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चालक व कुचालक क्या है ? विद्युत रोधी ,अचालक की परिभाषा एवं उदाहरण , अंतर conductor and insulator meaning in hindi
conductor and insulator meaning in hindi , चालक व कुचालक क्या है ? विद्युत रोधी ,अचालक की परिभाषा एवं उदाहरण , अंतर चालक किसे कहते है ?
परिभाषा : प्रकृति में विद्युत धारा का चालन भिन्न भिन्न हो सकता है अतः विद्युत धारा के चालन के आधार पर हम पदार्थों को दो भागो में बांटते है।
1. चालक (conductor )
2. विद्युत रोधी (कुचालक) (अचालक ) ( insulator )
चालक तथा विद्युत रोधी (कुचालक ) (अचालक ) में अंतर (difference between conductor and insulator in points )
चालक | विद्युत रोधी |
1. इनसे धारा का प्रवाह होता है। | इनमे विद्युत धारा का प्रवाह नहीं होता। |
2. विद्युत क्षेत्र पृष्ठ पर होता है तथा अंदर शून्य होता है। | विद्युत क्षेत्र नहीं पाया जाता है। |
3. चुंबकीय क्षेत्र में ऊर्जा संचित करते है। | ऊर्जा संचित नहीं करते। |
4. सभी बिंदु पर विद्युत विभव समान होता है। | विभव का मान शून्य रहता है। |
5. ऊष्मा गति अधिक होती है। | उष्मा गति कम होती है। |
6. उपसहसंयोजक बंध कमज़ोर होते है। | इनमे बंध अधिक मजबूत होते है। |
7. चालकता अधिक होती है। | चालकता बहुत कम होती है। |
8. प्रतिरोध कम होता है। | प्रतिरोध बहुत अधिक होता है। |
9. इलेक्ट्रॉन का प्रवाह आसानी से होता है। | इलेक्ट्रॉन का प्रवाह नहीं होता। |
10. चालक बैंड इलेक्ट्रॉन से भरा होता है | चालक बैंड खाली रहता है |
11. वैलेंस बैंड खाली रहता है। | वैलेन्स बैंड इलेक्ट्रॉन से भरा रहता है। |
12. ऊर्जा अन्तराल नगण्य होता है। | ऊर्जा अंतराल अधिक होता है। |
चालक : चालक वे पदार्थ है जिनमे बाह्य इलेक्ट्रॉन बहुत ढीले बंधे होते है इसलिए वे गति के लिए मुक्त होते है। वे पदार्थ जिनमे अधिक संख्या में मुक्त इलेक्ट्रॉन होते है उन्हें चालक कहते है। उदाहरण के लिए धातुएँ।
चालक– जिन पदार्थो से होकर आवेश का प्रवाह सरलता से होता है, उन्हें चालक कहते है। लगभग सभी धातुएँ अम्ल, क्षार, लवण के जलीय विलयन, मानव शरीर आदि विद्युत चालक पदार्थ के उदाहरण है। चाँदी सबसे अच्छा चालक होता है।
अचालक– जिन पदार्थो से होकर आवेश का प्रवाह नहीं होता है, उन्हें अचालक कहते है। लकडी, रबर, कागज, अभ्रक, शुद्ध आसुत जल आदि अचालक पदार्थो के उदाहरण है।
अर्द्धचालक – कुछ पदार्थ ऐसे होते है, जिनकी विद्युत चालकता चालक एवं अचालक पदार्थो के बीच होती है, उन्हें अर्द्धचालक कहते हैं। सिलिकन, जर्मेनियम, कार्बन, सेलेनियम आदि अर्द्धचालक के उदाहरण है।
ताप बढ़ाने पर चालक पदार्थो का विद्युत प्रतिरोध बढ़ता है तथा उसकी विद्युत चालकता घटती है, जबकि अर्द्धचालक पदार्थो की विद्युत चालकता ताप के बढाने पर बढ़ती है तथा ताप के घटाने पर घटती है। परम शून्य ताप पर अर्द्धचालक पदार्थ अचालक की भाँति व्यवहार करता है। अर्द्धचालक पदार्थों में अशुद्धियाँ मिलाने पर भी उसकी विद्युत चालकता बढ़ जाती है। चालक, अचालक एवं अर्द्धचालक पदार्थों की व्याख्या इलेक्ट्रॉनिक सिद्धान्त क अनुसार की जा सकती हैं। चालक पदार्थों में कुछ मुक्त इलेक्ट्रॉन होते है, जिससे उनमें विद्युत चालन की क्रिया सरलता से होती है। अचालक पदार्थों में मुक्त इलेक्ट्रॉनों की अनुपस्थिति होने के कारण इनसे होकर विद्युत का चालन नहीं होता है। अर्द्धचालकों में सामान्य अवस्था में मुक्त इलेक्ट्रॉन नहीं होते है, लेकिन विशेष परिस्थितियों जैसे उच्च ताप या अशुद्धियाँ मिलाने पर मुक्त इलेक्ट्रॉन प्राप्त किए जा सकते है।
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