हिंदी माध्यम नोट्स
दिगम्बर और श्वेताम्बर में अंतर बताइए | difference between digambar and shwetambar in hindi
difference between digambar and shwetambar in hindi दिगम्बर और श्वेताम्बर में अंतर बताइए ?
जैन धर्म में दो प्रमुख विचारधाराएँ (शाखाएं) या सम्प्रदाय हैंः
जैन धर्म की दो प्रमुख प्राचीन उप-परम्पराएँ या परिपाटियां हैंः
1. दिगम्बर ख्उप-सम्प्रदायों में मूल संघ ;मूल समुदायद्ध और तेरापंथी, तारणपंथी और बीसपंथी सम्मलित हैं ;इन तीनों को आधुनिक समुदाय माना जाता हैद्ध,
2. श्वेताम्बर ;उप-सम्प्रदायों में स्थानकवासी और मूर्तिपूजक सम्मलित हैंद्ध
कई अन्य छोटे उप-परम्पराएँ हैं जो दूसरी सहस्राब्दी में उभरींः
दिगम्बर शाखा (विचारधारा)ः
ऽ दिगम्बर संप्रदाय के भिक्षु वस्त्रा नहीं धारण करते, क्योंकि यह पंथ पूर्ण नग्नता का समर्थन करता है।
ऽ महिला भिक्षु ;भिक्षुणियांद्ध बिना सिली हुई श्वेत साड़ी पहनती हैं और उन्हें अर्यिकाएं कहा जाता है।
ऽ श्वेताम्बरों के विपरीत, दिगम्बर महावीर की शिक्षा के अनुसार सभी पांचों निग्रहों का पालन करते हैं ;अहिंसा, सत्य, अस्तेय, अपरिग्रह और ब्रह्मचर्यद्ध
ऽ भद्रबाहू दिगम्बर पंथ के प्रतिपादक थे और लम्बे आकाल की भविष्यवाणी करने के बाद वह अपने अनुयायियों को लेकर कर्नाटक चले गए थे।
ऽ दिगम्बर मान्यताओं का पहला अभिलेख कुंडाकुंडा की प्राकृत सुत्तापहुदा में मिलता है।
ऽ दिगम्बर जैनियों की मान्यता है कि महिलाएं तीर्थंकर नहीं हो सकतीं और मल्ली एक पुरुष था।
ऽ दिगम्बर पंथ में मठ सम्बन्धी नियम अत्यधिक कठोर हैं।
श्वेताम्बर शाखा (विचारधारा)ः
ऽ श्वेताम्बर पारसनाथ के उपदेशों का पालन करते हैं अर्थात् उनका विश्वास है कि कैवल्य प्राप्त करने के लिए केवल चार निग्रह (ब्रह्मचर्य को छोड़ कर) का ही पालन किया जाना चाहिए।
ऽ श्वेताम्बर, दिगम्बरों की सोच के विपरीत यह मानते हैं कि 23वें और 24वें तीर्थंकर विवाहित थे।
ऽ स्थूलभद्र इस परम्परा के महान प्रतिपादक थे और भण्बाहु के विपरीत मगध में ही रहे और कर्नाटक नहीं गये थे।
ऽ श्वेताम्बर परम्परा के भिक्षु साधारण श्वेत वस्त्रा, एक भिक्षा पात्रा, मार्ग से कीड़ों को हटाने के लिए एक ब्रश, पुस्तकें और लेखन सामग्री अपने पास रख सकते हैं।
ऽ उनका मानना है कि महिलाएं भी तीर्थंकर हो सकती हैं और कहते हैं कि मल्ली ने अपना जीवन एक राजकुमारी की भांति प्रारम्भ किया था।
जैन धर्म
‘जैन’ शब्द की उत्पत्ति जिना से हुई है, जिसका अर्थ है ‘विजेता’। उनका यह मानना है की उनके धर्म में उन लोगों का समावेश हैं, जो अपनी इच्छाओं को नियंत्रित या उस पर विजय पाने में सपफल रहे हैं। जैन धर्म का कोई एक संस्थापक नहीं है, इसके विपरीत ‘सत्य’ एक ऐसे शिक्षक द्वारा कठिन और विभिन्न समयों पर आता है, जो हमारा मार्गदर्शन करते हैं या एक तीर्थंकर होते हैं।
