हिंदी माध्यम नोट्स
Class 6
Hindi social science science maths English
Class 7
Hindi social science science maths English
Class 8
Hindi social science science maths English
Class 9
Hindi social science science Maths English
Class 10
Hindi Social science science Maths English
Class 11
Hindi sociology physics physical education maths english economics geography History
chemistry business studies biology accountancy political science
Class 12
Hindi physics physical education maths english economics
chemistry business studies biology accountancy Political science History sociology
English medium Notes
Class 6
Hindi social science science maths English
Class 7
Hindi social science science maths English
Class 8
Hindi social science science maths English
Class 9
Hindi social science science Maths English
Class 10
Hindi Social science science Maths English
Class 11
Hindi physics physical education maths entrepreneurship english economics
chemistry business studies biology accountancy
Class 12
Hindi physics physical education maths entrepreneurship english economics
chemistry business studies biology accountancy
विचलित व्यवहार किसे कहते है | समाजशास्त्र में विचलित व्यवहार की परिभाषा क्या है अर्थ या मतलब
distracted behaviour in hindi in sociolgy or social scince ? विचलित व्यवहार किसे कहते है | समाजशास्त्र में विचलित व्यवहार की परिभाषा क्या है अर्थ या मतलब ?
शब्दावली
विचलित व्यवहार : समाजशास्त्री इस अवधारणा के अत्यंत गंभीर अपराधों और नैतिक संहिताओं के उल्लंघन को सम्मिलित करते हैं। जब कभी लोगों द्वारा स्वीकृत ‘‘सामान्य व्यवहार‘‘ का उल्लंघन किसी के व्यवहार द्वारा होता है तो उसे विचलित व्यवहार की संज्ञा दी जाती है।
सामाजिक रूपांतरण: यह एक विस्तृत अवधारणा है जिसमें एक ओर उद्विकास, प्रगति, परिवर्तन तथा दूसरी ओर विकास आधनिकीकरण और क्रांति का अर्थ सम्मिलित है। इसका शाब्दिक अर्थ सामाजिक जीवन के स्वरूप, आकृति तथा चरित्र में परिवर्तन से है।
आधुनिकीकरण: एक परंपरागत कृषक, ग्रामीण, प्रथा-आधारित विशिष्टतावादी संरचना से नगरीय, औद्योगिक, प्रौद्योगिकी तथा सार्वभौमिकीय संरचना में होने वाले विकास की प्रक्रिया को आधुनिकीकरण कहा जाता है।
क्रांति: हिंसात्मक या अहिंसात्म्क अप्रत्याशित सामाजिक परिवर्तन जो परिस्थिति को मोड़ दे या उसमें आमूल परिवर्तन लाये उसे क्रांति कहते हैं।
सामाजिक समस्याएँ: सामाजिक व्यवहार के प्रतिरूप जो स्वीकृत सामाजिक प्रतिमानों का उल्लंघन या शिकायतों के प्रति प्रतिरोध हैं, सामाजिक समस्याएँ कही जाती हैं।
रूपांतरण और सामाजिक समस्याएँ
रूपांतरण की प्रक्रिया में समाज परंपरागत संरचना से आधुनिक समाज संरचना की ओर अग्रसर होता है। विद्वानों ने भी उल्लेख किया है कि सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के तीव्र प्रसार, औद्यागिक विकास और भौतिक संचार नेटवर्क इत्यादि के फलस्वरूप मानव समाज ज्यादा से ज्यादा सार्वभौमिक हो रहे हैं। इसके मध्य ‘‘संक्रमण‘‘ की अवस्था होती है जिसमें अनेकों समस्याएँ पाई जाती हैं।
