JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

हिंदी माध्यम नोट्स

एकार्थक शब्द | उदाहरण हिंदी व्याकरण | एकार्थक शब्द की परिभाषा क्या होती है | meaning in english किसे कहते है ?

एकार्थी शब्द एकार्थक प्रतीत होने वाले शब्द , एकार्थक शब्द | उदाहरण हिंदी व्याकरण | परिभाषा क्या होती है | meaning in english किसे कहते है ? ekarthak shabd definition in hindi , पीडीऍफ़ हिंदी में example.

एकार्थक शब्द और उनमें सूक्ष्म शब्द

इस प्रकार के शब्दों के अर्थ निश्चित होते हैं । प्रायः हम इन एकार्थक शब्दों का प्रयोग, जिनके अर्थ में थोड़ी-बहुत समानता होती है, समानार्थी शब्दों के रूप में कर देते हैं। लेकिन ऐसा करना सही नहीं है । एकार्थक शब्दों के उदाहरण इस प्रकार हैं-

(1) अनुभव-इन्द्रियों के माध्यम से अनुभव होता है।

अनुभूति-अनुभव की तीव्रता अनुभूति है । अनुभव के बाद अनुभूति होती है ।

(2)  अभिमान-प्रतिष्ठा में अपने को बड़ा और दूसरे को छोटा समझना अभिमान ।

घमंड-सभी स्थितियों में अपने को बड़ा और दूसरों को छोटा समझना घमंड है।

अहंकार-मन का गर्व अथवा झूठे अपनेपन का बोध अहंकार है।।

दर्प-नियम के विरुद्ध काम करने पर भी घमण्ड करना ।

(3) अनुकूल-इससे उपादेयता और उपयोगिता का बोध होता है। जैसे-यहाँ की जलवायु – अंग्रेजों के अनुकूल नहीं है ।

अनुरूप-इससे योग्यता का बोध होता है । जैसे-दिनकर को उनकी रचना के अनुरूपइनाम मिला।

(4)  अज्ञ-अनजान, किन्तु बताने पर जो जान जाय मूर्ख-बुद्धिहीन, किन्तु जो बताने पर भी न जाने ।

(5)  अनुरोध-बराबर वालों से अनुरोध किया जाता है ।

प्रार्थना-भगवान से अथवा अपने से बड़ों से प्रार्थना की जाती है।

(6)  अस्त्र-वह हथियार जो फेंककर चलाया जाय, जैसे-तीर ।

शस्त्र-वह हथियार जो हाथ में रख कर चलाया जाय, जैसे-तलवार ।

(7)  अपराध-सामाजिक कानून का उल्लंघन अपराध है । जैसे-हत्या करना आदि ।

पाप-नैतिक नियमों को न मानना पाप है । जैसे-झूठ बोलना ।

(8)  अवस्था-जीवन के कुछ बीते हुए काल को अवस्था कहते हैं । जैसे-इस समय आपकी क्या अवस्था होगी?

आयु-संपूर्ण जीवन की अवधि को श्आयुश् कहते हैं । जैसे-आपकी आयु लम्बी हो ।

(9)  अपवाद-किसी पर झूठमूठ दोष लगाना ।

निन्दा-किसी के अवगुणों का उल्लेख करना ।

(10)  अपयश-स्थायी रूप से दोषी होना । ।

कलंक-कुसंगति के कारण चरित्र पर दोष लगाना ।

(11)  अभिज्ञ-जिसे अनेक विषयों की साधारण जानकारी हो ।

विज्ञ-जिसे किसी विषय का अच्छा ज्ञान हो ।

(12)  अलौकिक-जो संसार में दुर्लभ हो ।

असाधारण-जो कार्य आदि साधारण से बहुत बढ़कर हो ।

(13)  अधिक-आवश्यकता से ज्यादा ।

काफी -जरूरत से न ज्यादा और न कम ।

(14)  अजेय-जो किसी भी प्रकार जाना न जा सके ।

अगोचर-जो इन्द्रियों द्वारा ग्राह्य न हो, परन्तु ज्ञान अथवा बुद्धि से समझ में आ जाय ।

(15)  अद्वितीय-जिसकी बराबर का दूसरा न हो ।

अनुपम-जिसकी किसी से उपमा न की जा सके।

(16)  अनुराग-किसी विषय या व्यक्ति पर शुद्ध भाव से मन लगाना ।

आसक्ति-मोहजनित प्रेम आसक्ति है।

(17)  अनबन-दो व्यक्तियों में आपस में न बनना और उनका अलग रहना ।

खटपट-दो व्यक्तियों में बहुत ही साधारण कहासुनी होना ।

(18)  अन्वेषण- अज्ञात वस्तु, स्थान आदि का पता लगाना। .

