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संक्षेपण का अर्थ और परिभाषा | भाव संक्षेपण की उपयोगिता | critical precis meaning in hindi गुण भेद
(critical precis meaning in hindi) संक्षेपण का अर्थ और परिभाषा | भाव संक्षेपण की उपयोगिता , गुण भेद किसे कहते है , परिभाषा क्या है , उदाहरण सहित उत्तर दीजिये |
भाव संक्षेपण
संक्षेपण का सामान्य अर्थ है ‘संक्षेप में कहना।‘ किसी विस्तृत और अवतरण से अप्रासंगिक एवं अनावश्यक बातों को हटाकर लगभग एक तिहाई शब्दों में उसकी आवश्यक एवं प्रधान बातों को व्यक्त कर देना ही संक्षेपण कहलाता है । किसी भी विस्तृत, सविस्तार व्याख्या, वक्तव्य, पत्र-व्यवहार, लेख के तथ्यों एवं निर्देशों का संक्षेपण हो सकता है अर्थात् इनका संक्षेपण अर्थात् भाव संक्षेपण करते समय अनावश्यक बातें छाँटकर निकाल दी जाती हैं और मूल बातें रख ली जाती हैं।
संक्षेपण का अंग्रेजी रूपान्तर प्रेसी है । संक्षेपण, अन्वय, सारांश, भावार्थ, आशय, मुख्यार्थ, रूपरेखा आदि शब्द एक दूसरे के लिए समानार्थी प्रतीत होते हैंय लेकिन वस्तुतः इनके स्वरूप में सूक्ष्म अंतर है।
संक्षेपण और आशय-आशय में सम्पूर्ण कथन या गूढ़ वाक्यों या पदों का स्पष्टीकरण किया जाता है। संक्षेपण में स्पष्टीकरण की जरूरत नहीं पड़ती।
संक्षेपण और सारांश-सारांश में केवल मुख्य तथ्य को अत्यन्त संक्षेप में लिखा जाता है । संक्षेपण में प्रायः मूल की सभी बातें क्रमबद्ध रूप में लिखी जाती हैं। संक्षेपण और सारांश का अनुपात क्रमशः 3-1 और 10-1 का होता है।
संक्षेपण और अन्वय-अन्वय में मूल अवतरण के मुख्य और गौण भावों को लिखा जाता है जबकि संक्षेपण में गौण भावों को छाँट दिया जाता है केवल मुख्य भाव ही ग्रहण किये जाते हैं ।
संक्षेपण और भावार्थ- दोनों में ही मूल अवतरण के भावों अथवा विचारों को संक्षिप्त रूप में ग्रहण किया जाता है । लेकिन भावार्थ में लेखन की कोई सीमा नहीं बाँधी जा सकती, जबकि संक्षेपण में यह आवश्यक है कि वह सामान्यतया मूल का एक-तिहाई हो । साथ ही भावार्थ में मूल अवतरण के मूल एवं गौण भावों को स्थान दिया जाता है, लेकिन संक्षेपण में केवल मुख्य भाव ही ग्रहण किया जाता है।
संक्षेपण के गुण-
(1) पूर्णता-संक्षेपण को स्वयं में पूर्ण होना चाहिए । यह ध्यान में रखना चाहिए कि कोई आवश्यक विचार छूट न जाय । आवश्यक – अनावश्यक विचारों की पहचान निरंतर अभ्यास से ही संभव
(2) संक्षिप्तता-संक्षेपण का यह एक प्रधान गुण है । सामान्यतया संक्षेपण मूल का एक तिहाई होता है । संक्षेपण में व्यर्थ के शब्द, दृष्टांत, उद्धरण, विशेषण, व्याख्या, वर्णन आदि को स्थान नहीं देना चाहिए।
(3) स्पष्टता-इसमें लिखे गये विचार और भाव स्पष्ट होने चाहिए । संक्षेपण ऐसा करना चाहिए जिसमें मूल भाव संक्षिप्त करते समय स्पष्टता बनी रहे ।
(4) शुद्धता-संक्षेपण के भाव और भाषा शुद्ध होनी चाहिए।
(5) भाषा की सरलता-संक्षेपण की भाषा सरल होनी चाहिए । इसमें क्लिष्ट एवं अलं-त भाषा का प्रयोग नहीं करना चाहिए ।
