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प्रत्यास्थ संघट्ट : पूर्ण प्रत्यास्थ टक्कर , प्रत्यक्ष व तिर्यक संघट्ट (elastic collision in hindi)
(elastic collision in hindi) प्रत्यास्थ संघट्ट : पूर्ण प्रत्यास्थ टक्कर , प्रत्यक्ष व तिर्यक संघट्ट : दो कणों के मध्य होने वाली ऐसी टक्कर जिसमें कणों की गतिज ऊर्जा और रेखीय संवेग की कोई हानि नहीं होती है अर्थात कणों का टक्कर से पहले और टक्कर के बाद रेखीय संवेग और गतिज ऊर्जा जा मान संरक्षित रहता है ऐसी टक्करों को प्रत्यास्थ टक्कर या संघट्ट कहते है।
इन्हें पूर्ण प्रत्यास्थ संघट्ट भी कहते है क्यूंकि इनमे ऊर्जा व रेखीय संवेग की कोई हानि नहीं होती है।
उदाहरण : आणविक या परमाण्विक कणों के मध्य होने वाली टक्कर या संघट्ट को पूर्णत: प्रत्यास्थ संघट्ट माना जाता है।
हालांकि दैनिक जीवन में प्रत्यास्थ संघट्ट का उदाहरण देखने को नहीं मिलता है क्यूंकि जब दो वस्तुएं या कण आपस में टकराते है तो उनमे कुछ न कुछ ऊर्जा की हानि अवश्य होती है , जब दो कणों की टक्कर में रेखीय संवेग व गतिज ऊर्जा की हानि नगण्य होती है तो इन्हें पूर्णत: प्रत्यास्थ संघट्ट माना जा सकता है लेकिन चूँकि हम कह रहे है कि यहाँ नगण्य ऊर्जा की हानि हो रही है और परिभाषा के अनुसार ऊर्जा की हानि ही नहीं होती है अत: यह पूर्णत: प्रत्यास्थ संघट्ट माना भी जा सकता है और परिभाषा के हिसाब से प्रत्यास्थ संघट्ट दैनिक जीवन में संभव नहीं है।
इन्हें पूर्ण प्रत्यास्थ संघट्ट भी कहते है क्यूंकि इनमे ऊर्जा व रेखीय संवेग की कोई हानि नहीं होती है।
उदाहरण : आणविक या परमाण्विक कणों के मध्य होने वाली टक्कर या संघट्ट को पूर्णत: प्रत्यास्थ संघट्ट माना जाता है।
हालांकि दैनिक जीवन में प्रत्यास्थ संघट्ट का उदाहरण देखने को नहीं मिलता है क्यूंकि जब दो वस्तुएं या कण आपस में टकराते है तो उनमे कुछ न कुछ ऊर्जा की हानि अवश्य होती है , जब दो कणों की टक्कर में रेखीय संवेग व गतिज ऊर्जा की हानि नगण्य होती है तो इन्हें पूर्णत: प्रत्यास्थ संघट्ट माना जा सकता है लेकिन चूँकि हम कह रहे है कि यहाँ नगण्य ऊर्जा की हानि हो रही है और परिभाषा के अनुसार ऊर्जा की हानि ही नहीं होती है अत: यह पूर्णत: प्रत्यास्थ संघट्ट माना भी जा सकता है और परिभाषा के हिसाब से प्रत्यास्थ संघट्ट दैनिक जीवन में संभव नहीं है।
प्रत्यास्थ प्रत्यक्ष संघट्ट (elastic head on collision)
जब दो पिण्ड टक्कर से पूर्व और टक्कर के बाद एक ही विमा में या एक ही सरल रेखा में गति करते है तथा पिण्डो की गतिज ऊर्जा और रेखीय संवेग का मान टक्कर से पूर्व और टक्कर के बाद समान रहता है अर्थात संरक्षित रहता है तो ऐसी टक्करों को प्रत्यास्थ प्रत्यक्ष संघट्ट या एक विमीय प्रत्यास्थ टक्कर कहते है।
माना m1 और m2 द्रव्यमान के दो पिण्ड है जिनकी आपस में टक्कर होती है , टक्कर से पूर्व पिण्डों का वेग क्रमशः U1
और U2 है तथा टक्कर के बाद पिण्डों का वेग V1
और V2 हो जाता है। माना पिण्डो की यह टक्कर पूर्णत प्रत्यास्थ संघट्ट है तो इसका मतलब यह है कि संघट्ट से पूर्व और संघट्ट के बाद पिण्डों का रेखीय संवेग और गतिज ऊर्जा का मान समान रहना चाहिए अर्थात संरक्षित रहना चाहिए।
चूँकि यह प्रत्यास्थ संघट्ट है अत: कणों के टक्कर से पूर्व व टक्कर के बाद रेखीय संवेग बराबर होगा जिसे निम्न समीकरण द्वारा लिखा जा सकता है –
और U2 है तथा टक्कर के बाद पिण्डों का वेग V1
और V2 हो जाता है। माना पिण्डो की यह टक्कर पूर्णत प्रत्यास्थ संघट्ट है तो इसका मतलब यह है कि संघट्ट से पूर्व और संघट्ट के बाद पिण्डों का रेखीय संवेग और गतिज ऊर्जा का मान समान रहना चाहिए अर्थात संरक्षित रहना चाहिए।
चूँकि यह प्रत्यास्थ संघट्ट है अत: कणों के टक्कर से पूर्व व टक्कर के बाद रेखीय संवेग बराबर होगा जिसे निम्न समीकरण द्वारा लिखा जा सकता है –
प्रत्यास्थ टक्कर में पिण्डों की टक्कर से पूर्व व टक्कर के बाद गतिज ऊर्जा भी संरक्षित रहती है अत: गतिज ऊर्जा के संरक्षण नियम से
समीकरणों को हल करके टक्कर के बाद पिण्डों का वेग निम्न प्रकार प्राप्त होता है –
पूर्ण प्रत्यास्थ तिर्यक संघट्ट (elastic oblique collision)
जब दो कणों के मध्य टक्कर होती है और ये दोनों पिण्ड टक्कर से पूर्व और टक्कर के बाद एक ही तल पर उपस्थित हो और टक्कर से पूर्व व टक्कर के बाद कणों की गतिज ऊर्जा व रेखीय संवेग का मान संरक्षित रहे तो ऐसी टक्करों को पूर्ण प्रत्यास्थ तिर्यक संघट्ट कहते है , चूँकि यह तल में होती है अर्थात दो विमाओं में होती है इसलिए इसे द्विविमीय प्रत्यास्थ संघट्ट भी कहते है।
रेखीय संवेग के नियम से –
x दिशा में टक्कर से पूर्व का रेखीय संवेग = टक्कर से बाद का रेखीय संवेग
y दिशा में टक्कर से पूर्व का रेखीय संवेग = टक्कर से बाद का रेखीय संवेग का मान
गतिज ऊर्जा के संरक्षण के नियम से : टक्कर से पहले की गतिज उर्जा = टक्कर के बाद गतिज ऊर्जा
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