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डाइनाइट्रोजन या नाइट्रोजन , रासायनिक सूत्र , विरचन , भौतिक और रासायनिक गुण , डाइनाइट्रोजन की अभिक्रिया (dinitrogen in hindi)
(dinitrogen in hindi) डाइनाइट्रोजन या नाइट्रोजन , रासायनिक सूत्र , विरचन , भौतिक और रासायनिक गुण , डाइनाइट्रोजन की अभिक्रिया : आपने अक्सर चिप्स के पैकेट में देखा होगा कि इसमें थोड़ी ही मात्रा में चिप्स होती है बाकी इसमें हवा भरी हुई रहती है , दरअसल यह हवा नहीं नाइट्रोजन गैस होती है , लेकिन क्या आप यह जानते है कि डाईनाइट्रोजन को इस पैकेट में क्यों भरा जाता है।
हम यहाँ डाइनाइट्रोजन के बारे में विस्तार से अध्ययन करते है ताकि हम ऐसी कई चीजो के बारे में जान पाएंगे।
सबसे पहली बात तो यह याद रखे कि नाइट्रोजन द्विपरमाण्विक अणु होता है , हमारी पृथ्वी के वातावरण का लगभग 78% भाग डाइनाइट्रोजन का बना होता है अर्थात लगभग 78% भाग में डाइनाइट्रोजन पायी जाती है।
यह वायु में मिलने वाले सभी तत्वों में सबसे अधिक मात्रा में पाया जाने वाला तत्व होता है , स्कॉटिश भौतिक वैज्ञानिक डेनियल रदरफोर्ड ने 1772 में डाइनाइट्रोजन की खोज की थी , डाइनाइट्रोजन या नाइट्रोजन का चिन्ह N होता है और इसका परमाणु क्रमांक 7 होता है।
यह 15 वें वर्ग का प्रथम तत्व होता है और यह तत्व असामान्य व्यवहार करता है , नाइट्रोजन में कुछ गुण निम्न होते है जैसे यह आकार में बहुत छोटा होता है , इसकी विद्युत ऋणता का मान बहुत अधिक होता है , इसमें संयोजकता कोश में d कक्षको की अनुपस्थिति रहती है , इसकी आयनन एन्थैल्पी का मान भी उच्च होता है।
नाइट्रोजन इन गुणों के कारण कुछ विशेष व्यवहार करता है जैसे 15 वें वर्ग में केवल नाइट्रोजन गैस अवस्था में पायी जाती है जबकि अन्य सदस्य या तत्व ठोस अवस्था में पाए जाते है , नाइट्रोजन द्विपरमाण्विक अणु है जबकि अन्य तत्व या सदस्य चतुष्क परमाण्विक अणु होते है।
डाइनाइट्रोजन का रासायनिक प्रतिक निम्न होता है –
डाइनाइट्रोजन बनाने की विधियाँ या विरचन
नाइट्रोजन को बनाने के लिए या प्राप्त करने के लिए वायु का द्रवण या आसवन किया जाता है जिससे हमें नाइट्रोजन प्राप्त हो जाता है , इसके लिए दो पद आते है जो निम्न प्रकार है –
1. सबसे पहले हमें वायु को द्रवित वायु में बदलने के लिए इस पर उच्च दाब आरोपित करना पड़ेगा , हमें वायु को द्रवित गैस में परिवर्तित करने के लिए लगभग 100 से 200 वायुमंडलीय दाब आरोपित करना पड़ता है। दाब आरोपित गैस को अब जेट से होकर गुजारते है जहा इसमें विस्तार हो जाता है , इस प्रकार इस पद को बार बार दोहराने पर हमें वायु , द्रवित वायु के रूप में प्राप्त हो जाती है।
2. याद रखे कि डाइनाइट्रोजन का क्वथनांक का मान , द्रवित ऑक्सीजन से कम होता है इसलिए आसानी से इस द्रवित वायु में से आसवन आदि विधि द्वारा नाइट्रोजन को बाहर निकाला जा सकता है , इस मिश्रण में से हम नाइट्रोजन को विभिन्न विधियों द्वारा प्राप्त कर लेते है , प्रयोगशाला में डाइनाइट्रोजन बनाने के लिए अमोनियम क्लोराइड की क्रिया सोडियम नाइट्राइट के साथ निम्न प्रकार करवाई जाती है जिससे अभिक्रिया के बाद हमें डाइनाइट्रोजन प्राप्त होता है –
NH4Cl(aq) + NaNO2(aq) → N2(g)+ 2H2O(l) + NaCl(aq)
अभिक्रिया के बाद जो उत्पाद प्राप्त होता है उसमें कुछ अशुद्धियाँ होती है जैसे NO और HNO3 आदि , इन अशुद्धियों को अमोनियम डाईक्रोमेट के ऊष्मीय अपघटन के द्वारा दूर किया जा सकता है
(NH4)2Cr2O7 → N2+ 4H2O+ Cr2O3
डाइनाइट्रोजन के भौतिक गुण
यहाँ हम डाइनाइट्रोजन के गुण भौतिक गुणों का अध्ययन करेंगे जो निम्न प्रकार है –
- नाइट्रोजन गैस रंगहीन , गंधहीन और स्वादहिन गैस होती है।
- नाइट्रोजन गैस अविषैली गैस होती है।
- यह गैस पानी में कम घुलनशील गैस होती है।
- यह गैस वायु से कुछ हल्की होती है।
- इस गैस का वाष्प घनत्व 14 होता है।
- यह दो समस्थानिक में पायी जाती है N14
और N15 - इस गैस का क्वथनांक 77 केल्विन होता है और गलनांक 63.2 केल्विन होता है।
डाइनाइट्रोजन के रासायनिक गुण
लगभग 773 केल्विन ताप पर यह गैस हाइड्रोजन के साथ क्रिया करके अमोनिया बनाती है (हैबर प्रक्रिया में)
यह अभिक्रिया निम्न प्रकार संपन्न होती है –
N2(g) + 3H2(g) 773k ↔ 2NH3(g)
जब डाइनाइट्रोजन या नाइट्रोजन का अणु ऑक्सीजन के साथ क्रिया करता है तो यह नाइट्रिक ऑक्साइड बनाती है ,यहाँ तापमान लगभग 2000 केल्विन रखा जाता है , यह अभिक्रिया निम्न प्रकार होती है –
N2(g) + O2(g)↔2NO(g)
डाइनाइट्रोजन के उपयोग
- भोजन आदि को संरक्षित रखने के लिए इन्हें ज़माने में द्रव डाइनाइट्रोजन को प्रशीतक के रूप में काम में लिया जाता है।
- टंग्स्टन धातु की वोल्टता को कम करने के लिए विद्युत बल्बों में डाइनाइट्रोजन गैस को भरा जाता है।
- उच्च ताप का मान नापने के लिए डाइनाइट्रोजन गैस से भरे थर्मामीटर को काम में लिया जाता है।
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