JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

हिंदी माध्यम नोट्स

Categories: Physics

ठोसों में ऊर्जा बैण्ड , प्रकार , चालन ऊर्जा बैण्ड , संयोजी ऊर्जा बैंड , वर्जित ऊर्जा अन्तराल , energy bands in solids

energy bands in solids in hindi , ठोसों में ऊर्जा बैण्ड , प्रकार , चालन ऊर्जा बैण्ड , संयोजी ऊर्जा बैंड , वर्जित ऊर्जा अन्तराल क्या है , परिभाषा , उदाहरण , चित्र , अंतर |
ठोसों में ऊर्जा बैण्ड (energy bands in solids) : किसी भी विलगित परमाणु में उपस्थित कक्षकों की ऊर्जा अलग अलग होती है और उनमें जो इलेक्ट्रॉन उपस्थित रहते है उनकी ऊर्जा उन कक्षाओं से सम्बद्ध रखती है।
अत: किसी विलगित परमाणु में इलेक्ट्रॉन अलग अलग ऊर्जा स्तरों में विद्यमान रहते है।
और जैसा हम जानते है कि किसी ठोस में असंख्य परमाणु विद्यमान रहते है या कोई भी ठोस असंख्य परमाणुओं से मिलकर बना होता है।
किसी ठोस में उपस्थित परमाणु आस पास अन्य परमाणुओं से घिरे रहते है , प्रत्येक परमाणु के बाह्य कक्षा में उपस्थित इलेक्ट्रॉन अन्य परमाणुओं के इलेक्ट्रॉनों द्वारा प्रभावित रहते है।
जैसे मान लीजिये दो विलगित परमाणु एक दुसरे के पास पास स्थित है तो इन दोनों परमाणुओं के इलेक्ट्रॉन आपस में अन्योन्य क्रिया करते है अर्थात कभी कभी एक दुसरे के साथ सांझा कर लेते है।
कहने का तात्पर्य यह है कि ठोसों में असंख्य परमाणु उपस्थित रहते है और ये सभी परमाणु एक दुसरे के पास पास स्थित होने के कारण आपस में अन्योन्य क्रिया करने लगते है जिससे ये सभी इन परमाणुओं के अंतर स्थित इलेक्ट्रॉनों की ऊर्जा परिवर्तित हो जाती है अर्थात जो ऊर्जा विलगित परमाणु में इलेक्ट्रॉनों की थी उससे भिन्न हो जाती है।
परमाणुओं की इस अन्योन्य ऊर्जा के कारण इलेक्ट्रॉनों की ऊर्जा कम या अधिक हो जाती है , जिससे एक प्रकार के ऊर्जा वाले इलेक्ट्रॉन अन्य प्रकार की ऊर्जा वाले इलेक्ट्रॉनों को नहीं रहने देते है और फलस्वरूप ऊर्जा के आधार पर बैंड बन जाते है अर्थात ऊर्जा के अलग अलग बैण्ड बन जाते है , ठोस में स्थित ऊर्जा के इन बैंड को ठोसों में ऊर्जा बैण्ड कहते है।

ठोसों में ऊर्जा बैण्ड के प्रकार (types of energy band in solids)

किसी भी ठोस में कई ऊर्जा बैंड होते है लेकिन उन में से तीन सबसे महत्वपूर्ण ऊर्जा बैंड होते है जिनका अध्ययन हम आगे करने जा रहे है , ठोसों की प्रकृति और गुणों को समझाने के लिए ये तीनों ऊर्जा बैण्ड महत्वपूर्ण है।  ये तीन महत्वपूर्ण ऊर्जा बैंड निम्न है जो ठोसों में पाए जाते है –
1. चालन ऊर्जा बैण्ड (conduction energy band)
2. संयोजी ऊर्जा बैंड (valance energy band)
3. वर्जित ऊर्जा बैण्ड या वर्जित ऊर्जा अन्तराल (forbidden energy band)
अब हम इन तीनों प्रकार के ऊर्जा बैंड के बारे में विस्तार से अध्ययन करते है।

1. चालन ऊर्जा बैण्ड (conduction energy band)

