हिंदी माध्यम नोट्स
इलेक्ट्रॉनिक की परिभाषा क्या है , (Electronics in hindi) , इलेक्ट्रॉनिकी का हिंदी अर्थ , ऊर्जा स्तर
(Electronics in hindi) , इलेक्ट्रॉनिक की परिभाषा क्या है , इलेक्ट्रॉनिकी का हिंदी अर्थ , ऊर्जा स्तर :-
इलेक्ट्रॉनिकी (Electronics in hindi) :
कुछ महत्वपूर्ण बाते :-
- तकनिकी की वह शाखा जिसमे उपकरण कम विभव एवं कम धारा पर आधारित होते है उसे इलेक्ट्रॉनिकी कहा जाता है , इस प्रकार के उपकरणों को इलेक्ट्रॉनिक उपकरण कहते है।
- इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की सहायता से परिपथ में इलेक्ट्रानो के प्रवाह को नियंत्रित किया जा सकता है।
- मुख्य रूप से दूरसंचार , मौसम विज्ञान , सोलर ऊर्जा के क्षेत्र में इलेक्ट्रॉनिक उपकरण काम में लिए जाते है।
- प्रारंभ में इलेक्ट्रॉनिकी में इलेक्ट्रॉन के प्रवाह को नियंत्रित करने के लिए निर्वात नलिकाएँ (निर्वात डायोड , निर्वात ट्राईयोड आदि) काम में लिए जाते है। अब अर्द्धचालक इलेक्ट्रॉनिकी में अर्द्धचालकों (सिलिकन , जर्मेनियम) आदि से बने युक्तियों को काम में लेते है।
ठोसों में ऊर्जा बैण्ड
परमाणु संरचना के अध्ययन के आधार पर हम जानते है कि किसी भी विलगित परमाणु के लिए उसके सभी इलेक्ट्रॉन की उर्जाएँ एक दूसरे से भिन्न भिन्न होती है। दूसरे शब्दों में विलगित परमाणु की सभी इलेक्ट्रॉन भिन्न ऊर्जा स्तरों में उपस्थित होते है।
परमाणु के जिस सबसे बाहरी ऊर्जा स्तर के उसकी मूल अवस्था में इलेक्ट्रॉन उपस्थित हो सकता है , उस ऊर्जा स्तर को परमाणु का संयोजी ऊर्जा स्तर कहा जाता है। इस प्रकार के इलेक्ट्रोन संयोजी इलेक्ट्रॉन कहलाते है।
जैसे – सोडियम (1S2 , 2S2 , 2P6 , 3S1) के लिए 3S ऊर्जा स्तर उसका संयोजी ऊर्जा स्तर होता है तथा 3S वाला एक मात्र इलेक्ट्रॉन उसका संयोजी इलेक्ट्रॉन होता है।
प्रकृति में उपस्थित अधिकांश ठोस क्रिस्टलीय प्रकृति के होते है जिन्हें उनके सभी परमाणु एक आवृत्ति व्यवस्था में एक दूसरे से अल्प दूरी पर उपस्थित होते है। परमाणुओं के बीच अल्प दूरी के कारण प्रत्येक परमाणु के इलेक्ट्रोनो पर उस परमाणु के नाभिक के साथ साथ निकट के परमाणुओं के इलेक्ट्रोनों तथा नाभिको का प्रभाव भी लगने लगता है। परमाणुओं के बीच इस अन्त: क्रिया के कारण अब परमाणुओं के ऊर्जा स्तर विलगित परमाणु के समान नहीं होते है। परमाणुओं के ऊर्जा स्तर में रूपान्तरण हो जाता है।
परमाणुओं के बीच अंत: क्रिया को समझने के लिए दो परमाणुओं के निकाय पर ध्यान देते है। जब दोनों परमाणु एक दूसरे से अत्यधिक दूर उपस्थित होते है तब उनके ऊर्जा स्तर विलगित परमाणुओं के समान ही होंगे। जैसे जैसे परमाणु निकट आते जाते है उन दोनों के बीच अन्त: क्रिया के कारण ऊर्जा स्तर पहले की तरह नहीं रहते है।
अल्प दूरी पर रखे दोनों परमाणुओं के बीच अन्त: क्रिया के कारण प्रत्येक परमाणु का हर एक ऊर्जा स्तर दो ऊर्जा स्तरों में विभक्त होता है।
