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सहकारी संघवाद की परिभाषा क्या है | सहकारी संघवाद किसे कहते है , मिथक या वास्तविकता Cooperative federalism in hindi

Cooperative federalism in hindi सहकारी संघवाद की परिभाषा क्या है | सहकारी संघवाद किसे कहते है , मिथक या वास्तविकता यथार्थता की अवधारणा निबन्ध लिखिए |

सहकारी संघवाद
द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात् ऑस्ट्रेलिया में एक नए युग का आरम्भ हुआ। केन्द्र-राज्य सम्बन्धों ने एक नया रूप लिया। इस नई प्रक्रिया को संघ सरकार के हाथों में शक्ति के केन्द्रीकरण, तथा राज्यों की स्वायत्तता उन्हें वापस दिलवाने के प्रश्नों का समाधान करने के लिए चलाया गया। युद्ध के पश्चात् केन्द्र और राज्य सरकारों दोनों का उद्देश्य एक ही था – वह था अर्थव्यवस्था का विकास ओर पुनर्रचना। यह अनुभव किया गया कि यह सांझा उद्देश्य तब तक प्राप्त नहीं हो सकता था जब तक अर्थव्यवस्था के विकास एवं पुनर्रचना के सामान्य कार्यक्रम को चलाने में केन्द्र तथा राज्य दोनों की भागीदारी न हो। अतः केन्द्र सरकार (ब्वउउवदूमंसजी ळवअमतदउमदज) तथा राज्य सरकारों दोनों ने विकास के सामान्य कार्यक्रम में एक दूसरे का हाथ बंटाना शुरू किया। परिणाम यह हुआ कि सरकारों के दोनों स्तर की स्वाधीनता और स्वायत्तता का स्थान सहयोग एवं सहकारिता ने ले लिया। इससे केन्द्र और राज्य के सम्बन्ध मधुर हुए। सहकारी संघवाद कोई सिद्धान्त नहीं हैय यह विकास का एक कार्यक्रम है।

सहयोग की एजेंसियाँ
केन्द्र और राज्यों में सहयोग के साधन के रूप में धीरे-धीरे ऑस्ट्रेलिया में कुछ एजेंसियों (निकायों) का विकास हुआ है। इसका एक उदाहरण राज्यों के प्रधानमन्त्रियों के सम्मेलन (च्तमउपमतेश् ब्वदमितमदबमे) हैं, जो उतनी पुरानी व्यवस्था हैं जितना कि स्वयं संविधान है। इन सम्मेलनों में छह राज्यों के प्रधानमन्त्रियों के साथ-साथ ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमन्त्री भी भाग लेते हैं। उनकी समयसमय पर बैठकें होती हैं जिनमें देश भर से सम्बद्ध आर्थिक नीतियों सम्बन्धी निर्णय लिए जाते हैं।

ऋण परिषद्
सन् 1928 में सहयोग की एक अन्य महत्त्वपूर्ण संस्था की स्थापना की गई। संविधान में एक संशोधन तथा छह राज्यों की संसदों के कानूनों से ऐसा किया गया। यह संस्था ऋण परिषद् कहलाती है। इसमें संघ सरकार का एक प्रतिनिधि होता है, जिसको वोट देने के साथ-साथ निर्णायक मत (बेंजपदह अवजम) देने का अधिकार भी होता है, साथ ही प्रत्येक राज्य सरकार का एक-एक प्रतिनिधि होता है। उनमें से प्रत्येक को एक मत देने का अधिकार होता है। यह ऋण परिषद् एक सहकारी निकाय सिद्ध हुई है। यह जनता से ऋण एकत्र करती है, तथा वसूल की गई धन राशि का केन्द्र और राज्यों में आवंटन करती है।

 प्रधानमन्त्रियों के विशेष सम्मेलन
ऑस्ट्रेलिया के संघवाद के इतिहास में एक निर्णायक घटनाक्रम तब आरम्भ हुआ जब 1990 के अक्टूबर माह में, प्रधानमन्त्री बॉब हॉक (Bob Hwae) ने प्रधानमन्त्रियों का एक विशेष सम्मेलन (special Premiers’k~ Conference) बुलाया। इस सम्मेलन में राज्यों के प्रधानमन्त्री इस बात पर सहमत हुए कि एक समान विधायिका की कई परियोजनाएँ आरम्भ की जाएँ, तथा अन्तर्सरकारी संस्थाओं की स्थापना की जाए। केन्द्र और राज्यों सरकारों के अध्यक्षों (Premiers) की बैठकों का जो क्रम अक्टूबर 1990 में आरम्भ हुआ, उसमें अप्रेल 1995 तक आठ बैठकें हुई।

