और तकनीकी का महत्व (2) स्वस्थ रहने की आदत (3) ईमानदारी आदि गुणों का विकास (4) विचारों की अभिव्यक्ति।
उच्च प्राथमिक स्तर पर रसायन विज्ञान शिक्षण के सामान्य उद्देश्य-(1) वैज्ञानिक ज्ञान का दैनिक जीवन में उपयोग (2) वैज्ञानिक अभिवृत्ति का विकास (3) समस्याओं का हल (4) वैज्ञानिक प्रक्रियाओं की सीख (5) अन्य।
माध्यमिक स्तर पर रसायन विज्ञान शिक्षण के सामान्य उद्देश्य-(1) विज्ञान का महत्व (2) समस्या का समाधान (3) कार्य के क्षेत्र में कौशल प्राप्त करना (4) तकनीकी क्रियाएँ आदि ग्रहण करना (5) सृजनात्मकता, वैज्ञानिक दृष्टिकोण आदि का विकास (6) कुशलता का विकास।
3. रसायन विज्ञान शिक्षण में सहसम्बन्ध के रूप-
(1) भौतिक विज्ञान तथा रसायन विज्ञान में सहसम्बन्ध (2) रसायन विज्ञान तथा जीव विजान में सह-सम्बन्ध (3) भू-विज्ञान तथा भौतिक विज्ञान और रसायन विज्ञान का सह-सम्बन्ध (4) रसायन विज्ञान, भौतिक विज्ञान तथा कृषि विज्ञान में सह-सम्बन्ध (5) रसायन विज्ञान एवं पर्यावरण (6) रसायन विज्ञान एवं समाज (7) रसायन विज्ञान एवं सामाजिक अध्ययन ।

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