हिंदी माध्यम नोट्स
Categories: Physics
संधि डायोड में धारा प्रवाह , अग्र अभिनति , पश्च अभिनति , अभिलक्षणिक V-i वक्र (current flow in junction diode in hindi)
(current flow in junction diode in hindi) संधि डायोड में धारा प्रवाह , अग्र अभिनति , पश्च अभिनति , अभिलक्षणिक V-i वक्र : सबसे पहले बात करते है कि pn संधि डायोड में विद्युत धारा का प्रवाह किस प्रकार होता है।
संधि डायोड में धारा प्रवाह : जब किसी p – n संधि के सिरों पर कोई बाह्य वोल्टता आरोपित नहीं किया जाता है तो संधि के आर पार कोई धारा प्रवाहित नहीं होती है , अर्थात बाह्य वोल्टता की अनुपस्थिति मे pn संधि डायोड में कोइ धारा प्रवाहित नहीं होती है।
क्यूंकि p भाग और n भाग में मुक्त आवेशों के पास इतनी ऊर्जा नहीं होती है कि वे pn संधि पर उत्पन्न विभव प्राचीर को पार कर सके। हालांकि p भाग से कुछ कोटर n भाग की तरफ गति करते है और कुछ इलेक्ट्रॉन n भाग से p भाग की तरफ गति करते है।
लेकिन इसके विपरीत अल्पसंख्यक आवेश अर्थात p भाग से इलेक्ट्रॉन n भाग की तरफ गति करते है और अग्र धारा उत्पन्न करते है। और कुछ अल्पसंख्यक आवेश n भाग से कोटर p भाग की तरफ गति करके कुछ उत्क्रम धारा उत्पन्न करते है।
चूँकि अग्र धारा और उत्क्रम धारा एक दुसरे के विपरीत दिशा में होती है इसलिए बाह्य वोल्टता स्रोत की अनुपस्थिति में ये दोनों धारा एक दुसरे को निरस्त कर देती है और pn संधि डायोड में धारा का प्रवाह शून्य होता है।
अब अध्ययन करते है कि बाह्य वोल्टता के प्रभाव में संधि डायोड में धारा प्रवाह कैसे होगा।
किसी संधि डायोड को बाह्य बैटरी से दो विभिन्न प्रकार से जोड़ा जा सकता है जिसे अग्र अभिनति और पश्च अभिनति कहते है।
संधि डायोड में धारा प्रवाह : जब किसी p – n संधि के सिरों पर कोई बाह्य वोल्टता आरोपित नहीं किया जाता है तो संधि के आर पार कोई धारा प्रवाहित नहीं होती है , अर्थात बाह्य वोल्टता की अनुपस्थिति मे pn संधि डायोड में कोइ धारा प्रवाहित नहीं होती है।
क्यूंकि p भाग और n भाग में मुक्त आवेशों के पास इतनी ऊर्जा नहीं होती है कि वे pn संधि पर उत्पन्न विभव प्राचीर को पार कर सके। हालांकि p भाग से कुछ कोटर n भाग की तरफ गति करते है और कुछ इलेक्ट्रॉन n भाग से p भाग की तरफ गति करते है।
लेकिन इसके विपरीत अल्पसंख्यक आवेश अर्थात p भाग से इलेक्ट्रॉन n भाग की तरफ गति करते है और अग्र धारा उत्पन्न करते है। और कुछ अल्पसंख्यक आवेश n भाग से कोटर p भाग की तरफ गति करके कुछ उत्क्रम धारा उत्पन्न करते है।
चूँकि अग्र धारा और उत्क्रम धारा एक दुसरे के विपरीत दिशा में होती है इसलिए बाह्य वोल्टता स्रोत की अनुपस्थिति में ये दोनों धारा एक दुसरे को निरस्त कर देती है और pn संधि डायोड में धारा का प्रवाह शून्य होता है।
अब अध्ययन करते है कि बाह्य वोल्टता के प्रभाव में संधि डायोड में धारा प्रवाह कैसे होगा।
किसी संधि डायोड को बाह्य बैटरी से दो विभिन्न प्रकार से जोड़ा जा सकता है जिसे अग्र अभिनति और पश्च अभिनति कहते है।
अग्र अभिनति (forward bias)
जब pn संधि डायोड में p भाग को बैट्री के धन सिरे से जोड़ा जाता है और n भाग को बैट्री के ऋण सिरे से जोड़ा जाता है तो डायोड में p भाग से n भाग की तरफ दिष्ट एक बाह्य क्षेत्र E उत्पन्न हो जाता है , यह बाह्य क्षेत्र E , pn संधि में उत्पन्न विभव प्राचीर के कारण उत्पन्न आंतरिक विद्युत क्षेत्र के विपरीत दिशा में होता है और इस बाह्य क्षेत्र E के कारण p भाग से कोटर और n भाग से इलेक्ट्रॉन एक दुसरे की तरफ गति करने लगते है और आवेशों की इस गति के कारण अग्र धारा उत्पन्न हो जाती है।
