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बौना ग्रह किसे कहते हैं , सौरमंडल में कुल कितने बौने ग्रह है कौन कौनसे है Dwarf Planet in hindi
Dwarf Planet in hindi definition meaning बौना ग्रह किसे कहते हैं , सौरमंडल में कुल कितने बौने ग्रह है कौन कौनसे है ?
ग्रह (Planets)
वर्ष 2006 में अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ (IAU) की संशोधित परिभाषा के अनुसार ग्रह सौर मंडल का वह खगोलीय पिंड है जो:
ऽ सूर्य की कक्षा में हो।
ऽ पर्याप्त द्रव्यमान रखता हो ताकि स्थैतिक साम्य (लगभग गोलाकार) आकार प्राप्त कर ले।
ऽ अपनी कक्षा के गिर्द पड़ोस को खाली कर दिया हो, अर्थात गुरुत्वीय रूप से इतना प्रभावी बन गया हो कि इसके समकक्ष आकार का कोई पिण्ड पड़ोस में मौजूद न हो, सिवाय इसके उपग्रह के।
सूर्य के ग्रह (Planets of the Sun)
सूर्य के आठ ग्रह हैं जो सूर्य के चारों ओर अपनी निर्धारित कक्षा में चक्कर लगाते हैं। ये निम्नलिखित हैंः
1. बुध
2. शुक्र
3. पृथ्वी
4. मंगल
5. बृहस्पति
6. शनि
7. यूरेनस (अरुण)
8. नेचून (वरुण)
बौना ग्रह
बौना ग्रह वह खगोलीय पिंड है, जो: (अ) सूर्य के गिर्द एक कक्षा में होता है (ब) इसके स्वयं के गुरुत्वाकर्षण हेतु पर्याप्त द्रव्यमान है और इसलिए यह एक स्थैतिक साम्य (लगभग गोलाकार आकार) प्राप्त करता है (ब) इसने अपने पड़ोस को खाली नहीं किया है और (क) एक उपग्रह नहीं है। इस परिभाषा के अनुसार वर्तमान में पांच बौना ग्रह हैं:
1. प्लूटो 2. सेरेस 3. इरिस
4. मकेमके 5. होमीया
ऽ आठ ग्रहों में से बुध, शुक्र, पृथ्वी एवं मंगल आंतरिक ग्रह (Inner Planets) कहलाते हैं तथा ये सूर्य एवं क्षुद्र ग्रह की पट्टी के मध्य अवस्थित हैं । ये चार ग्रह ‘पार्थिव ग्रह‘ (Terrestrial planets) भी कहलाते हैं क्योंकि ये पृथ्वी की तरह ही चट्टानों एवं धातुओं से निर्मित हैं तथा इनमें उच्च घनत्व पाया जाता है।
ऽ अन्य चार ग्रहों बृहस्पति, शनि, अरुण और वरुण को बाह्य ग्रह (Outer Planets) कहा जाता है। ये ग्रह ‘जोवियन ग्रह‘ भी कहलाते हैं जोवियन का अर्थ है-बृहस्पति के समान । पार्थिव ग्रह की तुलना में ये काफी बड़े हैं तथा इनका वातावरण घना है जो अधिकांशतः हीलियम तथा हाइड्रोजन से निर्मित हैं।
ऽ अभी हाल तक प्लूटो को एक ग्रह माना जाता था लेकिन अरुण ग्रह की कक्षा का अतिक्रमण एवं अन्य ग्रहों की तुलना में प्लूटो के कक्षा के झुके होने के कारण अगस्त 2006 में अन्तर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ (IAU) ने प्लूटो से ग्रह का दर्जा छीन लिया।
ग्रहों की स्थिति
ऽ सूर्य से दूरी के आधार पर ग्रहों की स्थिति (आरोही क्रम में)ः
बुध-शुक्र-पृथ्वी-मंगल-बृहस्पति-शनि-यूरेनस-नेच्यून
ऽ आकार के अनुसार ग्रहों की घटते क्रम में स्थिति:
बृहस्पति-शनि-यूरेनस-नेप्च्यून-पृथ्वी-शुक्र-मंगल-बुध
ऽ सूर्य का चक्कर लगाने में सबसे कम अवधि शुक्र (225 दिन) को लगती है।
ऽ सूर्य का चक्कर लगाने में सबसे अधिक अवधि प्लूटो (248 वर्ष), और उसके बाद नेप्च्यून (164 वर्ष) को लगती है।
ऽ ग्रहों को अपने अक्ष पर घूर्णन करने में लगने वाला समय
बृहस्पति-9 घंटा 50 मिनट
शनि-10 घंटा 40 मिनट
शुक्र-243 दिन
बुध-59 दिन
पृथ्वी-24 घंटे
ग्रह एवं उनके उपग्रहों की संस्था
ग्रह उपग्रहों की संख्या
शनि 53
बृहस्पति 50
अरुण (यूरेनस) 27
वरुण (नेप्च्यून) 13
मंगल 2
पृथ्वी 1
नोट: बुध एवं शुक्र का कोई उपग्रह नहीं है।
ग्रह एवं उनके अक्षीय झुकाव
ग्रह अपने अक्ष पर झुकाव
पृथ्वी 23.5°
प्लूटो 17°
बुध 7°
शुक्र 3.5°
शनि 2.5°
मंगल 2°
