हिंदी माध्यम नोट्स
सन या सनई क्या है , वानस्पतिक नाम , सन/सनइ उत्पत्ति तथा उत्पादन देश , लोंग (clove) , लौंग का आर्थिक महत्व
(crotalaria juncea in hindi) सन या सनई :
वानस्पतिक नाम : Crotalaria juncea
कुल : ल्यगुमिनोसी / फेबेसी
उपयोगी भाग : स्तम्भ रेशे / soft फाइबर / स्टेम fiber या Bastfiber
सामान्य नाम : सन , सनई
उत्पत्ति तथा उत्पादन देश
- प्राचीन स्रोतों के अनुसार इस पादप की उत्पत्ति अफ्रीका में हुई है तथा इसे प्रमुखत: अफ़्रीकी देशो में उगाया जाता है।
- भारत में मुख्यतः आंध्रप्रदेश , तमिलनाडु तथा मध्यप्रदेश में इसे उगाया जाता है , वही देश के अन्य राज्यों में इसे सामान्य स्तर पर उगाया जाता है।
पादप की बाह्य आकारिकी
- सनइ का पादप सामान्यतया एक वर्षीय , शाखित तथा इसे प्रमुखत: वर्षा ऋतु में बोया जाता है।
- तने की लम्बाई लगभग 1.5 मीटर होती है।
- सन की फसल सामान्यतया चार माह के भीतर तैयार हो जाती है।
- व्यावसायिक दृष्टि से पादप के स्तम्भ से प्राप्त सतही रेशे या स्तम्भीय रेशे उपयोगी भाग है , इन्हें मुख्यतः एक विशेष क्रिया के द्वारा प्राप्त किया जाता है जिसे retting method के नाम से जाना जाता है।
- इस प्रक्रिया के अंतर्गत पादप के स्तम्भ को चीरकर छोटे छोटे बण्डल में एकत्रित किया जाता है व निर्मित बंडलो को पाँच से सात दिन हेतु पानी में डुबोया जाता है व पानी में एक विशिष्ट जीवाणु Clostridium buteruym मिश्रित किया जाता है जिसके द्वारा पादप के रेशो को सडाया जाता है। इससे पादप के रेशे तैयार होते है।
- सडाये जाने के पश्चात् पादप के स्तम्भीय भाग को बाहर निकालकर छाला जाता है तथा इसके फलस्वरूप रेशे प्राप्त किये जाते है , जिन्हें पुनः धोकर सुखाया जाता है।
सनई या सन का आर्थिक महत्व
- उपरोक्त पादप से प्राप्त रेशों की सहायता से मछली पकड़ने का जाल तथा चित्र बनाने के लिए उपयोग किये जाने वाले Canvas का निर्माण किया जाता है।
- इस पादप के अपरिपक्व रेशों से टिशु पेपर तथा सिगरेट पेपर तैयार किया जाता है।
- सम्पूर्ण पादप को प्राकृतिक खाद्य के रूप में भी उपयोग किया जाता है।
- उपरोक्त पादप के बीजो से गोंद प्राप्त किया जाता है जिसे छपाई उद्योग में उपयोग किया जाता है।
मसाले उत्पन्न करने वाले पादप
प्राचीन समय से भारत का मसालों के साथ एक मजबूत सम्बन्ध देखा गया है व प्राचीन समय में प्रमुख रूप से सम्पूर्ण विश्व में मसालों का व्यापारीकरण किया जाता था।
आर्थिक वनस्पति वैज्ञानिक A.F. Hill (1952) के द्वारा मसालों को निम्न प्रकार से परिभाषित किया गया –
‘एक परिपक्व पादप से प्राप्त महिम पाउडर जिसे मुख्यतः भोजन निर्माण में उपयोग किया जाता हो , मसाले कहलाते है। ‘
मसालों में सामान्यतया अनिवार्य तेल पाया जाता है व इनमें पोषक पदार्थो की मात्रा नगण्य होती है परन्तु इनके द्वारा भोजन को अत्यधिक स्वादिष्ट , खुशबू युक्त तथा स्वादिष्ट बनाया जाता है।
भारत में उत्पन्न किये जाने वाले कुछ प्रमुख मसाले निम्न प्रकार है [इनमे से कुछ मसाले मुख्यतः राजस्थान में बोये जाते है। ] :-
लोंग (clove)
- मुख्यतः उपरोक्त पादप एक छोटे द्विप molucaa’s का मूल पादप है।
- इस पादप को मुख्यतः Tanzania में बोया जाता है तथा सम्पूर्ण विश्व में इस देश के द्वारा इसे सर्वाधिक मात्रा में उत्पन्न किया जता है।
