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बोर व व्हीलर का द्रव बूंद मॉडल (drop model of bohr and wheeler theory in hindi) , U-235

(drop model of bohr and wheeler theory in hindi) , U-235 , बोर व व्हीलर का द्रव बूंद मॉडल क्या है ? :-

नाभिकीय भट्टी : नाभिकीय भट्टी नियंत्रित श्रृंखला अभिक्रिया पर आधारित एक ऐसा उपकरण है जिसकी सहायता से शांतिमय कार्य की रचना व विद्युत का उत्पादन किया जाता है।

नाभिकीय भटटी के मुख्य अवयव

1. ईंधन : नाभिकीय भट्टी में ईंधन के रूप में विखंडनीय पदार्थ समृद्ध U-235 , पोलोनियम-239 इत्यादि का उपयोग किया जाता है।
2. मंदक : विखंडनीय पदार्थ से प्राप्त तीव्रगामी न्यूट्रोनो को मंदगामी न्युट्रोनो में परिवर्तित करने के लिए मंदको का उपयोग किया जाता है जैसे D2O (भारी) , द्रवित ग्रेफाईट इत्यादि।
3. नियंत्रक छड़े : नाभिकीय भट्टी में विखण्डन अभिक्रिया को नियन्त्रित करने के लिए केडमियम की छड़ो को नियंत्रक छड़ो के रूप में काम में लिया जाता है। कैडमियम की छड़े न्युट्रोनो का अवशोषण करती है।
4. शीतलक : नाभिकीय भट्टी में उत्पन्न ताप को नियंत्रित करने के लिए अर्थात नाभिकीय भट्टी के चारों ओर उत्पन्न ऊष्मा का अवशोषण करने के लिए शीतलक का उपयोग किया जाता है जैसे – उच्च दाब पर भारी जल (D2O) , सोडियम , कार्बन डाइ ऑक्साइड गैस इत्यादि।
5. परिरक्षण आवरण : नाभिकीय भट्टी के चारों ओर आबादी क्षेत्र में उपस्थित जीव जंतुओं को भट्टी से निकलने वाली घातक विकिरणों से बचाने के लिए नाभिकीय भट्टी के चारो ओर 1.5 मीटर मोटी कंकरीट की दिवार बनायी जाती है जिसे परिरक्षण आवरण कहते है।

क्रियाविधि : जब नाभिकीय भट्टी को चालु करना होता है तो कैडमियम की नियंत्रक छड़ो को बाहर की ओर खिसका दिया जाता है जिसके कारण विखण्डनीय पदार्थ का विखण्डन होना शुरू हो जाता है। जब भट्टी का ताप अत्यधिक होने लगता है तो कैडमियम की नियंत्रक छड़ो को अन्दर की ओर खिसकाकर नाभिकीय भट्टी के ताप को नियंत्रित किया जाता है। जब इस नाभिकीय भट्टी को बंद करते है तो कैडमियम की नियंत्रक छड़ो को पूर्णत: अन्दर खिसका दिया जाता है जिससे नाभिकीय विखण्डन होना बंद हो जाता है।
नाभिकीय भट्टी के उपयोग :
  • विद्युत उत्पादन में।
  • नाभिक से समस्थानिक प्राप्त करने में जो चिकित्सा क्षेत्र व कृषि क्षेत्र में उपयोग में आते है।
  • तीव्रगामी के न्यूट्रॉन प्राप्त करने में।

बोर व व्हीलर का द्रव बूंद मॉडल (drop model of bohr and wheeler)

जब किसी U-235 की मंदगामी न्युट्रोन से टक्कर करवाते है तो U-235 की स्थितिज ऊर्जा आंतरिक उत्तेजन ऊर्जा में परिवर्तित हो जाती है जिसके कारण U-235 का नाभिक आंतरिक उत्तेजन ऊर्जा में 6.5 Mev (मेगा इलेक्ट्रॉन वोल्ट) के कारण कम्पन्न करने लगता है।
कम्पन्न करता हुआ नाभिक अपनी आकृति में परिवर्तन करता है।
आकृति में परिवर्तन होने के कारण नाभिकीय बल के स्थान पर न्युक्लीयोनो पर विद्युत बल प्रभावी हो जाता है। जिससे कम्पन्न करता हुआ नाभिक डम्बलाकार आकृति ग्रहण कर लेता है। विद्युत बल अधिक प्रभावी होने के कारण डम्बलाकार आकृति का नाभिक दो छोटे-छोटे अलग अलग नाभिको में विखण्डित हो जाता है अर्थात जिस प्रकार एक द्रव की बून्द दो अलग अलग आकार की बूंदों में विखंडीत होती है , ठीक उसी प्रकार कम्पन्न करता नाभिक विखण्डित होता है इसलिए इसे बोर व व्हीलर का द्रव बूंद मॉडल कहते है।
  • U-235 के लिए क्रांतिक उत्तेजन ऊर्जा का मान 5.3 मेगा इलेक्ट्रोन वोल्ट होता है।
  • क्रांतिक उत्तेजन ऊर्जा वह न्यूनतम ऊर्जा होती है जो किसी नाभिक के विखण्डन के लिए आवश्यक होती है।
  • जब किसी नाभिक के लिए आंतरिक उत्तेजन ऊर्जा का मान क्रांतिक उत्तेजन ऊर्जा से कम हो तो उस नाभिक का विखण्डन नहीं होता है। केवल वह नाभिक गामा विकिरण का उत्तेजन कर मूल अवस्था में वापस लौट आता है।

a) U-235
b) आंतरिक उत्तेजन ऊर्जा के कारण कम्पन्न करता हुआ नाभिक (नाभिकीय बल)
c) कम्पन्न करते हुए नाभिक की आकृति में परिवर्तित
d) विद्युत बल के कारण कम्पन्न करते हुए नाभिक की डम्बलाकार आकृति
e) नाभिकीय विखण्डन
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