(6) प्रवाह और क्रमबद्धता-संक्षेपण में भाव और भाषा का एक प्रवाह होना चाहिए । भावों एवं विचारों को एक क्रम में रखना चाहिए । इन्हें एक क्रम में रखते समय भाषा का प्रवाह बना रहना चाहिए।
संक्षेपण के विषयगत नियम-
1. मूल अवतरण को कम से कम तीन-चार बार ध्यान से पढ़ना चाहिए, जिससे उसका सम्पूर्ण भावार्थ समझ में आ जाय ।
2. भादार्थ को समझ लेने के बाद महत्वपूर्ण शब्दों, वाक्यों अथवा वाक्य खंडों को रेखांकित कर लेना चाहिए। इन रेखांकित अंशों का संबंध मूल भावों अथवा विचारों से होना चाहिए।
3. संक्षेपण के अन्तर्गत मूल अवतरण को संक्षिप्त किया जाता है । इसलिए उसमें अपनी ओर से टीका-टिप्पणी अथवा खंडन-मंडन करने की जरूरत नहीं होती है ।
4. रेखांकित वाक्यों, शब्दों, अंशों के आधार पर संक्षेपण की रूपरेखा तैयार करनी चाहिए। जरूरत के अनुसार उसमें जोड़-घटाव भी किया जा सकता है।
5. संक्षेपण मूल अवतरण का एक-तिहाई होना चाहिए । यदि शब्दों की संख्या पहले से निर्धारित कर दी गयी है, तो उसी के अनुसार संक्षेपण करना चाहिए ।
6. सब कुछ हो जाने के बाद संक्षेपण का एक शीर्षक दे देना चाहिए । शीर्षक संक्षिप्त एवं सभी तथ्यों का बोध कराने वाला होना चाहिए ।
संक्षेपण के शैलीगत नियम-
1. संक्षेपण की शैली सरल होनी चाहिए । संक्षेपण में विशेषण, क्रिया-विशेषण का प्रयोग नहीं करना चाहिए । भाषा अलं-त नहीं होनी चाहिए ।
2. संक्षेपण करते समय यह ध्यान में रखना चाहिए कि मूल के वे शब्द लिये जायें जो अर्थव्यंजना में सहायक हों, लेकिन कोशिश यह करनी चाहिए कि मूल शब्दों के स्थान पर दूसरे शब्द प्रयुक्त हों जो मूल के विचारों में अर्थ का अनर्थ न करें।
3. मूल अवतरण के वाक्य खंडों के स्थान पर एक शब्द का प्रयोग करना चाहिए जैसे-
वाक्य खंड एक शब्द
किसी विषय का विशेष ज्ञान रखने वाला विशेषज्ञ
जिसका मन अपने काम में नहीं लगता अन्यमनस्क
4. मुहावरों एवं कहावतों का यदि प्रयोग हुआ हो तो उनका अर्थ कम से कम शब्दों में लिखने का प्रयास करना चाहिए।
5. संक्षेपण में अलंकारयुक्त शैली का प्रयोग नहीं करना चाहिए अर्थात् उपमा, उत्प्रेक्षा आदि अलंकारों, अन्य अप्रासंगिक उद्धरणों, शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए । शैली सरल एवं सुगम होनी चाहिए।
6. व्याकरण के नियमों के अनुसार लिखा जाना चाहिए ।
7द्ध संक्षेपण में परोक्ष कथन सर्वत्र अन्य -पुरुष में होना चाहिए।
8. संक्षेपण करते समय छोटे-छोटे एवं सरल वाक्यों का प्रयोग करना चाहिए । लम्बे वाक्य का प्रयोग नहीं करना चाहिए ।
9. मूल के उन्हीं शब्दों को ग्रहण करना चाहिए जो भावव्यंजना में सहायक हों । बेकार शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए ।
10. संक्षेपण की भाषाशैली में काव्यात्मक चमत्कार लाने का प्रयास नहीं करना चाहिए। साथ ही लिखते समय हवाई महल बनाने की आवश्यकता नहीं है ।
11. पुनरुक्ति दोष नहीं होना चाहिए । यदि समानार्थी शब्द बार-बार आ रहे हैं तो उन्हें हटाकर एक सटीक शब्द प्रयुक्त होना चाहिए । इसी तरह भाव और विचार भी यदि दुहराये जा रहे हैं तो उनके स्थान पर भी एक सटीक भाव एवं विचार का प्रयोग करना चाहिए।
