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ठोस , द्रव व गैस अवस्था में अन्तर लिखिए। difference between solid liquid and gas state in hindi
difference between solid liquid and gas state in hindi , ठोस , द्रव व गैस अवस्था में तीन तीन अन्तर लिखिए ?
प्रश्न 28 : ठोस , द्रव व गैस अवस्था में तीन तीन अन्तर लिखिए।
पदार्थो में कणों की स्थिति के आधार पर पदार्थो को ठोस , द्रव और गैस पदार्थ कहा जाता है। ठोस , द्रव व गैस अवस्थाओं में कई अंतर पाए जाते है , उनमें से कुछ अन्तर को हम यहाँ पढेंगे –
द्रव अवस्था | गैस अवस्था | |
1. ठोस का आकार और आयतन निश्चित होता है। | द्रवों का आयतन तो निश्चित होता है लेकिन आकार निश्चित नही होता है अर्थात पात्र के अनुसार ये आकार ग्रहण कर लेते है। | द्रवों का आकार और आयतन दोनों ही निश्चित नहीं होते है। |
2. ठोसों में अणु बहुत पास पास और इनके अणुओं का स्थान स्थिर होता है जिसके कारण इनके आकार को आसानी से परिवर्तित नहीं किया जा सकता है। | द्रव में अणु ठोस की तुलना में दूर दूर रहते है लेकिन गैस की तुलना में पास होते है तथा इसके अणुओं का स्थान स्थिर नहीं रहता है। | गैस के अणु दूर दूर स्थित रहते है और अणुओं का स्थान स्थिर नहीं रहता है। |
3. ठोस के अणुओं की गतिज ऊर्जा न्यूनतम होती है। | द्रव के अणुओं की गतिज ऊर्जा कुछ अधिक होती है अर्थात ठोस के अणुओं की तुलना में अधिक होती है लेकिन गैस की तुलना में कम होती है। | गैस के अणुओं की गतिज ऊर्जा का मान सबसे अधिक होता है। |
4. संपीड्यता कम होती है अर्थात दबाने पर नहीं दबते है या बाह्य दाब का कम प्रभाव पड़ता है। | द्रवों में संपीड्यता ठोसो से अधिक होती है अर्थात बाह्य दाब का प्रभाव ठोसो से अधिक देखने को मिलता है। | संपीड्यता सबसे अधिक पायी जाती है अर्थात इन पर बाह्य दाब का प्रभाव सबसे अधिक पड़ता है। |
5. ठोसो में बहने का गुण नही पाया जाता है। | द्रव , उच्च स्तर से निम्न स्तर की तरफ प्रवाहित हो सकते है अर्थात इनमे बहने का गुण पाया जाता है। | गैस , सभी दिशाओं में बहती है। अर्थात बहने का गुण सबसे अधिक देखने को मिलता है। |
6. इनका घनत्व सबसे अधिक होता है। | इनका घनत्व कुछ कम होता है। | गैसों का घनत्व सबसे कम होता है। |
7. इनको संग्रहित करने के लिए पात्र की आवश्यकता नहीं होती है। | द्रवों को इक्कठा करने के लिए पात्र की आवश्यकता होती है। | इनको संग्रहित करने के लिए बंद पात्र की आवश्यकता होती है। |
8. ठोस के कणों के मध्य अंतर आणविक आकर्षण बल सबसे अधिक पाया जाता है। | द्रवों के कणों के मध्य अंतर आणविक आकर्षण बल ठोसो से कम होता है लेकिन गैसों से अधिक पाया जाता है। | गैसों के कणों के मध्य अंतर आणविक आकर्षण बल सबसे कम पाया जाता है। |