इनमे से एक ऊर्जा स्तर मूल ऊर्जा स्तर से कुछ अधिक जबकि दूसरा ऊर्जा स्तर मूल स्तर से कुछ कम ऊर्जा का हो जाता है।
किसी भी ठोस के निर्माण में यदि कुल N परमाणु एक दूसरे से अल्प दूरी पर उपस्थित हो तब अंत: क्रिया के कारण प्रत्येक परमाणु का हर एक ऊर्जा स्तर N ऊर्जा स्तरों में विभक्त हो जाता है। यह सभी N ऊर्जा स्तर एक दुसरे से बहुत अल्प ऊर्जा अंतराल पर उपस्थित होते है , इन्ही ऊर्जा स्तरों का सतत समूह ठोस के लिए ऊर्जा बैण्ड कहलाता है।
सभी परमाणुओं की सबसे बाहरी इलेक्ट्रॉन सबसे पहले एवं सर्वाधिक प्रभावी होते है।
जिसके कारण ठोस का सबसे बाहरी बैंड सबसे अधिक चौड़ाई का बनता है , उससे पहले वाले ऊर्जा स्तरों से सम्बंधित बैंड कम चौड़े होते है।
ठोस के लिए उन सभी ऊर्जा स्तरों का सतत समूह जिनमे सभी परमाणु के संयोजी इलेक्ट्रॉन उपस्थित होते है। वह उस ठोस के लिए संयोजी बैण्ड कहा जाता है।
उदाहरण : Na के लिए इसका 3S बैण्ड उसका संयोजी बैण्ड के ऊपर सारे रिक्त ऊर्जा स्तरों का सतत समूह ठोस के लिए चालन बैण्ड कहलाता है।
किसी भी ठोस के लिए उसके संयोजी बैंड के लिए अधिकतम उर्जा स्तर Ev के द्वारा दर्शाते है तथा चालन बैण्ड का निम्नतम ऊर्जा स्तर Ec से दर्शाते है।
इन दोनों ऊर्जा स्तरों के बीच का अंतर वर्जित ऊर्जा अंतराल (Eg) कहलाता है।
ठोसो में चालन बैंड व संयोजी बैण्ड की स्थिति –
नोट : किसी भी ठोस में इलेक्ट्रॉन को निम्न ऊर्जा से उच्च ऊर्जा में संक्रमण निम्न दो प्रकार से संभव हो सकता है –
- किसी एक बैण्ड के निम्न ऊर्जा स्तर से उसी बैण्ड के उच्च ऊर्जा स्तर में संक्रमण।
- किसी एक बैण्ड के निम्न ऊर्जा स्तर से ऊपर वाले बैंड के उच्च ऊर्जा स्तर में संक्रमण।
ऊर्जा बैण्ड के आधार पर पदार्थ के वर्गीकरण
Recent Posts
मालकाना का युद्ध malkhana ka yudh kab hua tha in hindi
malkhana ka yudh kab hua tha in hindi मालकाना का युद्ध ? मालकाना के युद्ध…
कान्हड़देव तथा अलाउद्दीन खिलजी के संबंधों पर प्रकाश डालिए
राणा रतन सिंह चित्तौड़ ( 1302 ई. - 1303 ) राजस्थान के इतिहास में गुहिलवंशी…
हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ? hammir dev chauhan history in hindi explained
hammir dev chauhan history in hindi explained हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ?…
तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच हुआ द्वितीय युद्ध Tarain battle in hindi first and second
Tarain battle in hindi first and second तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच…
चौहानों की उत्पत्ति कैसे हुई थी ? chahamana dynasty ki utpatti kahan se hui in hindi
chahamana dynasty ki utpatti kahan se hui in hindi चौहानों की उत्पत्ति कैसे हुई थी…
भारत पर पहला तुर्क आक्रमण किसने किया कब हुआ first turk invaders who attacked india in hindi
first turk invaders who attacked india in hindi भारत पर पहला तुर्क आक्रमण किसने किया…