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Categories: Physics

एकल आवेश के कारण किसी बिंदु पर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता (electric field for point charge) , अध्यारोपण का सिद्धान्त

एकल आवेश के कारण किसी बिंदु पर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता (electric field for point charge) : माना किसी बिन्दु पर Q आवेश स्थित है इस आवेश से r दूरी पर स्थित बिंदु P पर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता की गणना की गयी –

आवेश Q व परिक्षण आवेश q0 के मध्य लगने वाला विद्युत बल
F = KQq0/r2 [समीकरण-1]
विद्युत क्षेत्र की तीव्रता की परिभाषा से –
E = F/q0  [समीकरण-2]
समीकरण-1 का मान समीकरण-2 में रखने पर –
E = KQ/r2
सदिश रूप से –

विद्युत क्षेत्र की तीव्रता (E) व दूरी (r) के मध्य ग्राफ –

विद्युत बल के लिए अध्यारोपण का सिद्धांत : विद्युत बल के अध्यारोपण के सिद्धांत के अनुसार “निकाय में स्थिति किसी एकल आवेश पर अलग-अलग आवेशो के कारण परिणामी बल का मान अलग अलग आवेशों के कारण लगने वाले विद्युत बलों के सदिश योग के बराबर होता है।
बहुल आवेशो के कारण किसी परिक्षण आवेश पर बल : माना किसी निकाय में q1 , q2 , q3 …… qn आवेश स्थित है जिनके मूल बिंदु के सापेक्ष स्थिति सदिश क्रमशः r1 , r2 , r3 …… rn इस निकाय में किसी बिन्दु P पर कोई अन्य आवेश q0 स्थित है जिसका इन आवेशो के सापेक्ष स्थिति सदिश क्रमशः r1 , r2 , r3 …… rn तो आवेश q0 पर लगने वाले परिणामी बल का मान ज्ञात करने के लिए –

अत: परिणामी बल अध्यारोपण के सिद्धांत से –

विद्युत क्षेत्र की तीव्रता के लिए अध्यारोपण का सिद्धान्त : किसी निकाय में स्थित दो या दो से अधिक आवेशो के कारण किसी विद्युत बल परिणामी विद्युत क्षेत्र की तीव्रता अलग अलग आवेशो के कारण उस बिन्दु पर उत्पन्न विद्युत क्षेत्र की तीव्रता के सदिश योग के बराबर होती है।
बहुल आवेशो के कारण किसी बिन्दु पर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता : माना किसी निकाय में q1 , q2 , q3 …… qn आवेश स्थित है जिनके मूल बिन्दु के सापेक्ष स्थिति सदिश r1 , r2 , r3 …… rn है।  इस निकाय में स्थिति किसी बिंदु P पर जिसका इन आवेशो के सापेक्ष स्थिति सदिश क्रमशः r1 , r2 , r3 …… rn पर परिणामी विद्युत क्षेत्र की तीव्रता की गणना करे –

अत: बिंदु P पर परिणामी विद्युत क्षेत्र की तीव्रता अध्यारोपण के सिद्धांत से –

विद्युत क्षेत्र रेखाएँ : किसी आवेश के चारों ओर वह काल्पनिक निष्कोण वक्र जिसका एकांक परिक्षण आवेश अनुसरण करे तो उस काल्पनिक निष्कोण वक्र को विद्युत क्षेत्र रेखा कहते है।
गुण :

  • विद्युत बल रेखाएँ काल्पनिक व सतत होती है।
  • विद्युत बल रेखाएँ सदैव खुल्ले वक्र का निर्माण करती है।
  • विद्युत बल रेखाएं सदैव धनात्मक से निकलती है तथा ऋणात्मक में प्रवेश करती है।
  • विद्युत बल रेखाएं धनावेश से निकलकर ऋण आवेश पर समाप्त हो जाती है परन्तु यदि एकल धनावेश हो तो इससे निकलकर अनन्त तक जाती है तथा यदि एकल ऋण आवेश हो तो अनंत से आकर ऋणावेश में प्रवेश करती है।
  • विद्युत बल रेखाएँ पृष्ठ के लम्बवत ही बाहर निकलती है तथा पृष्ठ के लम्बवत हो प्रवेश करती है।
  • विद्युत बल रेखा के किसी बिंदु पर खिंची गयी स्पर्श रेखा उस बिंदु पर विद्युत क्षेत्र की दिशा को व्यक्त करती है।
  • दो विद्युत बल रेखाएं कभी भी एक दूसरे को प्रतिच्छेद नहीं करती क्यूंकि कटान बिंदु पर विद्युत क्षेत्र की एक साथ दो दिशाएं संभव नहीं है।
  • जिन बिन्दुओ पर विद्युत क्षेत्र रेखाओ को संख्या अधिक होती है वहां विद्युत क्षेत्र की तीव्रता भी अधिक होती है तथा जिन बिन्दु पर विद्युत क्षेत्र रेखाओ की संख्या कम होती है वाहन विद्युत क्षेत्र की तीव्रता भी कम होती है।
एकल धनावेश के कारण विद्युत क्षेत्र रेखाएँ :
q > 0
एकल ऋण आवेश के कारण विद्युत क्षेत्र रेखाएं :
q < 0
समान परिमाण के दो धनावेश के कारण :
q1q2 > 0 तथा q1 = q2
समान परिमाण व विपरीत प्रकृति वाले आवेश के कारण विद्युत बल रेखाएँ :
q1q2 < 0 तथा q1 = q2 के लिए
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