9. इनके आण्विक कण गति नहीं करते है या न के बराबर गति करते है। | द्रवों के कण ब्राउनियन आणविक गति करते है। | गैसों के कण स्वतंत्र , नियत और यदृच्छ गति करते है। |
रसायन विज्ञान
परिचय
विज्ञान की वह शाखा जिसके अंतर्गत पदार्थों के भौतिक रासायनिक गुणों, संघटन, संरचना तथा उसमें होने वाले भौतिक एवं रासायनिक परिवर्तनों का अध्ययन होता है, रसायन विज्ञान कहलाता है। रसायन विज्ञान अर्थात् शब्द की उत्पत्ति मिस देश के प्राचीन नाम कीमिया से हुई है, जिसका अर्थ है – काला रंग। मिस्र के लोग काली मिट्टी को ‘केमि‘ कहते थे।
लेवासिए को रसायन विज्ञान का जनक माना जाता है।
पदार्थ एवं उसकी प्रकृति
पदार्थ या द्रव्य उस वस्तु को कहा जाता है, जिसमें कुछ आयतन तथा द्रव्यमान हो। पदार्थ की तीन भौतिक अवस्थाएँ होती हैं- ठोस, द्रव तथा गैस।
ठोसः
ये पूर्ण रूप से असम्पीड्य, निश्चित आकार तथा आयतन के होते हैं। इनमें प्रबल अन्तरआण्विक आकर्षण होता है, जिसके कारण उनके अणु आपस में बंधे होते हैंय जैसे- लोहे का सामान, लकड़ी, बर्फ इत्यादि।
ठोस दो प्रकार के होते हैं- क्रिस्टलीय और अक्रिस्टलीय। अधिकतर ठोस क्रिस्टलीय होते हैं। कुछ ऐसे ठोस होते हैं, जिनकी कोई आकृति नहीं होतीय जैसे-स्टार्च, ये अक्रिस्टलीय ठोस कहलाते हैं।
क्रिस्टलीय ठोस का एक निश्चित गलानांक होता है, किन्तु अक्रिस्टलीय ठोस का कोई निश्चित गलानांक नहीं होता है।
आण्विक बलों के आधार पर क्रिस्टलीय ठोस के निम्न प्रकार हैं- आयनिक, आण्विक, सहसंयोजक एवं धात्विक।
सोडियम क्लोराइड व अन्य लवण धातु ऑक्साइड, धातु सल्फाइड आदि आयनिक ठोस कहलाते हैं। आयोडीन, गंधक, फास्फोरस आदि आण्विक ठोस कहलाते हैं।
वह ताप जिस पर कोई ठोस, द्रव अवस्था में परिवर्तित हो जाता है, उसे गलनांक कहा जाता है। बर्फ का गलनांक होता है।
द्रवः
द्रव का आकार अनिश्चित तथा आयतन निश्चित होता है। ये जिस पात्र में रखे जाते हैं, उसी का आकार ग्रहण कर लेते हैंय जैसे – पानी, दूध, ग्लिसरीन इत्यादि।
वह ताप जिस पर किसी द्रव का वाष्पदाब वायुमंडलीय दाब के बराबर हो जाता है, उसे उस वस्तु का क्वथनांक कहा जाता है। सामान्य परिस्थितियों में जल का क्वथनांक 100° होता है।
गैसः
गैस का आयतन और आकार दोनों अनिश्चित होता है, जिससे वह उसी पात्र का आयतन और आकार ग्रहण कर लेता है, जिसमें उसे रखा जाता है।
पदार्थ की चैथी अवस्था भी होती है, जिसे प्लाज्मा कहा जाता है। यह द्रव्य या पदार्थ की वह अवस्था होती है, जिसमें गैस के अत्यधिक ऊर्जा वाले अत्यधिक उत्तेजित कण आयनिक अवस्था में होते हैं।
जल, गंधक, फास्फोरस जैसे पदार्थ तीनों अवस्थाओं में मिलते हैं तथा कपूर, नौसादार, आयोडीन ऐसे पदार्थ हैं जो ठोस से सीधे गैसीय अवस्था में परिवर्तित हो जाते हैं।