परंपरागत और आधुनिक समाज
कृषि, ग्राम, लघुस्तरीय अविकसित प्रौद्योगिकी, प्रथाएँ और सरल सामाजिक संरचना, परंपरागत समाजों की प्रमुख विशेषताएँ हैं। कहा जाता है कि परंपरागत समाजों में समाजिक संबंधों में और समस्याओं में तालमेल होता है। संस्थाओं, स्वीकृत प्रतिमानों तथा व्यवहार के प्रतिरूपों के मध्य अनुरूपता पाई जाती है। सामाजिक नियंत्रण की क्रियाविधि प्रथाओं, जनशक्तियों और लोकाचारों द्वारा कार्य करती है। परंपरागत समाजों में प्रत्याशाएँ और उपलब्धियाँ घनिष्ठ सहसंबंध की ओर उन्मुख होती हैं।
आधुनिक समाज की मुख्य विशेषताएँ उद्योग, नगर, भारी प्रौद्योगिकी, विधि का शासन, लोकतंत्र और जटिल सामाजिक संरचनाएँ हैं। परंपरागत समाज से आधुनिक समाज की ओर रूपांतरण के फलस्वरूप नए सामाजिक संबंधों और नई सामाजिक भूमिका की शुरुआत, नए लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए निर्धारित नए लक्ष्यों के पूर्ववती व्यवहार को अप्रभावी बना देती है। इसकी तनावों और कुंठाओं में परिणति होती है। परिवर्तनों का सामना करने के लिए व्यवहार के नए प्रतिरूप उत्पन्न होते हैं। पुरानी स्थापित व्यवस्था परिवर्तित होती है तथा वहाँ भ्रॉति होती है। बहुत से सांस्कृतिक मदों में परिवर्तन (उदाहरण के लिए – प्रौद्योगिकी की स्वीकृति) का आशय जीवन में वैज्ञानिक अभिवृत्ति, कार्य के स्थान पर समय पालन, सामाजिक संगठनों के नवीन स्वरूपों जैसे – ट्रेड यूनियन की स्वीकृति से है जो परंपरागत मूल्यों से भिन्न हैं। रूपांतरण की अवस्था में लोगों को नई परिस्थितियों से सामंजस्य करने में समय लगता है। जिसमें पुरानी परिस्थितियों को पूरी तरह छोड़ा नहीं जाता और नवीन परिस्थितियों को पूर्ण रूप से स्वीकार नहीं जाता।
रूपांतरण के पूर्व और पश्चात्
जब कभी भी क्रमिक अथवा क्रांतिकारी रूपांतरण होता है तब समाज में कुछ निश्चित समस्याएँ उत्पन्न होती हैं। समझने के उद्देश्य से हम समाज के दो सोपानों – रूपांतरण के पूर्व और रूपांतरण के पश्चात् पर ध्यान देंगे। पूर्व-रूपांतरण की अवस्था में लोग अपनी जीवन शैली, सामाजिक संबंधों, प्रतिमानों, मूल्यों, उत्पादक व्यवस्था और उपभोग के तरीकों को विकसित कर लेते हैं। रूपांतरण के जरिए लोगों से यह आशा की जाती है कि वे नवीन आवश्यकताओं से स्वतः समायोजित होंगे। संक्रमणकालीन स्थिति में लोग पुरानी आदतों को बदलने में कठिनाई का अनुभव करते हैं।
इस बात की व्याख्या भारतीय समाज के उदाहरण से की जा सकती है। भारत ने अपनी स्वतंत्रता संघर्षों के रास्ते से – कभी क्रांतिकारी तरीकों द्वारा (उदाहरण को लिए सन् 1857 व 1942 का विद्रोह), तथा व्यापक रूप से उपनिवेशवाद के विरुद्ध शांतिपूर्ण किंतु दृढ़ प्रतिरोध द्वारा प्राप्त की। भारत एक प्राचीन सभ्यता होने के नाते कुछ परंपरागत संस्थाओं जैसे – जाति, संयुक्त परिवार और अस्पृश्यता से भी युक्त है। भारतीय समाज, परंपरागत सामाजिक संरचना से, आधुनिक