JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

हिंदी माध्यम नोट्स

Categories: indianworld

क्रोड किसे कहते हैं , पृथ्वी की संरचना में क्रोड़ की परिभाषा क्या है earth inner core in hindi definition

earth inner core in hindi definition क्रोड किसे कहते हैं , पृथ्वी की संरचना में क्रोड़ की परिभाषा क्या है ?

पृथ्वी की आंतरिक संरचना
पृथ्वी की त्रिज्या 6370 किमी और औसत घनत्व 5.5 ग्राम / सेमी है। यह अलग-अलग कई परतों से बनी है जिनकी जानकारी गहरी ड्रीलिंग और भूकंपीय तरंगों के द्वारा प्राप्त होती है।


भूपटल (Crust)
ऽ यह पृथ्वी की सबसे ऊपरी परत है जिसकी औसत गहराई 33 किमी है।
ऽ महाद्वीपीय भागों में इसकी मोटाई लगभग 40 किमी जबकि महासागरीय क्रस्ट की मोटाई 5-10 किमी है।
ऽ क्रस्ट के ऊपरी भाग का निर्माण अवसादी चट्टानों से हुआ है।
ऽ महाद्वीपीय क्रस्ट का निर्माण ग्रेनाइट चट्टानों से जबकि महासागरीय क्रस्ट का निर्माण बेसाल्ट से हुआ है।
ऽ ऊपरी क्रस्ट में मुख्यतः सिलिका एवं अल्युमिनियम की प्रचुरता है तथा औसत घनत्व 2.7 है। यह भाग सिअल (Silica + Aluminium) कहलाता है।
ऽ निचले क्रस्ट में सिलिका एवं मैग्नीशियम की प्रधानता है। यह बेसाल्ट चट्टानों से युक्त है।
ऽ इसे ‘सीमा‘ (Silica + Magnesium) परत भी कहा जाता है। इसका औसत घनत्व 3 ग्राम/सेमी3 है।
ऽ सिअल सीमा से हल्की परत है। इस प्रकार सिअल सीमा के ऊपर तैर रही है।
ऽ इसे लिथोस्फेयर भी कहते हैं और इसके दो भाग-बाहरी क्रस्ट व आंतरिक क्रस्ट हैं।
मेंटल (Mantle)
ऽ इसकी गहराई लगभग 2900 किमी है।
ऽ पृथ्वी के सम्पूर्ण आयतन का 83% तथा सम्पूर्ण द्रव्यमान के 63% का प्रतिनिधित्व मेंटल करता है।
ऽ मेंटल को भी दो भागों में बांटा जाता है-ऊपरी मेंटल को एस्थेनोस्फीयर (Asthenosphese) कहते हैं जिसका विस्तार 400 किमी तक है जो मैग्मा का मुख्य स्रोत है। इसका घनत्व क्रस्ट से अधिक (3.4 ग्राम/सेमी3) है।
ऽ क्रस्ट एवं ऊपरी मेंटल के सम्मिलित भाग को लिथोस्फीयर (Lithosphere) कहते हैं । यह मुख्यतः 10-200 किमी तक विस्तृत है।
ऽ 100 किमी के नीचे एवं 200 किमी की गहराई तक पदार्थ पिघली हुई अवस्था में हैं जहां भूकंपीय तरंगों के वेग में कमी आती है। यह प्रदेश ‘निम्न गति का मंडल‘ कहलाता है।
ऽ मेंटल का निर्माण अधिकांशतः सिलिकेट खनिजों से हुआ है जिसमें लोहे एवं मैग्नीशियम की प्रधानता होती है।
क्रोड (Core)
ऽ मेंटल के नीचे पृथ्वी के आन्तरिक भाग को क्रोड कहते हैं।
ऽ यह मुख्यतः निकेल एवं लोहा से निर्मित है, इसलिए यह निफे (Ni + Fe) कहलाता है।
ऽ क्रोड दो भागों में बांटा गया है- आन्तरिक क्रोड एवं बाहरी क्रोड।
ऽ बाहरी क्रोड का विस्तार 2900 किमी से 5150 किमी तक है। यह द्रव अवस्था में है।
ऽ 5150 किमी से पृथ्वी के केन्द्र तक के भाग को आंतरिक क्रोड कहते हैं। यह अत्यधिक दवाब के कारण ठोस अवस्था में है।
ऽ क्रोड का घनत्व एवं तापमान क्रमशः 13 ग्राम/सेमी3 तथा 5500° से. है।
ऽ पृथ्वी में गहराई के साथ तापमान में वृद्धि होती है । अनुप्रयोगों द्वारा यह सिद्ध हो चुका है कि प्रत्येक 32 मीटर की गहराई पर तापमान में 1° से. की वृद्धि होती है।
ऽ तापमान में वृद्धि के कारण क्रोड में अवस्थित सभी पदार्थों को पिघली अवस्था में होना चाहिए था, लेकिन गहराई के साथ दाब में इतनी वृद्धि हो जाती है कि पदार्थों का गलनांक (Melting Point) अति उच्च हो जाता है । अतः क्रोड का पदार्थ ठोस अवस्था में है। बाहरी क्रोड में जहां अपेक्षाकृत कम दाब है, पदार्थ द्रवित अवस्था में हैं।