- इसके अतिरिक्त इसे Zinzibar , madagascar तथा इंडोनेशिया में अत्यधिक मात्रा में उत्पन्न किया जाता है वही भारत , श्रीलंका तथा मलेशिया में इसे सामान्य स्तर पर उत्पन्न किया जाता है।
- भारत में मुख्यतः तमिलनाडु (निलगिरी पहाड़ी क्षेत्र तथा कन्याकुमारी) तथा केरल (kathayam तथा kavalam) में उगाया जाता है।
- लॉन्ग का पादप मध्यम आकार का 10 से 12 मीटर लम्बा , शाखित तथा हरित तथा सुन्दर वृक्ष होता है।
- उपरोक्त पादप की पत्तियां सरल , एकांतर , अण्डाकार , चौड़े पर्ण फलक वाली तथा तीखे स्वाद वाली होती है।
- उपरोक्त पादप में पुष्पक्रम असिमाक्षी प्रकार का पाया जाता है जिसमें गाढे लाल रंग के सुन्दर पुष्प यौगिक पाए जाते है।
- सामान्यतया लौंग बेलनाकार मासल आधार युक्त , किलनुमा आकृति की होती है , इसे अर्द्ध फुल या अफुल पुष्प कलिकाओ से प्राप्त किया जाता है।
- लौंग में पाई जाने वाली रुचिकर गंध इसमें उपस्थित वाष्पशील तेल Euginal के कारण पाई जाती है।
- सामान्यत: Euginal , लौंग में 13.2% पाया जता है।
- लौंग का तेल अधशुली पुष्पकलिकाओ के वाष्प आसवन से प्राप्त किया जाता है।
लौंग का आर्थिक महत्व
- सामान्यतया लौंग सुगन्धित तथा गर्म गुणों वाला पदार्थ है इसके फलस्वरूप इसे मुख्यतः औषधि तथा मसालों के रूप में बहुतायत से उपयोग किया जाता है।
- लोंग गर्म मसालों का एक प्रमुख घटक है।
- लौंग उत्तेजन तथा ‘वातहर’ होता है अत: इसे अजीर्ण तथा जठर खिचाव में उपयोग किया जता है।
- लौंग का तेल प्रमुखत: टूथपेस्ट , साबुन तथा त्वचा लोशन अन्य प्रसाधन सामग्री तथा मेक्री उत्पाद तथा व सरबत के निर्माण में उपयोग किया जता है।
- कुछ प्रमुख औषधि जैसे दांत दर्द की दवा , फुले हुए मसुडो की दवा , त्वचा सम्बन्धी दवा तथा आयुर्वेदिक रोगों में लौंग बहुतायत से उपयोग की जाती है।
- इंडोनेशिया में एक विशेष प्रकार की तम्बाकू धूम्रपान में उपयोग किया जाता है जिसे ‘कीटेक’ कहते है इसमें लौंग के मुख्य रूप से उपयोग किया जता है।
Recent Posts
मालकाना का युद्ध malkhana ka yudh kab hua tha in hindi
malkhana ka yudh kab hua tha in hindi मालकाना का युद्ध ? मालकाना के युद्ध…
कान्हड़देव तथा अलाउद्दीन खिलजी के संबंधों पर प्रकाश डालिए
राणा रतन सिंह चित्तौड़ ( 1302 ई. - 1303 ) राजस्थान के इतिहास में गुहिलवंशी…
हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ? hammir dev chauhan history in hindi explained
hammir dev chauhan history in hindi explained हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ?…
तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच हुआ द्वितीय युद्ध Tarain battle in hindi first and second
Tarain battle in hindi first and second तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच…
चौहानों की उत्पत्ति कैसे हुई थी ? chahamana dynasty ki utpatti kahan se hui in hindi
chahamana dynasty ki utpatti kahan se hui in hindi चौहानों की उत्पत्ति कैसे हुई थी…
भारत पर पहला तुर्क आक्रमण किसने किया कब हुआ first turk invaders who attacked india in hindi
first turk invaders who attacked india in hindi भारत पर पहला तुर्क आक्रमण किसने किया…