हिंदी माध्यम नोट्स
अपवाह वेग तथा गतिशीलता क्या है , सूत्र , derivation drift velocity and mobility in hindi अनुगमन वेग
अपवाह वेग की परिभाषा : धात्विक चालकों में विद्युत आवेश का प्रवाह में देख चुके है की आवेश धातुओं में किस प्रकार गति करता है।
अब बात करते है की अपवाह वेग क्या है तथा गतिशीलता किसे कहते है इनके लिए सूत्र की भी स्थापना करते है।
जब धात्विक चालक में बाह्य विद्युत क्षेत्र लगाया जाता है तो सभी स्वतंत्र इलेक्ट्रॉन जो पहले यादृच्छ गति कर रहे थे वे अब वैद्युत क्षेत्र की विपरीत दिशा में गति करने लगते है इसे अपवाह कहते है तथा जिस चाल से इलेक्ट्रॉन गति करते है उस चाल को अपवाह चाल (drift velocity) कहते है। हम इस चाल को Vd से व्यक्त करते है।
अपवाह वेग की गति विद्युत क्षेत्र की दिशा के विपरीत होती है।
चित्र में देखकर आप आसानी से समझ सकते है प्रथम चित्र में दिखाया गया है की जब x तथा y के मध्य कोई विद्युत क्षेत्र नहीं लगाया गया है इस स्थिति में इलेक्ट्रॉन स्वतंत्र रूप से गति कर रहे है लेकिन चित्र 2 में देखे की जब x तथा y के मध्य E लगा दिया जाता है तो इलेक्ट्रॉन एक निश्चित दिशा अर्थात विद्युत क्षेत्र की विपरीत दिशा में गति करने लगते है।
माना वैद्युत क्षेत्र लगाने के बाद इलेक्ट्रोनो पर एक बल कार्य करता है जिसका मान F = -eE होगा जहाँ e इलेक्ट्रॉन पर आवेश , F = बल , चूँकि यह विपरीत दिशा में है अतः ऋणात्मक है , E विद्युत क्षेत्र
यदि इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान m है तो इलेक्ट्रॉन का त्वरण
a = बल / द्रव्यमान
a = eE /m
चूँकि गति में इलेक्ट्रॉन आपस में टकराते रहते है यहाँ त्वरण टक्करों में लगे समय को कम कर देता है अर्थात इलेक्ट्रॉन को अधिक गतिशील कर देता है।
माना पहले इलेक्ट्रॉन का वेग U था जब विद्युत बल लगाया गया तथा इलेक्ट्रॉन त्वरित गति से गति करने लगा उस दशा में इसका वेग V हो गया तो गति के नियम समीकरण से
V = U + at
a (त्वरण) का मान रखने पर
Vd = U – eEt /m
चूँकि बिना = विद्युत क्षेत्र इलेक्ट्रॉन यादृच्छ गति करते है जिसका औसत मान शून्य होता है अतः हम इनके प्रारम्भ वेग को शून्य कह सकते है U = 0 , यहाँ t दो क्रमागत टक्करों के बिच मुक्त समय जिसे माध्य मुक्त समय कहते है तथा इसे τ से व्यक्त करते है अतः मान रखने पर
Vd = – eE τ /m
अपवाह वेग Vd = eE τ /m
गतिशीलता (mobility)
मुक्त इलेक्ट्रॉनों की अनियमित गति (how does the random motion of free electrons in a conductor) : किसी विलगित धात्वीय चालक में मुक्त इलेक्ट्रॉनों की गति वैसी ही होती है जैसी कि किसी बर्तन में भरे गैस अणुओं की होती है। इसलिए धातु में मुक्त इलेक्ट्रॉनों के समूह को “इलेक्ट्रॉन गैस” भी कहते है। गैस अणुओं की भाँती मुक्त इलेक्ट्रॉनों की गति भी अनियमित होती है।
ये धातु के स्थिर आयनों के खाली स्थान में अनियमित गति करते हुए उनसे टकराते रहते है जिससे उनका वेग निरंतर बदलता रहता है। यह गति केवल उष्मीय ऊर्जा के कारण होती है। कमरे के ताप पर इनका वेग लगभग 105 ms-1 की कोटि का होता है , लेकिन यह वेग सभी दिशाओं में अनियमित रूप से वितरित रहता है ; किसी विशेष दिशा में कोई नेट गति नहीं होती है। इस गति को निम्नलिखित चित्र में दिखाया गया है। यदि धातु में n इलेक्ट्रॉन हो और उनके अलग अलग वेग क्रमशः u1 , u2 , u3 . . .. . . un हो तो इलेक्ट्रॉनों का औसत वेग –
V = u1 + u2 + . . . .. . + un/n = 0
महत्वपूर्ण स्मरणीय तथ्य
अर्थात धातु के मुक्त इलेक्ट्रॉनों की अनियमित गति का औसत वेग शून्य रहता है। इसलिए बिना विभवान्तर लगाये चालक में कोई धारा नहीं बहती है।
अनुगमन वेग (drift velocity)