पृथ्वी के क्रस्ट में मौजूद प्रमुख तत्व
तत्व भार )
ऑक्सीजन 46.6
सिलिकॉन 27.72
अल्युमिनियम 8.13
लोहा 5.00
कैल्शियम 3.63
सोडियम 2.83
मैग्नीशियम 2.09
अन्य 1.41
सम्पूर्ण पृथ्वी पर मौजूद प्रमुख तत्व
तत्व भार (ः)
ऑक्सीजन 30
सिलिकॉन 15
अल्युमिनियम 1.1
लोहा 35
कैल्शियम 1.1
मैग्नीशियम 13
निकेल 2.4
सल्फर 1.9

चट्टान एवं खनिज

ऽ चट्टान की रचना खनिज पदार्थों से मिलकर होती है। पृथ्वी की बाहरी ठोस परत लिथोस्फीयर, चट्टान से निर्मित है। चट्टान कठोर तथा मुलायम एवं विभिन्न रंगों की हो सकती है। उदाहरणार्थ-ग्रेनाइट कठोर चट्टान है जबकि चीका और रेत मुलायम चट्टान । गैब्रो काला होता है जबकि क्वार्टजाइट दूधिया सफेद भी हो सकता है। सामान्यतः चट्टानें तीन प्रकार की होती हैंः आग्नेय, अवसादी एवं कायान्तरित।
ऽ चट्टानों का वैज्ञानिक अध्ययन पेट्रोलॉजी (Petrology) कहलाता है जो भूगर्भशास्त्र की एक शाखा है।
ऽ चट्टानों का निर्माण जिन पदार्थों से होता है वे खनिज कहलाते हैं। चट्टानों में पाए जाने वाले सर्वाधिक सामान्य खनिज क्वार्ट्ज और फेल्ड्स्पार हैं।
विभिन्न खनिजों की कठोरता अलग-अलग होती है। कठोरता के अंश (degree) 1 से 10 के आधार पर दस खनिजों का चयन किया गया है:

खनिज कठोरता खनिज कठोरता
टाल्क 1
कैल्साइट 3
एपेटाइट 5
क्वार्ट्स 7
कोरन्डम 9 जिप्सम 2
फ्लुओराइट 4
फेल्ड्स्पार 6
पुखराज 8
हीरा 10
निर्माण की प्रक्रिया के आधार पर चट्टानों को तीन वर्गों में विभक्त किया जा सकता है:
(i) आग्नेय चट्टान (Igneous Rocks)
(ii) अवसादी चट्टान (Sedimentary Rocks)
(iii) रूपांतरित चट्टान (Metamorphic Rocks)
आग्नेय चट्टान
ऽ आग्नेय चट्टान का निर्माण मैग्मा के ठंडा होकर जमने से होता है।
ऽ सर्वप्रथम इसी चट्टान का निर्माण हुआ था, अतः इसे प्राथमिक शैल भी कहते हैं।
ऽ आग्नेय चट्टान में जीवाश्म व परतें नहीं पायी जाती हैं और ये सामान्यतः रवेदार होती हैं।
ऽ आग्नेय चट्टानें सभी चट्टानों की पूर्वज हैं और 85% क्रस्ट इन्हीं का बना है। बेसाल्ट, डोलेराइट, ग्रेनाइट और फेल्ड्स पार इसके उदाहरण हैं।
ऽ ये चट्टानें अपेक्षाकृत कठोर होती हैं और इनमें पानी नहीं रिसता । इनमें महत्त्वपूर्ण खनिज पाए जाते हैं जैसे-निकेल, तांबा, शीशा, जस्ता, क्रोमाइट, मैगनीज, सोना, हीरा और प्लेटिनम।
ऽ आग्नेय चट्टानों के गुम्बदाकार जमाव को बैथोलिथ कहते हैं जो पृथ्वी की सतह के नीचे जमा होती है। ये मुख्यतः ग्रेनाइट से बनी होती है।
उदाहरण: अमेरिका का इडाहो बैथोलिथ
अवसादी चट्टाने
ऽ इन चट्टानों का निर्माण पृथ्वी की सतह पर आग्नेय और रूपांतरित चट्टानों के अपरदन और जमाव से होता है। इन्हें परतदार चट्टान भी कहते हैं।
ऽ सिलिका, कैल्साइट तथा लौह यौगिक आदि इसके संयोजक तत्व हैं।
ऽ भूपृष्ठ का लगभग 75% भाग अवसादी चट्टानों से आवृत है। लेकिन क्रस्ट के निर्माण में इसका योगदान केवल 5% है।
ऽ अवसादी चट्टानें क्लास्टिक और नॉन-क्लास्टिक होती हैं। क्लास्टिक अवसाद मूल चट्टान से टूटे हुए अवसाद हैं जबकि नॉन-क्लास्टिक अवसाद नए जमा हुए खनिज पदार्थ हैं।
ऽ अवसादी चट्टानों को मुख्यतः तीन मुख्य वर्गों में बांटा जा सकता हैं:
(अ) यांत्रिक क्रियाओं द्वारा निर्मित बलुआ पत्थर, कांग्लोमरेट, चीका मिट्टी, लोयस, ग्रेवेल, अलुवियम आदि ।
(ब) जैविक तत्वों द्वारा निर्मित चूना पत्थर, कोयला, प्रवालभिति, पेट्रोलियम आदि।
(स) रासायनिक तत्वों से निर्मित शैलखड़ी, नमक की चट्टान, बोरेक्स, चूनापत्थर, हैलाइट, पोटाश, जिप्सम और नाइट्रेट आदि।
नोट: संसार का अधिकांश पेट्रोलियम अवसादी चट्टानों में पाया जाता है।
रूपान्तरित चट्टानें
ऽ आग्नेय एवं परतदार चट्टानों के रूपांतरण से इसका निर्माण होता है।
ऽ यह रूपान्तरण उच्च ताप, दाब, तनाव आदि क्रियाओं के द्वारा होता है।
ऽ अधिक ताप के कारण इनमें जीवाश्म नष्ट हो जाते हैं, अतः रूपान्तरित चट्टानों में प्रायः जीवाश्मों का अभाव रहता है। ये सबसे कठोर चट्टाने हैं।
प्रमुख रूपान्तरित चट्टानें तथा उनका मौलिक रूप
मौलिक चट्टान रूपान्तरित चट्टान
चूना पत्थर संगमरमर
बलुआ पत्थर क्वार्जाइट
शेल/चीका स्लेट
ग्रेनाइट शैल
गैब्रो सर्पेनटाइन
एम्फीबोलाइट्स ग्रेन्युलाइट्स
बेसाल्टिक सिस्ट
कोयला ग्रेफाइट

Sbistudy

Recent Posts

सारंगपुर का युद्ध कब हुआ था ? सारंगपुर का युद्ध किसके मध्य हुआ

कुम्भा की राजनैतिक उपलकियाँ कुंमा की प्रारंभिक विजयें  - महाराणा कुम्भा ने अपने शासनकाल के…

4 weeks ago

रसिक प्रिया किसकी रचना है ? rasik priya ke lekhak kaun hai ?

अध्याय- मेवाड़ का उत्कर्ष 'रसिक प्रिया' - यह कृति कुम्भा द्वारा रचित है तथा जगदेय…

4 weeks ago

मालकाना का युद्ध malkhana ka yudh kab hua tha in hindi

malkhana ka yudh kab hua tha in hindi मालकाना का युद्ध ? मालकाना के युद्ध…

2 months ago

कान्हड़देव तथा अलाउद्दीन खिलजी के संबंधों पर प्रकाश डालिए

राणा रतन सिंह चित्तौड़ ( 1302 ई. - 1303 ) राजस्थान के इतिहास में गुहिलवंशी…

2 months ago

हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ? hammir dev chauhan history in hindi explained

hammir dev chauhan history in hindi explained हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ?…

2 months ago

तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच हुआ द्वितीय युद्ध Tarain battle in hindi first and second

Tarain battle in hindi first and second तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच…

2 months ago
All Rights ReservedView Non-AMP Version
X

Headline

You can control the ways in which we improve and personalize your experience. Please choose whether you wish to allow the following:

Privacy Settings
JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now