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E-किरण व O-किरण , e ray and o ray in hindi , कैलसाइट क्रिस्टल का अपवर्तनांक , कनाडा बालसम
कैलसाइट क्रिस्टल का अपवर्तनांक , कनाडा बालसम refractive index , E-किरण व O-किरण , e ray and o ray in hindi :-
निकोल प्रिज्म : यह एक प्रकाशीय उपकरण होता होता है जिसकी सहायता से समतल से समतल ध्रुवित प्रकाश प्राप्त किया जाता है | यह द्विअपवर्तन के सिद्धांत पर कार्य करता है। जब अध्रुवित प्रकाश को कैलसाइट के क्रिस्टल पर आपतित किया जाता है तो अपवर्तित प्रकाश O-किरण व E-किरण में विभक्त हो जाता है। साधारण किरण को पूर्ण आंतरिक परावर्तन द्वारा पृथक कर दिया जाता है और निर्गत पर केवल E-किरण प्राप्त होती है जो कि समतल द्विध्रुवित होती है।
बनावट :
चित्र में दर्शाए अनुसार एक ऐसे कैलसाइड क्रिस्टल को लिया जाता है जिसकी लम्बाई चौड़ाई की तुलना में तीन गुना हो तथा इनके मुख्य काट कोण 109 डिग्री से 112 डिग्री तथा 71 डिग्री से 68 कर दिए जाते है। जब कैलसाइड क्रिस्टल पर अध्रुवित प्रकाश आपतित कराया जाता है तब यह अपवर्तित प्रकाश किरण को दो भागों में विभक्त कर देता है जिसमे से एक प्रकाश किरण अपवर्तन के सभी नियमों का पालन करती है।
अत: उसे साधारण प्रकाश किरण (O-किरण) कहते है जबकि दूसरी प्रकाश किरण अपवर्तन के नियमों का पालन नहीं करती है इसलिए इसे असाधारण प्रकाश किरण (E-किरण) कहते है।
क्रियाविधि
जब निकोल प्रिज्म के कैलसाइड के क्रिस्टल पर अध्रुवित प्रकाश आपतित किया जाता है तो कैलसाइड के क्रिस्टल से अपवर्तन द्वारा यह दो प्रकाश किरणों में विभक्त हो जाता है एवं यह किरणें E-किरण व O-किरण होती है।
O-किरण के लिए कैलसाइड के क्रिस्टल का अपवर्तनांक 1.68 होता है व कनाडा बालसम का अपवर्तनांक 1.55 होता है। O किरण सघन माध्यम से विरल माध्यम में प्रवेश करती है।
एवं साधारण किरण के लिए आपतन कोण का मान क्रांतिक कोण से अधिक होता है जिससे साधारण किरण का पूर्ण आंतरिक परावर्तन होता है एवं यह किरण परावर्तक तल से टकराकर परावर्तित हो जाती है और AD पृष्ठ द्वारा अवशोषित कर ली जाती है। जब असाधारण किरण के लिए कैलसाइड के क्रिस्टल का अपवर्तनांक 1.468 व कनाडा बालसम का अपवर्तनांक 1.55 होता है जिससे यह किरण विरल माध्यम से सघन माध्यम में गमन करती है जिससे E-किरण का कनाडा बालसम की सतह से अपवर्तन हो जाता है और निर्गत पर E-किरण प्राप्त होती है जो कि समतल ध्रुवित होती है। इस प्रकार निकोल प्रिज्म द्वारा समतल ध्रुवित प्रकाश प्राप्त किया जाता है।
4. द्विवर्णता द्वारा समतल ध्रुवित प्रकाश प्राप्त करना
जब टूरमेलिन के क्रिस्टल पर अध्रुवित प्रकाश को आपतित किया जाता है तो अपवर्तन के पश्चात् यह दो प्रकाश किरणों में विभक्त हो जाता है। यह क्रिस्टल किसी एक प्रकाश किरण का अवशोषण कर लेता है जिसे वर्णात्मक अवशोषण कहते है एवं दूसरी प्रकाश किरण को क्रिस्टल से गुजरने देता है इस गुण को द्विवर्णता कहते है एवं क्रिस्टल को द्विवर्णक क्रिस्टल कहा जाता है।
उदाहरण : पोलेराइड
पोलेराइड (polaroid)
यह एक प्रकाशीय उपकरण होता है। इसकी सहायता से समतल ध्रुवित प्रकाश प्राप्त किया जाता है। यह एक सस्ती एवं व्यापारिक युक्ति है जो कि द्विवर्णता के सिद्धांत पर कार्य करता है।
पोलेरोइड बनाने के लिए हरपेथाइट या कुनैन आयोड़ो सल्फेट के क्रिस्टलों को नाइट्रो सेल्युलोज की परत पर इस प्रकार से व्यवस्थित किया जाता है।
कि हरपेथाइट क्रिस्टल के प्रकाशीय अक्ष एक दुसरे के समान्तर हो एवं इस परत को दो कांच की पारदर्शी प्लेटो के मध्य रख दिया जाता है इस प्रकार बनने वाले निकाय को पोलेराइड कहा जाता है।
जब पोले राइड काँच पर अध्रुवित प्रकाश आपतित किया जाता है तो इस अध्रुवित प्रकाश में विद्युत सदिश के कण क्रिस्टल के अक्ष के समान्तर तथा लम्बवत कम्पन्न करते है।
विद्युत सदिश के जो कण क्रिस्टल के अक्ष के समान्तर कम्पन्न करते है वह प्रकाश पोले राइड से निर्मित हो जाता है एवं जो विद्युत सदिश के कण क्रिस्टल के अक्ष के लम्बवत कम्पन्न करते है , वह प्रकाश क्रिस्टल अथवा पोलेराइड द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है इस प्रकार निर्गत पर केवल समतल ध्रुवित प्रकाश प्राप्त होता है।
पोलेरॉइड के उपयोग
- पोलेराइड की सहायता से समतल ध्रुवित प्रकाश प्राप्त किया जाता है एवं इसकी सहायता से प्रकाश का संसूचन किया जाता है।
- त्रिविमीय चित्रों (3D) को देखने में पोलेराइड कांच का उपयोग किया जाता है।
- तीव्रगामी रेलगाड़ी व वायुयान की खिडकियों में पोलेराइड कांच का उपयोग किया जाता है जिससे प्रकाश की तीव्रता को कम किया जा सकता है।
- कार एवं बसों में फ्रंट कांच के रूप में पोलेराइड का उपयोग किया जाता है। रात्री के समय वाहनों की हेड लाइट से आने वाले प्रकाश की तीव्रता को कम किया जाता है।
- पोलेराइड की सहायता से प्रकाश के गुणों एवं क्रिस्टल संरचना का अध्ययन करने में इसका उपयोग किया जाता है।
- पोलेराइड की सहायता से शक्कर के घोल के विलयन की सांद्रता ज्ञात की जाती है इसके लिए ध्रुव मापी को काम में लिया जाता है।
- वाहनों की हैड लाइटो में पोलेराइड का उपयोग किया जाता है।
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