जैन धर्म में महावीर से पहले 23 तीर्थंकर या महान ज्ञानी पुरुष हुए हैं। प्रायः यह एक गलत धारणा है कि महावीर जैन धर्म के संस्थापक थे, बल्कि वह तो अंतिम और 24वें तीर्थंकर थे। उन्होंने आध्यात्मिकता के लक्ष्य को प्राप्त किया और दूसरों को मोक्ष या मुक्ति पाने का सही मार्ग सिक्खाया। वह भगवान के अवतार की भांति थे, जिन्होंने मानव शरीर धारण किया था और आत्मा की शुद्ध स्थिति तक पहुंचने के लिए तपस्या और ध्यान किया था।
बौद्ध धर्म की भांति ही जैन धर्म में भी वेदों की सना को नकारा गया है।
हालाँकि, बौद्ध धर्म के विपरीत, इनका आत्मा एवं आत्मा के अस्निव में विश्वास है। जैन धर्म के दर्शन का मूल आत्मा है। यह आत्मा ही है जो अस्तित्व और ज्ञान का अनुभव करती है, न कि शरीर और मन क्योंकि इन दोनों को पदार्थों का ढेर माना जाता है।
प्रमुख जैन तीर्थस्थलों में माऊंट आबू में दिलवाड़ा मन्दिर (राजस्थान), पलिताना मन्दिर (गुजरात), शिखरजी (झारखंड) और श्रवणबेलगोला (कर्नाटक) सम्मलित हैं।
जैन धर्म के अंतर्गत 24 तीर्थंकर इस प्रकार हैंः
ऋषभनाथ या आदिनाथ, अजित, सम्भव, अभिनन्दन, सुमति, पद्मप्रभा, सुपरश्व, चन्ण्प्रभा, सुविधि, श्रेयांश, वासुपूज्य, विमल, अंनत, धर्म, शांति, कुंथु, अरा, मल्ली, सुव्रत, नामी, नेमी, पार्श्वनाथ और महावीर।
वर्धमान महावीर के सम्बन्ध में मूल बातें
लगभग 540 ईसा पूर्व, राजकुमार वर्धमान का जन्म वैशाली में कुंडलग्राम में राजा सिद्धार्थ और रानी त्रिशला के यहाँ हुआ था, जो जन्त्रिका वंश पर शासन करते थे। 30 वर्ष की आयु में, वे एक तपस्वी का जीवन व्यतीत करने के लिए अपना घर छोड़ कर एक हृदय-स्पर्शी यात्रा पर निकल पड़े। जैन पवित्रा पुस्तकों के अनुसार, वैशाख के दसवें दिन वे पटना के निकट पावा नामक नगर में पहुंच, जहाँ उन्हें जीवन की सत्यता अर्थात कैवल्य या प्रबुद्धता का अनुभव हुआ।
उन्हें ‘महावीर’ या महान नायक की उपाधि प्रदान की गयी। कुछ अन्य उपाधियाँ भी उन्हें दी गई, जैसे जैन या जितेन्द्रिय अर्थात् जिसने अपनी इन्द्रियों पर विजय पा ली है और निर्ग्रन्थ या जिसने स्वयं को सभी बन्धनों से मुक्त कर लिया है।
जैन शिक्षाएं और दर्शन
महावीर ने जैनियों को सही मार्ग या धर्म सिक्खाया और संसार में त्याग, कठोर तपस्या और नैतिकता विकसित करने पर बल दिया। जैन नैतिक रूप से अपने धर्म से बंधे हैं ताकि वे ऐसा जीवन व्यतीत करें, जो अन्य किसी प्राणी को हानि नहीं पहुंचाए।
अनेकतावाद,
जैन धर्म का मौलिक सिद्धांत है जो इस बात पर जोर देता है, कि परम सत्य और वास्तविकता जटिल है और इसके बहुत सारे पहलू है, इसलिए यह निरंकुश है। अर्थात् केवल एक विशिष्ट कथन अस्तित्व की प्रकृति और परम सत्य का वर्णन नहीं कर सकता।
