प्रतिचुम्बकीय पदार्थ , प्रतिचुम्बकत्व की परिभाषा क्या है , उदाहरण , व्याख्या , गुण Diamagnetic substances in hindi

Diamagnetic substances in hindi प्रतिचुम्बकीय पदार्थ की परिभाषा क्या है , उदाहरण , व्याख्या diamagnetism meaning in hindi प्रतिचुम्बकत्व किसे कहते है ?

परिभाषा:  जब इन पदार्थों को असमान चुम्बकीय क्षेत्र में रखा जाए तो ये पदार्थ अधिक प्रबल चुम्बकीय क्षेत्र से कम चुंबकीय क्षेत्र की ओर गति करते है

दूसरे शब्दों में कहे तो
इन पदार्थों की उपस्थिति से चुम्बकीय क्षेत्र का मान कम हो जाता है
अत: हम इनको निम्न प्रकार परिभाषित कर सकते है ” वे पदार्थ जो अधिक चुम्बकीय क्षेत्र से कम चुंबकीय क्षेत्र की ओर गति करते है तथा जिनकी उपस्थिति से चुंबकीय क्षेत्र का मान कम हो जाता है उन पदार्थों को प्रतिचुम्बकीय पदार्थ कहते है “

उदाहरण : सोना , चांदी , ताम्बा आदि

प्रतिचुम्बकीय पदार्थों की व्याख्या

वे पदार्थ यह गुण दर्शाते है जिनमे इलेक्ट्रान युग्मित अवस्था में पाए जाते है इस इलेक्ट्रॉनों के युग्म में दोनों इलेक्ट्रोनो का चक्रण एक दूसरे के विपरीत दिशा में है जिससे दोनों इलेक्ट्रॉन आपस में एक दूसरे के चुम्बकीय आघूर्ण को नष्ट कर देते है जिससे परिणामी आघूर्ण का मान शून्य होता है।
जब इलेक्ट्रान किसी वृताकार कक्षा में उपस्थित है तथा इसे बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र में इस प्रकार रखा जाए की चुंबकीय क्षेत्र इस वृताकार कक्षा के तल के लम्बवत हो , इस दशा में युग्म के कारण उत्पन्न चुम्बकीय आघूर्ण का मान एक दूसरे को नष्ट नहीं करता है जिससे पदार्थ कुछ चुम्बकित हो जाती है।

प्रति चुंबकीय पदार्थ के गुण

1. जब किसी प्रतिचुंबकीय पदार्थ की छड को चुम्बक के ध्रुवों N-S के मध्य रखा जाता है तो प्रतिचुम्बकीय पदार्थ अपने गुण के कारण स्वत: चुम्बकीय क्षेत्र के लम्बवत स्थापित हो जाता है।

 

2. जब एक प्रति चुम्बकीय पदार्थ के घोल को नली में भरकर इसके एक सिरे को चुम्बकीय क्षेत्र में रखते है तो जिस तल पर चुम्बकीय क्षेत्र आरोपित किया गया है उसका तल गिर जाता है।

3. प्रति चुम्बकीय पदार्थ को असमान चुंबकीय क्षेत्र में रखने पर यह अधिक प्रबल चुम्बकीय क्षेत्र से कम क्षेत्र की ओर गति करने लगता है।
जब प्रतिचुम्बकीय पदार्थ को किसी प्याली में रखकर दो पास पास रखी चुम्बको के मध्य रखते है तो यह कुछ दब जाता है तथा दूर दूर रखी चुम्बको के मध्य रखने पर यह कुछ ऊपर उठ जाता है क्यूंकि चुम्बकीय क्षेत्र का मान दोनों चुम्बको के मध्य अधिक होता है।

4. इनकी चुम्बकित होने की प्रवृति ऋणात्मक होती है।

पदार्थों में चुम्बकत्व का कारण निम्नलिखित होता है –

परमाणु के रुढ़ यांत्रिकी के अनुसार परमाणु में उपस्थित इलेक्ट्रॉन दो प्रकार की गति करते है –

1. कक्षीय गति : प्रत्येक इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर उपस्थित कक्षों में वृत्ताकार गति करते है। अत: उनकी तुलना एक वृत्ताकार तार में बहती हुई विद्युत धारा से की जा सकती है जिसके परिणामस्वरूप उस क्षेत्र में एक चुम्बकीय आघूर्ण उत्पन्न हो जाता है। इस प्रकार से उत्पन्न चुम्बकीय आघूर्ण को हम कक्षीय चुम्बकीय आघूर्ण या कक्षीय आघूर्ण कहते है।