पदार्थ की पाँचवीं अवस्था बोस-आइंस्टीन कंडनसेट कहलाती है।
तत्वः समान प्रकार के परमाणुओं से बने शुद्ध पदार्थ को तत्व कहते हैंय जैसे- सोना, चाँदी, ताँबा, लोहा आदि। तत्व भी दो प्रकार के होते हैं- धातु एवं अधातु।
(1) धातुः प्रकृति में पारे को छोड़कर लगभग सभी धातुएं ठोस अवस्था में पाई जाती हैं। पारा एक ऐसी धातु है, जो कि द्रव अवस्था में पाई जाती है। धातुओं के सामान्य गुण होते हैं – चालकता, तन्यता, अघातवर्द्धनीयता, सुघट्यता आदि। अम्लों से क्रिया करके यह हाइड्रोजन गैस विस्थापित करती है। विभिन्न धातुओं को परस्पर मिलाने से बनने वाली धातु को मिश्र धातु कहते है।
(2) अधातुः धातुओं के विपरीत गुणों वाले तत्वों को अधातु कहते हैं। ये भंगुर होते हैं। ये ठोस, द्रव व गैस तीनों अवस्थाओं में पाई जाती हैं। सामान्यतः ये विद्युत की कुचालक होती हैं तथा इनका गलनांक धातुओं से कम होता है।
उपधातुः वे तत्व जो धातुओं एवं उपधातुओं के बीच के गुण रखते हैं, उपधातु कहलाते हैं, जैसे- जर्मनियम, आर्सेनिक, एण्टीमनी आदि।
मानव शरीर में विभिन्न तत्वों की औसत मात्रा
तत्व औसत मात्रा
ऑक्सीजन – 65 प्रतिशत
कार्बन – 18 प्रतिशत
हाइड्रोजन – 10 प्रतिशत
नाइट्रोजन – 3 प्रतिशत
कैल्शियम – 2 प्रतिशत
फास्फोरस – 1 प्रतिशत
पोटेशियम – .35 प्रतिशत
सल्फर – .25 प्रतिशत
सोडियम – .15 प्रतिशत
क्लोरीन – .15 प्रतिशत
मैग्नीशियम – .05 प्रतिशत
क्लोरीन – .0.4 प्रतिशत
अन्य – .46 प्रतिशत
तत्वों के विशिष्ट गुण
कठोरताः विभिन्न पदार्थ एक-दूसरे की तुलना में कम या अधिक कठोर होते हैं। कठोरता की माप मोह स्केल द्वारा की जाती है। सर्वाधिक कठोर पदार्थ हीरा है। मोह स्केल पर इसकी कठोरता 10 है।
अघातवर्धनीयताः कुछ ठोस पदार्थ पीटने पर टूटने के स्थान पर पतली चादर के रूप में परिवर्तित हो जाते हैं। ठोसों में पाये जाने वाले इस गुण को अघातवर्धनीयता कहते हैंय जैसे- सोना, चाँदी, ताँबा आदि। सोना सर्वाधिक अघातवर्धनीय धातु है।
तन्यताः कुछ पदार्थों में ऐसे गुण पाये जाते हैं, जिनसे पतले तार बनाये जा सकते हैं। पदार्थ के इस गुण को तन्यता कहते हैं।
प्रत्यास्थताः पदार्थों के वे गुण, जिसके दवारा वे लगाये गये विरुपक बल का विरोध कर पुनः अपनी स्वाभाविक अवस्था को प्राप्त कर लेते हैं, प्रत्यास्थता कहलाता है।
लचीलापनः पदार्थ का वह गुण, जिसके कारण पदार्थ पुनः अपनी स्वाभाविक स्थिति में नहीं आ पाते, लचीलापन कहलाता है।
भंगुरताः कुछ ठोस पदार्थ हथौड़े से पीटने पर छोटे-छोटे टुकड़ों में परिवर्तित हो जाते हैं, पदार्थों के इस गुण को भंगुरता कहा जाता है।
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