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de morgan’s theorem in hindi Digital electronics डी मॉर्गन प्रमेय को सिद्ध कीजिए के नियम को समझाइये
डी मॉर्गन प्रमेय को सिद्ध कीजिए के नियम को समझाइये de morgan’s theorem in hindi Digital electronics ?
एकनिष्ठ अपि द्वार (EXCLUSIVE OR GATE) या XOR गेट : यह दो निवेशी विशिष्ट OR गेट होता है। OR गेट की सत्यमान सारणी से यह विदित है कि जब दो में एक निवेश अवस्था 1 में होता है तो निर्गम भी अवस्था 1 में होता है इसके अतिरिक्त जब दोनों निवेश अवस्था I में ह हैं तब भी निर्गम अवस्था 1 में होता है। एकनिष्ठ OR द्वार में निर्गम अवस्था 1 में तभी होता है जब केवल एक निवेश अवस्था 1 में हो अर्थात् इसमें दोनों निवेश 1 होने पर निर्गम का अवस्था 1 में होना वर्जित होता है। एकनिष्ठ OR गेट या XOR गेट की सत्यमान सारणी नीचे दी गई है-
XOR गेट की संक्रिया को बूलीय व्यंजकों में संकेत से प्रदर्शित करते हैं। इस गेट का निरूपण चित्र (8. 6 -1 ) की भांति किया जाता है।
एकनिष्ठ अपि द्वार (XOR) को परिभाषित करने के लिये यह कहा जा सकता है कि ‘निर्गम X = 1 यदि A = 1 या B = 1 परन्तु दोनों एक साथ 1 नहीं’ बूलीय संकेतन में
X = A⊕ B = (A + B) (AB) …………………………(1)
सत्यमान सारणी द्वारा उपरोक्त कथन की यथार्थता सिद्ध की जा सकती है-
XOR द्वार के लिये एक और तार्किक कथन यथार्थ है कि ‘निर्गम X अवस्था 1 में होगा यदि A अवस्था 1 में है और B नहीं या B अवस्था 1 में है और A नहीं। बूलीय संकेतन में
X=A⊕B = AB+BA ………………………..(2)
इस कथन की यथार्थता निम्न सत्यमान सारणी से सिद्ध होती है। .
XOR द्वार की सत्यमान सारणी से स्पष्ट है कि निर्गम पर संकेत 1 तब ही प्राप्त होता है जब निवेश A व B भिन्न होते हैं, A व B समान होने पर निर्गम पर अवस्था 0 प्राप्त होती है। इस प्रकार XOR गेट का उपयोग असमानता तुलनित्र ( inequality comparator) के रूप में किया जा सकता है। एकनिष्ठ OR संक्रिया प्राप्त करने के लिये बूलीय व्यंजक (1) व (2) के आधार पर निम्न परिपथों की रचना की जा सकती है।
तार्किक परिपथ अविकल्पतः (unique) नहीं होते वरन् इस तथ्य पर निर्भर होते हैं कि किसी संक्रिया की सत्यमान सारणी को वास्तविक परिपथ में किस प्रक्रिया द्वारा रूपांतरित किया गया है। उपरोक्त दो परिपथ जो XOR सक्रिया को निरूपित करते हैं इस तथ्य के उदाहरण है। निम्न बूलीय व्यंजकों के द्वारा भी XOR संक्रिया को निरूपि किया जा सकता है व उनके तुल्य परिपथ प्राप्त किये जा सकते हैं- X = A⊕ B = (A + B) (A + B) …………………(3)
= (AB + AB) …….. …(4)
A + B = B + A ……………..(1)
AB = BA …………….(2)
साहचर्य नियम ( Associative law)- साहचर्य नियम के अनुसार बूलीय व्यंजक में चर किस अनुक्रम में समूहित होते हैं इसका निर्गम पर कोई प्रभाव नहीं होता है।
अतः OR संक्रिया के लिये
(A + B + C) = A + (B + C) = (A + B) + C ………………………(3)
AND सक्रिया के लिये
(ABC) = A (BC) = (AB) C …………….. …(4)
(3) वितरण नियम (Distributive law )-
इस नियमानुसार समूह को वितरित करने पर बूलीय व्यंजक अप्रभावी रहता है। जैसे
– A (B + C) = AB + AC ………………………..(5)
(ii) एकल चर (Single variable) के आधारभूत नियम- यह तीन प्रकार के होते हैं-
(1) OR संक्रिया के नियम ( OR rules )
= A + BC नियम (7) व ( 11 ) से
(A + B) (A + C) = A + BC …………….(18)
(iv) दे मॉर्गन की प्रमेय (De Morgan’s Theorem ) – यह प्रमेय किसी भी बूलीय व्यंजक को प्रतिलोमत करने के लिये प्रयुक्त होती है। इस प्रमेय से बूलीय बीजगणित में विद्यमान द्वैती सिद्धान्त (duality principle) भी व्यक्त होता है, अर्थात् पूर्ण बीजगणित OR + NOT (NOR) संक्रियाओं से या AND + NOT (NAND) संक्रियाओं से व्युत्पन्न किया जा सकता है।
दे मॉर्गन प्रमेय के अनुसार
(1) किन्हीं दो या दो से अधिक AND संक्रियात्मक चरों का पूरक (complement) (प्रतिलोमित मान) उन चरों के पूरकों (प्रतिलोमित मानों ) की OR संक्रिया के तुल्य होता है, अर्थात्
A B C D ….= Ā+ B + C+ D+ …..(19)
(2) किन्हीं दो या दो से अधिक OR संक्रियात्मक चरों का पूरक (प्रतिलोमित मान) उन चरों के पूरकों (प्रतिलोमित मानों) की AND संक्रिया के तुल्य होता है, अर्थात्
A+B+C+D+….= ABCD…….(20)
दे मॉर्गन प्रमेय के उपरोक्त दोनों कथनों को संयुक्त रूप से निम्न कथन में परिवर्तित किया जा सकता है- ‘किसी बूलीय व्यंजक को प्रतिलोमित (invert ) करने के लिये जहां प्रतिलोमी चिन्ह लगा हो उसे हटा दीजिये, जहां प्रतिलोमी चिन्ह न लगा हो वहां प्रतिलोमी चिन्ह लगा दीजिये तथा AND संक्रिया को OR संक्रिया से व OR संक्रिया को AND संक्रिया से प्रतिस्थापित कर दीजिये।
दे मॉर्गन प्रमेय का उपयोग दे मॉर्गनीकरण (demorganization) कहलाता है। दे मॉर्गनीकरण का एक सरल रूप
‘व्यंजक पर प्रयुक्त प्रतिलोमी रेखा तोड़ दीजिये तथा प्रयुक्त संक्रिया चिन्हों को उलट दीजिये।’ उदाहरणस्वरूप मान लीजिये AB+ C का समानीत मान ज्ञात करना है। प्रथम चरण में व्यंजक के ऊपर प्रतिलोमी रेखा को तोड़ने से A B + C = ĀB + C प्राप्त होगा ।
अब AND व OR संक्रियाओं को उलट दीजिये तो प्राप्त होगा-
(Ā + B)(Č)
A B + C = (Ā + B)C
दे मॉर्गन प्रमेय को प्रतिरूपित करने वाले तर्क- परिपथ चित्र (8.7 – 1 ) व चित्र (8.7-2) में प्रदर्शित किये गये हैं।
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