सामाजिक संरचना की ओर बढ़ रहा है। वर्षों परानी परंपरागत संस्थाओं से अलग हटकर अब कुछ नयी संरचनाएँ संवैधानिक प्रावधानों जैसे आधुनिक राज्य संसदीय लोकतंत्र और समाज के नियोजित विकास हेतु बनाये संगठनों पर आधारित है। स्वतंत्रता के पश्चात संवैधानिक प्रावधानों द्वारा भारत में समाजिक रूपांतरण और नियोजित विकास, अस्पृश्यता उन्मूलन और न्यायोचित तथा समानता पर आधारित समाज की रचना हेतु सम्मिलित प्रयास किए जा रहे है। इन प्रयत्नों के होते हुए आज भी भारत के कई भागों में अस्पृश्यता किसी न किसी रूप में व्यवहारत है।
श्रृंखलाबद्धता के उदाहरण
सामाजिक रूपांतरण से कुछ समस्याएँ सीधे जुड़ी हैं। आधुनिक समाज में त्वरित आर्थिक विकास और औद्योगिकीकरण की प्रक्रियाएँ अपना स्थान लेने को बाध्य हैं। ये आधुनिकीकरण की सूचक हैं। लेकिन राज्य ही ये क्षेत्रीय असंतुलन, प्रदूषण, पारिस्थितिकी अपकर्ष, गंदी बस्तियों से जुड़ी-हिंसा, अपराध और दुराचार से संबंधित समस्याएँ भी उत्पन्न करती हैं।
माना जाता है कि लोकतंत्र सभी नागरिकों को समान अवसर प्रदान करता है। यह वैधानिक और राजनीतिक समानता में विश्वास करता है। यह भी माना जाता है कि इससे मानव की गरिमा में वृद्धि हुई है। लेकिन दुर्भाग्यवश चुनाव ने जो कि लोकतंत्र का आवश्यक अंग है, भारत में क्षेत्रवाद, साम्प्रदायिकता और जातिवाद को बढ़ावा दिया है। सम्पन्नता और अवकाश आधुनिक समाज के सूचक हैं। साथ ही ये अत्याधिक औद्योगिक समाजों एवं भारतीय समाज के धनाढ्य वर्ग में एकाकीपन, मद्यपान तथा मादक-द्रव्य व्यसन की समस्याएँ कर रहे हैं।
अभ्यास
एक कारखाने से प्रदूषण कैसे प्रभावित होता है? इस पर अपनी जानकारी के आधार पर दो पृष्ठों की टिप्पणी लिखिए।
सारांश
इस इकाई का प्रारंभ रूपांतरण की अवधारणा तथा इसके दो प्रारूपों – आधुनिकीकरण और क्रांति से हुआ। इस इकाई में सामाजिक रूपांतरण और समस्याओं के मध्य संबंध, अवधारणाएँ, परिभाषाएँ, विशेषताएँ और सामाजिक समस्याओं के प्रकारों की भी विवेचना की गई है। सामाजिक समस्याओं, संस्थाओं और आंदोलनों के मध्य की श्रृंखलाबद्धता का भी इस इकाई में विवेचन किया गया है। और अंत में रूपांतरण और समस्याओं से संबंधित नीति संबंधी निहित आशयों पर भी, इस इकाई में प्रकाश डाला गया है।
बोध प्रश्न 2
पद्ध किसी समाज के लिए कोई विशेष परिस्थिति कब और कैसे हानिकारक मानी जाती है तथा यह कैसे सामाजिक समस्या का रूप ग्रहण करती है? दस पंक्तियों में लिखिए।
पप) ‘‘सामाजिक समस्या‘‘ की परिभाषा, आठ पंक्तियों में दीजिए।
पपप) सामाजिक समस्या पर दो पुस्तकों के नाम का उनके लेख/संपादक के नाम सहित उल्लेख कीजिए।
क) ………………………………………………………………………………………………………………………………………..
ख) ………………………………………………………………………………………………………………………………………..
पअद्ध सामाजिक समस्याओं की विषेशताएॅ गिनाइए:
क) ………………………………………………………………………………………………………………………………………..
ख) ………………………………………………………………………………………………………………………………………..
ग) ………………………………………………………………………………………………………………………………………..
घ) ………………………………………………………………………………………………………………………………………..
