चालकता (k) पर तनुता का प्रभाव , चालकत्व (C) पर तनुता का प्रभाव , कोलराउस का नियम , अभिगमनांक (t)

चालकता (k) पर तनुता का प्रभाव (conductivity effect on dilution) : इकाई आयतन विलयन में उपस्थित सभी आयनों द्वारा उत्पन्न चालकत्व ही चालकता कहलाती है।

विलयन की तनुता बढ़ाने पर चालकता का मान घटता है क्योंकि तनुता बढाने से विलयन के प्रति इकाई आयतन में आयनों की संख्या कम हो जाती है।

लेकिन तनुता बढाने पर विलयन की चालकता का मान कुछ कम घटता है क्योंकि तनुता बढ़ाने पर विलयन में उपस्थित विद्युत अपघट्य का वियोजन होने से आयनों की संख्या में आंशिक रूप से वृद्धि हो जाती है।

मोलर चालकता (λm) पर तनुता का प्रभाव

विलयन की तनुता बढाने पर मोलर चालकता का मान बढ़ता है।

क्योंकि तनुता बढाने से एक मोल विद्युत अपघट्य रखने वाले विलयन में उपस्थित आयनों के मध्य आकर्षण बल कम हो जाता है इस कारण आयनों की गति बढ़ने से मोलर चालकता बढती है।

लेकिन तनुता बढाने पर प्रबल विद्युत अपघट्यो की तुलना में दुर्बल विद्युत अपघट्यो के विलयन की मोलर चालकता अधिक बढती है क्योंकि दुर्बल विद्युत अपघट्यो के विलयन में तनुता बढाने से आयनों के मध्य आकर्षण बल कम होने के साथ साथ वियोजन होने से आयनों की संख्या में वृद्धि हो जाती है।  इस कारण इनकी मोलर चालकता अधिक बढती है।

लेकिन पूर्ण वियोजन होने के बाद और अधिक तनुता बढाने पर मोलर चालकता का मान नहीं बढ़ता क्योंकि अधिक तनुता पर आयनों के मध्य आकर्षण बल शून्य हो जाता है अत: इस स्थिति में मोलर चालकता को अन्नत स्थिति पर मोलर चालकता (λm ) या शून्य सांद्रता पर मोलर चालकता (λm0) या मोलर चालकता का सीमान्त मान कहते है।

चालकत्व (C) पर तनुता का प्रभाव

तनुता बढाने पर विलयन का चालकत्व बढ़ता है क्योंकि तनुता बढाने से वियोजन होने के कारण आयनों की संख्या बढती है तथा आयनों के मध्य आकर्षण बल भी घटता है इस कारण विलयन का चालकत्व बढ़ता है।

कोलराउस का नियम

इसे आयनों के स्वतंत्र अभिगमन का नियम भी कहते है।
इस नियम के अनुसार किसी विलयन की अन्नत तनुता पर मोलर चालकता उस विलयन में उपस्थित सभी धनायनो एवं ऋण आयनों की अन्नत तनुता पर मोलर चालकताओ के योग के बराबर होती है।
अत:
Λm  = VΛ+ + V Λ
यहाँ
Λm  = विलयन की ∞ तनुता पर मोलर चालकता।
 Λ+ =  धनायन की ∞ तनुता पर मोलर चालकता
 Λ∞ =  ऋण आयन की ∞ तनुता पर मोलर चालकता
V=  धनायन की मोल संख्या
V  =  ऋण आयन की मोल संख्या
उदाहरण : NaCl के लिए –
ΛNaCl  = λNa+  + λCl-
कोलराउस ने आयनों की अन्नत तनुता पर मोलर चालकता को अभिगमनांक से सम्बन्धित किया।
अभिगमनांक (t) : किसी आयन की अन्नत तनुता पर मोलर चालकता व विलयन की अंनत तनुता पर मोलर चालकता का अनुपात अभिगमनांक (t) कहलाता है।
धनायन का अभिगमनांक (t+) = Λ+/ Λm 
Λ+∞ t+. Λm 
ऋण आयन का अभिगमनांक (t) = Λ/ Λm 
Λ∞  =  t. Λm 
अत: इससे स्पष्ट है कि किसी आयन की अनन्त तनुता पर मोलर चालकता का मान उस आयन के अभिगमनांक तथा विलयन की अन्नत तनुता पर मोलर चालकता के गुणनफल के बराबर होता है।

कोलराउस के नियम के अनुप्रयोग

(1) दुर्बल विद्युत अपघट्यो की अन्नत तनुता (Λm ) पर मोलर चालकता के निर्धारण में : कोलराउस के नियम के आधार पर किसी दुर्बल विद्युत अपघट्यो की अन्नत तनुता पर मोलर चालकता (Λm ) का निर्धारण कुछ प्रबल विद्युत अपघट्यो की Λm  के मानो से किया जा सकता है।
जैसे : दुर्बल विद्युत अपघट्य CH3COOH की Λm  को कुछ प्रबल विद्युत अपघट्यो जैसे CH3COONa , HCl , NaCl के Λm  के आधार पर ज्ञात कर सकते है।
ΛCH3COONa ∞  = λCH3COO-  + λNa+ [समीकरण-1]
ΛHCl ∞  = λH+  + λCl-∞  [समीकरण-2]
ΛNaCl ∞  = λNa+  + λCl-∞  [समीकरण-3]
समीकरण 1 + 2 – 3 से
= λCH3COO-  + λH+
=  ΛCH3COOH ∞