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सांतत्य तथा अवकलनीयता कक्षा 12 गणित पीडीएफ डाउनलोड continuity and differentiability class 12 in hindi

By   June 15, 2023

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सांतत्य तथा अवकलनीयता pdf download

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सांतत्य (Continuity) और अवकलनीयता (Differentiability) दो गणितीय अवधारणाएं हैं जो एक फ़ंक्शन की स्थिरता और विभिन्नीकरण की गुणवत्ता को परिभाषित करती हैं। यह अवधारणाएं हिंदी में इस प्रकार होती हैं:

1. सांतत्य (Continuity):
सांतत्य वह गुणवत्ता है जिससे प्रकाशित किए गए फ़ंक्शन की स्थिरता और अविच्छेद्यता का पता चलता है। यदि एक फ़ंक्शन f(x) कोई सांतत्यपूर्ण स्थिति में होता है, तो उसके द्वारा प्रतिस्थापित किया जा सकने वाले किसी भी x मान के लिए f(x) का मान देशान्तरित होता है। अर्थात्, x के नजदीकी मानों के लिए f(x) का मान धीरे-धीरे बदलता है और कोई अविच्छेद्य क्रांति नहीं होती है।

2. अवकलनीयता (Differentiability):
अवकलनीयता वह गुणवत्ता है जो एक फ़ंक्शन के बहुत छोटे क्षेत्र में परिवर्तन की दर या मानकीय स्थानांतरण की गुणवत्ता को परिभाषित करती है। यदि एक फ़ंक्शन f(x) किसी x मान पर अवकलनीय है, तो उस x मान पर f(x) की मानकीय परिवर्तन दर या तार का सीमांक अवकलनीयता कहलाता है।

ये दो गणितीय अवधारणाएं फ़ंक्शन के गुणवत्ता और प्रदर्शन की महत्वपूर्ण विशेषताएं हैं और व्यापक रूप से विज्ञान, इंजीनियरिंग, और गणित में उपयोग होती हैं।

सांतत्य (Continuity) एक गणितीय अवधारणा है जो एक फ़ंक्शन की स्थिरता को परिभाषित करती है। यदि एक फ़ंक्शन f(x) कोई सांतत्यपूर्ण स्थिति में होता है, तो उसके द्वारा प्रतिस्थापित किया जा सकने वाले किसी भी x मान के लिए f(x) का मान धीरे-धीरे बदलता है। यहां हिंदी में सांतत्य के कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं का उल्लेख किया गया है:

1. सांतत्य का परिभाषा:
एक फ़ंक्शन f(x) को सांतत्यपूर्ण कहा जाता है यदि हर x मान के लिए f(x) की मानकीय परिवर्तन दर मौजूद होती है और जब x की मान धीरे-धीरे बदलती है, तो f(x) की मान धीरे-धीरे बदलती होती है।

2. सांतत्य की गुणवत्ता:
सांतत्य एक गुणवत्ता है जो फ़ंक्शन के संदर्भ में स्थायित्व और सुचारुता को परिभाषित करती है। एक सांतत्यपूर्ण फ़ंक्शन का मतलब होता है कि हम उसे किसी भी स्थिति में प्रदर्शित कर सकते हैं, और उसका व्यवहार बहुत छोटे परिवर्तनों के साथ संगठित रहता है।

3. सांतत्य की प्रमुखताएँ:
सांतत्य की प्रमुखताएँ शामिल होती हैं:
– सांतत्यपूर्ण फ़ंक्शन के द्वारा प्रतिस्थापित किए जाने वाले किसी भी x मान के लिए f(x) का मान व्यापकता के साथ स्थिर रहता है।
– सांतत्यपूर्ण फ़ंक्शन के द्वारा प्रतिस्थापित किए जाने वाले किसी भी x मान के लिए f(x) का मान तुल्यता के साथ स्थिर रहता है।
– सांतत्यपूर्ण फ़ंक्शन के द्वारा प्रतिस्थापित किए जाने वाले किसी भी x मान के लिए f(x) का मान लगातारी से बदलता है।

सांतत्य के आधार पर हम फ़ंक्शनों के गुणवत्ता का मूल्यांकन करते हैं और इसे गणित में व्यापक रूप से उपयोग करते हैं।

अवकलनीयता (Differentiability) एक गणितीय अवधारणा है जो फ़ंक्शन की मानकीय परिवर्तन की गुणवत्ता को परिभाषित करती है। यदि एक फ़ंक्शन f(x) किसी बिंदु x पर अवकलनीय है, तो उस बिंदु पर f(x) की मानकीय परिवर्तन दर या मानकीय स्थानांतरण की गुणवत्ता मौजूद होती है।

अवकलनीयता की प्रमुखताएँ:

1. मानकीय स्थानांतरण की गुणवत्ता:
अवकलनीयता का मतलब है कि जब हम x के नजदीकी मानों को धीरे-धीरे बदलते हैं, तब f(x) की मानकीय परिवर्तन दर या मानकीय स्थानांतरण बदलती है। अगर फ़ंक्शन f(x) किसी बिंदु x पर अवकलनीय है, तो हम उस बिंदु पर उसका टैंजेंट रेखा या सीमांकन कर सकते हैं और इससे हमें उस बिंदु पर फ़ंक्शन की संदर्भ में तार बदलने की जानकारी मिलती है।