अनुसन्धान-प्रत्यक्ष तथ्यों में से कुछ प्रच्छन्न तथ्यों की सूक्ष्म छानबीन ।

गवेषणा- किसी विषय की मूलस्थिति को जानने के लिए कुछ समय तक चलते रहने वाला विचारपूर्ण अध्ययन ।

(19)  अंतःकरण-शुद्ध मन की विवेकपूर्ण शक्ति ।

आत्मा-एक अलौकिक और अतीन्द्रिय तत्व जिसका कभी नाश नहीं होता।

(20)  अधिवेशन-किसी लक्ष्य के लिए होने वाली प्रतिनिधियों की बड़ी, परन्तु अस्थायी सभा अधिवेशन है।

परिषद्-यह एक स्थायी समिति होती है जो किसी विशेष विषय पर विचार-विमर्श के लिए बुलायी जाती है।

(21) अभिनन्दन-किसी श्रेष्ठ व्यक्ति को निमंत्रित करके स्वागत करना ।

स्वागत-अपनी प्रथा एवं सभ्यता के अनुसार किसी को सम्मान देना ।

(22)  अर्चना-धूप, दीप आदि से देवता की पूजा करना ।

पूजा-बिना किसी वस्तु के भी भक्तिपूर्ण प्रार्थना ।

(23)  अत्यन्त-जो चाहने या न भी चाहने पर जिम्मे आ पड़े ।

अतिरिक्त- जो इच्छित मात्रा से अधिक हो ।

(24)  अध्यक्ष- किसी गोष्ठी, समिति, संस्था आदि के प्रधान को अध्यक्ष कहते है।

सभापति-किसी आयोजित बड़ी अस्थायी सभा के प्रधान को सभापतिकहते हैं।

(25)  आजा-आदरणीय व्यक्ति द्वारा किया गया कार्यनिर्देश ।

आदेश-किसी अधिकारी व्यक्ति द्वारा किया गया कार्यनिर्देश ।

(26)  आतंक-जहाँ शरण पाने की संभावना न हो।

आशंका-भविष्य में अमंगल होने का श्रम ।

भय-अनिष्ट का डर ।

(27)  आधिदैविक-देवताओं से संबंधित ।

आधिभौतिक-पंचभूतों से संबंधित ।

(28)  आगामी-्आगे आनेवाला जिसमें निश्चय का बोध हो ।

भावी-भविष्य का बोध जिसमें अनिश्चय हो ।

(29)  आधि-मानसिक कष्ट, जैसे चिन्ता ।

व्याधि-शारीरिक कष्ट, जैसे ज्वर ।

(30)  आराधना-किसी देवता के सामने की गयी दया की याचना ।

उपासना-किसी महान् उद्देश्य की पूर्ति कि लिए की गयी एकनिष्ठ साधना ।

(31) आदरणीय-अपने से बड़ों के प्रति सम्मानसूचक शब्द ।

पूजनीय-पिता, गुरु या महापुरुषों के प्रति सम्मानसूचक शब्द ।

(32)  ईर्ष्या-दूसरे की सफलता देखकर मन में जलना ।

स्पर्धा-दूसरे को बढ़ते देखकर स्वयं बढ़ने की इच्छा करना ।

द्वेष-दूसरे के प्रति घृणा या शत्रुता का स्थायी भाव ।

(33)  इच्छा-किसी भी वस्तु को पाने के लिए साधारण इच्छा ।

