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विद्युत अपघटनी सेल (electrolytic cell) , विद्युत अपघटन के नियम , फैराडे का प्रथम नियम , वैधुत रासायनिक तुल्यांक (W)
विद्युत अपघटनी सेल (electrolytic cell) : जिस पात्र में विद्युत अपघट्य की प्रक्रिया संपन्न करवाई जाती है उसे विद्युत अपघटनी सेल या वोल्टामीटर कहते है।
इस सेल के पात्र में किसी विद्युत अपघट्य पदार्थ का गलित विलयन या जलीय विलयन लेते है। इस विलयन में दो इलेक्ट्रोड डुबोकर उन्हें विद्युत स्रोत या बैट्री से जोड़ देते है।
विद्युत धारा प्रवाहित करने पर इस विलयन का विद्युत अपघटन होता है। इससे इलेक्ट्रोडो पर निम्न क्रियाएं संपन्न होती है।
एनोड (+) पर : एनोड पर ऑक्सीकरण होता है। यह धनात्मक इलेक्ट्रोड है। इस पर विद्युत अपघट्य के ऋण आयन अवस्था जल के OH– आयन आकर्षित होते है।
कैथोड (-) पर : कैथोड पर अपचयन होता है , यह ऋणात्मक इलेक्ट्रोड है। इस पर विद्युत अपघटन के धनायन अथवा जल के H+ आयन आकर्षित होते है।
इन इलेक्ट्रोडो पर आकर्षित आयन युग्म में से किसी एक आयन को इलेक्ट्रोड पर अभिक्रिया दर्शाने का अवसर मिलता है अत: इन इलेक्ट्रोडो पर अभिक्रिया दर्शाने वाले आयनों की प्रायिकता का क्रम इस प्रकार है –
एनोड पर क्रम : I–> Br–>Cl–>OH–>NO3–>SO42->F–
कैथोड पर : Ag+>Cu2+>H+>Ni2+>Fe2+>Zn2+>Al3+>Mg2+
उदाहरण : (1) प्लेटिनम इलेक्ट्रोडो के मध्य तनु HCl विलयन।
तनु HCl विलयन का विद्युत अपघटन इस प्रकार होता है –
HCl → H+ + Cl–
HOH → H+ + OH–
एनोड (+) पर –
2Cl– → Cl2 + 2e–
कैथोड (-) पर :
2H+ + 2e– → H2
इस विलयन के विद्युत अपघटन से एनोड पर Cl2 गैस एवं कैथोड पर H2 गैस का निर्माण होता है।
(2) Pt इलेक्ट्रो के मध्य AgNO3 का जलीय विलयन –
AgNO3 के जलीय विलयन का विद्युत अपघटन इस प्रकार होता है –
AgNO3 → Ag+ + NO3–
HOH → H+ + OH–
एनोड (+) पर :
4OH–→ O2 + 2H2O + 4e–
कैथोड (-) पर :
Ag+ + e– → Ag
इस विद्युत अपघटन में एनोड पर O2 गैस एवं कैथोड पर Ag धातु निक्षेपित होती है। पात्र में HNO3 का विलयन शेष रहेगा। pH घटेगी।
(iii) Pt इलेक्ट्रोडो के मध्य NaCl का जलीय विलयन : NaCl के जलीय विलयन का विद्युत अपघटन इस प्रकार होता है –
NaCl → Na+ + Cl–
HOH → H+ + OH–
एनोड (+) पर :
2Cl– → Cl2 + 2e–
कैथोड (-) पर :
2H+ + 2e– → H2
इस विलयन के विद्युत अपघटन से एनोड पर Cl2 गैस तथा कैथोड पर H2 का निर्माण होगा।
पात्र में NaoH बचेगा व pH बढ़ेगी।
(iv) Pt इलेक्ट्रोडो के मध्य NaCl का गलित विलयन :-
NaCl के गलित विलयन का विद्युत अपघटन इस प्रकार होता है –
NaCl → Na+ + Cl–
एनोड (+) पर :-
Cl– → ½ Cl2 + e–
कैथोड (-) पर :
Na+ + e– → Na
इस विलयन के विद्युत अपघटन से एनोड पर Cl2 गैस एवं कैथोड पर Na धातु निक्षेपित होती है।
Cu इलेक्ट्रोडो के मध्य CuSO4 का गलित विलयन :
एनोड (+) पर :
Cu → Cu2+ + 2e–
कैथोड (-) पर :
Cu2+ + 2e– → Cu
