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CONDUCTION BY DRIFT in hindi semiconductor अर्धचालक में अपवाह द्वारा चालन की परिभाषा क्या है
अर्धचालक में अपवाह द्वारा चालन की परिभाषा क्या है CONDUCTION BY DRIFT in hindi semiconductor ?
अपवाह द्वारा चालन (CONDUCTION BY DRIFT)
जब किसी अर्धचालक में बाह्य विद्युत क्षेत्र आरोपित किया जाता है तो मुक्त आवेश वाहक (इलेक्ट्रॉन तथा होल) दो प्रकार से धारा उत्पन्न करते हैं। (i) अपवाह धारा (drift current) यह धारा बाह्य विद्युत क्षेत्र के अनुदिश आवेश वाहकों के गति के फलस्वरूप अर्धचालक या चालक में प्रवाहित होती है। (ii) विसरण धारा ( diffusion current)— यह धारा अर्धचालक में मुक्त आवेश वाहकों के उच्च सान्द्रता क्षेत्र (high concentration region) से निम्न सान्द्रता क्षेत्र (low concentration region) की ओर विसरण करने से उत्पन्न होती है।
अपवाह धारा का मान ज्ञात करने के लिए मान लीजिए किसी L लम्बाई तथा A अनुप्रस्थ काट के बेलनाकार अर्धचालक में छड़ in मुक्त इलेक्ट्रॉन प्रति एकांक आयतन है। और इसके दोनों सिरों के मध्य विद्युत क्षेत्र E आरोपित किया जाता है, देखिये चित्र (2.13 – 1 ) । इससे मुक्त इलेक्ट्रॉन अनुप्रस्थ अपवाह वेग v. से विद्युत क्षेत्र के विपरीत दिशा में गति करते हैं। अत: L लम्बाई के अर्धचालक में मुक्त इलेक्ट्रॉनों को तय करने में लगा समय
t = L/ve ……………………….(1)
इस बेलन में कुल मुक्त इलेक्ट्रॉनों की संख्या
= इलेक्ट्रॉन संख्या प्रति एकांक आयतन आयतन
= n AL
.: इलेक्ट्रॉन आवेश वाहकों का कुल आवेश
= n ALe …………………..(2)
यहाँ e एक इलेक्ट्रॉन का आवेश है।
अपवाह वेग ve के कारण यह मुक्त आवेश बेलन के किसी अनुप्रस्थ काट को t सेकण्ड में पार करता है।
आवेश प्रवाह प्रति सेकण्ड अर्थात् धारा
Ie =nALe /t
समीकरण (1) से / का मान रखने पर
Ie = neve A
अतः इलेक्ट्रॉन धारा घनत्व या धारा प्रति एकांक क्षेत्रफल
Je = Ie/A = neve A/m2 …………………………….(3)
अर्धचालक में धन आवेश वाहक होल (hole) भी गति करते हैं। यदि बाह्य विद्युत क्षेत्र के कारण होलों का अपवाह वेग vh है तो
होल धारा घनत्व Jh = pevh A/m2 …………………….(4)
यहाँ अर्धचालक में मुक्त होलों की संख्या प्रति एकांक आयतन p है।
अर्धचालक में इलेक्ट्रॉन तथा होल दोनों आवेश वाहक का कार्य करते हैं तथा विद्युत क्षेत्र आरोपित करने पर दोनों आवेश वाहक विपरीत दिशा में गति करते हैं जिससे धारा एक ही दिशा में प्रवाहित होती है।
कुल धारा घनत्व J = Je + Jh
आवेश वाहकों का अपवाह (drift) वेग आरोपित विद्युत क्षेत्र के अनुक्रमानुपाती होता है इसलिए अपवाह वेग तथा बाह्य क्षेत्र की निष्पति नियत होती है इसे आवेश वाहक की गतिशीलता (mobility) कहते हैं। इसकी इकाई मी 2 प्रति वोल्ट-सेकण्ड (m2/V-s) होती है ।
इलेक्ट्रॉनों की गतिशीलता
इसी प्रकार होलों की गतिशीलता
गतिशीलता के पदों में धारा घनत्व
अपवाह के कारण अर्धचालक की चालकता
प्रतिरोधकता (resistivity)
अतः अपद्रव्यी अर्धचालक में चालकता दाता ( donor) या ग्राही ( acceptor ) परमाणुओं के संख्या घनत्व पर निर्भर करती है।
2.14 विसरण द्वारा चालन (CONDUCTION BY DIFFUSION)
जब किसी अर्ध चालक में मुक्त आवेश वाहकों के घनत्व की प्रवणता होती है अर्थात् अर्ध चालक के भिन्न-भिन्न स्थानों पर आवेश वाहक घनत्व का मान भिन्न-भिन्न हो तो मुक्त आवेश वाहक उच्च घनत्व वाले क्षेत्र से निम्न घनत्व वाले क्षेत्र की ओर विसरण करते हैं इससे अर्धचालक में धारा प्रवाहित होती है। इस धारा को विसरण धारा कहते हैं। उदाहरण के तौर पर P अर्धचालक का N अर्धचालक से संधि करे अर्थात् परमाण्विक रूप से जोड़ दें तो सन्धि स्थल पर चित्र (2.14-1) के अनुसार आवेश वाहक घनत्व की प्रवणता उत्पन्न हो जाती है। इससे P अर्धचालक से N अर्धचालक की ओर होल विसरण होता है तथा N से P की ओर इलेक्ट्रॉन विसरण । निश्चित ही दोनों N तथा P प्रकार के अर्धचालक वैद्युत रूप से उदासीन होते हैं परन्तु N – अर्धचालक में मुक्त इलेक्ट्रॉनों का घनत्व अधिक होता है जब कि P -अर्धचालक में विवरों (होल) का घनत्व अधिक होता है।
