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रसायन विज्ञान में मूल्यांकन क्या होता है , रसायन विज्ञान मूल्याङ्कन किसे कहते है evaluation in Chemistry in hindi
evaluation in Chemistry in hindi रसायन विज्ञान में मूल्यांकन क्या होता है , रसायन विज्ञान मूल्याङ्कन किसे कहते है ?
प्रश्न – रसायन विज्ञान में मूल्यांकन से आपका क्या अभिप्राय है ? एक अच्छे मूल्यांकन के गुण लिखिये।
What do you meant by evaluation in Chemistry ? Write down merits of good evaluation.
उत्तर-
मूल्यांकन का अर्थ (Meaning of Evaluation) – मूल्यांकन एक साधन है। इसके आधार पर अध्यापक अपने प्रयासों की सफलता एवं असफलता का बोध करता है। इतना ही नहीं, इसके द्वारा वह अपनी शैक्षिक प्रक्रिया, शिक्षण विधि एवं पाठ्यवस्तु के स्तर म सुधार लाने का प्रयत्न भी करता है।
मूल्यांकन व्यवहार परिवर्तनों के प्रमाणों को एकत्रित करने की प्रणाली है जिसके द्वारा उन परिवर्तनों की दिशाओं और सीमाओं का निर्णय किया जाता है। वह शिक्षा जगत में शिक्षा उपलब्धियों को जानने का अपेक्षाकृत नवीन शब्द है और प्रचलित परीक्षा प्रणाली की अपेक्षा अधिक व्यापक सन्दर्भ में प्रयुक्त होता है।
कोठारी आयोग के अनुसार, “मूल्यांकन एक सतत प्रक्रिया है, शिक्षा की सम्पूर्ण प्रणाली का एक आवश्यक अंग है एवं शिक्षा के उद्देश्यों के साथ पूर्णरूप से सम्बन्धित है। काल पढने की आदत और अध्यापक के पढ़ाने की विधि पर इसका बहुत प्रभाव होता है। अब इसमें केवल शिक्षात्मक उपलब्धि को जाँचने में ही सहायता नहीं मिलती अपितु उसके सधार में भी सहायता मिलती है, वांछित दशाओं में छात्रों के विकास के सम्बन्ध में प्रमाण एकत्रित करना मूल्यांकन के साधन है।‘‘
क्लीवेन और हन्ना के अनुसार, “विद्यालय द्वारा हुए बालक के व्यवहार परिवर्तन के विषय में साक्षियों के संकलन तथा उनकी व्याख्या करने की प्रक्रिया ही मूल्यांकन है।” ।
क्लार्क और स्टार के मतानुसार, “मूल्यांकन वह निर्णय है, जिसको किसी के विषय में प्राप्त सूचनाओं के आधार पर दिया जाता है।‘‘
अच्छे मूल्यांकन के गुण (Merits of good Evaluation)- मूल्यांकन किसी भी शिक्षा प्रणाली का एक अभिन्न अंग है। मूल्यांकन एक गुणात्मक निर्णय करने की प्रक्रिया है।
एक अच्छे मूल्यांकन में निम्न गुणों का होना आवश्यक है
1. विश्वसनीयता (Reliability)- जिस समय एक परीक्षण किसी छात्र की योग्यताओं का मापन विभिन्न समय में करने पर समान परिणाम दे तो वह परीक्षण विश्वसनीय कहलाता है। इस हेतु परीक्षण विश्वसनीय कहलाता है। इस हेतु परीक्षण में न्यादर्श की पर्याप्तता (Adequacy in sampling) एवं अंकदान में वस्तुनिष्ठता (Objectivity in scoring) का होना आवश्यक है। अतः जहाँ प्रश्नों की संख्या पर्याप्त हो एवं किसी के भी अंक देने पर अंक समान आयें। वह परीक्षण विश्वसनीय परीक्षण कहलायेगा। अतः
