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शीतलन वक्र : सतत शीतलन वक्र और असतत शितलन वक्र क्या है , परिभाषा , अंतर , उदाहरण (cooling curve graph in hindi)
(cooling curve graph in hindi) शीतलन वक्र : सतत शीतलन वक्र और असतत शितलन वक्र क्या है , परिभाषा , अंतर , उदाहरण : सबसे पहले हम अध्ययन करते है कि शीतलन क्या होता है और शीतलन वक्र किसे कहते है और ग्राफ कैसे बनाते है।
शीतलन वक्र (cooling curve) : ताप के साथ पदार्थ की प्रावस्था में आने वाले परिवर्तन को शीतलन कहते है और जब किसी पदार्थ की प्रावस्था में आने वाले परिवर्तन का अध्ययन करने के लिए समय और लगने वाले समय के मध्य ग्राफ खिंचा जाता है तो प्राप्त ग्राफ को शीतलन वक्र कहते है।
व्याख्या : जब किसी पदार्थ को गर्म किया जाता है तो कुछ समय के बाद हो सकता है यह पदार्थ ठोस अवस्था से द्रव अवस्था में परिवर्तित हो जाए तथा यदि इस पदार्थ को और अधिक समय तक गर्म करने पर हो सकता है यह पदार्थ द्रव से भी गैस या वाष्प में परिवर्तित हो जाए , इस प्रकार पदार्थ की प्रावस्था ताप देने पर समय के साथ परिवर्तित हो रही है।
इसके विपरीत जब किसी गैसीय पदार्थ को ठंडा किया जाता है अर्थात ताप का मान कम किया जाता है तो यह गैसीय पदार्थ हो सकता है कि गैस अवस्था से द्रव अवस्था में बदल जाए और इसी प्रकार ताप का मान और अधिक कम करने पर यह द्रव पदार्थ ठोस में भी परिवर्तित हो जाए।
पदार्थ की अवस्था में इस प्रकार ताप के साथ होने वाले परिवर्तन को शीतलन कहते है और जब पदार्थ की अवस्था के लिए ताप और समय के साथ ग्राफ खिंचा जाए तो इस ग्राफ को शीतलन वक्र कहते है।
अर्थात जब किसी पदार्थ को ठंडा किया जाता है तो ताप कम करने के साथ साथ पदार्थ की अवस्था में आने वाले परिवर्तन को शीतलन कहते है अर्थात ताप कम करने पर गैस पदार्थ द्रव में और अधिक ताप कम करने पर द्रव पदार्थ ठोस में परिवर्तित हो जाता है , ताप के साथ अर्थात ताप कम करने के साथ पदार्थ की अवस्था में परिवर्तन को शीतलन कहते है।
शीतलन वक्र दो प्रकार का प्राप्त हो सकता है –
1. सतत शीतलन वक्र
2. असतत शीतलन वक्र
शीतलन वक्र (cooling curve) : ताप के साथ पदार्थ की प्रावस्था में आने वाले परिवर्तन को शीतलन कहते है और जब किसी पदार्थ की प्रावस्था में आने वाले परिवर्तन का अध्ययन करने के लिए समय और लगने वाले समय के मध्य ग्राफ खिंचा जाता है तो प्राप्त ग्राफ को शीतलन वक्र कहते है।
व्याख्या : जब किसी पदार्थ को गर्म किया जाता है तो कुछ समय के बाद हो सकता है यह पदार्थ ठोस अवस्था से द्रव अवस्था में परिवर्तित हो जाए तथा यदि इस पदार्थ को और अधिक समय तक गर्म करने पर हो सकता है यह पदार्थ द्रव से भी गैस या वाष्प में परिवर्तित हो जाए , इस प्रकार पदार्थ की प्रावस्था ताप देने पर समय के साथ परिवर्तित हो रही है।
