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ऊर्जा संरक्षण का नियम सिद्धांत : ऊर्जा संरक्षण का नियम किसने दिया (conservation of energy in hindi)
(conservation of energy in hindi) ऊर्जा संरक्षण का नियम सिद्धांत : ऊर्जा संरक्षण का नियम किसने दिया : इस नियम के अनुसार ऊर्जा एक संरक्षित राशि है अर्थात ऊर्जा को न तो बनाया जा सकता है और न ही नष्ट किया जा सकता है , इसे केवल एक रूप से दुसरे रूप में परिवर्तित किया जा सकता है , इसे ही ऊर्जा संरक्षण का नियम कहते है।
संरक्षण शब्द का अभिप्राय होता है एक ऐसे राशि जिसका मान परिवर्तित नही किया जा सकता है। किसी भी निकाय की कुल ऊर्जा का मान नियत रहता है अर्थात किसी घटना के पहले व घटना के बाद निकाय की कुल ऊर्जा का मान नियत रहता है। हालांकि ऊर्जा के एक रूप को दुसरे रूप में परिवर्तित किया जा सकता है लेकिन निकाय की कुल ऊर्जा संरक्षित बनी रहती है।
ऊर्जा को एक रूप से दुसरे रूप में निम्न प्रकार बदला जा सकता है –
संरक्षण शब्द का अभिप्राय होता है एक ऐसे राशि जिसका मान परिवर्तित नही किया जा सकता है। किसी भी निकाय की कुल ऊर्जा का मान नियत रहता है अर्थात किसी घटना के पहले व घटना के बाद निकाय की कुल ऊर्जा का मान नियत रहता है। हालांकि ऊर्जा के एक रूप को दुसरे रूप में परिवर्तित किया जा सकता है लेकिन निकाय की कुल ऊर्जा संरक्षित बनी रहती है।
ऊर्जा को एक रूप से दुसरे रूप में निम्न प्रकार बदला जा सकता है –
- विद्युत ऊर्जा को मोटर की सहायता से यांत्रिक ऊर्जा में परिवर्तित किया जा सकता है।
- रासायनिक ऊर्जा को सेल की सहायता से विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित किया जा सकता है।
- हीटर की सहायता से वैद्युत ऊर्जा को ऊष्मा ऊर्जा में बदला जा सकता है।
- जनरेटर की सहायता से यान्त्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा के रूप में बदला जा सकता है।
- फोटोसेल की मदद से प्रकाश उर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदला जाता है।
“किसी विलगित निकाय की कुल ऊर्जा का मान नियत रहता है अर्थात किसी विलगित निकाय की कुल ऊर्जा संरक्षित रहता है , ऊर्जा को न तो बनाया जा सकता है और न ही नष्ट किया जा सकता है , ऊर्जा को केवल एक रूप से दुसरे रूप में परिवर्तित किया जा सकता है इसे ही ऊर्जा का संरक्षण का नियम या सिद्धांत कहलाता है। “
सबसे पहले इस प्रकार की ऊर्जा गतिज ऊर्जा के रूप में पहचानी गयी थी अर्थात यह गुण सबसे पहले गतिज उर्जा के लिए देखा गया था। कुछ प्रत्यास्थ टक्करों में टक्कर से पहले व टक्कर के बाद कणों की गतिज उर्जा का योग समान पाया गया।
इसी प्रकार एक पेंडुलम की गति में भी ऊर्जा का मान संरक्षित रहता है , जब पेंडुलम ऊपर की तरफ गति करता है तो गतिज ऊर्जा , स्थितिज ऊर्जा के रूप में परिवर्तित होती है और जब पेंडुलम ऊपर जाकर रुक जाता है तो इस स्थिति में गतिज ऊर्जा शून्य हो जाती है और सम्पूर्ण गतिज ऊर्जा , स्थितिज ऊर्जा के रूप में संरक्षित हो जाती है , जब पेंडुलम निचे की तरफ आने लगता है तो स्थितिज ऊर्जा पुन: गतिज ऊर्जा के रूप में परिवर्तित होने लगती है और इस प्रकार निकाय की कुल ऊर्जा संरक्षित रहती है केवल ऊर्जा एक रूप से दुसरे रूप में परिवर्तित होती रहती है।
इसी प्रकार एक पेंडुलम की गति में भी ऊर्जा का मान संरक्षित रहता है , जब पेंडुलम ऊपर की तरफ गति करता है तो गतिज ऊर्जा , स्थितिज ऊर्जा के रूप में परिवर्तित होती है और जब पेंडुलम ऊपर जाकर रुक जाता है तो इस स्थिति में गतिज ऊर्जा शून्य हो जाती है और सम्पूर्ण गतिज ऊर्जा , स्थितिज ऊर्जा के रूप में संरक्षित हो जाती है , जब पेंडुलम निचे की तरफ आने लगता है तो स्थितिज ऊर्जा पुन: गतिज ऊर्जा के रूप में परिवर्तित होने लगती है और इस प्रकार निकाय की कुल ऊर्जा संरक्षित रहती है केवल ऊर्जा एक रूप से दुसरे रूप में परिवर्तित होती रहती है।
ऊर्जा संरक्षण का नियम किसने दिया
1841 में Julius Robert Mayer (जूलियस रॉबर्ट मेयर) ने ऊर्जा संरक्षण के लिए सबसे पहले अपना सिद्धांत दिया दिया या नियम के बारे में विस्तार से बताया , इसलिए जूलियस रॉबर्ट मेयर को ऊर्जा संरक्षण का जनक कहा जाता है या यह कहा जाता है कि यह नियम इन्होने दिया।
इन्होने उष्मागतिकी का आविष्कार किया या खोज की और सबसे पहले अपने ऊष्मागतिकी के प्रथम नियम में यह बताया था की ऊर्जा को न तो बनाया जा सकता है और न ही नष्ट किया जा सकता है , यही ऊष्मा संरक्षण का नियम है इसलिए इनको ऊर्जा संरक्षण के नियम का आविष्कारक कहा जाता है।
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