विश्वसनीयता = न्यादर्श की पर्याप्तता + अंकदान में वस्तुनिष्ठता।
2. वैधता (Validity)- एक परीक्षण वैध जब माना जाता है जबकि वह जिस गुण को मापने के लिये निर्मित किया जाये उसी का मापन करे। इस गुण के लिये परीक्षण की विश्वसनीयता के साथ उद्देश्य भी जुड़ जाता है। हम कह सकते हैं कि
वैधता = विश्वसनीयता ़ उद्देश्य।
3. वस्तुनिष्ठता (Objectivity)- जिस परीक्षण पर परीक्षक का व्यक्तिगत प्रभाव नहीं पड़ता है वह परीक्षण वस्तुनिष्ठ कहलाता है। इस प्रकार वस्तुनिष्ठता का गुण परीक्षण को दो प्रकार से प्रभावित करता है। एक तो अंकदान एवं अंकों की व्याख्या करने में परीक्षक की व्यक्तिगत रुचि अथवा अरुचि के रूप में, दूसरा प्रश्न के अर्थ के विषय में दो परीक्षकों में भिन्नता के रूप में। जिस परीक्षण में उपरोक्त दोनों दृष्टिकोणों को ध्यान में रखा जाता है वह परीक्षण वस्तुनिष्ठ कहलाता है।
4. व्यापकता या गहनता (Comprehensibility)- मूल्यांकन की इस विशेषता में मूल्यांकन विभिन्न पक्षों का मापन करने में समर्थ हो सकता है जिसके मापन हेतु उसको निर्मित किया गया है । इसके लिये परीक्षण में प्रश्नों की संख्या अधिक होनी चाहिये, अर्थात् मूल्यांकन पूरे पाठ्यक्रम को स्पर्श करता है।
5. विभेदीकरण (Discrimination)- एक अच्छे मूल्यांकन में विभेदीकरण का गुण तभी आएगा जब उसमें सभी प्रकार के छात्रों के स्तरों के अनुकूल प्रश्न होंगे, अर्थात् मंदबुद्धि, सामान्य एवं प्रखर बुद्धि वाले सभी छात्रों के लिए प्रश्नों का परीक्षा में समावेश हो।
6. उपयोगिता (Utility)- वही परीक्षा उपयोगी कही जा सकती है जिसमें इस प्रकार के प्रश्नों का समावेश हो कि जिन्हें छात्र समझ सकें एवं आसानी से उत्तर दे सके. अर्थात् जिस उद्देश्य की पूर्ति के लिए परीक्षा ली जा रही है उसकी पूर्ति हो जाए और उसके आधार में उचित निर्देशन दिया जा सके।
7. सहजता या व्यवहारिकता (Practicability) – मूल्यांकन के व्यवहारिक होने का अर्थ है कि उसमें निम्न तीन गुण होने चाहिए-
(i) निर्माण में आसानी-परीक्षण निर्माण में सरल होना चाहिए अर्थात् वह आसान व कम खर्चीला होना चाहिए।
(ii) परीक्षा लेने में आसानी-परीक्षा लेने में किसी भी प्रकार की व्यवस्था सम्बन्धित समस्या न आए।
(iii) अंक देने में आसानी-इससे तात्पर्य है कि परीक्षक को अंक देना सरल हो। जब वह सरल होगा तभी अध्यापक (परीक्षक) पक्षपात रहित अंक दे सकेगा।
मल्यांकन के आधारभूत तत्व-मूल्यांकन के आधारभूत तत्व निम्न हैं-
1. शैक्षिक उपलब्धि एक अस्तित्व होती है और इसका स्वरूप बहुआयामी होता है।
2. प्रत्येक वस्तु मापनीय राशि में होती है।
3. प्रत्येक वस्तु का मूल्यांकन किया जा सकता है एवं मूल्यांकन से उसमें अपेक्षित परिवर्तन लाने का प्रयास किया जा सकता है।
4. मापन और मूल्यांकन निर्णयों का योग मूल्यांकन कहा जा सकता है।
मूल्यांकन के साधन-सामान्यतः मूल्यांकन के निम्न साधन होते हैं-