12. संक्षेपण के अन्त में प्रयुक्त शब्दों को लिख देना चाहिए ।
13. पत्र व्यवहार के संदर्भ में यदि किसी अधिकारी के नाम और पद दोनों का प्रयोग किया गया है, तो वहाँ केवल पद का ही उपयोग करना चाहिए ।
14. सामान्यतः संक्षेपण भूतकाल एवं परोक्ष कथन में लिखना चाहिए ।
संक्षेपण के भेदः-
(1) पत्राचार मूलक संक्षेपण
(2) स्वतंत्र विषय मूलक संक्षेपण
पत्राचार मूलक संक्षेपण दो प्रकार के होते हैं –
( क ) प्रवाह संक्षेपण
(ख ) तालिका सारांश
प्रवाह संक्षेपण में सभी पत्रों का संक्षेप क्रमशः प्रस्तुत किया जाता है, जबकि तालिका संक्षेपण के अन्तर्गत छह खानों की एक तालिका बनायी जाती है । इस तालिका में क्रमशः क्रमसंख्या, पत्रसंख्या, दिनांक, प्रेषक, प्रेषिती, विषयसंक्षेप होते हैं। जैसे-
1 2 3 4 5 6
क्रम सं0 पत्र संख्या दिनांक प्रेषक प्रेषिती विषयसंक्षेप
तालिका संक्षेपण का एक उदाहरण नीचे दिया जा रहा है–
सरस्वती पुस्तक भंडार
5, सरदार पटेल मार्ग,
इलाहाबाद-्-1
दिनांक-1-1-77
सेवा में,
व्यवस्थापक,
विश्वविद्यालय प्रकाशन,
चैक, वाराणसी-1
प्रिय महोदय,
आपने इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम से सम्बन्धित जो भी पुस्तकें प्रकाशित की हों, उन पर 25 प्रतिशत कमीशन देंगे तो प्रत्येक पुस्तक की सौ-सौ प्रतियाँ अविलम्ब भेज दें।
धन्यवाद ।
भवदीय
श्रीराम प्रसाद
व्यवस्थापक
विश्वविद्यालय प्रकाशन
विशालाक्षी भवन, चैक,
वाराणसी-1
दिनांक-7-1-77
सेवा में,
व्यवस्थापक,
सरस्वती पुस्तक भंडार,
सरदार पटेल मार्ग, इलाहाबाद-1
प्रिय महोदय,
आपका 1-1-77 का पत्र मिला । हमें यह विदित नहीं है कि मेरे द्वारा प्रकाशित कौन-कौन पुस्तकें इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में अनुमोदित हुई हैं। यदि आप पाठ्यक्रम से सम्बन्धित पुस्तकों के नाम भेज दें, तो हम आपको 20 प्रतिशत कमीशन देकर पुस्तकें भेज देंगे। सधन्यवाद !
भवदीय,
पुरुषोत्तमदास मोदी
व्यवस्थापक
क्रम सं0 पत्र संख्या दिनांक प्रेषक प्रेषिती विषयसंक्षेप
1 ………. 1.1.77 सरस्वती पुस्तक भंडार, 5 सरदार पटेल मार्ग, इलाहाबाद व्यवस्थापक, विश्वविद्यालय प्रकाशन, चैक,
वाराणसी
25 प्रतिशत कमीशन दे ंतो इलाहाबाद विश्वविद्यालय से संबंधित प्रत्येक पुस्तक की सौ-सौ प्रतियाँ भेज दें।
2 ………. 1.1.77 व्यवस्थापक, विश्वविद्यालय प्रकाशन, चैक,
वाराणसी
सरस्वती पुस्तक भंडार, 5 सरदार पटेल मार्ग, इलाहाबाद-1वांछित पुस्तकों की सूची भेज दें। 20 प्रतिशत कमीशन पर पुस्तकें भेज दी जायेंगी।
उपर्युक्त दोनों पत्रों का प्रवाह संक्षेपण
सरस्वती पुस्तक भंडार, इलाहाबाद ने विश्वविद्यालय प्रकाशन, वाराणसी को 25 प्रतिशत कमीशन पर इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम से सम्बन्धित प्रत्येक पुस्तक की सौ-सौ प्रतियों का आदेश भेजा । प्रकाशक ने उत्तर दिया कि वांछित पुस्तकों की सूची भेजें । 20 प्रतिशत कमीशन मिलेगा।
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