जब किसी चालक के सिरों के मध्य विभवान्तर लगाया जाता है तो चालक के अन्दर एक विद्युत क्षेत्र (धन सिरे से ऋण सिरे की ओर) E उत्पन्न हो जाता है तथा प्रत्येक मुक्त इलेक्ट्रॉन पर एक वैद्युत बल (F = E.e) लगने लगता है। इस बल के प्रभाव में इलेक्ट्रॉन त्वरित (a = F/m) होता है तथा वह चालक के धनात्मक सिरे की ओर गति करने लगता है।
गति के दौरान वह अन्य इलेक्ट्रॉनों और चालक के धन आयनों से टकराता हुए वेग में परिवर्तन करता हुआ चलता है। इलेक्ट्रॉन की इस गति को अनुगमन गति कहते है तथा दो उत्तरोत्तर टक्करों के मध्य इलेक्ट्रॉन के औसत वेग को अनुगमन वेग कहते है। इसे Vd से व्यक्त करते है।
अर्थात आरोपित विद्युत क्षेत्र के कारण इलेक्ट्रॉनों द्वारा प्राप्त अधिकतम वेग जिससे इलेक्ट्रॉन अन्य आयनों से टकराते है उसे अनुगमन वेग कहते है। टकराने में लगे समय को श्रांतिकाल कहते है।
किसी आयन से टकराने के ठीक पहले इलेक्ट्रॉनों का वेग अधिकतम और टकराने के ठीक बाद क्षण भर के लिए वेग शून्य हो जाता है। पुनः इलेक्ट्रॉन विद्युत क्षेत्र में त्वरित होता है तथा आयनों से टकराने वाली पूर्व स्थिति को दोहराता है।
इस प्रकार बैट्री का विभवान्तर इलेक्ट्रॉनों को त्वरित गति प्रदान नहीं कर पाता है बल्कि यह उन्हें चालक की लम्बाई के अनुदिश एक छोटा नियत वेग ही दे पाता है जो कि इलेक्ट्रॉनों की अनियमित गति के ऊपर आरोपित रहता है। इलेक्ट्रॉनों के इस नियत वेग को ही अनुगमन वेग कहते है।
अनुगमन वेग की कोटि मान 10-4 ms-1 होता है।
अनुगमन वेग के कम होने का कारण : विद्युत क्षेत्र आरोपित करने पर मुक्त इलेक्ट्रॉनों की अनियमित गति के साथ उसका अनुगमन भी दिखाया गया है।
चित्र से स्पष्ट है कि विद्युत क्षेत्र की अनुपस्थिति में इलेक्ट्रॉन कुछ टक्करों के पश्चात् प्रारंभ स्थिति से अंतिम स्थिति (X) तक अनियमित गति करता हुआ पहुँचता है जबकि वैद्युत क्षेत्र आरोपित करने पर इलेक्ट्रॉन की अंतिम स्थिति के बजाय किसी अन्य स्थिति (X’) हो जाती है। इस प्रकार विद्युत क्षेत्र द्वारा नेट विस्थापन XX’ हो जाता है जिसका मान काफी कम होता है। इसलिए अनुगमन वेग भी कम होता है।
श्रांतिकाल (relaxation time) : मुक्त इलेक्ट्रॉन की धातु के परमाणुओं से हुई दो क्रमागत टक्करों के मध्य लगे औसत समय को श्रान्तिकाल कहते है। इसे 𝜏 से व्यक्त करते है। यदि दो उत्तरोत्तर टक्करों के मध्य औसत दूरी अर्थात माध्य मुक्त पथ λ हो और उसकी औसत चाल या वर्ग माध्य मूल चाल Vr हो तो –
𝜏 = माध्य मुक्त पथ/अनियमित गति में वर्ग माध्य मूल चाल
या
𝜏 = λ/Vr
λ का मान 10-9 m और 𝜏 का मान 10-14 सेकण्ड की कोटि का होता है।
Recent Posts
मालकाना का युद्ध malkhana ka yudh kab hua tha in hindi
malkhana ka yudh kab hua tha in hindi मालकाना का युद्ध ? मालकाना के युद्ध…
कान्हड़देव तथा अलाउद्दीन खिलजी के संबंधों पर प्रकाश डालिए
राणा रतन सिंह चित्तौड़ ( 1302 ई. - 1303 ) राजस्थान के इतिहास में गुहिलवंशी…
हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ? hammir dev chauhan history in hindi explained
hammir dev chauhan history in hindi explained हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ?…
तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच हुआ द्वितीय युद्ध Tarain battle in hindi first and second
Tarain battle in hindi first and second तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच…
चौहानों की उत्पत्ति कैसे हुई थी ? chahamana dynasty ki utpatti kahan se hui in hindi
chahamana dynasty ki utpatti kahan se hui in hindi चौहानों की उत्पत्ति कैसे हुई थी…
भारत पर पहला तुर्क आक्रमण किसने किया कब हुआ first turk invaders who attacked india in hindi
first turk invaders who attacked india in hindi भारत पर पहला तुर्क आक्रमण किसने किया…