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विद्युत अपघटन विलयन की चालकता , विधुत अपघटनी का प्रतिरोधकता , चालकत्व (conductance of electrolytic solution)
(conductance of electrolytic solution) विद्युत अपघटन विलयन की चालकता , विधुत अपघटनी का प्रतिरोधकता , चालकत्व : हमने छोटी कक्षा में चालक और कुचालक के बारे में पढ़ा है , याद रखे चालक वह पदार्थ होता है जिसमें मुक्त इलेक्ट्रॉन पाए जाते है जिनकी गति से चालक पदार्थ से होकर विद्युत धारा का प्रवाह आसानी से होता रहता है , दूसरी तरफ कुचालक वे पदार्थ होते है जिनमें मुक्त इलेक्ट्रॉनों का अभाव होता है इसलिए कुचालक पदार्थ से होकर विद्युत धारा का प्रवाह नही होता है।
अर्थात वे पदार्थ जिनसे होकर विद्युत का प्रवाह होता है उन्हें चालक और जिनमें विद्युत् का प्रवाह नहीं होता है उन्हें कुचालक पदार्थ कहते है।
अर्थात वे पदार्थ जिनसे होकर विद्युत का प्रवाह होता है उन्हें चालक और जिनमें विद्युत् का प्रवाह नहीं होता है उन्हें कुचालक पदार्थ कहते है।
विद्युत अपघटनी विलयन का चालकत्व , प्रतिरोधकता , चालकता
किसी भी पदार्थ के के प्रतिरोध को R द्वारा व्यक्त किया जाता है , किसी भी चालक पदार्थ का विद्युत प्रतिरोध का मान उस चालक की लम्बाई के समानुपाती होता है तथा साथ ही चालक का प्रतिरोध का मान उस चालक के अनुप्रस्थ काट के व्युत्क्रमानुपाती होता है।
माना किसी चालक का प्रतिरोध R है , चालक तार की लम्बाई L है तथा अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल A है तो
अर्थात
R ∝ L
R ∝ 1/A
दोनों को सम्मिलित रूप से लिखने पर
R ∝ L/A
समानुपाती का चिन्ह हटाने पर
R = ρL/A
यहाँ ρ एक समानुपाती स्थिरांक है चालक का विशिष्ट प्रतिरोध या चालक की प्रतिरोधकता कहलाती है।
यहाँ ध्यान दे कि चालक के प्रतिरोध का SI मात्रक ‘ओम’ होता है तथा चालक प्रतिरोधकता का मात्रक ‘ओम-मीटर’ होता है।
सूत्र के आधार पर किसी भी चालक की प्रतिरोधकता को निम्न प्रकार से परिभाषित किया जाता है –
प्रतिरोधकता : 1 मीटर लम्बाई और 1 m2 के अनुप्रस्थ काट वाले चालक के प्रतिरोध का मान प्रतिरोधकता कहलाती है। अर्थात इस सूत्र में A = 1 और L = 1 रखने पर ρ = R हो जाता है।
कोई भी विद्युत अपघट्य विलयन चालक की तरह कार्य करता है लेकिन किसी विद्युत अपघट्य विलयन के प्रतिरोध का मान ज्ञात न करके चालकत्व ज्ञात किया जाता है जो कि प्रतिरोधक का व्युत्क्रम होता है।
चालकत्व : प्रतिरोध के व्युत्क्रम को चालकत्व कहा जाता है।
चालकत्व (G) = 1/R
किसी भी विलयन में विद्युत प्रवाह का मापन चालकत्व के मान द्वारा ज्ञात की जाती है अर्थात इसके मान पर किसी विलयन में विद्युत प्रवाह का मान व्यक्त किया जाता है।
G = 1/R
इसमें R का मान रखने पर
G = A/ρL
यहाँ 1/ρ = k रखने पर
G = kA/L
यहाँ k को विशिष्ट चालकत्व कहते है , इसका मान 1/ρ के बराबर होता है यहाँ ρ = विशिष्ट प्रतिरोध या प्रतिरोधकता कहते है।
विद्युत अपघट्य की चालकता को प्रभावित करने वाले कारक
यहाँ हम कुछ कारकों के बारे में अध्ययन करेंगे जो किसी भी विद्युत अपघट्य विलयन की चालकता को प्रभावित करते है।
1. ताप : जब ताप का मान बढाया जाता है तब विद्युत अपघट्य विलयन में आयनों की गति बढ़ जाती है , जिसके कारण विलायक की श्यानता कम हो जाती है और परिणामस्वरूप चालकता का मान बढ़ जाता है , अत: ताप बढ़ाने पर चालकता बढ़ जाती है ताप कम करने पर चालकता कम हो जाती है।
2. विद्युत अपघट्य की प्रकृति : जो विद्युत अपघट्य दुर्बल प्रकृति के होते है अर्थात विलयन में कम अपघटित होते है उनके लिए चालकता का मान कम होता है तथा जो विद्युत अपघट्य विलयन में अधिक अपघटित हो जाते है उनके लिए चालकता का मान अधिक होता है अत: चालकता का मान विद्युत अपघट्य की प्रकृति पर निर्भर करता है।
3. विद्युत अपघट्य की सांद्रता : किसी विलयन में विद्युत अपघट्य की सांद्रता जितनी अधिक होती है तो विलयन में विद्युत आयन अधिक होते है इसलिए इस स्थिति में चालकता का मान अधिक होता है तथा जब विद्युत अपघट्य पदार्थ की मात्रा या सांद्रता का मान कम होता है उस स्थिति में विद्युत चालकता का मान घटता है। लेकिन सांद्रता घटाने पर मोलर चालकता का मान बढ़ता है।
2. विद्युत अपघट्य की प्रकृति : जो विद्युत अपघट्य दुर्बल प्रकृति के होते है अर्थात विलयन में कम अपघटित होते है उनके लिए चालकता का मान कम होता है तथा जो विद्युत अपघट्य विलयन में अधिक अपघटित हो जाते है उनके लिए चालकता का मान अधिक होता है अत: चालकता का मान विद्युत अपघट्य की प्रकृति पर निर्भर करता है।
3. विद्युत अपघट्य की सांद्रता : किसी विलयन में विद्युत अपघट्य की सांद्रता जितनी अधिक होती है तो विलयन में विद्युत आयन अधिक होते है इसलिए इस स्थिति में चालकता का मान अधिक होता है तथा जब विद्युत अपघट्य पदार्थ की मात्रा या सांद्रता का मान कम होता है उस स्थिति में विद्युत चालकता का मान घटता है। लेकिन सांद्रता घटाने पर मोलर चालकता का मान बढ़ता है।
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