JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

हिंदी माध्यम नोट्स

Categories: chemistrychemistry

इलेक्ट्रॉन का द्वैत प्रकृति क्या है dual nature of electron in hindi इलेक्ट्रॉन की द्वैत प्रकृति में कौन कौन से गुण आते हैं

dual nature of electron in hindi इलेक्ट्रॉन का द्वैत प्रकृति क्या है इलेक्ट्रॉन की द्वैत प्रकृति में कौन कौन से गुण आते हैं ?

धातुओं के द्वारा प्रकाश विद्युत प्रभाव का प्रदर्शन यह प्रदर्शित करता है कि प्रकृति कणीय है | इसके विपरीत प्रकाश के कुछ अन्य गुण जैसे ध्रुवण , विवर्तन आदि यह दर्शाते है कि प्रकाश की प्रकृति तरंगीय है |

इन दोनों तथ्यों से निष्कर्ष निकाल कर आइन्स्टाइन ने कहा कि प्रकाश की प्रकृति द्वैत (ड्यूल नेचर ऑफ लाइट) होती है |

कभी यह तरंग की भाँती व्यवहार करता है तो कभी उसका व्यवहार कणों के समान हो जाता है |

डी ब्रोगली ने बोर के परमाणु सम्बन्धी सिद्धान्त , प्लांक के क्वांटम सिद्धान्त तथा आइन्स्टाइन के प्रकाश की द्वैत प्रकृति वाले सिद्धान्त को ध्यान में रखते हुए अपना द्रव्य तरंगों का सिद्धांत प्रस्तुत किया |

डी ब्रोग्ली के सिद्धान्त के अनुसार , जिस प्रकार प्रकाश की प्रकृति द्वैत होती है अर्थात वह एक ही समय में कण और तरंग दोनों की भाँती व्यवहार करता है , उसी प्रकार इलेक्ट्रान के समान द्रव्य के कण भी द्वेत प्रकृति के होते है , इलेक्ट्रान भी प्रकाश की भाँती एक ही समय में कण और तरंग की तरह व्यवहार करते हैं |

इलेक्ट्रानों की तरंगों को ही डी ब्रोग्ली ने द्रव्य तरंगों का नाम दिया | वस्तुतः कणीय और तरंगीय गुण एक दूसरे के पूरक (कॉम्प्लीमेंट्री) होते है | समय के किसी भी बिंदु पर कोई कण कणीय और तरंगीय गुणों को एक साथ नहीं दर्शायेगा | किसी प्रयोग में यदि हम उसके तरंगीय गुणों को प्रेक्षित करेंगे तो उस समय उसके कणीय गुण नहीं दिखेंगे तथा किसी अन्य प्रयोग में जब हम उसके कणीय गुण प्रेक्षित कर रहे होंगे तो उस समय उसके तरंगीय गुण नहीं दिखेंगे |

अत: कहा जा सकता है कि इलेक्ट्रान जैसे सूक्ष्म गतिशील कणों की प्रकृति द्वैत होती है , we कभी कण की भाँती व्यवहार दर्शाते है तो कभी तरंग की भाँती व्यवहार करते है |

निम्नलिखित सारणी में इन दोनों गुणों की तुल्यता को प्रदर्शित किया गया है –

कणीय गुण तरंगीय गुण
संवेग (mv) तरंग दैधर्य (λ)
ऊर्जा (E) आवृत्ति (v)

 

इन दोनों के मध्य के सम्बन्ध को डी ब्रोग्ली समीकरण द्वारा दर्शाया जा सकता है | डी ब्रोग्ली ने कहा कि प्लांक समीकरण (E = hv) के अनुसार किसी तरंग या विकिरण की ऊर्जा और आइन्स्टाइन समीकरण (E = mc2) के अनुसार किसी कण की ऊर्जा एक दूसरे के तुल्य होनी चाहिए अर्थात –