उनका विश्वास है कि त्रि-रत्न मार्ग मंे सही विश्वास, (सम्यकदर्शन), सही ज्ञान (सम्यकज्ञान) और सही आचरण (सम्यकचरित) से कोई भी स्वयं को पुनर्जन्म के चक्र से मुक्त कर सकता है और मुक्ति प्राप्त कर सकता है।
जैनियों को जीवन में पांच निग्रहों का पालन करने की आवश्यकता हैः
ऽ अहिंसा ;हिंसा न करनाद्धय
ऽ सत्य ;सच्चाईद्धय
ऽ अस्तेय ;चोरी न करनाद्धय
ऽ अपरिग्रह ;उपार्जन न करनाद्ध और
ऽ ब्रह्मचर्य ;जीवन में संयमद्ध।
पांचवा निग्रह महावीर द्वारा प्रतिपादित किया गया था।
जैन धर्म के सम्प्रदायों में निम्नलिखित आठ पवित्र प्रतीक हैंः
स्वस्तिक यह सभी मानवों के लिए शांति और कल्याण का प्रतीक है।
नन्दयावर्त्य यह एक बड़ा स्वास्तिक है जिसके नों सिरे हैं।
भद्रासन एक सिंहासन जिसे, जैन के चरणों द्वारा पवित्रा किया गया है।
श्रीवस्त जैन की छाती में प्रकट हुआ एक चिन्ह जो उनकी शुद्धता का प्रतीक है।
दर्पण एक शीशा जिसमे अन्तरात्मा प्रतिबिम्बित होती है।
मीनयुगल मछलियों का एक युगल जो इन्द्रियों पर विजय का प्रतीक है।
वर्धमानक दीपक की भांति उपयोग किये जाने वाली एक छिछली प्लेट, जो धन, और योग्यता में वृद्धि को प्रदर्शित
करती है।
कलश शुद्ध जल से भरा एक बर्तन जो जल का प्रतीक है।
कृपया नोट करेंः हथेली पर पहिये वाले हाथ का प्रतीक जैन धर्म में अहिंसा का प्रतीक है। इसके मध्य में अहिंसा शब्द लिखा हुआ है।
Recent Posts
मालकाना का युद्ध malkhana ka yudh kab hua tha in hindi
malkhana ka yudh kab hua tha in hindi मालकाना का युद्ध ? मालकाना के युद्ध…
कान्हड़देव तथा अलाउद्दीन खिलजी के संबंधों पर प्रकाश डालिए
राणा रतन सिंह चित्तौड़ ( 1302 ई. - 1303 ) राजस्थान के इतिहास में गुहिलवंशी…
हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ? hammir dev chauhan history in hindi explained
hammir dev chauhan history in hindi explained हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ?…
तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच हुआ द्वितीय युद्ध Tarain battle in hindi first and second
Tarain battle in hindi first and second तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच…
चौहानों की उत्पत्ति कैसे हुई थी ? chahamana dynasty ki utpatti kahan se hui in hindi
chahamana dynasty ki utpatti kahan se hui in hindi चौहानों की उत्पत्ति कैसे हुई थी…
भारत पर पहला तुर्क आक्रमण किसने किया कब हुआ first turk invaders who attacked india in hindi
first turk invaders who attacked india in hindi भारत पर पहला तुर्क आक्रमण किसने किया…