इसके विपरीत जब किसी गैसीय पदार्थ को ठंडा किया जाता है अर्थात ताप का मान कम किया जाता है तो यह गैसीय पदार्थ हो सकता है कि गैस अवस्था से द्रव अवस्था में बदल जाए और इसी प्रकार ताप का मान और अधिक कम करने पर यह द्रव पदार्थ ठोस में भी परिवर्तित हो जाए।
पदार्थ की अवस्था में इस प्रकार ताप के साथ होने वाले परिवर्तन को शीतलन कहते है और जब पदार्थ की अवस्था के लिए ताप और समय के साथ ग्राफ खिंचा जाए तो इस ग्राफ को शीतलन वक्र कहते है।
अर्थात जब किसी पदार्थ को ठंडा किया जाता है तो ताप कम करने के साथ साथ पदार्थ की अवस्था में आने वाले परिवर्तन को शीतलन कहते है अर्थात ताप कम करने पर गैस पदार्थ द्रव में और अधिक ताप कम करने पर द्रव पदार्थ ठोस में परिवर्तित हो जाता है , ताप के साथ अर्थात ताप कम करने के साथ पदार्थ की अवस्था में परिवर्तन को शीतलन कहते है।
शीतलन वक्र दो प्रकार का प्राप्त हो सकता है –
1. सतत शीतलन वक्र
2. असतत शीतलन वक्र
1. सतत शीतलन वक्र
जब किसी पदार्थ का ताप कम किया जाता है तो पदार्थ द्रव से ठोस में परिवर्तित हो जाता है , यदि कोई द्रव एक निश्चित ताप पर जमने लगता है अर्थात एक निश्चित ताप पर द्रव अवस्था से ठोस अवस्था में परिवर्तित होने लगता है और पदार्थ का ताप समय के साथ कम होता रहता है तो समय के साथ पदार्थ का शीतलन वक्र खींचने पर अर्थात ताप और समय के मध्य ग्राफ खींचने पर सतत ग्राफ प्राप्त होता है इसलिए इसे पदार्थ का सतत शीतलन वक्र कहते है।
उदाहरण : अक्रिस्टलीय ठोस के लिए सतत प्राप्त होता है इसका अभिप्राय है कि जब किसी अक्रिस्टलीय ठोस का गलन होने के बाद यदि ताप का मान कम किया जाए अर्थात इसे ज़माने का प्रयास किया जाए तो समय के साथ इसका ताप लगातार कम होता रहता है अर्थात समय के साथ ताप का मान लगातार गिरता रहता है अर्थात अधिक से अधिक ठंडा होता रहता है , इसलिए जब अक्रिस्टलीय ठोसों के लिए शीतलन ग्राफ खिंचा जाए तो यह सतत प्राप्त होता है जैसा नीचे दिखाया गया है –
2. असतत शीतलन वक्र
जब किसी द्रव पदार्थ का ताप कम किया जाता अर्थात ज़माने का प्रयास किया जाता है अर्थात द्रव अवस्था से ठोस अवस्था में लाने का प्रयास किया जाता है और पदार्थ एक निश्चित ताप पर जमने लगता है और जब तक पदार्थ पूरी तरह से न जम जाए तब तक यदि पदार्थ का ताप नियत रहे तो पदार्थ का शीतलन वक्र असतत प्राप्त होता है।
उदाहरण : क्रिस्टलीय ठोस पदार्थ को पिघलाने के बाद यदि इसका ताप कम किया जाए अर्थात ठंडा किया जाए तो एक निश्चित ताप पर क्रिस्टलीय पदार्थ द्रव अवस्था से ठोस अवस्था में बदलने लगते है और जब तक यह द्रव क्रिस्टलीय पदार्थ पूरी तरह से ठोस में परिवर्तित नहीं हो जाता है अर्थात पूरी तरह से जम नही जाता है तब तक पदार्थ का ताप नियत बना रहता है , इसलिए क्रिस्टलीय ठोस के लिए शीतलन वक्र असतत प्राप्त होता है जैसा चित्र में दिखाया गया है –
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