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संपीड्यता क्या है ? परिभाषा , सूत्र , यंग प्रत्यास्थता गुणांक क्या है , मान , विमा , मात्रक , compressibility in hindi
compressibility in hindi , संपीड्यता क्या है ? परिभाषा , सूत्र , यंग प्रत्यास्थता गुणांक क्या है , मान , विमा , मात्रक :-
प्रत्यास्थता गुणांक : प्रतिबल और विकृति के अनुपात को प्रत्यास्थता गुणांक कहते है।
k = प्रतिबल/विकृति
प्रत्यास्थता गुणांक तीन प्रकार के होते है –
- यंग का प्रत्यास्थता गुणांक (y)
- अपरूपण प्रत्यास्थता गुणांक n या G
- आयतन प्रत्यास्थता गुणांक (B)
- यंग का प्रत्यास्थता गुणांक (y): अनुदैधर्य प्रतिबल व अनुदैधर्य विकृति के अनुपात के यंग प्रत्यास्थता गुणांक कहते है।
y = अनुदैर्घ्य प्रतिबल/अनुदैर्घ्य विकृति – समीकरण-1
अनुदैर्घ्य विकृति = △L/L – समीकरण-2
अनुदैर्घ्य प्रतिबल = F/A – समीकरण-3
समीकरण-2 और समीकरण-3 का मान समीकरण-1 में रखने पर –
y = (F/A)/(△L/L)
y = FL/A△L – समीकरण-4
चूँकि F – W = mg
चूँकि A = π r2
y = mgL/π r2△L
अधिकांशत मशीनों में काम आने वाले कलपुर्जे स्पात से निर्मित होते है क्योंकि स्पात का यंग प्रत्यास्थ गुणांक 200 होता है।
स्पात का प्रत्यास्थता गुणांक रबड़ की तुलना में अधिक होता है , क्योंकि दोनों पर समान प्रतिबल लगाने पर रबड़ का प्रत्यास्थ गुणांक स्पात की तुलना में कम होता है।
यंग प्रत्यास्थता गुणांक का मापन : यंग के प्रत्यास्थता गुणांक का मान ज्ञात करने के लिए एक प्रायोगिक व्यवस्था करते है , इसमें दो लम्बे सीधे तार लेते है जिनकी लम्बाई और त्रिज्या समान होती है। किसी दृढ आधार से इनको अलग अलग लटका दिया जाता है , प्रथम तार पर एक मुख्य स्केल लगाया दिया जाता है तथा भार लटकाने के लिए एक पलड़ा लगा दिया जाता है , दुसरे तार में भी पलड़ा लगा दिया जाता है। दुसरे तार के पलड़े में ज्ञात भार के रखा जाता है।
पलड़े में रखे भार निचे की ओर बल लगाते है जिसके कारण तार की लम्बाई में वृद्धि होती है।
तार की त्रिज्या स्क्रुगेज की सहायता से ज्ञात की जाती है , इस प्रकार यंग के प्रत्यास्था गुणांक का मान ज्ञात किया जाता है।
y = mgL/π r2△L
अपरूपण गुणांक n या G : अपरूपण प्रतिबल व अपरूपण विकृति का अनुपात अपरूपण गुणांक कहलाता है।
अपरूपण गुणांक = अपरूपण प्रतिबल/अपरूपण विकृति -समीकरण-1
अपरूपण प्रतिबल = F/A -समीकरण-2
अपरूपण विकृति = △x/L -समीकरण-3
समीकरण-2 और समीकरण-3 का मान समीकरण-1 में रखने पर –
n = (F/A)/(△x/L)
n = FL/A△x
अपरूपण गुणांक n या G , यंग प्रत्यास्था गुणांक से सम्बन्ध –
G = y/z
मात्रक = Nm-2 या पास्कल (Pa)
आयतन गुणांक : आयतन प्रतिबल व आयतन विकृति का गुणांक आयतन गुणांक कहलाता है।
β = आयतन प्रतिबल/आयतन विकृति समीकरण-1
आयतन प्रतिबल = F/A -समीकरण-2
आयतन विकृति = △v/V -समीकरण-3
समीकरण-2 व समीकरण-3 का मान समीकरण-1 में रखने पर –
β = (F/A)/(△v/V)
β = FV/A△V
β = PV/△V
चूँकि F/A = P
संपीड्यता : आयतन गुणांक के व्युत्क्रम को संपीड्यता कहते है।
क्या कारण है कि गैसों की तुलना में गैस पर अधिक दाब लगाने पर अधिक संपीडित होती है।
गैसों पर दाब लगाने पर उनके आयतनो में होने वाले परिवर्तन अधिक होता है जिसके कारण वे अधिक संपीडित होती है।
जबकि ठोसो पर दाब लगाने पर उनके आयतन में कम परिवर्तन होता है जिसके कारण वे कम संपीडित होते है।
प्रश्न : 10 मीट्रिक टन भार को उनके लिए स्पात का रस्सा कितना मोटा होना चाहिए।
उत्तर : प्रतिबल = प्रत्यास्थ सीमा
F/A = 300 x 106
mg/πr2 = 300 x 106
mg = πr2 x 300 x 106
r2 = mg/π x 300 x 106
r= 3 x 10-3
प्रश्न : पृथ्वी पर किसी चट्टान की अधिकतम ऊँचाई 10 किलोमीटर है , सिद्ध कीजिये।
उत्तर : प्रतिबल = प्रत्यास्थ सीमा
F/A = 30 x 107
mg/A = 30 x 107
mgh/Ah = 30 x 107
mgh/V = 30 x 107
चूँकि d = h/V
dgh = 30 x 107
h = 30 x 107/d x g
h = 30 x 107/3000 x 10
h = 10000 m
h = 10 km
प्रश्न : क्या कारण है कि समान द्रव्यमान का ठोस पाइप समान द्रव्यमान वाले खोखले पाइप की तुलना में अधिक बंकन (झुकाव) दर्शाता है।
उत्तर : समान द्रव्यमान वाले खोखले पाइप की मोटाई समान द्रव्यमान वाले ठोस पाइप की तुलना में अधिक होने के कारण खोखले पाइप में बंकन कम प्राप्त होता है।
S = wl3/bd3y
S = बंकन
w= भार
l= लम्बाई
b=चौड़ाई
d=मोटाई
y=यंग प्रत्यास्थता गुण
s ∝ 1/d3
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