ठोस पदार्थों में इलेक्ट्रॉनों की उच्चतम अनुमत ऊर्जाओं का बैण्ड है जो मुक्त इलेक्ट्रॉनों के ग्रुप से मिलकर बना होता है। चालक पदार्थों में यह आंशिक भरा हुआ रहता है , अर्द्धचालकों में परम शून्य ताप पर चालन बैण्ड पूर्ण से खाली रहता है लेकिन अर्द्धचालकों में जैसे जैसे ताप को बढाया जाता है इस बैंड में इलेक्ट्रॉनों की संख्या बढती जाती है।  कुचालकों या अचालकों में यह बैंड खाली रहता है।
चालन बैंड में इलेक्ट्रॉन , नाभिक से बंधे हुए नहीं होते है अर्थात मुक्त अवस्था में रहते है।

2. संयोजी ऊर्जा बैंड (valance energy band)

यह अधिकतम ऊर्जा का बैण्ड होता है , इस बैंड में इलेक्ट्रॉन हमेशा उपस्थित रहते है , इस बैण्ड में परमाणुओं के बाह्यतम कक्ष के इलेक्ट्रॉन या संयोजी इलेक्ट्रॉन विद्यमान रहते है और ये इलेक्ट्रॉन हमेशा बन्ध बनाने में भाग लेते है। इस ऊर्जा बैण्ड में जो इलेक्ट्रॉन होते है वे विद्युत धारा के प्रवाह में अपना कोई योगदान नहीं देते है।
यह बैंड चालन बैंड के निचे स्थित होता है और इस बैण्ड में जो इलेक्ट्रॉन होते है उनकी ऊर्जा चालन बैण्ड के इलेक्ट्रॉनों की ऊर्जा से कम होती है।
इस बैंड में स्थित इलेक्ट्रॉन , नाभिक द्वारा कम बल द्वारा बंधे रहते है।

3. वर्जित ऊर्जा बैण्ड या वर्जित ऊर्जा अन्तराल (forbidden energy band)

चालन ऊर्जा बैण्ड और संयोजी ऊर्जा बैंड के मध्य के अंतर को अर्थात जो इन दोनों ऊर्जा बैंडों को अलग करता है उस ऊर्जा अंतर (गैप) को वर्जित ऊर्जा बैण्ड या वर्जित उर्जा अंतराल कहते है।
इस ऊर्जा बैंड में कोई भी इलेक्ट्रॉन उपस्थित नहीं रहते है अर्थात यह बैंड पूर्ण रूप खाली होता है।
इस निम्न प्रकार भी परिभाषित कर सकते है –
वह न्यूनतम ऊर्जा जो इलेक्ट्रॉन को संयोजी ऊर्जा बैण्ड से चालन ऊर्जा बैंड में जाने के लिए आवश्यक होती है।
ठोसों में कोई भी इलेक्ट्रॉन वर्जित ऊर्जा बैण्ड में रहने के लिए अनुमत नहीं होता है , किसी ठोस की चालकता को ज्ञात करने के लिए वर्जित ऊर्जा अंतराल बहुत महत्वपूर्ण होता है , इसी के आधार पर चालक , कुचालक और अर्धचालक के मध्य पदार्थों का वर्गीकरण किया जाता है।
Sbistudy

Recent Posts

सारंगपुर का युद्ध कब हुआ था ? सारंगपुर का युद्ध किसके मध्य हुआ

कुम्भा की राजनैतिक उपलकियाँ कुंमा की प्रारंभिक विजयें  - महाराणा कुम्भा ने अपने शासनकाल के…

4 weeks ago

रसिक प्रिया किसकी रचना है ? rasik priya ke lekhak kaun hai ?

अध्याय- मेवाड़ का उत्कर्ष 'रसिक प्रिया' - यह कृति कुम्भा द्वारा रचित है तथा जगदेय…

4 weeks ago

मालकाना का युद्ध malkhana ka yudh kab hua tha in hindi

malkhana ka yudh kab hua tha in hindi मालकाना का युद्ध ? मालकाना के युद्ध…

2 months ago

कान्हड़देव तथा अलाउद्दीन खिलजी के संबंधों पर प्रकाश डालिए

राणा रतन सिंह चित्तौड़ ( 1302 ई. - 1303 ) राजस्थान के इतिहास में गुहिलवंशी…

2 months ago

हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ? hammir dev chauhan history in hindi explained

hammir dev chauhan history in hindi explained हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ?…

2 months ago

तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच हुआ द्वितीय युद्ध Tarain battle in hindi first and second

Tarain battle in hindi first and second तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच…

2 months ago
All Rights ReservedView Non-AMP Version
X

Headline

You can control the ways in which we improve and personalize your experience. Please choose whether you wish to allow the following:

Privacy Settings
JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now