1. मौखिक परीक्षा-इसमें छात्रों से छोटे-छोटे प्रश्न व्यक्तिगत रूप से पूछे जाते हैं।
2. लिखित परीक्षा-यह परीक्षा का सर्वाधिक प्रचलित रूप है। इसमें छात्रों को परीक्षा निर्धारित कॉपी में लिखकर देनी होती है।
3. प्रायोगिक परीक्षा-इस परीक्षा का उपयोग सबसे अधिक विज्ञान में होता है। यह परीक्षा छात्रों के कौशल का मापन करती है।
4. साक्षात्कार-यह भी एक मौखिक परीक्षा का ही रूप है। इसमें बालकों की रुचि, व्यक्तित्व आदि का परीक्षण किया जाता है।
5. प्रश्नावली-इसमें कुछ विशेष प्रश्नों को छात्रों से उनकी रुचि, ज्ञान आदि का पता लगाने के लिए क्रमबद्ध तरीके से पूछा जाता है।
6. निरीक्षण-इसमें बालकों का निरीक्षण किया जाता है जिसमें उनकी कार्य करने का तराका, संवेगात्मक स्थिरता आदि का पता लगाया जाता है ।
7. निदानिक परीक्षा-इसका उद्देश्य बालकों की कमजोरियों का पता लगाकर उनका निदान करना होता है।
8. रिकार्ड- इस प्रकार के साधन में डायरी, पूर्व प्रगति पत्र, आलेख पत्र बालकों की डायरी आदि सूचनाओं के स्त्रोत होते हैं ।
प्रश्न . कोई भी पाँच विशिष्ट उद्देश्य लिखिए जिन्हें आप माध्यमिक स्तर के छात्रों को ‘रेडियोएक्टिव समस्थानिक‘ का पाठ पढ़ाकर प्राप्त करना चाहते हैं ।
Write any five specific objectives that are expected to be achieved wrough teaching of ‘Radioactive Isotopes’ to secondary students.
उत्तर- ज्ञानात्मक उद्देश्य-1. छात्र समस्थानिकों का प्रत्याभिज्ञान कर सकेंगे।
2. छात्र समस्थानिकों का प्रत्यास्मरण कर सकेंगे।
2. अवबोधात्मक उद्देश्य-1. छात्र विभिन्न समस्थानिकों की तुलना कर सकेंगे।
2. छात्र द्रव्यमान संख्या के आधार पर विभिन्न समस्थानिकों में विभेद कर सकेंगे।
अनप्रयोगात्मक उद्देश्य-1. छात्र समस्थानिकों के अध्ययन से प्राप्त ज्ञान का उपयोग उच्च अध्ययन में कर सकेंगे।
कौशलात्मक उद्देश्य-1. छात्र में विभिन्न प्रकार के तत्वों के समस्थानिकों के मॉडल, चार्ट बनाने का कौशल विकसित हो सकेगा।
अभिरुचित्यात्मक उद्देश्य-1. छात्र समस्थानिकों के मानव जीवन में उपयोगों के बारे में जानने में रुचि लेंगे।
प्रश्न . ‘‘हाइड्रोजन गैस ज्वलनशील है परन्तु जलने में सहायक नहीं है।‘‘ यह दर्शाने के लिए आप किस प्रकार प्रदर्शन कीजियेगा ?
How will you demonstrate to show that ‘Hydrogen is combustible but not supporter of combustion’?
उत्तर-हाइड्रोजन गैस एक ज्वलनशील गैस है जो हल्की नीली लौ के साथ जलती है। परन्तु यह जलाने में सहायक नहीं होती है। इसको सिद्ध करने के लिये हम निम्न प्रयोग करेंगे-
प्रयोग-हम एक गैस जार लेंगे। गैस जार को हाइड्रोजन गैस से भरेंगे। अब एक जलती मोमबत्ती गैस जार में ले जाने पर हम देखते है कि वह बुझ जाती है।
निष्कर्ष-हाइड्रोजन गैस जलाने में सहायक नहीं है।
निबन्धात्मक प्रश्नोत्तर
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