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श्रम विभाजन की परिभाषा क्या है ? श्रम विभाजन किसे कहते है अवधारणा बताइए Division of labour in hindi
Division of labour in hindi श्रम विभाजन की परिभाषा क्या है ? श्रम विभाजन किसे कहते है अवधारणा बताइए ?
श्रम विभाजन से तात्पर्य
श्रम विभाजन का अर्थ है किसी काम को कई भागों अथवा छोटी प्रक्रियाओं में विभाजित करना। ये छोटी प्रक्रियाएं अलग-अलग व्यक्तियों या समूहों द्वारा संपादित की जाती हैं और इस प्रकार काम करने की गति बढ़ जाती है। आइए यह बात हम एक उदाहरण से समझें । एक कमीज बनाने के लिए यदि आप पूरा काम अपने आप करें तो बहुत समय लगेगा। यदि कुछ दोस्त भी इस काम में मददगार बन जाएं तो काम बहुत जल्दी निपट जाएगा। एक व्यक्ति कपड़े की कटाई करे, दूसरा मशीन से सिलाई कर दे, तीसरा हाथ की सिलाई का काम कर दे तो उसमें समय और ताकत दोनों की काफी बचत हो जाएगी। जितने समय में एक व्यक्ति अकेले एक कमीज तैयार करे उतने समय में मित्रों के साथ मिलकर कई कमीजें तैयार हो सकती है। इस तरह श्रम का बंटवारा कर समय बचा तथा उत्पादकता भी बढ़ी।
श्रम विभाजन में विशेषता पनपती है अर्थात प्रत्येक व्यक्ति अपने काम का विशेषज्ञ है, जिससे लागत में बचत होने के साथ-साथ उत्पादकता में वृद्धि होती है।
श्रम विभाजन और आर्थिक प्रगति
स्काटलैंड के अर्थशास्त्री एडम स्थिम ने अपनी पुस्तक वैल्थ ऑफ नेशन्स (1776) में श्रम विभाजन की अवधारणा का व्यवस्थाबद्ध विश्लेषण किया। स्मिथ का विचार था कि श्रम विभाजन आर्थिक प्रगति का मुख्य स्रोत है। यही आर्थिक विकास का वाहन है। कोष्ठक 20.1 में आपको एडम स्मिथ के संबंध में और अधिक पढ़ने को मिलेगा।
कोष्ठक 20.1ः एडम स्मिथ
आधुनिक अर्थशास्त्र के संस्थापकों में एडम स्मिथ का नाम गिना जाता है। एडिनबरा (स्काटलैंड) के पास स्थित किल्डिी नामक छोटे से शहर में 1723 में उसका जन्म हुआ। किर्काल्डी में उसकी प्रारम्भिक शिक्षा हुई और 1740 में उसने एडिनबरा विश्वविद्यालय से एम ए डिग्री प्राप्त की। इसके पश्चात् वह आक्सफोर्ड गया। 1751 में उसे ग्लास्गो विश्वविद्यालय में नैतिक दर्शन का प्राध्यापक नियुक्त किया गया। इसी पद पर वह 1763 तक रहा और इस दौरान उसने अपनी पहली कृति द थ्योरी ऑफ मॉरल सेंटिमैंटस भी लिखी।
यूरोप में दो साल रहने के पश्चात् उसने अपनी महान कृति द वैल्थ ऑफ नेशन्स लिखनी शुरू की। यूरोप में वह अनेक दार्शनिकों से मिला, खास तौर पर फ्रांसीसी दार्शनिक वॉल्टैर, जिनसे वह अत्यंत प्रभावित हुआ। द वैल्थ आफै नेशन्स मार्च 1776 में प्रकाशित हुई। इस कृति में उसने आर्थिक विकास के इतिहास, कारण और सीमाओं का अध्ययन करने का प्रयास किया। स्मिथ के अनुसार आर्थिक विकास का मूल स्त्रोत इस तथ्य में है कि मनुष्य द्वारा अपनी आर्थिक स्थिति सुधारने के निंरतर प्रयास होते हैं। स्मिथ के अनुसार आर्थिक विकास की गति बढ़ाने वाली प्रक्रिया श्रम विभाजन है। अपने व्यापक अध्ययन और तीक्ष्ण प्रेक्षण द्वारा इकट्ठा किये गये अनेक आकड़ों का उसने प्रयोग किया जो कि आज भी अर्थशास्त्रियों के लिए उपयोगी है।
द वेल्थ ऑफ नेशन्स को सामाजिक विज्ञान की सबसे महत्वपूर्ण कृतियों में गिना जाता है क्योंकि यह प्रतिस्पर्धात्मक और व्यक्तिवादी औद्योगिक पूँजीवादी व्यवस्था का व्यवस्थित अध्ययन करने के पहले प्रयासों में से एक है। इस कृति में समकालीन समाज और सरकार का मूल्यांकन और कड़ी आलोचना भी शामिल हैं। स्मिथ को आर्थिक मामलों में सरकारी हस्तक्षेप से सख्त विरोध था। वह मानता था कि मनुष्यों को अपने आर्थिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए पूरी स्वतंत्रता देनी चाहिये, जिससे न सिर्फ व्यक्तिगत लाभ बल्कि सामाजिक उद्धार भी होगा। इस कृति के प्रकाशन के पश्चात् स्मिथ एडिनबरा में बस गया। 17 जुलाई 1790 को उसका देहांत हुआ। अर्थशास्त्रीय विचार के इतिहास में एक महत्वपूर्ण हस्ती के रूप में उसे याद किया जाता है।