अभिलाषा-किसी विशेष वस्तु की हार्दिक इच्छा ।

कामना-किसी विशेष वस्तु की सामान्य इच्छा ।

(34)  उदाहरण-किसी नियम के विवेचन में दिया गया तथ्य ।

निदर्शन-साधारण रूप से किसी बात के समर्थन में दिया गया तथ्य ।

दृष्टान्त- किसी भी कथन के समर्थन में दिखलाया जानेवाला कथन, वस्तु या तथ्य ।

(35)  उद्योग-किसी उद्देश्य की सिद्धि के लिए उत्साह से किया गया प्रयत्न ।

प्रयास- साधारण प्रयत्न ।

(36)  उपकरण-ऐसी जुटायी गयी सामग्री जिससे कोई कार्य सिद्ध हो । जैसे, कपड़ा ।

उपादान-किसी वस्तु को बनानेवाली सामग्री ।

(37)  उपयोग-किसी वस्तु को सुन्दर ढंग के काम में लाना ।

प्रयोग-किसी वस्तु को सामान्य रूप से व्यवहार में लाना ।

(38)  उपक्रमणिका-विषय सूची जो ग्रंथ के शुरू में दी जाती है ।

अनुक्रमणिका-वर्णानुक्रम -विषयसूची जो ग्रंथ के अंत में दी जाती है ।

(39)  उत्साह-काम करने की बढ़ती हुई रुचि ।

साहस-साधन न रहते हुए भी काम करने की तीव्र इच्छा ।

(40)  ऋषि-ब्रह्मज्ञानी ।

मुनि-धर्म और तत्व पर विचार करनेवाला पुरुष ।

(41)  ओज-वह आन्तरिक शक्ति जो मन और शरीर को चालित रखती है।

पौरुष-वीरतापूर्ण कार्य करने की अपूर्व क्षमता, जो ओज से प्राप्त होती है ।

(42)  कृपा-दूसरे का कष्ट दूर करने की साधारण चेष्टा ।

दया-दूसरे के कष्ट को दूर करने की स्वाभाविक इच्छा।

(43)  कंगाल-जिसे भोजन के लिए भी भीख माँगनी पड़े।

दीन-गरीबी के कारण जिसका आत्मगौरव नष्ट हो चुका है।

(44)  क्रोध-अपमानित होने पर क्रोध होता है ।

अप्रसन्नता-इसमें क्रोध जैसी तेजी नहीं होती । वस्तुतः उचित आदर न मिलने से अप्रसन्नता होती है।

(45)  काल-भूत, वर्तमान और भविष्यत् के तौर पर बँधा हुआ श्समयश् का साधारण रूप ।

समय-काल का किसी घटना से बँधा हुआ ऐतिहासिक रूप ।

(46)  कर्त्तव्य-जिस कार्य में धार्मिक अथवा नैतिक बन्धन हो ।

कार्य-कोई भी साधारण काम श्कार्यश् है।

(47)  कष्ट- असमर्थता अथवा अभाव के कारण मानसिक एवं शारीरिक कष्ट होता है।

पीड़ा-रोग-चोट आदि के कारण शारीरिक पीड़ा होती है।

क्लेश- यह मानसिक अप्रिय अवस्था का सूचक होता है।

(48)  कल्पना-मन की वह क्रिया विशेष जिससे मानसिक दृष्टि के समक्ष विचारों की मूर्ति खड़ी की जाती है।

