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NaCl की क्रिस्टल संरचना CRYSTAL STRUCTURE OF NaCl in hindi रॉक साल्ट की क्रिस्टल संरचना
रॉक साल्ट की क्रिस्टल संरचना NaCl की क्रिस्टल संरचना CRYSTAL STRUCTURE OF NaCl in hindi ?
NaCl की क्रिस्टल संरचना (CRYSTAL STRUCTURE OF NaCl)
ब्रैग आयनीकरण स्पेक्ट्रोमीटर (Bragg’s ionisation spectrometer) की सहायता से रॉक साल्ट की क्रिस्टल संरचना का अध्ययन किया गया। क्रिस्टल को भिन्न-भिन्न कोणों पर (rock salt) से NaCl की क्रिस्टल संरचना का अध्ययन किया गया कि की तीव्रता (intensity of ionisation current) को ज्ञात किया जाता है। इन घुमाकर आयनीकरण धारा की तीव्रता (intensityal कोणों को आपतित या ग्लान्सिंग कोण (glancinga, धारा की तीव्रता के वक्रों को निम्न चित्र 5.40 में दर्शाया गया है।
ब्रैग स्पेक्ट्रोमीटर के आंकड़े ब्रैग समीकरण (4) को निम्न प्रकार भी लिखा जा सकता है
2 d sin Φ = n λ
अथवा 2 /n λ sin Φ =1/d …………………..(6)
अतः परावर्तन के किसी क्रम के लिए 1/d sin Φ या 1/sin Φ d ….(7)
NaCl क्रिस्टल के लिए प्रथम कोटि (First order) अर्थात (100), (110), (111) के आपतित कोण के मान क्रमश: 5.9, 8.4° तथा 5.2 आते हैं। समीकरण (7) का प्रयोग करते हुए उपर्युक्त तीनों प्रकार के तलों के लिए तल अन्तराल (spacing) d के मान निम्न हो सकते हैं
d(100) : d(110) : d(111)
1/sin 5.9 1/sin 8.4 1/sin5.2° = 9.33 : 6.84 : 11.04 =1 : 0.70 : 1.14
यह अनुपात फलककेन्द्रित घन (face-centred cube) के अनुरूप है। सरल तथा कायकेन्द्रित घन (simple and body-centred cubes) के लिए इन तलों का अनुपात क्रमश: 1:0.707 : 0.577 तथा 1: 1.414 : 0.577 होता है। अतः हम निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि NaCl क्रिस्टल की संरचना फलककेन्द्रित घन के रूप में होती है जिसे निम्न प्रकार से प्रदर्शित कर सकते हैं ।
NaCl की क्रिस्टल संरचना NaCl के क्रिस्टल की संरचनात्मक इकाई अर्थात् जालकों के कण Na’ व CI- आयन हैं अथवा NaCl अणु, इसकी जानकारी प्राप्त करने के लिए हम NaCl क्रिस्टल के (111) तल के परावर्तनों पर एक दृष्टि डालते हैं। हम देखते हैं कि इसकी प्रथम कोटि का स्पेक्ट्रम दुर्बल है जबकि द्वितीय का प्रबल, फिर तृतीय का दुर्बल है और चतुर्थ का प्रबल। इस प्रकार क्रमवार दुर्बल व प्रबल तीव्रता से यह निष्कर्ष निकलता है कि (111) तल में Nat व C- आयनों की सतहें एकान्तर क्रम में जमी हुई हैं। चूंकि प्रकीर्णन क्षमता बाह्य इलेक्ट्रॉनों की संख्या पर निर्भर करती है अतः Na’ व C की प्रकीर्णन क्षमताएं काफी भिन्न-भिन्न हैं। जब क्रमित Na* आयनों वाले तलों से पराविर्तित किरणें ठीक समान कला में (in phase) होती हैं तब आयनों वाले तलों से परावर्तित किरणें पूर्णतया विपरीत कला में (out of phase) हाता ह, फलस्वरूप (111 तलों से प्रथम परावर्तन दुर्बल होता है। दरअसल यह दोनों प्रकार की प्रकीर्णन क्षमताओं का अन्तर प्रदर्शित करता है।
इस प्रकार NaCl की क्रिस्टल संरचना के बारे में निम्न निष्कर्ष निकाले जा सकते हैं
(1) इनमें फलककेन्द्रित घनीय क्रिस्टल जालक होता है जिसमें Na’ व Cl- आयन सभी दिशाओं में तीन अक्षा के समानान्तर एकान्तर क्रम में व्यवस्थित रहते हैं।
(2) प्रत्येक क्लोराइड आयन छः सोडियम आयनों द्वारा घिरा रहता है।
(3) NaCl की प्रत्येक इकाई कोशिका में 4 क्लोरीन व 4 सोडियम आयन व्यवस्थित हैं।
लाउ विधि (Laue’s method)
इस विधि में चित्र 5.38 जैसी व्यवस्था होती है। X-किरणों को एक लेड स्लिट में से गुजारने से प्राप्त एक पतले पंज को पदार्थ के क्रिस्टल पर भेजा जाता है। X-किरणें क्रिस्टल पर से विवर्तित होती हैं और इन विवर्तित किरणों को एक फोटोग्राफिक प्लेट पर भेजा जाता है। उस प्लेट को डेवेलप करने से एक डिजाइन प्राप्त होता है जिसे चित्र (5.39) में दर्शाया गया है। प्रत्येक क्रिस्टल प्रकार के लिए यह डिजाइन अभिलक्षणात्मक होता है और इस डिजाइन का विश्लेषण करके उस क्रिस्टल की संरचना की जानकारी मिल जाती है।
इस डिजाइन के केन्द्र में जो एक गहरा काला धब्बा है वह बिना विवर्तन वाली किरणों का द्योतक है जबकि अन्य धब्बे विवर्तित किरणों के स्थान को दर्शाते हैं। क्रिस्टल के भिन्न-भिन्न हिस्सों से विवर्तित x-किरणें केन्द्र बिन्दु से अलग-अलग दूरी व भिन्न-भिन्न कोण पर भिन्न-भिन्न तीव्रता वाले धब्बे बनाती हैं। इस प्रकार इस डिजाइन से क्रिस्टल की संरचना की चित्र 5.39. लाउ विधि द्वारा प्राप्त जानकारी प्राप्त कर लेते हैं।
अब हम X-किरण विवर्तन द्वारा कुछ यौगिकों की संरचना का डिजाइन निर्धारण करेंगे।
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