वास्तविकता में ये प्रभाव संधि तल के निकट संकीर्ण प्रभाग में (x) व की ओर इलेक्ट्रॉनों के विसरण तथा P से N की ओर होल विसरण के कारण इस प्रभाग में मुक्त इलेक्ट्रॉन व होल का 2 के मध्य ) होते हैं। N प्रभाग से P विलोपन हो जाता है अर्थात् इस संकीर्ण परत में मुक्त आवेश वाहक लुप्त हो जाते हैं इस कारण संधि पर इस प्रकार की परत को अवक्षय परत ( depletion layer) कहते हैं। P- भाग की ओर का तल ऋणावेशित हो जाता है। इसी प्रकार होल विसरण से N- भाग में अवक्षय परत का तल धनावेशित। इन तलों पर विपरीत आवेश संग्रहित होने से एक विद्युत क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है। इस विद्युत क्षेत्र के कारण आवेश वाहकों पर बल कार्य करता है जो उनकी विसरण दिशा के विपरीत होता है। संतुलन अवस्था में संधि तल पर विद्युत क्षेत्र के कारण बल, सांद्रता के कारण बल के बराबर हो जाता है और विसरण रूक जाता है। घनत्व प्रवणता के कारण होल तथा इलेक्ट्रॉन दोनों का विसरण होता है। इनका विसरण स्वतंत्र रूप से पृथक् माना जा सकता है। अब हम P-N संधि का विचार त्याग कर विश्लेषण ( analysis) को सरल करने के लिए केवल होलों के एक निश्चित दिशा x में प्रवाह पर विचार करते हैं। माना किसी निर्देश तल x जिस पर होल घनत्व p है, के दोनों तरफ Ar दूरी पर दो तल हैं। 4x होल का माध्य मुक्त पथ है जो यादृच्छिक गति में स्वतन्त्र रूप से तय की गई माध्य दूरी होती है । इस दूरी को तय करने में माध्य समय मान लीजिये t है। माना +x दिशा में होल घनत्व में दूरी के सापेक्ष वृद्धि होती है और होल घनत्व की प्रवणता (dp/dx) है।
यादृच्छिक गति के कारण +x वx दोनों दिशाओं में इन होलों की गति की प्रायिकता समान है। तल x को केवल वे होल ही पार करेंगे जिनका वेग (+x) दिशा में है अत: t समय में तल x को पार कर दायीं ओर जाने वाले होलों की संख्या
अतः निर्देश तल x से प्रति सेकण्ड प्रति एकांक क्षेत्रफल दायीं ओर गुजरने वाली होलों की संख्या
यहाँ होल का माध्य तापीय वेग
इसी प्रकार निर्देश तल x के बायीं तरफ (x) दिशा में विसरण करने वाले होलों की संख्या प्रति सेकण्ड प्रति एकांक क्षेत्रफल
विसरण द्वारा नैज होल प्रवाह प्रति सेकण्ड प्रति एकांक क्षेत्रफल (+x दिशा में)
विसरण की परिभाषा से
नेट फ्लक्स घनत्व == X विसरण गुणांक सान्द्रता प्रवणता =
यहां होल विसरण गुणांक ( diffusion constant )
चूंकि होल का आवेश +c होता है इसलिए + x दिशा में विसरण के कारण नेट आवेश प्रवाह प्रति सेकण्ड एकांक क्षेत्रफल या होल धारा प्रति एकांक क्षेत्रफल अथवा होल धारा घनत्व
बाह्य विद्युत क्षेत्र की उपस्थिति में अर्धचालक में कुल होल धारा घनत्व
इसी प्रकार मुक्त इलेक्ट्रॉनों की x दिशा में सांद्रता प्रवणता (dn / dx) के कारण एकांक क्षेत्रफल से एकांक समय + x दिशा में इलेक्ट्रॉन प्रवाह
बाह्य विद्युत क्षेत्र की उपस्थिति में अर्धचालक में कुल इलेक्ट्रॉन धारा घनत्व
विसरण गुणांक D तथा गतिशीलता । परस्पर स्वतन्त्र नहीं होते हैं बल्कि एक दूसरे पर निर्भर करते हैं। आइन्सटीन के अनुसार
यहाँ k वोल्ट्जमान नियतांक हैं जिसका मान 1.38 × 10-23 जूल प्रति केल्विन (J/K) होता है।
P-N संधि के लिये होल – सांद्रता प्रवणता व मुक्त इलेक्ट्रॉन सांद्रता प्रवणतायें विपरीत दिशा में होती है अतः होल व इलेक्ट्रॉनों का विसरण विपरीत दिशा में होता है परन्तु विपरीत आवेश होने से विसरण धाराएँ समान दिशा में होती हैं।
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