भावना- मन का मूर्त रूप ।

चिन्तना-किसी विषय के सभी अंगों पर विधिवत् विचार करना ।

(49)  करुणा- दूसरे के कष्ट को देखकर समान वेदना का अनुभव करना।

(50)  दुख-साधारण कष्ट या मानसिक पीड़ा ।

क्षोभ-विफल होने पर अथवा असामाजिक स्थिति के कारण दुखी होना ।

खेद-किसी गलती पर दुखी होना ।

शोक-किसी की मृत्यु पर दुखी होना ।

(51)  गर्व-अपने को बड़ा समझना और दूसरे को हीन दृष्टि से देखना ।

गौरव-अपनी महत्ता का यथार्थ ज्ञान होना ।

दंभ-झूठा अभिमान करना ।

(52)  ग्रंथ-इससे पुस्तक के आकार की गुरुता और गम्भीरता का बोध होता है ।

पुस्तक-सामान्यतः सभी प्रकार की छपी रचना पुस्तक है ।

(53)  ग्लानि-अपने कुकर्म पर एकान्त में दुख एवं पश्चात्ताप करना ।

लज्जा-अनुचित काम करने पर मुँह छिपाना ।

व्रीडा-दूसरे के सामने काम करने में संकोच ।

संकोच-किसी काम के करने में हिचक ।

(54)  चिन्तनीय-चिन्तन से सम्बद्ध ।

चिंताजनक-चिन्ता से सम्बद्ध ।

चिन्त्य-साधारण सोच विचार ।

(55)  चेष्टा-अच्छा काम करने के लिए शारीरिक श्रम करना ।

प्रयत्न-अच्छा या बुरा कोई भी कार्य करने के लिए क्रियाशील होना ।

उद्योग-किसी काम को पूरा करने की मानसिक दृढ़ता ।

(56)  टीका-सामान्यतः साहित्यिक रचनाओं का अर्थ विश्लेषण और व्याख्या ‘टीका’ है ।

भाष्य-व्याकरण और दर्शन पर लिखी जाने वाली विशद व्याख्या एवं विवेचन भाष्य है ।

(57) तट-नदी, समुद्र अथवा सरोवर का किनारा ।

पुलिन-जल से निकली हुई जमीन ।

सैकत-किनारे फैली हुई बालूयुक्त जमीन ।

(58)  वास-भय के अधिक तीव्र होने की स्थिति ।

भय-सम्भावित संकट के आने पर मन की चंचलता और विकलता ।

(59)  तन्द्रा-मन-शरीर की शिथिलता के कारण आयी हलकी अँपकी ।

निद्रा-बाहरी चेतना एवं ज्ञान से रहित होकर चुपचाप सोना ।

सुषुप्ति-गहरी निद्रा ।

(60)  दक्ष-हाथ से किया जानेवाला काम जो जल्दी और अच्छी तरह करता है, वह दक्ष कहलाता है । जैसे चित्र बनाने का काम ।

निषण-जो अपने कार्य का पूर्ण ज्ञान प्राप्त कर उसका अच्छा जानकार बन चुका है।

कुशल-जो प्रत्येक कार्य में मानसिक एवं शारीरिक शक्तियों का अच्छा प्रयोग करना जानता है।

