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ether drag in hindi ईथर कर्षण किसे कहते हैं ? फिट्सगैराल्ड तथा लॉरेन्ज संकुचन (Fitzgerald Lorentz contraction)
मोरले को सभी प्रयोगिक त्रटियों का विचार करने पर भी फ्रिजों में कोई विस्थापन प्राप्त नहीं हुआ उपकरण की सूग्राहिता 0.01 फ्रिन्ज विस्थापन की कोटि की थी। माइकलसन-मारल के पश्चात यह प्रयाग एकवर्णी भिन्न-भिन्न तरंग दैर्यों के प्रकाश किरणों का उपयोग करके भिन्न-भिन्न स्थानों पर सम्पूर्ण वर्ष में कई बार किया गया परन्त हर बार फ्रिजों में कोई विस्थापन प्राक्षत नहा जा ।
विस्थापन प्राप्त नहीं होने के कारण माइकलसन मोरले प्रयोग का यह परिणाम नकारात्मक परिणाम (negative result) कहलाता है। इस प्रयोग के नकारात्मक पारण करने के लिए भिन्न-भिन्न विचार व्यक्त किये गये। इनमें से सर्वाधिक महत्वपूर्ण व्याख्या आइन्सटीन द्वारा आपेक्षिकता के विशिष्ट सिद्धान्त द्वारा दी गई। ये विचार हैं :
(1) ईथर कर्षण (Ether drag) – जब पृथ्वी ईथर माध्यम में गति करनी है तो वह अपने साथ ईथर को घसीटती है , इससे इथर तथा पृथ्वी के मध्य सापेक्ष गति नहीं होगी और प्रकाश का वेग सभी दिशाओं मे समान होगा परन्त यह व्याख्या तारकीय अपरण (aberration of a star) का नहा समझा सका इसलिए यह परिकल्पना वैज्ञानिकों द्वारा स्वीकार नहीं की गयी।
(2) यदि प्रकाश का वेग उसके वास्तविक वेग तथा इसके स्रोत के वेग के सदिश योग के बराबर माना जाये जो नकारात्मक परिणाम की व्याख्या की जा सकती है। यह परिकल्पना भी अमान्य हो गयी क्योंकि प्रकाश के वास्तविक वेग व आपेक्षिक वेग में अन्तर ज्ञात करना संभव नहीं हो पाया।
(3) फिट्सगैराल्ड तथा लॉरेन्ज संकुचन (Fitzgerald Lorentz contraction) – इनके अनुसार ईथर की गति की दिशा के अनुदिश सभी द्रव्य पिण्डों की लम्बाई में
के अनुपात में यदि संकुचन होना माना जायें तो नकारात्मक परिणाम की व्याख्या की जा सकती है क्योंकि इस प्रकार के संकचन होने पर व्यतिकरण मापी की भुजाओं में संकुचन होगा तथा दोनों प्रकाश किरणों के पथ समान हो जायेंगे, जिसके कारण कोई पथान्तर होगा। इसलिए व्यतिकरण फ्रिजों में कोई विस्थापन प्राप्त नहीं होगा। परन्तु प्रयोगिक रूप से यह संकुचन ज्ञात नहीं हो पाया था इसलिए इस परिकल्पना पर किसी को विश्वास नहीं हुआ। इस परिकल्पना की व्याख्या बाद में आइन्सटीन के आपेक्षिकता के विशिष्ट सिद्धान्त द्वारा दी गई।
(4) ईथर के अस्तित्व की अवधारणा अर्थहीन है – इस संकल्पना का उपयोग कर आइन्सटीन ने आपेक्षिकता के विशिष्ट सिद्धान्त द्वारा इस प्रयोग के नकारात्मक परिणामों की सफलतापूर्वक व्याख्या की।
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