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इलेक्ट्रोड विभव क्या है , ऑक्सीकरण और अपचयन विभव (electrode potential in hindi)
(electrode potential in hindi) इलेक्ट्रोड विभव क्या है , ऑक्सीकरण और अपचयन विभव : जब कोई धातु की छड (इलेक्ट्रोड) को इसके आयनों के विलयन में डाला जाता है तो धातु पर विलयन की तुलना में धनात्मक या ऋणात्मक आवेश आ जाता है , जिसके कारण धातु और विलयन के मध्य एक विभवान्तर उत्पन्न हो जाता है , धातु और विलयन के मध्य उत्पन्न इस विभवान्तर को ही इलेक्ट्रोड विभव कहते है।
उदाहरण : जब जिंक की छड को ऐसे विलयन में डाला जाए जिसमे Zn2+ आयन हो तो विलयन की तुलना में , धातु की छड या इलेक्ट्रोड ऋणात्मक आवेशित हो जाता है , जिसके कारण जिंक की छड और विलयन के मध्य एक विभवांतर उत्पन्न हो जाता है जिसे जिंक छड का इलेक्ट्रोड विभव कहते है।
इसी प्रकार जब एक कॉपर की छड को किसी ऐसे विलयन में रखा जाए जिसमें Cu2+ आयन हो तो , कॉपर की छड पर धनावेश आ जाता है। जिसके कारण विलयन और कॉपर की छड के मध्य एक विभवान्तर उत्पन्न हो जाता है जिसे कॉपर की छड का इलेक्ट्रोड विभव कहते है।
जब किसी धातु को इसके धातु आयन के विलयन में डुबोया जाता है तो या तो धातु की छड का अपचयन हो जता है या ऑक्सीकरण हो जाता है अथवा कभी कभी कोई परिवर्तन नहीं होता है , जिसे हम निम्न प्रकार समझा सकते है।
माना एक धातु M है जिसे M+ धातु आयन के विलयन में यदि डुबोया जाता है तो निम्न तीन स्थिति संभव है –
1. पहली स्थिति में धातु धनायन M+ , धातु छड (M) से टकराता है और वापस लौट आता है , इस स्थिति में कोई परिवर्तन नहीं होता है।
2. दूसरी स्थिति में धातु धनायन M+ , धातु छड (M) से टकराता है और उससे n इलेक्ट्रॉन ग्रहण कर लेता है और धातु आयन (M+) , धातु परमाणु में परिवर्तित हो जाता है। यहाँ अपचयन होता है। चूँकि यहाँ इलेक्ट्रॉन धातु की छड द्वारा त्यागे जा रहे है जिन्हें विलयन में उपस्थित धातु आयन ग्रहण कर लेता है , धातु छड (इलेक्ट्रोड) द्वारा इलेक्ट्रॉन त्यागने के कारण इलेक्ट्रोड धन आवेशित हो जाता है।
M+ + ne– → M
3. तीसरी स्थिति में धातु धनायन M+ , धातु छड (M) से टकराता है और धातु छड से n इलेक्ट्रॉन निकालकर ले आता है जिससे धातु परमाणु इन n इलेक्ट्रॉन से धन आवेशित हो जाता है , यहाँ ऑक्सीकरण होता है। यहाँ धातु की छड द्वारा इलेक्ट्रोड द्वारा इलेक्ट्रॉन ग्रहण किये जाते है इसलिए इलेक्ट्रोड ऋण आवेशित हो जाती है।
M → M+ + ne–
ऑक्सीकरण और अपचयन की प्रक्रियाओं में धातु परमाणुओं (M) और धातु धनायनों (M+) के मध्य साम्य स्थापित हो जाता है जिससे धातु छड और धातु आयनों के मध्य आवेशों का पृथीकरण हो जाता है , जिसके परिणाम स्वरूप दोनों के मध्य विभंवातर उत्पन्न हो जाता है अर्थात धातु छड (इलेक्ट्रोड) और विलयन के मध्य विभन्वातर उत्पन्न हो जाता है जिसे इलेक्ट्रोड विभव कहते है।
ऑक्सीकरण और अपचयन विभव
जब कोई इलेक्ट्रोड विलयन में इलेक्ट्रॉन त्यागने की प्रवृति रखता है तो इलेक्ट्रोड की विलयन में इलेक्ट्रॉन त्यागने की प्रवृत्ति का मापन ही ऑक्सीकरण विभव कहलाती है।
जब कोई इलेक्ट्रोड विलयन से इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की प्रकृति रखता है तो इलेक्ट्रोड की विलयन से इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की प्रवृत्ति का मापन अपचयन विभव कहलाता है।
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