2. सुविधाजनक व्यवहार:
अवकलनीय फ़ंक्शन सुविधाजनक व्यवहार प्रदर्शित करती है, यानी हम उसे अवश्य प्रदर्शित कर सकते हैं और उसका व्यवहार सुनिश्चित कर सकते हैं।

3. तारकरण की गुणवत्ता:
अवकलनीय फ़ंक्शन को हम तारकरण कर सकते हैं, यानी हम उसके मानकीय परिवर्तन दर को आसानी से अनुमानित कर सकते हैं।

अवकलनीयता की अनुप्रयोगिताएँ:
अवकलनीयता की अनुप्रयोगिताएँ विज्ञान, इंजीनियरिंग, आयामगणित, और अनुप्रयोगी गणित में होती हैं। यह हमें तारकरण, निर्णायक बिंदु, वेग, त्वरण, विभाजन, तत्वावधारण, विधुत, ऊर्जा, और अन्य विज्ञानी और इंजीनियरिंग प्रश्नों को हल करने में मदद करती है।

Continuity of a Function at a Point in hindi

किसी बिंदु पर फ़ंक्शन की सांतत्य (Continuity) हिंदी में “एक बिंदु पर फ़ंक्शन की सांदर्भिकता” कहलाती है। एक फ़ंक्शन f(x) किसी बिंदु c पर सांतत्यपूर्ण होता है जब वह बिंदु c पर संबंध बनाए रखता है, यानी हम c के नजदीकी मानों को धीरे-धीरे बदलते हैं और जब c की मान धीरे-धीरे बदलती है, तो f(x) का मान भी धीरे-धीरे बदलता है।

एक बिंदु c पर फ़ंक्शन की सांतत्य को निर्धारित करने के लिए हम निम्नलिखित शर्तों की जांच करते हैं:
1. लिमिट की मौजूदगी: फ़ंक्शन f(x) का लिमिट c पर मौजूद होना चाहिए, जिसका मतलब है कि x को c के पास ले जाने पर f(x) की मान का लिमिट c पर मौजूद होना चाहिए।
2. संयुक्त बनाए रखने की गुणवत्ता: फ़ंक्शन f(x) का मान c के पास x को ले जाने पर संयुक्त बनाए रखना चाहिए, यानी x के छोटे परिवर्तनों के साथ f(x) का मान भी छोटे परिवर्तनों के साथ बदलना चाहिए।
3. सांतत्य की समानता: फ़ंक्शन f(x) का मान c पर निर्धारित होना चाहिए,

यानी x को c के पास ले जाने पर f(x) का मान भी c पर होना चाहिए।

यदि ऊपर दिए गए तीनों शर्तों की पूर्ति होती है, तो हम कहते हैं कि फ़ंक्शन f(x) बिंदु c पर सांतत्यपूर्ण है। इसका मतलब होता है कि फ़ंक्शन c के आस-पास के मानों पर स्थिर रहता है और किसी भी छोटे परिवर्तन के साथ बदलाव को सहन कर सकता है।

Types of Discontinuity in hindi

गणित में सांतत्य के विभिन्न प्रकार होते हैं जिन्हें हिंदी में निरांतरता की अलग-अलग प्रकार कहा जाता है। यहां कुछ प्रमुख निरांतरता के प्रकार हैं:

1. प्रारंभिक निरांतरता (Jump Discontinuity):
यह निरांतरता तब होती है जब फ़ंक्शन का मान अचानक बदल जाता है और फ़ंक्शन के दोनों ओर मानकीय अंतर होता है। इसमें निरांतरता बिंदु पर मानकीय खंड बना रहता है।

2. आवर्ती निरांतरता (Removable Discontinuity):
यह निरांतरता तब होती है जब फ़ंक्शन के एक या अधिक बिंदुओं पर निरांतरता होती है, लेकिन उन बिंदुओं को हटाने से फ़ंक्शन को सांतत्य मिल जाती है। इस प्रकार की निरांतरता को आवर्ती निरांतरता भी कहा जाता है।

3. अनावर्ती निरांतरता (Non-removable Discontinuity):
यह निरांतरता तब होती है जब फ़ंक्शन के कुछ बिंदुओं पर निरांतरता होती है और उन बिंदुओं को हटाने से भी फ़ंक्शन को सांतत्य नहीं मिलती है। इस प्रकार की निरांतरता को अनावर्ती निरांतरता भी कहा जाता है

4. असीमित निरांतरता (Infinite Discontinuity):
यह निरांतरता तब होती है जब फ़ंक्शन का मान एक या अधिक बिंदुओं पर असीमित होता है। इसमें फ़ंक्शन की मानकीय खंड सीमा के पास असीमित जाती है।

ये हैं कुछ प्रमुख निरांतरता के प्रकार जो गणित में प्रयोग होते हैं। इनके अलावा भी और प्रकार हो सकते हैं जो विशेष प्रकार के फ़ंक्शन पर निर्भर करते हैं।