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ऊर्जा अवरोध क्या है समझाइए energy barrier definition in hindi किसे कहते हैं , परिभाषा , अर्थ

जाने लीजिये कि ऊर्जा अवरोध क्या है समझाइए energy barrier definition in hindi किसे कहते हैं , परिभाषा , अर्थ ?

परिभाषा : किसी अभिक्रिया का वेग ताप से कितना अधिक प्रभावित होता है , इसकी व्याख्या करने के लिए आर्हीनियस ने 1888 में सक्रियण ऊर्जा की अवधारणा दी | उन्होंने कहा कि कोई भी क्रियाकारक तब तक उत्पाद में नहीं परिवर्तित हो सकता जब तक कि वह एक “ऊर्जा अवरोध” (energy barrier) को न पार कर ले | ठीक उस प्रकार जिस प्रकार हम किसी पहाड़ी के शिखर पर पहुँचे बिना पहाड़ी के उस पार नहीं पहुँच सकते | क्रियाकारक की ऊर्जा तथा इस ऊर्जा अवरोध की उच्चतम शिखर ऊर्जा के अन्तर को ही सक्रियण ऊर्जा कहा जाता है , इसे Ea द्वारा प्रदर्शित किया जाता है | इसे निम्न प्रकार से परिभाषित किया जा सकता है –

“उस न्यूनतम अतिरिक्त ऊर्जा को सक्रियण ऊर्जा कहते जो क्रियाकारक अणुओं को क्रिया करने के लिए आवश्यक हो तथा जो इन्हें पारस्परिक टक्करों से प्राप्त होती हो | ”

स्थितिज ऊर्जा (potential energy) और अभिक्रिया की प्रगति (reaction co ordinate) के मध्य खींचा गया ग्राफ चित्र में प्रदर्शित है | चित्र से स्पष्ट है कि ऊर्जा अवरोध को पार किये बिना कोई क्रियाकारक उत्पाद में परिवर्तित नहीं हो सकता | दुसरे शब्दों में , सक्रियण ऊर्जा के बराबर ऊर्जा उपलब्ध कराये बिना कोई अभिक्रिया संपन्न नहीं हो सकती है |

ऊष्माशोषी और ऊष्माक्षेपी अभिक्रियाएँ (endothermic and exothermic reactions) : जिस अभिक्रिया में उत्पादों की एन्थैल्पी का मान क्रियाकारकों की एन्थैल्पी से अधिक हो , ऐसी अभिक्रिया के संपन्न होने में पारिपार्विक से ऊष्मा का शोषण होता है। अतः इन्हें ऊष्माशोषी (endothermic) अभिक्रिया कहते हैं । इसके विपरीत, जिस अभिक्रिया के उत्पादों की एन्थैल्पी क्रियाकारकों की एन्थैल्पी से कम होती है, उसके संपन्न होने में ऊष्मा मुक्त होती है, ऐसी अभिक्रियाओं को ऊष्माक्षेपी (exothermic) अभिक्रिया कहते हैं।

कोई अभिक्रिया चाहे ऊष्माशोषी हो अथवा ऊष्माक्षेपी उसे यह शिखर तो पार करना ही पडेगा। अतः किसी भी अभिक्रिया के सम्पन्न होने के लिए क्रियाकारकों की ऊर्जा सक्रियण ऊर्जा के बराबर तो होनी चाहिए। कुछ अभिक्रियाओं में उत्प्रेरक की उपस्थिति से इस शिखर की ऊंचाई अर्थात सक्रियण ऊर्जा के मान को कम किया जा सकता है जिससे कम ऊर्जा पाकर ही क्रिया सम्पन्न हो सकती है। चित्र 7.16 एवं 7.17 में ऊष्माक्षेपी तथा ऊष्माशोषी अभिक्रियाओं के लिए सक्रियण ऊर्जा को दर्शाया गया है। चित्रों में टूटी हुई लाइन उत्प्रेरक की उपस्थिति में सक्रियण ऊर्जा को प्रदर्शित करती है। ऊर्जा अवरोध के शिखर पर विद्यमान उच्चतम ऊर्जा वाले अणु सक्रियित संकुल (activated complex) कहलाते हैं और किसी अभिक्रिया के सम्पन्न होने में सक्रियित संकुल का बनना आवश्यक है। अतः हम कह सकते हैं कि कोई अभिक्रिया निम्न पदों में सम्पन्न होती है :
क्रियाकारक→ [सक्रियित संकुल]→ उत्पाद

सक्रियित संकुल चूंकि उच्चतम ऊर्जा अवस्था पर होता है, अतः इसकी आयु अत्यन्त कम होती है, और बनने के तुरन्त बाद ही यह उत्पाद में परिवर्तित हो जाता है।


उच्च ताप पर सक्रियण ऊर्जा अथवा उससे अधिक ऊर्जा वाले अणुओं की संख्या अधिक हो जाती है। किसी अभिक्रिया का वेग, अभिक्रिया मिश्रण में विद्यमान सक्रियण ऊर्जा से अधिक ऊर्जा अथवा सक्रियण ऊर्जा के बराबर ऊर्जा वाले अणुओं की संख्या के समानुपाती होता है। अतः उच्च ताप पर अभिक्रियाओं के वेग के मान बढ जाते हैं। इसे चित्र 7.18 द्वारा प्रदर्शित किया जा सकता है।
चित्र 7.18 में छायांकित (shaded) भाग सक्रियण ऊर्जा अथवा उससे अधिक ऊर्जा वाले अणुओं की संख्या को पदर्शित करता है। हम देखते हैं कि निम्न ताप T1 वाली वक्र के इस भाग की तुलना में उच्च ताप पनामा भाग दोगने से भी अधिक है। यही कारण है कि ताप में थोड़ी वृद्धि से अभिक्रिया के वेग में अधिक वृद्धि हो जाती है।

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