2. चक्रण गति : प्रत्येक इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर गति करने के साथ साथ अपने अक्ष पर भी चक्रण करता है। बिल्कुल उसी भाँती जैसे पृथ्वी सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाने के साथ साथ अपनी धुरी पर भी घुमती रहती है। इलेक्ट्रॉनों के इस प्रकार के चक्रण के फलस्वरूप भी कुछ चुम्बकीय आघूर्ण उत्पन्न होता है जिसे चक्रण चुम्बकीय आघूर्ण या चक्रण आघूर्ण भी कहा जाता है।

इस प्रकार इन दोनों प्रकार के चुम्बकीय आघूर्ण के कारण प्रत्येक परमाणु एक छोटे चुम्बक की भाँती व्यवहार करता है।

जब किसी चुम्बक को दो चुम्बकीय ध्रुवों के मध्य रखा जाता है या यदि किसी चुम्बक को किसी चुम्बकीय क्षेत्र में रखा जाए या किसी चुम्बक पर यदि बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र लगा दिया जाए तो दोनों के चुम्बकीय क्षेत्र परस्पर अंतर्क्रिया करेंगे।

चूँकि पदार्थ के परमाणु छोटे चुम्बक की भांति व्यवहार करते है , अत: यदि किसी पदार्थ पर बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र लगा दिया जाए तो पदार्थ अपने अक्षीय आघूर्ण और चक्रण आघूर्ण के कारण उस चुम्बकीय क्षेत्र के साथ अंतर्क्रिया करेगा।

चुम्बकीय व्यवहार के प्रकार

संक्रमण धातु संकुलों को चुम्बकीय क्षेत्र में रखने पर ये भिन्न भिन्न प्रकार का व्यवहार दर्शाते है। किस प्रकार के यौगिक कैसा व्यवहार दर्शाते है , इसका संक्षिप्त विवरण निम्नलिखित प्रकार है –

1. प्रतिचुम्बकत्व (diamagnetism) : यदि किसी पदार्थ को चुम्बकीय क्षेत्र में रखने पर उस क्षेत्र की तीव्रता निर्वात की तुलना में कम हो जाए तो ऐसा पदार्थ प्रतिचुंबकीय और पदार्थ के इस गुण को प्रतिचुम्बकत्व कहते है। ऐसे पदार्थ से चुम्बकीय चुम्बकीय बल रेखाएँ दूर होने लगती है अत: ऐसा पदार्थ चुम्बकीय क्षेत्र से प्रतिकर्षित होने लगता है , इसी कारण से यदि ऐसे पदार्थ की एक छड को चुम्बकीय क्षेत्र में मुक्त अवस्था में लटकाया जाए तो वह चुम्बकीय क्षेत्र से लम्बवत दिशा में व्यवस्थित होने लगती है।

यदि किसी कक्षक में दो युग्मित इलेक्ट्रॉन हो तो उनका चक्रण विपरीत दिशा में होता है (+1/2 , -1/2) अत: ऐसी स्थिति में एक इलेक्ट्रॉन द्वारा उत्पन्न किया हुआ चुम्बकीय आघूर्ण दूसरे इलेक्ट्रॉन द्वारा उत्पन्न किये गए चुम्बकीय आघूर्ण को उदासीन कर देता है क्योंकि दोनों इलेक्ट्रॉनों द्वारा उत्पन्न किये हुए चुम्बकीय आघूर्ण एकदम समान और विपरीत होते है फलस्वरूप ऐसे यौगिकों का परिणामी चुम्बकीय आघूर्ण का मान शून्य होता है एवं ऐसे पदार्थ प्रतिचुम्बकीय व्यवहार प्रदर्शित करते है।

प्रतिचुम्बकत्व का गुण प्रत्येक पदार्थ में पाया जाता है क्योंकि यह युग्मित इलेक्ट्रॉन का गुण है तथा युग्मित इलेक्ट्रॉन प्रत्येक पदार्थ में होते है लेकिन यह प्रदर्शित केवल उन कार्यों में होता है जिनमे केवल युग्मित इलेक्ट्रॉन हो क्योंकि जिनमे अयुग्मित इलेक्ट्रॉन भी होंगे उनमे अनुचुम्बकत्व भी होगा। अनुचुम्बकत्व और प्रतिचुम्बकत्व दो विपरीत दिशा में कार्य करने वाले गुण है तथा अनुचुम्बकत्व की तुलना में प्रतिचुम्बकत्व सदैव ही बहुत दुर्बल होता है , स्वाभाविक है कि ऐसी दिशा में अनुचुम्बकत्व की उपस्थिति में पदार्थ में प्रतिचुम्बकत्व प्रदर्शित नहीं होगा।

प्रतिचुम्बकत्व का गुण ताप और चुम्बकीय क्षेत्र की शक्ति (H) पर निर्भर नहीं करता है। यह पदार्थ के इकाई आयतन की चुम्बकीय प्रवृत्ति काई (χ = I/H) पर निर्भर करता है , जहाँ I इकाई आयतन का चुम्बकीय आघूर्ण है।