नेप्च्यू 2°
बृहस्पति 1°
यूरेनस 0°
नोट: बुध एवं शुक्र का कोई उपग्रह नहीं है।
विभिन्न ग्रहों का संक्षिप्त विवरण
बुध (Mercury)
ऽ सूर्य के सबसे नजदीक का ग्रह जो सूर्य से 5.7 मिलियन किमी की दूरी पर है।
ऽ सौर परिवार का सबसे छोटा ग्रह जिसका व्यास मात्र 4849.6 किमी है।
ऽ कोई वातावरण नहीं, अतः यहां जीवन की संभावना नहीं है।
ऽ इसका कोई उपग्रह नहीं है।
ऽ सूर्य के चारों ओर परिक्रमा की अवधि 88 दिन है।
शुक्र (Venus)
ऽ सौर मंडल का सबसे चमकीला ग्रह क्योंकि सूर्य से आने वाली किरणों में से अन्य ग्रहों की तुलना में अधिक किरणों को परावर्तित करता है। साथ ही सबसे अधिक तापमान वाला ग्रह 460° सें से 700° सें तक। यहां सल्फ्यूरिक अम्ल के बादल पाए जाते हैं
ऽ यह पृथ्वी के सबसे निकट का ग्रह है जो पृथ्वी से 4.11 करोड़ किमी की दूरी पर स्थित है।
ऽ इस ग्रह का आयतन, भार तथा घनत्व पृथ्वी के समान है। इसलिए इसे ‘पृथ्वी की बहन‘ या ‘जुड़वां ग्रह‘ कहा जाता है। इसे ‘भोर का तारा‘ तथा ‘सायंकाल का तारा‘ भी कहा जाता है।
ऽ शुक्र के वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड अत्यधिक मात्रा में (90-95ः) पाई जाती है। कुछ मात्रा में हाइड्रोजन भी पाई जाती है।
ऽ शुक्र ग्रह का बादल मण्डल नारंगी रंग का है, अतः इसे ‘नारंगी ग्रह‘ भी कहा जाता है।
ऽ यह अन्य ग्रहों की विपरीत दिशा (पूर्व से पश्चिम) में सूर्य की परिक्रमा करता है।
ऽ कोई उपग्रह नहीं।
पृथ्वी (Earth)
ऽ सूर्य से दूरी के आधार पर यह तीसरे स्थान पर है तथा पांचवां सबसे बड़ा ग्रह है। यह सूर्य से 148.8 मिलियन किमी दूर स्थित है।
ऽ पृथ्वी अपने अक्ष पर 24 घंटे में एक चक्कर लगाती है।
ऽ पृथ्वी सूर्य की एक परिक्रमा 365 दिन, 5 घंटे तथा 42 मिनट में पूरी करती है।
ऽ यह ‘नीला ग्रह‘ भी कहलाती है।
ऽ यह एकमात्र ग्रह है जहां अनुकूल वातावरण के कारण जीवन संभव हो सका है।
ऽ इसका व्यास 12,733.2 किमी है।
ऽ इसका केवल एक उपग्रह चन्द्रमा है।
पृथ्वी के संबंध में कुछ महत्त्वपूर्ण तथ्य
ऽ व्यास
विषुवत रेखा पर ब्यास 12,756 किमी
ध्रूवों पर ब्यास 12,714 किमी
ऽ परिधि
विषुवत रेखा पर परिधि 40,077 किमी ध्रूवों पर
परिधि 40,009 किमी
ऽ घनत्व 5.52 ग्रा/से (जल के घनत्व का 5.2 गुणा)
ऽ आयु 4.6 अरब वर्ष
ऽ उच्चतम स्थलीय बिंदु 8848 मी
(माउंट एवरेस्ट)
ऽ निम्नतम स्थलीय बिंदु (मृत सागर) -397 मी
ऽ सर्वाधिक महासागरीय गहराई 11022 मी
(मरियाना खाई)
ऽ तापमान उच्चतमः 58°ब्
अल-अजिजिया, लीबिया
निम्नतमः -89.6°C
अंटार्कटिका पर,
औसत: -49°C
ऽ पलायन वेग 11200 मी/से
चन्द्रमा (Moon)
ऽ व्यास: 3475 किमी
ऽ गुरूत्व बल: पृथ्वी का 1/6
ऽ सूर्य से औसत दूरी: 3.85 लाख किमी
ऽ यह पृथ्वी की परिक्रमा 27 दिन 7.4 घंटे में पूरी करता है।
ऽ चन्द्रमा के सतह से परावर्तन के बाद पृथ्वी की सतह पर प्रकाश की किरण 1.3 सेकंड में पहुंचती हैं।
ऽ कोई वायुमंडल नहीं है।
ऽ इसकी श्वेतिमा (Albedo) कम है और यह केवल 7% प्रकाश को परावर्तित करता है और शेष को अवशोषित कर लेता है। चन्द्रमा के घूर्णन व परिक्रमण की गति लगभग बराबर है। अतः हम हमेशा इसका समान भाग देखते हैं।
ऽ यह सूर्य के गिर्द अंडाकार कक्षा में घूमता है, अतः एक पूर्ण परिक्रमा में यह दो बार सूर्य के नजदीक आता है और दो बार इससे दूर जाता है।
ऽ पृथ्वी से चन्द्रमा की निकटतम स्थिति को पेरेजी (च्मतपहमम) और सबसे दूरस्थ स्थिति को एपोजी (Apogee) कहते हैं जब पृथ्वी सूर्य और चन्द्रमा संरेख होते है, तो इसे साइजी (Syzgie) कहते हैं।
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