इस विलयन का विद्युत अपघटन होने पर एनोड से Cu घुल जाता है तथा कैथोड पर Cu निक्षेपित हो जाता है। इन सेलो का उपयोग अशुद्ध धातु के शुद्धिकरण में किया जाता है। इसमें अशुद्ध धातु को एनोड के रूप में तथा शुद्ध धातु को कैथोड के रूप में लेते है।
विद्युत अपघटन के नियम
इस नियमो को फैराडे नामक वैज्ञानिक ने दिया।
ये नियम निम्न है –
(1) फैराडे का प्रथम नियम : इस नियम के अनुसार विद्युत अपघटन के दौरान इलेक्ट्रोडो पर मुक्त होने वाले पदार्थ की मात्रा इसमें प्रवाहित विद्युत आवेश की मात्रा के समानुपाती होती है।
माना Q कुलाम विद्युत आवेश प्रवाहित करने पर इलेक्ट्रोडो पर m ग्राम पदार्थ मुक्त होता है तो फैराडे के प्रथम नियम से :-
m ∝ Q
चूँकि Q = I.t रखने पर –
m ∝ I.t
∝ का चिन्ह हटाने पर –
m = W.I.t [समीकरण-1]
यहाँ W = विद्युत रासायनिक तुल्यांक
यह फैराडे का प्रथम नियम है।
समीकरण-1 में I = 1 एम्पियर व t = 1 सेकंड हो तो –
m = W
वैधुत रासायनिक तुल्यांक (W) : यदि एक एम्पियर की विद्युत धारा एक सेकंड तक प्रवाहित की जाए तो इलेक्ट्रोडो पर मुक्त होने वाले पदार्थ की मात्रा ही विद्युत रासायनिक तुल्यांक कहलाते है।
m = W.I.t
W = m/I.t
वैधुत रासायनिक तुल्यांक (W) की इकाई : gm. Amp-1 Sec-1
वैद्युत रासायनिक तुल्यांक (W) व तुल्यांकी भार (E) में निम्न सम्बन्ध है –
W = E/96500
(2) फैराडे का द्वितीय नियम : इस नियम के अनुसार यदि भिन्न भिन्न विद्युत अपघट्यो के विलयन में एक समान विद्युत आवेश प्रवाहित किया जाए तो इनमे इलेक्ट्रोडो पर मुक्त होने वाले पदार्थ की मात्रा इनके तुल्यांकी भार के समानुपाती होती है।
माना दो भिन्न भिन्न विद्युत अपघट्यो के विलयन में इलेक्ट्रोडो पर मुक्त होने वाले पदार्थ की मात्रा क्रमशः m1 व m2 है। तथा इन पदार्थो के तुल्यांकी भार क्रमशः E1 व E2 है।
तो फैराडे के प्रथम नियम से –
m1 = W1 I.t [समीकरण-1]
m2 = W2 I.t [समीकरण-2]
समीकरण-1 व समीकरण-2 से –
m1/m2 = W1/W2
W1 = E1/96500 व W2 = E2/96500 रखने पर –
m1/m2 = E1/E2
अत: m ∝ E
यही फैराडे का द्वितीय नियम है।
लेकिन आजकल तुल्यांकी भार के स्थान पर अणुभार अधिक प्रयुक्त करते है अत: इस नियम को आधुनिक अवधारणा के आधार पर निम्न प्रकार समझ सकते है।
आधुनिक अवधारणा : इस अवधारणा के अनुसार विद्युत अपघटन के दौरान इलेक्ट्रोडो पर मुक्त हुए पदार्थ की मोल संख्या ऑक्सीकरण-अपचयन में विनिमय किये गए इलेक्ट्रॉन की मोल संख्या के समानुपाती होती है।
उदाहरण : Al3+ + 3e– → Al
Al3+ से 1 मोल Al प्राप्त करने के लिए 3 मोल इलेक्ट्रॉन की आवश्यकता होगी यदि 2 मोल Al प्राप्त करना होतो 6 मोल इलेक्ट्रोन की आवश्यकता होगी।
एक मोल इलेक्ट्रोन पर आवेश ज्ञात करना :
1 इलेक्ट्रॉन पर आवेश = 1.6 x 10-19 C
1 मोल इलेक्ट्रॉन पर आवेश = 964876 या 96500 C
अत: 1 मोल इलेक्ट्रॉन पर आवेश 96500 C या 1F (एक फैराडे) के बराबर होता है।
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