JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

हिंदी माध्यम नोट्स

Categories: Biology

एम्ब्रियोलॉजी या भ्रूण विज्ञान की परिभाषा क्या है ? embryology in hindi , what is embryology meaning and definition

embryology in hindi , what is embryology meaning and definition , एम्ब्रियोलॉजी या भ्रूण विज्ञान की परिभाषा क्या है ? :-

भ्रूणविज्ञान (embryology in hindi) : यह जीव विज्ञान की एक शाखा होती है , जीव विज्ञान की इस शाखा के अंतर्गत बच्चे के जन्म लेने तक का अध्ययन किया जाता है।

जीव विज्ञान की इस शाखा में अंडाणु के निषेचन से लेकर बच्चे के जन्म तक , बच्चे का उद्भव , विकास आदि का समस्त अध्ययन किया जाता है इस शाखा को ही एम्ब्रीयोलोजी या भ्रूण विज्ञान कहा जाता है।

एक नर के शुक्राणु तथा मादा के अण्डाणु के मध्य निषेचन की क्रिया के बाद से लेकर बच्चे के क्रमबद्ध उद्भव , समय के साथ में आये परिवर्तन और विकास का सम्पूर्ण अध्ययन इस विषय या भ्रूणविज्ञान के अंतर्गत किया जाता है। यह एक काफी रोचक विषय होता है जिसमे व्यक्ति या इन्सान के निर्माण को विस्तार से देखा और अध्ययन किया जाता है , इसमें यह पता लग पाता है कि शिशु के निर्माण में किस प्रकार कोशिकाओ या उत्तको के मध्य किस प्रकार क्रिया होती है और उनका विकास किस गति से और किस तरह से होता है और इसकी यही चीज इसको और अधिक रुचिकर बनाता है।

याद रखिये इसमें बच्चे का अध्ययन प्रसव से पहले तक किया जाता है अर्थात बच्चा जब तक स्त्री के गर्भाशय में रहता है और ऐसे बच्चे का अध्ययन जिस शाखा में किया जाता है उसे  एम्ब्रीयोलोजी या भ्रूण विज्ञान कहते है लेकिन प्रसव के बाद जब बच्चा गर्भाशय से बाहर आ जाता है तो अब यदि बच्चे के विकास का अध्ययन किया जाए तो यह अध्ययन एम्ब्रीयोलोजी या भ्रूण विज्ञान के अंतर्गत सम्मिलित नही होता है।

अत: हम इसे निम्न प्रकार से परिभाषित कर सकते है कि – “निषेचन के बाद शिशु के उद्भव और विकास , उसके जन्म से पूर्व तक या प्रसव से पहले तक जो अध्ययन किया जाता है उसे ही एम्ब्रीयोलोजी या भ्रूण विज्ञान कहते है। ”

एम्ब्रीयोलोजी (Embryology) एक ग्रीक भाषा का शब्द है जो दो शब्दों Embryo + logy से मिलकर बना होता है , Embryo का अर्थ होता है जन्म से पूर्व और logy का मतलब होता है अध्ययन अत: ग्रीक भाषा में Embryology का अर्थ होता है जन्म से पूर्व का अध्ययन।

हिंदी में Embryology को हम भ्रूण विज्ञान कहते है जो एक विशेष जीव की शाखा होती है जिसमे बच्चे का जन्म से पहले तक के विकास , वृद्धि आदि का अध्ययन किया जाता है।

गुणसूत्र के आंतरिक भाग में जीन पाए जाते है और ये जीन गर्भधारण के बाद मादा के गर्भ में उपस्थित रहते है जब इनको उचित वातावरण मिलता है तो ये जीन (गुणसूत्र) विकास की दर और खुद के स्वरूप को नियंत्रण करने का गुण रखते है।

और इस प्रकार एककोशिकीय अण्डाणु शिशु में धीरे धीरे समय के साथ परिवर्तित हो जाता है , इस परिवर्तन के दो कारण होते है –

1. वृद्धि 2. विभेदन

1. वृद्धि : समय के साथ कोशिकाओ के आकार में और इन कोशिकाओ की संख्या में वृद्धि होती है जिसे कारण धीरे धीरे एककोशिकीय अण्डाणु ,  शिशु में परिवर्तित होता रहता है।