लेबर पार्टी के प्रधानमन्त्री पॉल कीटिंग, जो 1991 के अंत में सत्तारूढ़ हुए थे, उनकी पहल पर मई 1992 में सरकारों के प्रधानों की बैठक में, ऑस्ट्रेलियाई सरकारों की परिषद् (ब्वनदबपस वि ।नेजतंसपंद ळवअमतदउमदजे – ब्व्।ळ) आरम्भ हुई। यह दोनों संस्थाएँ प्रधानमन्त्रियों के विशेष सम्मेलन (ैच्ब्) तथा सरकारों की परिषद् (ब्व्।ळ) केन्द्र सरकार की पहल पर स्थापित हुई। केन्द्र सरकार ने भली भाँति अनुभव कर लिया था कि राष्ट्रीय विकास केन्द्र और राज्यों के सहयोग से ही सम्भव हो सकता था। परन्तु, यह दोनों संस्थाएँ पारम्परिक प्रधानमन्त्री सम्मेलनों से भिन्न हैं। उन पारम्परिक सम्मेलनों में दृष्टिकोण प्रायः व्यक्तिवादी और कठोर होता था, अर्थात् या तो स्वीकार करो या छोड़ दो (Tkae it or leave it), किसी समझौते की गुन्जाइश नहीं होती थी। उनमें संघ सरकार का प्रभुत्त्व था। परन्तु वर्तमान् नई संस्थाएँ मुकाबले पर नहीं, सहयोग पर आधारित हैं।

 सहायता अनुदान
केन्द्र-राज्य सहयोग का एक अन्य माध्यम, सहायता अनुदान (ळतंदजे-पद-ंपक) राशि है। केन्द्र सरकार संविधान के अनुच्छेद 96 के अनुसार, संघीय संचित राजस्व कोष (ब्वउउवदूमंसजी ब्वदेवसपकंजमक त्मेमतअम थ्नदक) से सहायता अनुदान के रूप में राज्यों को धनराशि देती है। इस सहायता का उद्देश्य राज्यों के क्षेत्राधिकार में आने वाले सार्वजनिक सेवाओं के सफल सम्पादन को सुनिश्चित करना होता है।

अन्य संस्थाएँ
ऐसी अनेक समितियाँ हैं, ऐसे अनेक आयोग और बोर्ड हैं जिनके माध्यम से केन्द्र-राज्य प्रशासकीय सहयोग सम्भव होता है। इन आयोगों, बोर्डों और समितियों में सम्बद्ध विभागों के केन्द्रीय तथा राज्य मन्त्री, अथवा उनके प्रतिनिधि सदस्यों के रूप में शामिल होते हैं। इस श्रेणी की कुछ संस्थाएँ हैं : ऑस्ट्रेलिया की कृषि परिषद्, राष्ट्रीय स्वास्थ्य एवं आयुर्विज्ञान शोध परिषद् (छंजपवदंस भ्मंसजी ंदक डमकपबंस त्मेमंतबी ब्वनदबपस), ऑस्ट्रेलियाई जल संसाधन परिषद्, ऑस्ट्रेलियाई शिक्षा परिषद्, संयुक्त कोयला बोर्ड, ऑस्ट्रेलियाई पर्यटक आयोग इत्यादि। यह सभी केन्द्र और राज्यों के सहयोग की संस्थाओं के रूप में कार्य करती हैं। इनका उद्देश्य अनेक कल्याणकारी कार्यक्रमों का सम्पादन करवाना है।

बोध प्रश्न 6
नोट : क) अपने उत्तरों के लिए नीचे दिए गए स्थान का प्रयोग कीजिए।
ख) इस इकाई के अंत में दिए गए उत्तरों से अपने उत्तर मिलाइए।
1) ऑस्ट्रेलिया के सन्दर्भ में सहकारी संघवाद का क्या अर्थ है?
2) ऑस्ट्रेलिया में सहकारी संघवाद को सम्भव बनाने वाली एजेंसियों का उल्लेख कीजिए।

बोध प्रश्न 6
1. ऐसी व्यवस्था जिसमें केन्द्र और राज्य एक दूसरे से सहयोग करते हैं, ताकि एक शक्तिशाली राष्ट्र का निर्माण हो सके। ऐसा विश्वास तथा आर्थिक संरचना में सुधार के द्वारा किया जाता है।
2. इनमें शामिल हैं : प्रधानमन्त्रियों के सम्मेलन, ऋण परिषद, ऑस्ट्रेलियाई सरकारों की परिषद्, राज्यों की केन्द्रीय संचित राजस्व कोष से दी गई सहायताय तथा विभिन्न बोर्ड, परिषदें तथा आयोग।

