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Categories: Physicsphysics

विभवांतर एवं धारा में ग्राफ खींचकर एक दिए गए तार का प्रति सेमी प्रतिरोध ज्ञात करना current and potential difference graph in hindi

current and potential difference graph in hindi विभवांतर एवं धारा में ग्राफ खींचकर एक दिए गए तार का प्रति सेमी प्रतिरोध ज्ञात करना ?

वार्षिक प्रायोगिक परीक्षा एवं रिकॉर्ड में प्रयोग लिखने का प्रारुप, प्रेक्षण एवं गणनायें
SECTION -।
प्रयोग-1
उद्देश्य (Object)ः
विभवान्तर एवं धारा में ग्राफ खींचकर एक दिए गए तार का प्रति सेमी प्रतिरोध ज्ञात करना।
उपकरण (Apparatus) :
अमीटर, वोल्टमीटर, धारा नियंत्रक, प्रायोगिक प्रतिरोध तार संचायक सेल, कुंजी एवं संयोजक तार आदि।
परिपथ चित्र (Circuit Diagram):
सिद्धान्त (Theory):
ओम के नियम से ष्किसी चालक की स्थिर भौतिक अवस्थाओं (जैसे ताप, दाब, आदि) में, इसमें प्रवाहित धारा, इसके सिरों पर आरोपित विभवान्तर के समानुपाती होती है अर्थात्
I ∝ V या V ∝ I
या V = IR
जहां, R , समानुपातिक नियतांक है जो कि चालक के प्रतिरोध को व्यक्त करता है।
अतः चालक का प्रतिरोध R = I/V ओम
अतः यदि चालक के सिरों पर आरोपित विभवान्तर V को X-अक्ष पर एवं चालक में प्रवाहित धारा को Y-अक्ष पर लेकर ग्राफ खींचे तो यह एक सरल रेखा प्राप्त होती है तथा उस सरल रेखा के ढाल का व्युत्क्रम (1/tanθ या cotθ ) चालक के प्रतिरोध को व्यक्त करता है।
यदि चालक तार की लम्बाई l सेमी. है तो चालक तार का प्रति सेमी. प्रतिरोध
r = R / l ओम/सेमी.
प्रेक्षण (Observations)ः
प्रतिरोध तार की लम्बाई स = 20 सेमी.
वोल्टमीटर का अल्पतमांक = परास / कुल विभागों की संख्या = X/N = 3/60 = 0.05 वोल्ट
अमीटर का अल्पतमांक = परास/कुल विभागों की संख्या = X/N = 3/60 = 0.05 एम्पियर
तार का प्रतिरोध ज्ञात करने के लिए सारणी:
क्र. सं. वोल्टमीटर का पाठ्यांक V अमीटर का पाठ्यांक I तार का
प्रतिरोध
R = V/I
(ओम) तार का
माध्य प्रतिरोध
R (ओम)
विक्षेपित विभागों की संख्या n1 n1× अल्पतांक = V (वोल्ट) विक्षेपित विभागों की संख्या n2 n1× अल्पतांक = I (एम्पियर)
1 5 .25 5 0.25 R1=1

1.054
2 10 0.5 9 0.45 R2=1.11
3 15 0.75 14 0.70 R3=1.07
4 20 1.0 19 0.95 R4=1.05
5 25 1.25 24 1.20 R5=1.04

गणना (Calculations):
प्रथम प्रेक्षण के लिए V = 0.25 वोल्ट, I = 0.25 एम्पियर
अतः प्रतिरोध R1 = V/I = 0.25/0.25 = 1 ओम
द्वितीय प्रेक्षण के लिए V = 0.5 वोल्ट, I = 0.45 एम्पियर
अतः प्रतिरोध R2 = V/I = 0.5/0.45 = 1.11 ओम
तृतीय प्रेक्षण के लिए V = 0.75 वोल्ट, I = 0.70 एम्पियर
अतः प्रतिरोध R3 = V/I = 0.75/0.70 = 1.07 ओम
चतुर्थ प्रेक्षण के लिए V = 1 वोल्ट, I = 0.95 एम्पियर
अतः प्रतिरोध R4 = V/I = 1/0.95 = 1.05 ओम
पंचम प्रेक्षण के लिए V = 1.25 वोल्ट, I = 1.20 एम्पियर
अतः प्रतिरोध R5 = V/I = 1.25/1.20 = 1.04 ओम
तार का माध्य प्रतिरोध Ùj = R1 + R2 + R3 + R4 + R5/5
= 1़1.11़1.07़1.05़1.04/5
R = 5.27/5 = 1.054 ओम
अतः तार का प्रति सेमी. प्रतिरोध r = R/l = 1.054/20 = 0.0527 ओम/सेमी.
परिणाम (Result)ः
दिए गए तार का प्रति सेमी. प्रतिरोध 0.0527 ओम/सेमी. प्राप्त हुआ
सावधानियां तथा त्रुटि उद्गम (Precautions and Sources of error)ः
परिपथ में अमीटर को प्रायोगिक तार के श्रेणी क्रम में तथा वोल्टमीटर को समान्तर क्रम में जोड़ना चाहिए।
अमीटर तथा वोल्टमीटर को जोडते समय उनके धन सिरे बैटरी के धन इलेक्ट्रोड से तथा ऋण सिरे बैटरी के ऋण इलेक्ट्रोड से जोड़ने चाहिए।
तार में धारा केवल प्रेक्षण लेते समय ही प्रवाहित करनी चाहिए वरना तार गर्म हो जायेगा और उसका प्रतिरोध बदल जायेगा।
यह ध्यान रखना चाहिए कि सेल कभी भी लघुपथित (shortcircuit) नहीं होना चाहिए।
संयोजक तारों के सिरों को रेगमाल से साफ कर लेना चाहिए।
पेच में कसे भाग के तारों की लम्बाई को गणना में नहीं लेना चाहिए।
संयोजन कसे हुए होने चाहिए।