अभी तक हमने श्रम विभाजन के अर्थ की आर्थिक संदर्भ में व्याख्या की है। इसका सामाजिक पक्ष भी है। एमिल दर्खाइम ने अपनी पुस्तक द डिवीजन ऑफ लेबर इन सोसाइटी में इसी सामाजिक पहलू का विवेचन किया। अगले भाग में इस पुस्तक के प्रमुख मुद्दों की चर्चा की जाएगी। परंतु पहले बोध प्रश्न 1 को तो पूरा कर लें।
बोध प्रश्न 1
प) निम्नलिखित वाक्यों में खाली स्थान भरिए। क) औद्योगिक क्रांति के दौरान वस्तुओं के ………………… उत्पादन के स्थान पर कारखानों में ………………….. उत्पादन होने लगा।
ख) औद्योगीकरण के कारण ………………… अधिक महत्वपूर्ण होता जा रहा था।
ग) ……………….. ने कहा कि श्रम विभाजन आर्थिक विकास का मुख्य स्त्रोत है।
पप) निम्नलिखित वाक्यों के सामने गलत या सही लिखिए।
क) श्रम विभाजन से समय की बरबादी होती है। गलत/सही
ख) दर्खाइम श्रम विभाजन के आर्थिक पहलू का अध्ययन करना चाहता था। गलत/सही
ग) श्रम विभाजन से विशेषज्ञता को बढ़ावा मिलता है। गलत/सही
बोध प्रश्न 1 उत्तर
प) क) लघु, व्यापक
ख) श्रम विभाजन
ग) एडम स्मिथ
पप) क) गलत
ख) गलत
ग) सही
श्रम विभाजन पर दर्खाइम के विचार
इकाई 18 में हमने पढ़ा कि समाजशास्त्री के रूप में दर्खाइम का मुख्य विषय सामाजिक व्यवस्था तथा एकीकरण रहा। समाज को एक सूत्र में पिरोए रखने वाली शक्ति कौन-सी है? किन बातों के कारण यह एक पूर्ण इकाई बना रहता है? पहले हमने यह देखा है कि दर्खाइम के पूर्ववर्ती विद्वानों जैसे आगॅस्ट कॉम्ट और हर्बर्ट स्पेंसर के विषय पर क्या विचार थे।
ऑगस्ट कॉम्ट की मान्यता है कि सामाजिक तथा नैतिक सर्वसम्मति ही समाज को एक बनाए रखने के लिए जिम्मेदार है। विचारों, मूल्यों, नियमों आदि की समानता मनुष्यों और समाज को एक सूत्र में पिरोए रखती है।
हर्बर्ट स्पेंसर का विचार इससे भिन्न है। उसके अनुसार व्यक्तियों के निजी स्वार्थों के कारण समाज एकजुट बना रहता है। एकताबद्ध रहने से व्यक्तिगत स्वार्थों की पूर्ति होती है और इस प्रकार सामाजिक जीवन संभव हो जाता है।
किन्तु दर्खाइम के विचार इन दोनों दृष्टिकोणों से मेल नहीं खाते। कॉम्ट के कथनानुसार यदि नैतिक सर्वसम्मति के कारण ही समाज बना रहता है तो आधुनिक औद्योगिक समाज का टिके रहना असंभव है। आधुनिक समाज में विषमता गतिशीलता और कार्यों तथा मूल्यों में विविधता विद्यमान है। ऐसे समाज में व्यक्तिवाद को महत्व दिया जाता है। दर्खाइम ने स्पेंसर के इस कथन का भी खंडन किया कि स्वार्थ के कारण समाज एकजुट रहता है। यदि व्यक्तिगत स्वार्थ ही सब कुछ होता तो उसके कारण पैदा होने वाली अंधी होड़ तथा कटुता के कारण समाज का आधार ही टूट जाता। प्रत्येक व्यक्ति दूसरे की हानि की परवाह किए बिना अपने ही फायदे के लिए संघर्ष करता रहता। इस प्रकार टकराव तथा तनाव से सामाजिक विखंडन हो जाता।
प्रश्न यह है कि क्या व्यक्तिवाद, सामाजिक एकीकरण तथा सामंजस्य का शत्रु है? क्या औद्योगीकरण से सामाजिक एकता छिन्न-भिन्न हो जाएगी? दर्खाइम के विचार इससे कुछ भिन्न हैं।
उसके अनुसार औद्योगिक क्रांति से पहले और बाद के समाजों में सामाजिक एकता के आधार तथा मूलभूत अलग-अलग रहे हैं। वह यह दिखाता है कि किस प्रकार विषमता, भिन्नता तथा जटिलता के ग्रस्त समाज में विशेषज्ञता अथवा श्रम विभाजन से एकता का संचार होता है। जैसा कि आपने खंड 3 में पढ़ा, ये वे समाज हैं जो सावयवी एकात्मता पर आधारित हैं। अगले उप-भागों में हमने यह जानने की कोशिश की है कि दर्खाइम ने निम्नलिखित संदर्भ में श्रम विभाजन का विवेचन किस प्रकार किया।
प) श्रम विभाजन के कार्य
पप) श्रम विभाजन के कारण
पपप) श्रम विभाजन की सामान्य रूपों से भिन्नता अर्थात् असामान्य रूप
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