सारांश
ऑस्ट्रेलिया 1 जनवरी 1901 के दिन एक संघ राज्य बना, और इसे कॉमनवेल्थ ऑफ ऑस्ट्रेलिया की संज्ञा दी गई। इससे पूर्व ब्रिटिश संसद को संघ की स्थापना हेतु एक संविधान स्वीकार था, जिसे शीघ्र ही महारानी विक्टोरिया की स्वीकृति भी मिल गई थी। ऑस्ट्रेलियाई संघ की स्थापना इसलिए की गई थी ताकि विदेशी आक्रमणों के विरुद्ध रक्षा प्रभावी ढंग से की जा सके। तथा इसके आर्थिक कारणों में सामान्य सीमाशुल्क और अन्तर्राष्ट्रीय मुक्त व्यापार की व्यवस्था करना भी था। नवोदित राष्ट्रवाद भी संघ की स्थापना में सहायक सिद्ध हुआ।

ऑस्ट्रेलिया में संघात्मक सरकार की समस्त विशेषताएँ पाई जाती हैं। ये हैं रू एक लिखित संविधान, संघ और राज्यों के मध्य शक्तियों का विभाजन, तथा संवैधानिक और न्यायिक सर्वोच्चता। संविधान के अनुच्छेद 51 में केन्द्र सरकार की शक्तियों का उल्लेख है, जो स्पष्ट और लिखित हैं। वहाँ कोई राज्य सूची नहीं है, क्योंकि जो भी बची हुई शक्तियाँ हैं (जो केन्द्र को नहीं दी गई है) वे सब राज्यों के अधिकार क्षेत्र में हैं। कुछ ऐसी भी शक्तियाँ हैं जो केन्द्र और राज्य दोनों के समवर्ती अधिकार क्षेत्र में आती हैं। संघ निर्माण की प्रक्रिया में राज्यों को अपनी (1901 से पूर्व वाली) शक्तियों में से कुछ को छोड़ देना पड़ा था। ऑस्ट्रेलियाई संघ में राज्यों के पास पार्थक्य की स्वतन्त्रता नहीं है। नए राज्यों का गठन अवश्य किया जा सकता हैय परन्तु 1901 से अब तक किसी भी नए राज्य की स्थापना नहीं की गई।

परन्तु इसके 100 वर्षों के अस्तित्त्व में ऑस्ट्रेलिया में संघवाद जड़ (अपरिवर्तनीय) रहा हो ऐसी बात नहीं है। संघीय शक्ति संतुलन का झुकाव केन्द्र की दिशा में बढ़ा है। ऐसा संविधान में हुए थोड़े से संशोधनों से कम, परन्तु उच्च न्यायालय द्वारा संविधान की उदार व्याख्या करने से अधिक हुआ है। संघ सरकार और राज्यों की सरकारों के बदलते वित्तीय सम्बन्धों ने भी संघ में केन्द्रवाद को बढ़ाया है।

द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात् एक नई प्रवृत्ति का विकास हुआ। वह है सहकारी संघवाद, अर्थात् देश के आर्थिक विकास और उसकी पुनर्रचना के कार्यक्रमों में दोनों स्तर की सरकारों में निरंतर सहयोग का वातावरणद्य दोनों स्तर की सरकारों में सहयोग की संस्थाओं में प्रमुख हैं : (केन्द्र-राज्य) प्रधानमन्त्रियों के सम्मेलन, ऋण परिषद्, सहायता अनुदानय तथा अनेक बोर्डो, परिषदों और आयोगों का योगदान। इस सब का अर्थ है कि ऑस्ट्रेलिया में संघीय व्यवस्था नष्ट नहीं, बल्कि सशक्त हो रही है।

