हिंदी माध्यम नोट्स
Categories: Physics
दिष्ट धारा , प्रत्यावृति , वर्गाकार , त्रिकोणीय तरंग , ज्यावक्रिय तरंग धारा परिभाषा क्या है
1. दिष्ट धारा (direct current ) : जब किसी धारा का मान तथा दिशा समय के साथ परिवर्तित न हो रही हो तो ऐसी धारा को दिष्ट धारा कहते है।
अत: हम कह सकते है की दिष्ट धारा का मान समय के साथ नियत बना रहता है तथा दिशा भी समान रहती है।
इस प्रकार की धारा प्राप्त करने के लिए ऐसी युक्तियाँ काम में ली जाती है जिनके सिरों पर वोल्टता का मान नियत बना रहता है।
यहाँ चित्र में धारा तथा समय के मध्य ग्राफ दिखाया गया है , हम स्पष्ट रूप से देख सकते है की धारा का मान समय के हर मान के लिए नियत बना हुआ है अर्थात इसका मान समय के साथ परिवर्तित नहीं हो रहा है अत: यह दिष्ट धारा का समय के साथ ग्राफ है।
चूँकि इस धारा का मान समय के साथ नियत बना रहता है इसलिए इसकी आवृति f भी शून्य होती ही।
2. प्रत्यावर्ती धारा (alternating current )
जब किसी धारा का मान समय के साथ परिवर्तित होता रहता है तथा जिसकी दिशा भी एक बदलती रहती है अर्थात आधे चक्र के लिए इसका मान धनात्मक होता है तथा आधे चक्कर के लिए इसका मान ऋणात्मक होता है इस प्रकार की धारा को प्रत्यावृति धारा कहते है।
यहाँ चित्र में समय तथा धारा के मध्य ग्राफ दिखाया गया है इसमें हम देखते है की समय के हर मान के लिए धारा का अलग मान है अर्थात समय के साथ धारा का मान बदल रहा है।
हम यह भी देखते है की आधे चक्कर के बाद धारा का मान ऋणात्मक प्राप्त हो रहा है अर्थात इसकी दिशा भी परिवर्तित हो रही है अत: ग्रफित धारा प्रत्यावृति धारा है।
3. वर्गाकार धारा (square wave current )
ऐसी धारा जिसका समय के सापेक्ष ग्राफ खीचने पर यह वर्गो के रूप में प्राप्त होता है उन्हें वर्गाकार धारा कहते है।
यह धारा शून्य से T/2 समय तक अधिकतम मान दर्शाती है तथा T/2 से T समय पर ऋणात्मक में अधिकतम मान देती है जैसा चित्र में दर्शाया गया है।
0 से T समय में यह अपना एक चक्कर पूरा करती है तथा इसी प्रकार आगे पुनरावृति करती है।
यह धारा शून्य से T/2 समय तक अधिकतम मान दर्शाती है तथा T/2 से T समय पर ऋणात्मक में अधिकतम मान देती है जैसा चित्र में दर्शाया गया है।
0 से T समय में यह अपना एक चक्कर पूरा करती है तथा इसी प्रकार आगे पुनरावृति करती है।
4. त्रिकोणीय तरंग धारा (triangular wave current )
इस प्रकार की धारा को समय के साथ ग्राफ पर बनाने पर ये त्रिकोण के रूप में प्राप्त होती है।
0 से इसका मान रेखिक रूप से बढ़ता है तथा T/4 समय पर अधिकतम हो जाता है।
T/4 समय से यह मान रेखिक रूप से कम होता है तथा T/2 समय पर मान शून्य हो जाता है।
इसी प्रकार T/2 से यह ऋणात्मक दिशा में बढ़ता है तथा 3T/4 समय पर ऋणात्मक दिशा में इसका मान अधिकतम हो जाता है तथा 3T/4 से T समय पर ऋणात्मक में रेखिक रूप से कम होकर शून्य पर आ जाता है। जैसा चित्र में दर्शाया गया है।
5. ज्यावक्रिय तरंग धारा (sinusoidal wave current )
इस प्रकार की धारा में परिवर्तन ज्या या कोज्या फलन के रूप में होता है। भारत में 50 हर्ट्ज़ की धारा काम में ली जाती है तथा अमेरिका में 60 हर्ट्ज़ की आवृति की धारा।
इसको निम्न प्रकार लिखा जाता है
धारा I = Imsin(wt
+ ϴ)
+ ϴ)
वोल्टेज V = Vmsin(wt)
यहाँ
Im तथा Vm क्रमशः धारा तथा वोल्टेज के अधिकतम मान है।
Recent Posts
सारंगपुर का युद्ध कब हुआ था ? सारंगपुर का युद्ध किसके मध्य हुआ
कुम्भा की राजनैतिक उपलकियाँ कुंमा की प्रारंभिक विजयें - महाराणा कुम्भा ने अपने शासनकाल के…
4 weeks ago
रसिक प्रिया किसकी रचना है ? rasik priya ke lekhak kaun hai ?
अध्याय- मेवाड़ का उत्कर्ष 'रसिक प्रिया' - यह कृति कुम्भा द्वारा रचित है तथा जगदेय…
4 weeks ago
मालकाना का युद्ध malkhana ka yudh kab hua tha in hindi
malkhana ka yudh kab hua tha in hindi मालकाना का युद्ध ? मालकाना के युद्ध…
2 months ago
कान्हड़देव तथा अलाउद्दीन खिलजी के संबंधों पर प्रकाश डालिए
राणा रतन सिंह चित्तौड़ ( 1302 ई. - 1303 ) राजस्थान के इतिहास में गुहिलवंशी…
2 months ago
हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ? hammir dev chauhan history in hindi explained
hammir dev chauhan history in hindi explained हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ?…
2 months ago
तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच हुआ द्वितीय युद्ध Tarain battle in hindi first and second
Tarain battle in hindi first and second तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच…
2 months ago