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अभिसारी लेंस किसे कहते हैं , उभयोत्तल लेंस या अभिसारी लेंस , उभयावतल लेंस या अपसारी लेंस क्यों कहते है ?
converging lens in hindi अभिसारी लेंस किसे कहते हैं , उभयोत्तल लेंस या अभिसारी लेंस , उभयावतल लेंस या अपसारी लेंस क्यों कहते है ?
optical centre of lens in hindi , प्रकाशिकी केन्द्र , प्रकाशिक केंद्र , प्रकाशिकी अक्ष , लेंस के फोकस दूरी :-
लैंस : जब किन्ही दो अपवर्तक पृष्ठों के मध्य समांग व पारदर्शी माध्यम भरा हो तो इस व्यवस्था को लेंस कहते है।
लेंस मुख्यतः दो प्रकार के होते है –
- उत्तल लेंस
- अवतल लेंस
- उत्तल लेंस: वह लैंस जो किनारों पर पतला व बीच में मोटा होता है , उत्तल लेंस कहलाता है |
उत्तल लेंस को उभयोत्तल लेंस या अभिसारी लेंस भी कहते है |
- अवतल लेंस: वह लेंस जो किनारों पर मोटा व बीच में पतला होता है , अवतल लेंस कहलाता है |
अवतल लेंस को उभयावतल लेंस या अपसारी लेंस भी कहते है |
पतले उत्तल लेंस द्वारा अपवर्तन या लेंस सूत्र : माना एक पतला उत्तल लेंस M1M2 है | इसके दोनों अपवर्तक पृष्ठों की त्रिज्याएँ क्रमशः R1 व R1 है | लेंस का अपवर्तनांक u तथा इसके दोनों तरफ स्थित वायु का अपवर्तनांक एक (1) है | बिम्ब O से निकलने वाली प्रकाश किरण पहले अपवर्तक पृष्ठ M1P1M2 से अपवर्तित होकर बिंदु I’ पर आभासी प्रतिबिम्ब का निर्माण करती है , पहले अपवर्तक पृष्ठ M1P1M2 का प्रतिबिम्ब , दुसरे अपवर्तक पृष्ठ M1P2M2 के लिए आभासी बिम्ब का कार्य करता है | जिसका अपवर्तक पृष्ठ M1P2M2 के द्वारा प्रतिबिम्ब बिंदु I पर प्राप्त होता है |
अपवर्तक पृष्ठ M1P1M2 के लिए –
u1 = 1 , u2 = u , u = u , v = v’ तथा R = R1
अत: अपवर्तन सूत्र से –
-1/u + u/v’ = 1/R1 (u – 1) समीकरण -1
अपवर्तक पृष्ठ M1P2M2 से –
u1 = u1 , u2 = 1 , u = v’ , v = v तथा R = R2
अत: अपवर्तन सूत्र से –
-u/v’ + 1/v = 1/R2 (1-u) समीकरण -2
समीकरण 1 व समीकरण-2 को जोड़ने पर –
1/u + 1/v = 1/R(u-1) + 1/R2(1-u)
-1/u + 1/v = 1/R (u-1) – 1/R2(u-1)
-1/u + 1/v = (u-1)[1/R1 – R2] समीकरण -3
जब बिम्ब अनन्त पर (u = ∞) स्थित हो तो प्रतिबिम्ब मुख्य फोकस (v = f ) पर बनेगा |
अत: समीकरण-3 से –
-1/∞ + 1/f = (u – 1)[1/R1 – R2]
1/f = (u-1)[1/R1 – 1/R2] समीकरण -4
इसे ही लेंस में मेकर सूत्र कहते है |
समीकरण-3 व समीकरण-4 की तुलना करने पर –
-1/u + 1/v = 1/f
इसे लेंस सूत्र कहते है |
लैंस से सम्बंधित कुछ महत्वपूर्ण परिभाषाएँ
- द्वारक: लेंस के किनारों को मिलाने वाली सीधी रेखा को लेंस का द्वारक कहते है |
- प्रकाशिकी केन्द्र: लेंस के द्वारक पर स्थित वह बिंदु जिससे गुजरने वाली प्रकाश किरण बिना विचलित हुए सीधी गुजर जाए अर्थात द्वारक का मध्य बिंदु ही प्रकाशिकी केंद्र कहलाता है |
- प्रकाशिकी अक्ष: वह काल्पनिक रेखा जो लैंस के प्रकाशिकी केंद्र से होकर गुजरे तथा द्वारक के लम्बवत स्थित हो , लेंस की प्रकाशिकी अक्ष या मुख्य अक्ष कहलाती है |
- वक्रता केंद्र (C1तथाC2) : लैंस का अपवर्तक पृष्ठ जिस गोले से मिलकर बना हो उसका केन्द्र ही लेंस का वक्रता केंद्र कहलाता है।
प्रत्येक लेंस में दो वक्रता केंद्र होते है।
- वक्रता त्रिज्या (R1तथा R2): लेंस के प्रकाशिकी केंद्र व वक्रता केन्द्र के मध्य की सीधी दूरी , लैंस की वक्रता त्रिज्या कहलाती है। उत्तल लेंस की वक्रता त्रिज्या R1 सदैव धनात्मक तथा R2 सदैव ऋणात्मक होती है।
अवतल लेंस की वक्रता त्रिज्या R1 सदैव ऋणात्मक तथा R2 सदैव धनात्मक होती है।
- लेंस के फोकस (F1तथा F2): प्रकाशिकी अक्ष पर वह बिंदु जिससे आने वाली प्रकाश किरणें या आती हुई प्रतीत होने वाली प्रकाश किरणें अपवर्तन के पश्चात् प्रकाशिकी अक्ष के समान्तर हो जाती है तो उस बिंदु को लैंस का प्रथम फोकस कहते है। प्रकाशिकी अक्ष पर स्थित वह बिंदु जिससे मुख्य अक्ष के समान्तर आने वाली प्रकाश किरणें गुजरती है या गुजरती हुई प्रतीत होती है लेंस का द्वितीय फोकस कहलाता है।
- मुख्य फोकस (F): किसी भी लेंस का द्वितीय फोकस ही मुख्य फोकस कहलाता है।
- लेंस की फोकस दूरी (f): किसी लेंस के प्रकाशिकी केन्द्र तथा मुख्य फोकस के मध्य की सीधी दूरी को ही लेंस की फोकस दूरी कहते है।
उत्तल लेंस की फोकस दूरी सदैव धनात्मक होती है तथा अवतल लेंस की फोकस दूरी सदैव ऋणात्मक होती है।
लेंस से प्रतिबिम्ब बनाने के नियम (rules for image formation by lenses)
- जब कोई प्रकाश किरण मुख्य अक्ष के समान्तर आती है तो अपवर्तन के पश्चात् मुख्य फोकस से गुजरती है या गुजरती हुई प्रतीत होती है।
- जब कोई प्रकाश किरण फोकस से आपतित होती है या आपतित होती हुई प्रतीत होती है तो अपवर्तन के पश्चात् मुख्य अक्ष के समान्तर गुजरती है।
- जब कोई प्रकाश किरण लेंस के प्रकाशिकी केंद्र पर आपतित होती है तो अपवर्तन के पश्चात् बिना विचलित हुई सीधी गुजर जाती है।
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