और संधि डायोड के p भाग को बैट्री के धन सिरे से और n भाग को ऋण सिरे से जोड़ना अग्र अभिनति कहलाती है। और इस दशा में उत्पन्न धारा को अग्र धारा कहते है। बाह्य विभवान्तर को बढ़ाने पर अग्र धारा का मान भी बढ़ता जाता है।
पश्च अभिनति (reverse bias)
जब बैट्री के धन सिरे को pn संधि डायोड के n भाग से जोड़ा जाए और बैट्री के ऋण सिरे को p भाग से जोड़ा जाए तो एक बाह्य क्षेत्र E उत्पन्न होता है जिसकी दिशा n भाग से p भाग की तरफ होती है।
विभव प्राचीर के कारण उत्पन्न आंतरिक विद्युत क्षेत्र Ei भी n भाग से p भाग की तरफ होता है अत: दोनों क्षेत्र एक समान दिशा में कार्य करते है और दोनों की दिशा n से p भाग की तरफ होती है।
जिससे n भाग इलेक्ट्रॉन संधि से दूर जाने लगते है और p भाग में कोटर संधि से दूर जाने लगते है अर्थात वे एक दुसरे भाग में गति नहीं करते है और बल्कि संधि क्षेत्र से दूर गति करने लगते है संधि पर अवक्षय परत की मोटाई बढती जाती है। जिससे कोई धारा प्रवाहित नहीं होती है इसे उत्क्रम अभिनति कहते है।
लेकिन उत्क्रम अभिनति में अल्पसंख्यक वाहकों के कारण बहुत ही क्षीण धारा प्रवाहित होती है , यदि ताप का मान बढ़ाया जाए तो उत्क्रम धारा का मान बढ़ता है।
संधि डायोड का अभिलाक्षणिक V – i वक्र
जब pn संधि डायोड को अग्र अभिनति पर जोड़ा जाता है और बाह्य वोल्टता का मान बढाया जाता है तो बढ़ाने के अनुपात में धारा का मान भी बढ़ता जाता है , बाह्य वोल्टता का मान बढ़ने के साथ धारा में वृद्धि चर घातांकी होती है।
उत्क्रम अभिनति में धारा का मान बहुत कम होता है क्यूंकि इस स्थिति में धारा प्रवाह अल्पसंख्यक आवेशों के कारण होता है , बाह्य वोल्टता का मान बढ़ाने पर भी धारा का मान बहुत अल्प बढ़ता है लेकिन एक स्थिति ऐसी आती है जब बाह्य वोल्टता का मान बहुत बढ़ा दिया जाता है तो धारा का मान बहुत अधिक बढ़ जाता है इस स्थिति में बंध टूटने लगते है और धारा अचानक से बढ़ जाती है।
संधि डायोड का V-i अभिलक्षणिक वक्र निम्न होगा –
Recent Posts
सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke rachnakar kaun hai in hindi , सती रासो के लेखक कौन है
सती रासो के लेखक कौन है सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke…
19 hours ago
मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी रचना है , marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the
marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी…
19 hours ago
राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए sources of rajasthan history in hindi
sources of rajasthan history in hindi राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए…
2 days ago
गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है ? gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi
gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है…
2 days ago
Weston Standard Cell in hindi वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन
वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन Weston Standard Cell in…
3 months ago
polity notes pdf in hindi for upsc prelims and mains exam , SSC , RAS political science hindi medium handwritten
get all types and chapters polity notes pdf in hindi for upsc , SSC ,…
3 months ago