E = hv (प्लांक समीकरण से) . . . .. . . .. . . . .. . .समीकरण-1

E = mc2 (आइन्स्टाइन समीकरण से) . . . .. . . .. . . . .. . .समीकरण-2

समीकरण-1 और समीकरण-2 से –

hv = mc2

अथवा

hv/c = mc  . . . .. . . .. . . . .. . .समीकरण-3

हम जानते है कि , v = c/λ  . . . .. . . .. . . . .. . .समीकरण-4

जहाँ c = प्रकाश का वेग , v = उसकी आवृत्ति और λ = उसका तरंग दैधर्य

समीकरण 4 से v का मान समीकरण 3 में रखने पर ,

λ = h/mc  . . . .. . . .. . . . .. . .समीकरण-5

जहाँ c प्रकाश का वेग है तथा किसी प्रकाश के कण के लिए ‘mc’ का मान वही होता है जो किसी साधारण कण के लिए ‘mv’ का मान होता है | अत: एक साधारण कण के लिए –

λ = h/mv  . . . .. . . .. . . . .. . .समीकरण-6

समीकरण 6 ही डी ब्रोग्ली का समीकरण (the equation of de broglie) या डी ब्रोग्ली का तरंग समीकरण (the wave equation of de broglie) कहलाता है |

इस समीकरण के अनुसार ,

mv = h/ λ

अर्थात

द्रव्यमान x वेग = h / तरंग दैधर्य

या

संवेग = h / तरंग दैधर्य

या

संवेग ∝ 1/ तरंग दैर्ध्य

अत: डी ब्रोग्ली सिद्धान्त को इस प्रकार भी परिभाषित कर सकते है –

“गति करते हुए किसी कण का संवेग उसकी तरंग दैर्ध्य के व्युत्क्रमानुपाती होता है जहाँ प्लांक स्थिरांक h , उसकी अनुपातिकता का स्थिरांक है |”

गति करते हुए कणों अर्थात द्रव्य तरंगों से सम्बद्ध तरंग दैर्ध्य को डी ब्रोगली तरंग दैर्ध्य (de broglie wavelength) कहते है | डी ब्रोग्ली समीकरण उन सभी कणों पर लागू हो सकती है जो इलेक्ट्रान की भाँती बहुत सूक्ष्म कण है |

हालाँकि बड़े कणों की भी कुछ तरंग दैर्ध्य होती है लेकिन उनका मान इतना कम होता है कि उन्हें किसी विधि द्वारा ज्ञात करना संभव नहीं होता है |

Sbistudy

Recent Posts

सारंगपुर का युद्ध कब हुआ था ? सारंगपुर का युद्ध किसके मध्य हुआ

कुम्भा की राजनैतिक उपलकियाँ कुंमा की प्रारंभिक विजयें  - महाराणा कुम्भा ने अपने शासनकाल के…

3 weeks ago

रसिक प्रिया किसकी रचना है ? rasik priya ke lekhak kaun hai ?

अध्याय- मेवाड़ का उत्कर्ष 'रसिक प्रिया' - यह कृति कुम्भा द्वारा रचित है तथा जगदेय…

3 weeks ago

मालकाना का युद्ध malkhana ka yudh kab hua tha in hindi

malkhana ka yudh kab hua tha in hindi मालकाना का युद्ध ? मालकाना के युद्ध…

2 months ago

कान्हड़देव तथा अलाउद्दीन खिलजी के संबंधों पर प्रकाश डालिए

राणा रतन सिंह चित्तौड़ ( 1302 ई. - 1303 ) राजस्थान के इतिहास में गुहिलवंशी…

2 months ago

हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ? hammir dev chauhan history in hindi explained

hammir dev chauhan history in hindi explained हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ?…

2 months ago

तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच हुआ द्वितीय युद्ध Tarain battle in hindi first and second

Tarain battle in hindi first and second तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच…

2 months ago
All Rights ReservedView Non-AMP Version
X

Headline

You can control the ways in which we improve and personalize your experience. Please choose whether you wish to allow the following:

Privacy Settings
JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now