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अर्धचालक की चालकता (conductivity of semiconductor in hindi)
अर्धचालक में मुक्त इलेक्ट्रॉन (आवेश) का घनत्व का मात्रा कुचालक से कम होती है तथा कुचालक से अधिक होती है और यही कारण होता है कि अर्धचालकों में विद्युत धारा का प्रवाह चालकों से कम और कुचालकों से अधिक होता है। अर्थात अर्धचालक में विद्युत का प्रवाह चालक और कुचालकों के मध्य की पायी जाती है।
जब अर्धचालक शुद्ध अवस्था में होते है अर्थात निज अर्धचालकों में सभी बाह्यतम इलेक्ट्रॉन अपने पास वाले परमाणुओं के इलेक्ट्रॉन के साथ सहसंयोजक बंध द्वारा बन्धे रहते है जिससे कोई मुक्त इलेक्ट्रॉन (आवेश) नहीं रह पाता इसलिए निज अर्धचालकों की चालकता बहुत कम होती है।
लेकिन जब निज अर्धचालकों में पांचवें ग्रुप के तत्वों को मिलाया जाता है तो चार इलेक्ट्रॉन को आपस में बंध बना लेते है लेकिन पांचवा इलेक्ट्रॉन मुक्त अवस्था में रह जाता है जो विद्युत धारा में अपना योगदान देता है इसे n प्रकार के अर्धचालक कहते है।
दूसरी तरफ जब निज अर्धचालकों में तीसरे ग्रुप के तत्वों को मिलाया जाता है तो तीन इलेक्ट्रॉन तो बंध बना लेते है लेकिन एक इलेक्ट्रॉन की कमी रह जाती है अर्थात एक होल या कोटर बन जाता है जो इलेक्ट्रॉन की कमी को दर्शाता है और यह कोटर या होल विद्युत धारा में अपना योगदान देता है , इस प्रकार के अर्धचालक को p प्रकार के अर्धचालक कहते है।
निज अर्धचालक में इलेक्ट्रॉन और कोटर की संख्या समान होती है इसलिए विद्युत धारा दोनों के कारण होती है (बहुत कम चालकता होती है )
जब किसी निज अर्धचालक के सिरों पर विभवान्तर आरोपित किया जाता है तो इसमें इलेक्ट्रॉन और होल के कारण विद्युत धारा बहती है।
विद्युत धारा = कोटर या होल के कारण विद्युत धारा + इलेक्ट्रॉन के कारण विद्युत धारा
माना होल या कोटर का चालकत्व μh और इलेक्ट्रॉन की चालकत्व μe है।
होल या कोटर के कारण ड्रिफ्ट धारा
इलेक्ट्रॉन के कारण ड्रिफ्ट धारा
यहाँ n मुक्त इलेक्ट्रॉन का परिमाण है तथा p = होल या कोटर का परिमाण है तथा E = विभवान्तर है।
चूँकि किसी अर्धचालक में चालकता होल व इलेक्ट्रॉन दोनों के कारण होती है अत: किसी अर्धचालक में विद्युत चालकता का मान दोनों के योग के बराबर होगा –
चूँकि किसी निज अर्धचालक में कोटर व इलेक्ट्रॉन की संख्या बराबर होती है इसलिए माना यह संख्या ni है।
जब ताप को बढाया जाता है तो बंध टूटने लगते है और होल व इलेक्ट्रॉन मुक्त हो जाते है जिससे ताप बढ़ाने पर चालकता भी बढती है , निज अर्धचालक में ताप के साथ चालकता के सम्बन्ध को निम्न सूत्र द्वारा ज्ञात किया जाता है –
माना n = p = ni
यहाँ T = केल्विन में तापमान है।
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