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पलायन वेग क्या है , परिभाषा , सूत्र , पृथ्वी का पलायन वेग कितना होता है (Escape velocity in hindi)
(Escape velocity in hindi) पलायन वेग क्या है , परिभाषा , सूत्र , पृथ्वी का पलायन वेग कितना होता है : वह न्यूनतम वेग जिसे किसी वस्तु को देने पर वह गृह के गुरुत्वाकर्षण बल क्षेत्र से बाहर निकल सके और वापस लौटकर कभी न आये , उस न्यूनतम वेग को पलायन वेग कहते है।
व्याख्या : जब किसी वस्तु को फेंका जाता है तो यह कुछ ऊपर की तरफ जाकर वापस नीचे आ जाती है , क्यूंकि गुरुत्वाकर्षण बल इसे अपनी ओर आकर्षित कर लेता है लेकिन यदि इसे इतने वेग से फेंका जाए कि यह इस ग्रह के गुरुत्वाकर्षण बल क्षेत्र से ही वापस चली जाए तो यह यह वस्तु कभी भी लौटकर वापस इस ग्रह पर नहीं आयेगी। जो न्यूनतम वेग वस्तु को उस ग्रह का गुरुत्वाकर्षण बल क्षेत्र पार करने के लिए चाहिए उस वेग को पलायन वेग कहा जाता है।
जब किसी राकेट को यदि ग्रह से बाहर सौर मण्डल में भेजना होता है तो इसे गतिज ऊर्जा दी जाती है अर्थात इसे पलायन वेग से अधिक वेग दिया जाता है ताकि यह ग्रह को छोड़ दे और अन्य ग्रह में चली जाए। यदि राकेट को पलायन वेग से थोडा भी कम वेग दिया जाए तो यह राकेट ग्रह के गुरुत्वाकर्षण बल द्वारा आकर्षित कर लिया जाता है और यह अन्य ग्रह पर नहीं पहुँच पाता है जहाँ इसे भेजना था।
इसे निम्न प्रकार भी परिभाषित कर सकते है –
वह न्यूनतम ऊर्जा जिसे किसी पिण्ड को दिया जाए तो वह पिण्ड गुरुत्वीय क्षेत्र को हमेशा के लिए छोड़कर चला जाता है और वापस लौटकर नहीं आता है इसे पलायन ऊर्जा कहते है।
और
वह न्यूनतम वेग जिसे किसी पिण्ड को दिया जाए तो वह गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र को छोड़कर चला जाता है और पुन: लौटकर नहीं आता है पलायन वेग कहलाता है।
व्याख्या : जब किसी वस्तु को फेंका जाता है तो यह कुछ ऊपर की तरफ जाकर वापस नीचे आ जाती है , क्यूंकि गुरुत्वाकर्षण बल इसे अपनी ओर आकर्षित कर लेता है लेकिन यदि इसे इतने वेग से फेंका जाए कि यह इस ग्रह के गुरुत्वाकर्षण बल क्षेत्र से ही वापस चली जाए तो यह यह वस्तु कभी भी लौटकर वापस इस ग्रह पर नहीं आयेगी। जो न्यूनतम वेग वस्तु को उस ग्रह का गुरुत्वाकर्षण बल क्षेत्र पार करने के लिए चाहिए उस वेग को पलायन वेग कहा जाता है।
जब किसी राकेट को यदि ग्रह से बाहर सौर मण्डल में भेजना होता है तो इसे गतिज ऊर्जा दी जाती है अर्थात इसे पलायन वेग से अधिक वेग दिया जाता है ताकि यह ग्रह को छोड़ दे और अन्य ग्रह में चली जाए। यदि राकेट को पलायन वेग से थोडा भी कम वेग दिया जाए तो यह राकेट ग्रह के गुरुत्वाकर्षण बल द्वारा आकर्षित कर लिया जाता है और यह अन्य ग्रह पर नहीं पहुँच पाता है जहाँ इसे भेजना था।
इसे निम्न प्रकार भी परिभाषित कर सकते है –
वह न्यूनतम ऊर्जा जिसे किसी पिण्ड को दिया जाए तो वह पिण्ड गुरुत्वीय क्षेत्र को हमेशा के लिए छोड़कर चला जाता है और वापस लौटकर नहीं आता है इसे पलायन ऊर्जा कहते है।
और
वह न्यूनतम वेग जिसे किसी पिण्ड को दिया जाए तो वह गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र को छोड़कर चला जाता है और पुन: लौटकर नहीं आता है पलायन वेग कहलाता है।
पलायन वेग का सूत्र (formula for Escape velocity)
पृथ्वी के लिए हम यहाँ पलायन वेग का मान ज्ञात करते है।
पृथ्वी के तल पर स्थितिज ऊर्जा का मान निम्न सूत्र द्वारा दिया जाता है –
U = -GMm/R
तथा जब पिण्ड पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण सीमा के बाहर होता है इस स्थिति में पिंड की स्थितिज ऊर्जा का मान शून्य होता है।
अत: इस स्थिति में पलायन ऊर्जा का मान = गुरुत्वाकर्षण सीमा पर ऊर्जा – पृथ्वी तल पर ऊर्जा
पलायन ऊर्जा = 0 – (-GMm/R)
पलायन ऊर्जा = + GMm/R
माना की किसी पिण्ड को पृथ्वी तल से Ve वेग से फेंका जाता है तो यह पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र से बाहर निकल जाती है अर्थात माना पृथ्वी तल पर पिण्ड का पलायन वेग का मान यदि Ve हो तो तब पिण्ड की गतिज उर्जा का मान निम्न होगा –
चूँकि पिण्ड में यह गतिज ऊर्जा उपस्थित है और इसके कारण ही पिण्ड पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र से बाहर निकल पा रहा है तो इसका मतलब यह है कि यह गतिज ऊर्जा , पलायन ऊर्जा के बराबर होगी –
K.E. = पलायन ऊर्जा
इस समीकरण को हल करके पलायन वेग Ve का मान निकालने पर यह हमें निम्न प्राप्त होता है –
पलायन वेग = Ve
चूँकि गुरुत्वीय त्वरण g का मान निम्न होता है –
g =
GM/R2
GM/R2
g का यह मान पलायन वेग वाली समीकरण में रखने पर पलायन वेग का नया समीकरण प्राप्त होता है जो निम्न है –
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