बोध प्रश्नों के उत्तर
बोध प्रश्न 2
प) सामाजिक समस्याएँ वे व्यापक दशाएँ हैं जिनका समाज के लिए हानिकारक परिणाम होता है। हानिकारक होने का प्रतिबोधन समाज के प्रतिमानों और मूल्यों पर निर्भर करता है। सामाजिक रूपांतरण से कुछ समस्याएँ सीधे जुड़ी होती हैं। तीव्र औद्योगीकरण, क्षेत्रीय असंतुलन, प्रदूषण और गंदी बस्तियों की समस्याएँ उत्पन्न करता है। निम्नलिखित दशाओं में एक स्थिति हानिकारक मानी जाती है और सामाजिक समस्या हो जाती है:
क) सामाजिक आदर्शों और वास्तविकताओं के मध्य अंतर
ख) एक सार्थक संख्या द्वारा मान्यता
पप) सामाजिक समस्याएँ समाज के एक बड़े भाग द्वारा व्यवहार का ऐसा प्रतिरूप मानी जाती हैं जिनसे स्वीकृत सामाजिक प्रतिमानों का उल्लंघन होता है। ये स्वीकृत सामाजिक आदर्शों से विचलन को इंगित करती हैं। इसीलिए वे दुष्प्रकार्यात्मक हैं। दूसरी परिभाषा, सामाजिक समस्याओं को समूह का वह क्रियाकलाप मानती है जो इन परिस्थितियों को जिन्हें वे शिकायतपूर्ण मानते हैं, के विरुद्ध प्रतिरोध से संबंधित हैं।
पपप) क) राबर्ट के. मर्टन एंड राबर्ट निसबेट: कंटम्पोरेरी सोशल प्राब्लम्स
ख) नीथ, हेनरी: सोशल प्राब्लम्स इंस्टीट्यूशनल एंड इंटर पर्सनल पर्सपेकटिव्स।
पअ) क) एक सामाजिक समस्या बहुत से कारकों से उत्पन्न होती है।
ख) सामाजिक समस्याएँ अंतः संबंधित हैं।
ग) सामाजिक समस्याएँ व्यक्तियों को विभिन्न प्रकार से प्रभावित करती हैं।
घ) सामाजिक समस्याएँ सभी लोगों को प्रभावित करती हैं।
Recent Posts
द्वितीय कोटि के अवकल समीकरण तथा विशिष्ट फलन क्या हैं differential equations of second order and special functions in hindi
अध्याय - द्वितीय कोटि के अवकल समीकरण तथा विशिष्ट फलन (Differential Equations of Second Order…
नियत वेग से गतिशील बिन्दुवत आवेश का विद्युत क्षेत्र ELECTRIC FIELD OF A POINT CHARGE MOVING WITH CONSTANT VELOCITY in hindi
ELECTRIC FIELD OF A POINT CHARGE MOVING WITH CONSTANT VELOCITY in hindi नियत वेग से…
four potential in hindi 4-potential electrodynamics चतुर्विम विभव किसे कहते हैं
चतुर्विम विभव (Four-Potential) हम जानते हैं कि एक निर्देश तंत्र में विद्युत क्षेत्र इसके सापेक्ष…
Relativistic Electrodynamics in hindi आपेक्षिकीय विद्युतगतिकी नोट्स क्या है परिभाषा
आपेक्षिकीय विद्युतगतिकी नोट्स क्या है परिभाषा Relativistic Electrodynamics in hindi ? अध्याय : आपेक्षिकीय विद्युतगतिकी…
pair production in hindi formula definition युग्म उत्पादन किसे कहते हैं परिभाषा सूत्र क्या है लिखिए
युग्म उत्पादन किसे कहते हैं परिभाषा सूत्र क्या है लिखिए pair production in hindi formula…
THRESHOLD REACTION ENERGY in hindi देहली अभिक्रिया ऊर्जा किसे कहते हैं सूत्र क्या है परिभाषा
देहली अभिक्रिया ऊर्जा किसे कहते हैं सूत्र क्या है परिभाषा THRESHOLD REACTION ENERGY in hindi…