कर्मठ-जिस कार्य में लगाया जाय उसमें लगा रहने वाला ।

(61)  न-एक निषेधार्थक अव्यय ।

नहीं-किसी वस्तु अथवा विचार का पूर्ण निषेध । जैसे- मैं यह काम नहीं जानता।

मत-विधिक्रिया के निषेधार्थ श्मतश् का प्रयोग होता है । जैसे असत्य मत बोलो ।

(62)  निबंध- यह ऐसी गद्य रचना होती है जिसमें विषय गौण होता है और लेखकीय

लेख- ऐसी गद्य रचना जिसमें विषय की प्रधानता रहती है।

(63)  नायिका-उपन्यास अथवा नाटक की प्रधान स्त्रीपात्र ।

अभिनेत्री-नाटक आदि में नारी की भूमिका में काम करने वाली कोई स्त्री।

(64) निधन- महान् एवं लोकप्रिय व्यक्तियों की मृत्यु को निधन कहा जाता है ।

मृत्यु-सामान्य शरीरान्त को मृत्यु कहते हैं।

(65) निकट-सामीप्य का बोध, जैसे मेरे घर के निकट एक स्कूल है ।

पास-अधिकार के सामीप्य का बोध, राम के पास खूब पैसा है ।

(66)  प्रेम-यह व्यापक अर्थ में प्रयुक्त होता है ।

स्नेह-अपने से छोटों के प्रति श्स्नेहश् होता है । जैसे पुत्र से स्नेह ।

प्रणय-सख्य भाव वाला अनुराग, जैसे राधा और श्याम का प्रणय ।

(67)  प्रमाद-जानबूझ कर किसी काम की परवाह नहीं करना ।

प्रम-अनजान में कोई भूल कर बैठना ।

(68)  परामर्श-आपस में समझबूझ कर सलाह करना ।

मंत्रणा-किसी गूढ़ विषय पर गुप्त रूप से की गयी सलाह ।

(69)  परिश्रम-मानसिक और शारीरिक किसी भी प्रकार का श्रम परिश्रम है ।

अभ्यास-इससे केवल मानसिक शक्ति अथवा श्रम का बोध होता है ।

(70)  पारंगत-किसी विषय का पूर्ण पंडित ।

बहुदर्शी-जो विषय को सभी दृष्टियों से समझने की योग्यता रखता है।

(71)  प्रणाम-अपने से बड़ों को श्प्रणामश् किया जाता है।

नमस्कार-अपनी समान अवस्था वाले को नमस्कार अथवा नमस्ते किया जाता है ।

(72)  प्रलाप-महान् कष्ट अथवा मानसिक विकार के कारण प्रलाप होता है ।

विलाप-शोक अथवा वियोग में रोना-धोना ।

(73)  परिमल-फूलों से निकलने वाली सुगन्ध जो कुछ ही दूर तक पहुँचती है।

सौरभ-वनस्पतियों और पेड़ों की फूल-पत्तियों से निकलने वाली वह सुगन्ध जो हवा के साथ फैलती है।

(74)  पारितोषिक-पारितोषिक उस समय दिया जाता है जब कोई किसी प्रतियोगिता में विजयी हो।

पुरस्कार-किसी व्यक्ति की अच्छी सेवा से प्रसन्न होकर पुरस्कार दिया जाता है।

(75)  प्रशस्ति-बढ़ाचढ़ाकर किसी व्यक्ति का वर्णन करना ।

स्तबन-किसी महान व्यक्ति के यश का विस्तारपूर्वक वर्णन ।

स्तुति-देवी-देवता का गुणानुवाद ।

(76)  प्रतिमान-किसी बनाई जानेवाली वस्तु का वह आदर्श जिसकी सहायता से दूसरी वस्तु बनाई जाती है ।

मापदंड-किसी वस्तु का माप जानने का साधन ।

(77)  पर्यटन- पर्यटन किसी विशेष उद्देश्य से होता है।

अमण-(ज्वनत) भ्रमण सैर-सपाटा के लिए होता है।

(78)  पत्नी-किसी की विवाहिता स्त्री ।

स्त्री-कोई भी नारी।

(79)  प्रतिकूल-अनुकूल का विपर्यय ।

प्रतिलोम- अनुलोम का विपर्यय । इसमें विपरीत भाव होता है।

(80)  पुत्र-अपना बेटा ।

बालक-कोई भी लड़का ।

(81)  पुष्प-इसके साथ गन्ध आवश्यक तत्व है।

कुसुम-इसके साथ गन्ध आवश्यक तत्व नहीं है ।

(82)  बड़ा-यह आकार का बोधक होता है ।

बहुत-(डनबी) यह परिमाण का बोधक होता है ।

(83)  बुद्धि-इससे कर्तव्य का निश्चय होता है।

ज्ञान-इन्द्रियों द्वारा प्राप्त हर अनुभव ।

(84)  बहुमूल्य- बहुत ही मूल्यवान वस्तु, पर जिसका मूल्य आँका जा सके।

अमूल्य-जिसका मूल्य आँका न जा सके।

(85)  प्रान्ति- उलझन में पड़ना ।

संशय-जहाँ वास्तविकता का कुछ भी निश्चय न हो।

सन्देह-जहाँ वास्तविकता आदि के संबंध में अनिश्चित भावना हो ।

(86)  मित्र-वह पराया आदमी जिसके साथ आत्मीयता हो ।

बन्धु-आत्मीय मित्र, सम्बन्धी ।

(87)  मन्त्री-राज्य में मंत्रिमंडल का सदस्य सचिव- सभा-समिति अथवा किसी सचिवालय में किसी विभाग का प्रधान ।

