हिंदी माध्यम नोट्स
Categories: Physics
डेविसन जर्मर प्रयोग , डेविसन जर्मन का प्रयोग (davisson germer experiment in hindi)
(davisson germer experiment in hindi) डेविसन जर्मर प्रयोग , डेविसन जर्मन का प्रयोग : डेविसन और जर्मर ने द्रव्य के तरंग व्यवहार की पुष्टि की। 1924 डी ब्रोग्ली ने द्रव्य के द्वेत प्रकृति के बारे में बताया था इसके अनुसार द्रव्य गतिशील अवस्था में तरंग की तरह और स्थिर अवस्था में कण की तरह व्यवहार करता है , इलेक्ट्रान या द्रव्य के तरंग व्यवहार की डेविसन और जर्मर ने अपने इस प्रयोग से पुष्टि की।
प्रयोगिक व्यवस्था
डेविसन और जर्मर के पूरे प्रयोग को एक निर्वात चैंबर में बंद रखा जाता है ताकि इस प्रयोग में इलेक्ट्रानों का विक्षेपण या बिखराव हो तो वे प्रयोग से बाहर न जाए और बंद चैम्बर में रहे।
इस प्रयोग के मुख्य भाग निम्न है –
1. इलेक्ट्रॉन गन : इस भाग में एक टंगस्टन का फिलामेंट (तंतु) लगा रहा है जिसे गर्म करने पर यह इलेक्ट्रान का पुंज उत्सर्जित करता है , अर्थात इस भाग द्वारा इलेक्ट्रानों का उत्सर्जन होता है।
2. स्थिर विद्युत कण त्वरक : इस भाग में दो विपरीत आवेशित प्लेट्स लगी रहती है अर्थात इस में धनात्मक तथा ऋणात्मक प्लेट लगी रहती है जो इससे जाने वाले इलेक्ट्रान पुंज को त्वरित कर देती है।
3. समान्तरकारी छिद्र : इस भाग में सीधा एक छोटा छिद्र बना होता है , इसका कार्य होता है इलेक्ट्रान पुंज को सीधी रेखा में और त्वरण के साथ गति करवाना।
4. लक्ष्य : लक्ष्य के लिए एक निकल क्रिस्टल की प्लेट रखी होती है जिस पर यह त्वरित इलेक्ट्रान पुंज आपतित होती है।
5. डिटेक्टर : इलेक्ट्रान पुंज लक्ष्य निकल क्रिस्टल से टकराकर सीधा डिटेक्टर पर पहुचता है , इसे आप ऊपर दिखाए गए चित्र में स्पष्ट रूप से देख सकते है।
प्रायोगिक विचार या उद्देश्य
त्वरित इलेक्ट्रान पुंज जब निकल क्रिस्टल पर गिरती है तो ये निकल के दो परतों द्वारा परावर्तित होती है , यदि परिणाम में सुपोषी या विनाशी व्यतिकरण प्रदर्शित हो जाता है तो इसका तात्पर्य है कि कण या द्रव्य तरंगों की तरह व्यवहार करते है।
कार्यविधि
तंतु को जब गर्म किया जाता है तो यह तंतु इलेक्ट्रान पुंज उत्सर्जित करता है जो त्वरक द्वारा त्वरित हो जाता है तथा समान्तरकारी छिद्र द्वारा एक सीधी रेखा के रूप में छिद्र से निकलता है और निकिल क्रिस्टल प्लेट पर टकराता है , टकराने के बाद यह इलेक्ट्रान पुंज सभी दिशाओं में विवर्तित हो जाता है , विवर्तित पुंजो में एक पुंज डिटेक्टर (संसूचक) पर पहुँचती है जो एक धारामापी से जुड़ा हुआ है।
डिटेक्टर (संसूचक) की अलग अलग स्थिति पर इलेक्ट्रान पुंज की तीव्रता का मान नोट करते है और इलेक्ट्रान पुंज की तीव्रता व संसूचक (डिटेक्टर) के कोण θ के मध्य ग्राफ खींचते है जो निम्न प्रकार प्राप्त होता है –
यह मान सतत प्राप्त नहीं होता है , बल्कि इस पर इसका मान अधिकतम और न्यूनतम के रूप में प्राप्त होता है निम्न प्रकार –
विवर्तन कोण θ = 50 पर शिखर प्राप्त होता है जो त्वरक विभव बढ़ाने पर पहले बढ़ता है और V = 54 वोल्ट पर या शिखर सर्वाधिक हो जाता है जैसा चित्र में दिखाया गया है।
डेविसन – जर्मर प्रयोग द्वारा विवर्तित कोण θ तथा उससे सम्बद्ध विभवान्तर V का मान प्राप्त होता है।
डी ब्रोगली के अनुसार इलेक्ट्रान से सम्बद्ध तरंग दैर्ध्य –
जबकि डेविसन – जर्मर विश्लेषण द्वारा ज्ञात इलेक्ट्रान से सम्बद्ध तरंग दैर्ध्य
दोनों तरंग दैर्ध्य के मान लगभग समान है अत: डी ब्रोग्ली की परिकल्पना सही थी। और हमने ऊपर देख लिया कि कण तरंग की तरह व्यवहार करता है।
Recent Posts
सारंगपुर का युद्ध कब हुआ था ? सारंगपुर का युद्ध किसके मध्य हुआ
कुम्भा की राजनैतिक उपलकियाँ कुंमा की प्रारंभिक विजयें - महाराणा कुम्भा ने अपने शासनकाल के…
4 weeks ago
रसिक प्रिया किसकी रचना है ? rasik priya ke lekhak kaun hai ?
अध्याय- मेवाड़ का उत्कर्ष 'रसिक प्रिया' - यह कृति कुम्भा द्वारा रचित है तथा जगदेय…
4 weeks ago
मालकाना का युद्ध malkhana ka yudh kab hua tha in hindi
malkhana ka yudh kab hua tha in hindi मालकाना का युद्ध ? मालकाना के युद्ध…
2 months ago
कान्हड़देव तथा अलाउद्दीन खिलजी के संबंधों पर प्रकाश डालिए
राणा रतन सिंह चित्तौड़ ( 1302 ई. - 1303 ) राजस्थान के इतिहास में गुहिलवंशी…
2 months ago
हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ? hammir dev chauhan history in hindi explained
hammir dev chauhan history in hindi explained हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ?…
2 months ago
तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच हुआ द्वितीय युद्ध Tarain battle in hindi first and second
Tarain battle in hindi first and second तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच…
2 months ago