क्रियाकलाप- 8
[Activity] 8,
उद्देश्य (object) – दिए गए लेंसों के समूह में से किसी विशेष फोकस दूरी का लेंस युग्म बनाना।
उपकरण (Apparatus) – पतले उत्तल लेंसों का एक सेट, स्टैण्ड युक्त लेंस होल्डर, चैड़े, स्टैण्ड पर सफेद पेन्ट किया हुआ लकड़ी का एक बोर्ड, मीटर स्केल, प्रकाशीय बेंच तथा तीखी नोंक वाली पिनें।
किरण चित्र (Ray Diagram) –
सिद्धान्त (Theory) – बहुत दूर स्थित किसी वस्तु का उत्तल लैंस द्वारा बना प्रतिबिम्ब लैस के फोकस पर बनता
है।
यदि दो पतले उत्तल लेंसों की फोकस दूरियों f1 एवं f2 हैं तो इनके संयोजन से बने लेंस की फोकस दूरी F के लिए
1/F = 1/f  + 1/ f2 …..(1)

तथा यदि इन लेंसों की शक्तियाँ P1, व P2, हैं तो इनके संयोजन से बने लेंस की शक्ति
P = P1 + P2 …..(2)
जहाँ च् = 1/ F(मीटर) = 100/ F (सेमी.) …..(3)

प्रयोग विधि (Method) –
(i) सर्वप्रथम हम एक उत्तल लेंस लेते हैं तथा उसे स्टैण्ड युक्त लेंस होल्डर में लगाकर ऐसी स्थिति में रखते हैं कि इसके एक ओर सूर्य के प्रकाश से प्रकाशित बहुत दूर स्थित हरे पेड़ हों।
(ii) अब हम लेंस के दूसरी ओर स्टैण्ड युक्त सफेद पेन्ट से पुते लकड़ी के बोर्ड को रखते हैं।
(iii) अब हम लेंस को आगे-पीछे खिसकाकर ऐसी स्थिति पर रखते हैं कि लकड़ी के बोर्ड पर पेड़ का उल्टा एवं स्पष्ट प्रतिबिम्ब दिखाई दे। इस स्थिति में लेंस से बोर्ड की दूरी मीटर स्केल से ज्ञात कर लेते हैं, यह दूरी उत्तल लेंस की फोकस दूरी है।
(iv) इसी प्रकार हम लेंसों के सेट में से अन्य सभी उत्तल लेंसों की फोकस दूरी ज्ञात कर लेते हैं।
लेंस संयोजन बनाने के लिए आवश्यक गणना (Required Calculation for making lens combiination)
उदाहरण के लिए माना हमें F = 20 सेमी. फोकस दूरी का उत्तल लेंस बनाना है तथा इस लेंस की आवश्यक शक्ति P = 100/20 = 5 डॉयप्टर होगी अतः मापी गई फोकस दूरियों के उत्तल लेंसों में से निम्न प्रकार से लेंसों का संयोजन बनाया जा सकता है।
संयोजन के लिए आवश्यक शक्तियाँ संयोजन के लिए आवश्यक फोकस दूरियाँ
P1 (डॉयप्टर) P2 (डॉयप्टर) f =100/ P1 (सेमी.) f2 =100/ P2 (सेमी.)
1 4 100 सेमी. 25 सेमी.
2 3 50 सेमी. 33.3 सेमी.
2.5 2.5 40 सेमी. 40 सेमी.

=100 (सेमी.)
1100 सेमी. 1.50 सेमी.
.
3 12.5
25 सेमी. 33:3 सेमी. 40 सेमी.
40 सेमी.
उपर्युक्त में से जिस प्रकार के. संयोजन के उत्तल लेंस हमारे पास उपलब्ध हैं वे दो उत्तल लेंस लेकर इनका संयोजन बना लेते हैं।
संयोजन का सत्यापन (Veritication of Combination) –
चित्रानुसार प्रकाशीय बेंच पर लेंस होल्टर में दोनों सों को परस्पर सटाकर रखकर, ऊध्र्व स्टैण्ड मे लगाते हैं।
अब वस्तु पिन AB को संयक्त लेंस से F व 2F दूरियों के मध्य में रखते हैं तथा लेंस के दूसरी ओर से इसका प्रतिबिम्ब
A’B’ देखते हैं तथा प्रतिबिम्ब पिन I को खिसकाकर प्रतिबिम्ब A’B’ तथा प्रतिबिम्ब पिन I का नोंकों के मध्य, लम्बन समाप्त कर लेते हैं। इस स्थिति में लेंस से वस्त पिन AB की दूरी u तथा प्रतिबिम्ब पिन I का दूरी v ज्ञात कर लेते हैं।
अब सूत्र 1/F = 1/v-1/u द्वारा F की गणना करते हैं (इस सूत्र में उत्तल लेंस के लिए u का मान ऋण चिन्ह के साथ रखते है) F का यह मान, चाहे गए मान के समान होगा।
परिणाम (Result) – दिए गए लेंसों में फोकस दूरियों f1  = …… सेमी. तथा f2 = …. सेमी. के संयोजन से आवश्यक फोकस दूरी F = …… सेमी. का लेंस प्राप्त होता है।
मौखिक प्रश्न (Viva-vove)ः  प्रयोग संख्या 2 (Section B) देखे,

Sbistudy

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