शब्दावली
संघ ः एक ऐसा राजनीतिक संगठन जिसमें दो स्तर की सरकारें होती हैं, केन्द्र और राज्य। प्रत्येक अपने क्षेत्र में स्वायत्त होती है, और प्रत्येक के अपने स्पष्ट कार्य होते हैं।
समवर्ती शक्तियाँ ः वें शक्तियाँ जिनको केन्द्र और राज्य दोनों के क्षेत्राधिकार में रखा जाता है।
सहायता अनुदान ः वह अनुदान राशि जो केन्द्र सरकार राज्यों को सहायता के रूप में देती है ताकि वे राष्ट्रीय महत्त्व के कार्य कर सकें।
ऑस्ट्रेलियाई ऋण परिषद् ः राज्यों द्वारा ऋण लेने से सम्बद्ध विषयों के लिए 1928 में स्थापित परिषद्। इसमें ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमन्त्री तथा छहों राज्यों के प्रधानमन्त्री शामिल होते हैं।
सहकारी संघवाद ः यह कोई सिद्धान्त नहीं हैय एक कार्यक्रम है जिसका अर्थ है केन्द्र और राज्यों का मिलजुल कर सौहार्दपूर्ण वातावरण में कार्य करना।
सम्पर्क संघवाद ः इसका आशय है ऐसी व्यवस्था जिसमें मुद्दों का संघीय मिश्रण में मिलन, तथा, कार्यों को आपस में मिलकर करना।
 कुछ उपयोगी पुस्तकें
करोल, पीटर और मार्थिन पेंटर (सम्पादित) 1995, माइक्रोइकोनोमिक रिफार्म एंड फेड्रलिज्म, कैनबरा, फेड्रलिजम रिसर्च सेन्टर, ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी।
डेविस, एस. रिफ्यूज, 1995, थ्योरी एंड रियलिटी : फेडरल आइडियाज इन ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैण्ड एंड यूरोप, ब्रिसबेन, यूनिवर्सिटी ऑफ क्वीन्सलैण्ड प्रेस।
डेविस, एस. आर., 1978, द् फेडरल प्रिंसीपल : ए जर्नी श्रू टाइम इन क्येस्ट ऑफ ए मीनिंग, बेकले, यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया प्रेस।
इनसेल, सोल, 1971, ए चेंजिंग ऑस्ट्रेलिया, दि ऑस्ट्रेलियन ब्रोडकास्टिंग कमीशन, सिडनी।
कास्पर, वाल्फगंग, 1993, ‘‘मेकिंग फेड्रलिज्म फ्लोरिश‘‘, इन अपहोल्डिंग दि ऑस्ट्रेलियन कांस्टिट्यूशन, (प्रोसिडिंग ऑफ दि सम्यूल ग्रीफिथ सोसाइटी, सेकेंड कान्फ्रेंस, मेल्बर्न, जुलाई)
लीविंगस्टोन, विलियम एस., फेड्रलिजम एण्ड कांस्टिट्यूशनल चेंज, आक्सफोर्ड, क्लेरेडन प्रेस।
मेयर, हेनरी (संपादित) 1969, ऑस्ट्रेलियन पॉलिटिक्सः ए सेकेंड रीडर, एफ. डब्ल्यू. चेशरे पब्लिसिंग प्राइवेट लिमिटेड।
मिलर, जे. डी. बी. एंड ब्रेयन जिंकस, 1971, ऑस्ट्रेलियन गवर्नमेंट एड पॉलिटिक्स : एन इनट्रोक्टरी सर्वं, लन्दन, गेराल्ड डकवर्थ एंड कम्पनी लिमिटेड, 4थ एडीसन।
पेन्टर, मार्टिन, 1996, ‘‘दि काउन्सिल ऑफ ऑस्ट्रेलियन गवर्नमेंट एंड इन्टरगवर्नमेंटल रिलेशन्स : ए केस ऑफ कोपरेटिव फेड्रलिज्म‘‘, इन पब्लिस, दि जर्नल ऑफ फेड्रलिज्म, 26-2 (स्प्रिंग) पृष्ठ 101-1201
रथ, शारदा 1984, फेड्रलिजम टूडे, स्टीर्लिंग पब्लिशर्स, नई दिल्ली।
रीकर, विलियम, एच., 1993, ष्फेड्रलिज्मष् इन ए कम्प्रेजन टु कांटेंपोरेरी पॉलिटिक्ल फिलोसफी, सम्पादित रोबर्ट ई. गुडन एण्ड फिल्पि पेटिट, आक्सफर्ड, बसील बलेचवेल लिमिटेड, पृष्ठ 508 514।
स्पौल – जोनस, मार्क, एच. 1975, पब्लिक चॉइस एण्ड फेड्रलिजम इन ऑस्ट्रेलिया एण्ड कनाडा, कैनबरा, ऑस्ट्रेलिया, सेन्टर फॉर रिसर्च ऑन फेडरल फाइनेंसियल रिलेशन्स, ए. एन. यू.।
वैलर, पेट्ररिक, 1995, कॉमनवेल्थ स्टेट रिफार्म प्रोसस : ए पॉलिसी मैनजमेंट रिव्यू कैनबरा, प्रधानमन्त्री और कैबिनट विभाग।
लिथश्री, कंथ, 1992, ष्ऑस्ट्रेलियाज न्यू फेड्रलिज्म : रेसीपीस फॉर मार्बल केकस‘‘ , पुब्लिस, द् जर्नल ऑफ फेड्रलिज्म, 22 (समर) पृष्ठ 165-1901

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