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CRYSTAL STRUCTURE OF KCL in hindi KCL की क्रिस्टल संरचना पोटेशियम क्लोराइड क्रिस्टल
पोटेशियम क्लोराइड क्रिस्टल ?
KCL की क्रिस्टल संरचना (CRYSTAL STRUCTURE OF KCL in hindi) : जब उपर्युक्त प्रकार से KCI के क्रिस्टल का अध्ययन किया जाता है तो (100), (110) तथा (111) तला के लिए प्रथम कोटि के आपतित कोणों के मान क्रमश: 5.28°, 7.61 तथा 9.38° प्राप्त होते हैं (चित्र 5.42)। अतःd100: d110 : d111 = 1/sin 5.38 ‘ 1/sin 7.61 1/sin 9.38
= 1/0.938 : 1/0.1326 : 1/0.1630
= 1 : 0.704 : 0.575
उपर्युक्त अनुपात एक सरल घनीय जालक का है, अतः KCI का क्रिस्टल एक सरल घन के रूप में होता है।
अब यदि NaCl व KCI की क्रिस्टल संरचना की तुलना करें तो देखते हैं कि NaCl व KCI के (100) तलों के प्रथम कोटि के परावर्तन क्रमश: 5.9’ तथा 5.3° पर होते है। अतः समीकरण (7) के अनुसार,
d(100)kci/d(100)naci = sin 5.9/sin 5.3 = 1.11
एक सक्ष्म घनीय जालक का आयतन (d100)3 होता है। NaCl व KCI की समान क्रिस्टल संरचना मानते हए इनके आण्विक आयतनों (molecular volumes) का अनुपात निम्न होगा
(1.11)3 = 1.37
इनके वास्तविक अनुपात 1.39 के काफी नजदीक है, इससे निष्कर्ष निकलता है कि NaCव की किस्टल संरचनाएं समान हैं, जबकि X-ray विवर्तन के अनुसार NaCl व KCI की क्रिस्टल भिन भिन्न हैं। NaCl एक फलककन्द्रित घन है, जबकि KCI एक सरल घन। इस विरोधाभास को हम निम्नलिखित तरीके से समझा सकते हैं
जानते हैं कि किसी परमाणु अथवा आयन की प्रकीर्णन क्षमता उसके बाह्य इलेक्ट्रॉनों की किसी संख्या पर निर्भर करती है। K’ व Cl क बाह्य इलेक्ट्राना का सख्या समान (18) है और इनका आकार करीब-करीब एक जैसा ही होता है अतः इनकी प्रकीर्णन क्षमता समान होती है और ये X-किरणों के ति समान एकका जसा व्यवहार करते हैं, फलतः x-किरण विवर्तन X-ray diffraction) में फलककान्त घनीय जालक एक सरल घनीय जालक की बनाय जालक (simple cubic lattice) जैसा प्रतीत होता है। वास्तव में KCI की। संरचना NaCl के जैसी फलककेन्द्रित घनीय संरचना ही होती है जिसे चित्र 5.37 की भांति दर्शा सकते हैं।
अन्य महत्वपूर्ण बिंदु
(1). ठोस अवस्था – पदार्थ की ऐसी अवस्था जिसमें पदार्थ के अवयवी कण (अणु परमाणुआयन) इतनी दृढ़ पैकिंग अवस्था में होते हैं कि उनका आकार एवं आयतन दोनों ही स्थिर हो जाते हैं।
- क्रिस्टलीय ठोस – निश्चित ज्यामितियुक्त ठोस।
- अक्रिस्टलीय ठोस -जिनकी ज्यामिति निश्चित नहीं होती।।
- समदैशिकता—पदार्थ के भौतिक गुणों का सभी दिशाओं में समान होना।
- विषमदैशिकता—अलग-अलग दिशा में पदार्थों के भौतिक गुणों में भिन्नता का होना।
- त्रिविम – जालक या क्रिस्टल जालक-त्रिविमीय आकाश में क्रिस्टल की इकाइयों की नियमित व्यवस्था।
- इकाई कोशिका – किसी क्रिस्टल के कणों (अणु / परमाणु /आयन) के व्यवस्थित होने पर बनाई गई सूक्ष्तम संरचना, जिनके व्यवस्थित होने से पूर्ण क्रिस्टलों का निर्माण सम्भव हो।
- फलक_वे द्विविमीय तल जिनसे क्रिस्टल बंधा हुआ हो।
- किनारा_दो फलकों के प्रतिछेदन या मिलने वाला स्थान।।
- अन्तराफलक कोण – किन्हीं दो प्रतिच्छेदी फलकों से लम्बवत् खींची गई रेखाओं के मध्य का कोण।।
- घनकोण_जहां दो से अधिक फलक मिलते हों।
- क्रिस्टलोग्राफिक अक्ष – किसी क्रिस्टल के वे अक्ष जिनसे क्रिस्टलों की ज्यामिति व गुणों की व्याख्या की जा सके।
- अन्तराफलक कोण की स्थिरता का नियम – किसी क्रिस्टल का कोई भी फलक किसी भी दिशा में कितनी ही बाद्ध करके कोई भी आकार व आकति ग्रहण कर ले लेकिन उसके अन्तराफलक कोण के मान में परिवर्तन नहीं होता वह सदैव स्थिर रहता है।
- परिमेय घातांक का नियम – किसी क्रिस्टलीय अक्ष पर क्रिस्टल के किसी फलक के अन्तःखण्ड या तो इकाई । अन्तःखण्ड (a, b, c) के बराबर होते हैं अथवा उनके सरल गुणक na,nb,n”c होते हैं।
- अक्षानुपात क्रिस्टलीय अक्षों पर एकांक फलक के अन्तःखण्डों का अनुपात, b अक्ष पर अन्त खण्ड को 1 मानकर अक्षानुपात निकालते हैं।
- वाइस अंक किसी क्रिस्टल से एक-एक त्रिभजीय तल के प्रवाहित होने पर प्राप्त अन्त खण्ड जिनका वर्णन एकांक फलक के अन्तःखण्डों के अनुपात के रूप में करते हैं।
- मिलर सूचकांक वाइस अंकों के व्यक्रमों को न्यनतम संख्या से गुणा करके प्राप्त किए गए पूर्णाक जो एकांक तल के अन्तःखण्ड और उस दिए गए फलक के अन्तःखण्डों के अनुपात को व्यक्त करते हैं। 18. सममिति तल ऐसा काल्पनिक तल जो किसी वस्तु (object) को दो ऐसे बराबर भागों में बांट दे जो परस्पर र एक-दूसरे के दर्पण प्रतिबिम्ब हों।
- सममिति अक्ष ऐसा काल्पनिक अक्ष या रेखा जिस पर यदि वस्तु का घूर्णन करवाया जाए तो एक पूर्ण घूर्णन में वस्तु एक से अधिक बार अपनी वास्तविक संरचना को प्राप्त करती हो।
20. सममिति केन्द्र वह काल्पनिक बिन्दु जिसके दोनों ओर खींची गई रेखा समान दूरी पर वस्तु के समान बिन्दुओं को स्पर्श करती हो।
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