(88)  महाशय-सामान्य लोगों के लिए प्रयुक्त होता है।

महोदय-अपने से बड़ों को श्महोदयश् कहा जाता है ।

(89)  मन-यहाँ संकल्प- विकल्प होता है ।

चित्त-यहाँ बातों का स्मरण-विस्मरण होता है ।

(90)  यंत्रणा-दुख का अनुभव (मानसिक) ।

यातना-चोट से उत्पन्न कष्टों की अनुभूति (शारीरिक) ।

(91)  विश्वास-सामने हुई बात पर भरोसा करना ।

श्रद्धा-वह पूज्यभाव जो महान व्यक्तियों के प्रति होता है जिनसे प्रेरणा ग्रहण की जाय ।

भक्ति-देवता अथवा पूज्य व्यक्ति के प्रति अनन्य निष्ठा ।

(92)  विलयन-जो असामान्य स्थिति में होते हुए हमें चकित करे ।

विचित्र-जो सामान्य से भिन्न आचरण करे ।

(93)  वार्ता-किसी विषय से संबंधित कथन जो सामान्य ज्ञान प्रदान करे ।

वार्तालाप-किसी विषय पर दो या दो से अधिक लोगों की बातचीत।

(94)  विषाद-अधिक दुखी होने के कारण किंकर्तव्यविमूढ़ होना ।

व्यथा-किसी आघात के कारण मानसिक अथवा शारीरिक कष्ट ।

(95)  विहीन-अच्छी बातों का अभाव । पौरुष विहीन आदमी ।

रहित-बुरी बातों का अभाव । वह दोषरहित है।

(96) विरोध-किसी विषय पर दो व्यक्तियों का मतभेद ।

वैमनस-मन में रहने वाली शत्रुता का भाव ।

(97)  सेवा-गुरुजनों की टहल ।

शुश्रूषा-दीन-दुखियों की सेवा ।

(98)  सामान्य-जो बात दो या दो से अधिक व्यक्तियों या वस्तुओं में समान रूप से पायी जाय, वह सामान्य है।

साधारण-जो वस्तु अथवा व्यक्ति एक ही आधार पर आश्रित हो ।

(99)  स्वतंत्रता-स्वतंत्रता का प्रयोग व्यक्तियों के लिए होता है।

स्वाधीनता-यह राष्ट्र के लिए प्रयुक्त होता है।

(100)  समीर-शीतल और धीरे-धीरे बहने वाली वायु को ‘समीर‘ कहते हैं।

पवन-कभी मन्द और कभी तेज चलने वाली वायु ‘पवन‘ है।

(101)  सखा-जो आपस में एकमन किन्तु दो शरीर हो ।

सुहृद- अच्छा हदय रखने वाला।

(102)  साहस-भय पर विजय पाना (मानसिक) ।

वीरता-साहस के बाद वीरता की स्थिति होती है । (मानसिक भाव का प्रकट रूप)।

(103)  स्नेह-छोटों के प्रति प्रेमभाव रखना ।

सहानुभूति-दूसरे के दुःख को अपना समझना ।

(104)  सम्राट-राजाओं का राजा ।

राजा-एक साधारण भूपति ।

(105)  समिति-आकार में गोष्ठी से छोटी, किन्तु स्थायी होती है जिसमें कुछ चुने हुए लोग कार्यवश भाग लेते हैं ।

सभा-आकार में बड़ी, किन्तु अस्थायी एवं सार्वजनिक होती है ।

गोष्ठी-आकार में छोटी किन्तु अस्थायी होती है जिसमें कुछ विशिष्ट व्यक्ति भाग लेते हैं।

Sbistudy

Recent Posts

सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke rachnakar kaun hai in hindi , सती रासो के लेखक कौन है

सती रासो के लेखक कौन है सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke…

20 hours ago

मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी रचना है , marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the

marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी…

20 hours ago

राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए sources of rajasthan history in hindi

sources of rajasthan history in hindi राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए…

2 days ago

गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है ? gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi

gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है…

2 days ago

Weston Standard Cell in hindi वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन

वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन Weston Standard Cell in…

3 months ago

polity notes pdf in hindi for upsc prelims and mains exam , SSC , RAS political science hindi medium handwritten

get all types and chapters polity notes pdf in hindi for upsc , SSC ,…

3 months ago
All Rights ReservedView Non-AMP Version
X

Headline

You can control the ways in which we improve and personalize your experience. Please choose whether you wish to allow the following:

Privacy Settings
JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now