इस वृद्धि के कारण ही भ्रूण के आकार में परिवर्तनशील रचना देखने को मिलती है।

2. विभेदन : इस प्रक्रिया के अंतर्गत कोशिकाओ के विशेष समूह बन जाते है और इन कोशिकाओं के प्रत्येक समूह का एक विशेष कार्य निर्धारित कर दिया जाता है , कोशिकाओ का यह विशेष समूह आनुवंशिकता या अंत:स्राव तथा पर्यावरण आदि के आधार पर बनता है अर्थात इन कोशिकाओ का समूह बनकर जो यह समूह कार्य करने के लिए एक विशेष स्वरूप धारण करता है वह  आनुवांशिकता या अंत:स्राव तथा पर्यावरण आदि  पर निर्भर करते है।

नोट : बच्चे के जन्म से पूर्व ही बच्चे में यदि कुछ प्रकार के विकार या disorders उत्पन्न होते है उनका अध्ययन भी इस शाखा के अंतर्गत किया जाता है क्योंकि यह प्रक्रिया भी जन्म से पूर्व की है।

निषेचन के बाद अंडाणु में विभाजन के बाद जो कोशिकाएँ प्राप्त होती है वे पूर्णशक्तिमत्ता युक्त होती है अर्थात  इनमे से एक भी इतनी सक्षम होती है कि वह सम्पूर्ण भ्रूण का निर्माण कर सकती है। यह अवस्था अल्प सामयिक अवस्था होती है और इस अवस्था के बाद सुघट्यता की अवस्था होती है जिसमे कोशिकाओ में यह पूर्णशक्तिमत्ता का गुण नहीं पाया जाता है। अब ये कोशिकाएं एक विशेष प्रकार के उत्तक का निर्माण करने में सक्षम हो जाते है और इस प्रकार उत्तको का निर्माण प्रारंभ हो जाता है। एक निश्चित कोशिकाओ का समूह एक विशेष ओर निश्चित उत्तको का निर्माण करते है अर्थात एक विशेष कोशिकाओ के समूह को एक विशेष उत्तक के निर्माण का कार्य दिया जाता है। इसके बाद रासायनिक विदेभन प्रारंभ हो जाता है जिसमे कोशिकाद्रव्य के रासायनिक घटकों का पुनर्वितरण किया जाता है इसके बाद कोशिकाओ की शक्तिमत्ता की हानि होती है।

सारांश :  एम्ब्रीयोलोजी या भ्रूणविज्ञान एक जीव विज्ञान की शाखा है जिसमे शिशु की गर्भ में विभिन्न अवस्थाओ का विस्तार से अध्ययन किया जाता है , प्रत्येक अवस्था की वृद्धि और विकास आदि का अध्ययन किया जाता है।

आधुनिक भ्रूणविज्ञान का विकास जर्मनी के महान वैज्ञानिक ‘कार्ल अर्न्स्ट वॉन बेयर’ के इस क्षेत्र में किये गए विभिन्न कार्यो से हुआ अर्थात आधुनिक भ्रूण विज्ञान के विकास में कार्ल अर्न्स्ट वॉन बेयर का बहुत बड़ा योगदान है। तथा इनके योगदान के बाद अवलोकनों अर्थात परिणामों में शुद्धता के इटली में बहुत कार्य किये गए जैसे एल्ड्रोवंडी और लियोनार्डो दा विंची आदि।

Sbistudy

Recent Posts

सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke rachnakar kaun hai in hindi , सती रासो के लेखक कौन है

सती रासो के लेखक कौन है सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke…

23 hours ago

मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी रचना है , marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the

marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी…

23 hours ago

राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए sources of rajasthan history in hindi

sources of rajasthan history in hindi राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए…

3 days ago

गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है ? gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi

gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है…

3 days ago

Weston Standard Cell in hindi वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन

वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन Weston Standard Cell in…

3 months ago

polity notes pdf in hindi for upsc prelims and mains exam , SSC , RAS political science hindi medium handwritten

get all types and chapters polity notes pdf in hindi for upsc , SSC ,…

3 months ago
All Rights ReservedView Non-AMP Version
X

Headline

You can control the ways in which we improve and personalize your experience. Please choose whether you wish to allow the following:

Privacy Settings
JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now